क्या हिमाचल प्रदेश में योगी मॉडल लागू होने जा रहा है?
हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस पार्टी की सरकार का एक नया दृष्टिकोण सामने आया है, जिसने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली सरकार के एक उच्च-स्तरीय मंत्री रोहित ठाकुर ने उत्तर प्रदेश के शिक्षा मॉडल की खुलेआम तारीफ की है। ठाकुर ने सुझाव दिया है कि हिमाचल प्रदेश में भी इस मॉडल को लागू किया जाना चाहिए। यह घोषणा निश्चित रूप से कांग्रेस पार्टी के लिए एक चौंकाने वाला कदम है, जो इस मामले में एक स्थापित विपक्षी भूमिका में रही है।
यह पहली बार नहीं है जब कांग्रेस के किसी मंत्री ने योगी आदित्यनाथ के मॉडल की तारीफ की है। सुक्खू सरकार में मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने पहले भी यूपी की तरह हिमाचल में रेहड़ी वालों के लिए नेम प्लेट अनिवार्य करने की बात कही थी। हालांकि, बाद में अपने इस बयान को वापस लेना पड़ा था, संभवतः पार्टी आलाकमान की नाराजगी से बचने के लिए।
योगी मॉडल की विशेषताएँ
योगी आदित्यनाथ की सरकार ने उत्तर प्रदेश में कई क्षेत्रों में महत्वपूर्ण परिवर्तन किए हैं। शिक्षा के क्षेत्र में किए गए सुधार विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं। उन्होंने सरकारी स्कूलों में आधारभूत संरचना में सुधार किया, और छात्रों के लिए सॉफ्ट स्किल्स का विकास करने पर ध्यान केंद्रित किया है। इसके अलावा, उनकी सरकार ने डिजिटल शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए कई कार्यक्रम शुरू किए हैं, जिनका उद्देश्य छात्रों को 21वीं सदी की चुनौतियों के लिए तैयार करना है।
उद्योग और रोजगार के क्षेत्र में भी योगी मॉडल की सराहना की जा रही है। उन्होंने उत्तर प्रदेश में निवेश आकर्षित करने के लिए कई महत्वपूर्ण नीतियाँ लागू की हैं, जिससे रोजगार के अवसर बढ़े हैं। सुरक्षा व्यवस्था में सुधार और महिला सुरक्षा के लिए उठाए गए कदम भी इस मॉडल की प्रमुख विशेषताएं हैं।
राजनीतिक दृष्टिकोण एवं कांग्रेस की स्थिति
योगी मॉडल की तारीफ करने के पीछे कांग्रेस नेताओं की मंशा क्या है, यह प्रश्न उठा रहा है। क्या यह वास्तव में एक ईमानदार प्रयास है, या केवल राजनीतिक फायदा उठाने की कोशिश? कांग्रेस को अक्सर विकास के मुद्दे पर एक वैकल्पिक मॉडल की कमी के लिए आलोचना झेलनी पड़ी है।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कई बार योगी मॉडल की आलोचना की है, खासकर उस पर लगे कथित मानवाधिकार हनन के आरोपों के संदर्भ में। इसके बावजूद, जब कांग्रेस के आत्महीनता में डूबे कुछ मंत्री इस मॉडल की तारीफ करते हैं, तो इससे राजनीतिक गलियारों में सवाल खड़े होते हैं कि क्या पार्टी के अंदर ही मतभेद उभर रहे हैं?
क्या अब कांग्रेस को वाकई योगी मॉडल पसंद आने लगा है?
यूपी मॉडल की हिमायत में आए बयान कोई सटीक संकेत नहीं देते हैं कि पूरी कांग्रेस पार्टी ने योगी आदित्यनाथ के मॉडल को स्वीकार कर लिया है। ऐसे बयानों के पीछे की रणनीति या मंशा क्या है, इसके बारे में स्पष्टता का अभाव है। यह भी संभव है कि शिक्षण या प्रशासन के कुछ पहलुओं में सुधार के लिए मॉडल की प्रशंसा की जा रही हो, जो वर्तमान कांग्रेस नीति-निर्माण में एक नई दिशा सुझा सकते हैं।
हालांकि, यह देखा जाना बाकी है कि क्या कांग्रेस वास्तव में योगी मॉडल को अपनाने की दिशा में आगे बढ़ेगी, या ये बातें सिर्फ राजनीतिक माहौल को भांपने की कोशिश का हिस्सा हैं। लेकिन इतना निश्चित है कि अब कांग्रेस को अपने अंदर झांक कर यह मूल्यांकन करना होगा कि कहीं वह विरोध करते-करते किसी प्रभावशाली मॉडल का उपयोग करने में देर न कर दे।