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खो जाएं बच्चे तो कैसे ढूंढेंगे मां-बाप? इस राज्य की पुलिस ने निकाला धांसू जुगाड़; वाहवाही करते नहीं थकेंगे


Vijaywada QR Scan Code: विजयवाड़ा जिला प्रशासन ने भवानी दीक्षा विरामना समारोह के दौरान खोए हुए 10 बच्चों को उनके परिवारों से मिलाने के लिए QR कोड-युक्त कलाई पट्टियों का उपयोग किया. यह प्रणाली बच्चों के त्वरित और प्रभावी ट्रैकिंग में मददगार साबित हुई. इस आयोजन में पांच साल से कम उम्र के बच्चों को कलाई पट्टियां पहनाई गईं, जिनमें बच्चे और उनके माता-पिता के विवरण, जैसे मोबाइल नंबर, सुरक्षित सर्वर पर स्टोर किए गए थे.
बच्चे खोए नहीं इसके लिए अपनाई अनोखी टेक्निक
इंटीग्रेटेड चाइल्ड डेवलपमेंट सर्विसेज़ (ICDS) विभाग की लगभग 60 टीमें शहर के प्रमुख स्थानों जैसे रेलवे स्टेशनों, बस टर्मिनलों और शहर के प्रवेश बिंदुओं पर तैनात की गईं. इन टीमों का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि हर बच्चा शहर में प्रवेश करते समय QR कोड-युक्त कलाई पट्टी पहनकर आए. ANI की रिपोर्ट के अनुसार, प्रत्येक कलाई पट्टी में बच्चे और उनके माता-पिता का विवरण सुरक्षित रूप से स्टोर किया गया था. अगर कोई बच्चा अपने परिवार से अलग हो जाता, तो उस बच्चे को पाकर कोई भी व्यक्ति कलाई पट्टी को स्कैन करके माता-पिता के संपर्क नंबर तक पहुंच सकता था और इस तरह बच्चे को उसके परिवार से मिलाया जा सकता था.
10 खोए हुए बच्चों को उनके परिवारों से मिलवाया
इस प्रणाली का फायदा यह था कि पांच दिनों के दौरान लगभग 12,000 बच्चों को इन कलाई पट्टियों से पहचाना गया. पुलिस की ड्यूटी टीमों ने इस आइडिएशन का उपयोग करके 10 खोए हुए बच्चों को उनके परिवारों से सफलतापूर्वक मिलाया. यह पहल न केवल बच्चों की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण थी, बल्कि यह एक तकनीकी समाधान का बेहतरीन उदाहरण भी था, जो पारंपरिक तरीकों की तुलना में अधिक प्रभावी था.
आंध्र प्रदेश के सीएम ने आखिर क्या कहा?
वहीं, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने शिक्षा प्राप्त महिलाओं को रोजगार के अवसर प्रदान करने पर जोर दिया. मंगलवार को राज्य सचिवालय में एक समीक्षा बैठक के दौरान मुख्यमंत्री ने को-वर्किंग और नजदीकी कार्य स्थानों के विकास पर चर्चा की, ताकि मानव संसाधनों का प्रभावी तरीके से उपयोग किया जा सके. चंद्रबाबू नायडू ने यह भी बताया कि ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में रहने वाली महिलाओं को कौशल प्रशिक्षण प्रदान करना आवश्यक है, ताकि वे कार्यबल का हिस्सा बन सकें.
मुख्यमंत्री ने कहा कि घर से काम करने की व्यवस्था और को-वर्किंग सेंटर महिलाओं के लिए रोजगार के अच्छे अवसर प्रदान कर सकते हैं, जिससे वे अपने पेशेवर और व्यक्तिगत दायित्वों के बीच संतुलन बना सकती हैं. उन्होंने यह भी कहा, “शिक्षित महिलाओं को घरों तक सीमित नहीं रहना चाहिए.” उनका मानना है कि ऐसी प्रणालियों का उपयोग राज्य के आर्थिक और सामाजिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है.
बच्चे खोए नहीं इसके लिए अपनाई अनोखी टेक्निक
इंटीग्रेटेड चाइल्ड डेवलपमेंट सर्विसेज़ (ICDS) विभाग की लगभग 60 टीमें शहर के प्रमुख स्थानों जैसे रेलवे स्टेशनों, बस टर्मिनलों और शहर के प्रवेश बिंदुओं पर तैनात की गईं. इन टीमों का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि हर बच्चा शहर में प्रवेश करते समय QR कोड-युक्त कलाई पट्टी पहनकर आए. ANI की रिपोर्ट के अनुसार, प्रत्येक कलाई पट्टी में बच्चे और उनके माता-पिता का विवरण सुरक्षित रूप से स्टोर किया गया था. अगर कोई बच्चा अपने परिवार से अलग हो जाता, तो उस बच्चे को पाकर कोई भी व्यक्ति कलाई पट्टी को स्कैन करके माता-पिता के संपर्क नंबर तक पहुंच सकता था और इस तरह बच्चे को उसके परिवार से मिलाया जा सकता था.
10 खोए हुए बच्चों को उनके परिवारों से मिलवाया
इस प्रणाली का फायदा यह था कि पांच दिनों के दौरान लगभग 12,000 बच्चों को इन कलाई पट्टियों से पहचाना गया. पुलिस की ड्यूटी टीमों ने इस आइडिएशन का उपयोग करके 10 खोए हुए बच्चों को उनके परिवारों से सफलतापूर्वक मिलाया. यह पहल न केवल बच्चों की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण थी, बल्कि यह एक तकनीकी समाधान का बेहतरीन उदाहरण भी था, जो पारंपरिक तरीकों की तुलना में अधिक प्रभावी था.
आंध्र प्रदेश के सीएम ने आखिर क्या कहा?
वहीं, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने शिक्षा प्राप्त महिलाओं को रोजगार के अवसर प्रदान करने पर जोर दिया. मंगलवार को राज्य सचिवालय में एक समीक्षा बैठक के दौरान मुख्यमंत्री ने को-वर्किंग और नजदीकी कार्य स्थानों के विकास पर चर्चा की, ताकि मानव संसाधनों का प्रभावी तरीके से उपयोग किया जा सके. चंद्रबाबू नायडू ने यह भी बताया कि ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में रहने वाली महिलाओं को कौशल प्रशिक्षण प्रदान करना आवश्यक है, ताकि वे कार्यबल का हिस्सा बन सकें.
मुख्यमंत्री ने कहा कि घर से काम करने की व्यवस्था और को-वर्किंग सेंटर महिलाओं के लिए रोजगार के अच्छे अवसर प्रदान कर सकते हैं, जिससे वे अपने पेशेवर और व्यक्तिगत दायित्वों के बीच संतुलन बना सकती हैं. उन्होंने यह भी कहा, “शिक्षित महिलाओं को घरों तक सीमित नहीं रहना चाहिए.” उनका मानना है कि ऐसी प्रणालियों का उपयोग राज्य के आर्थिक और सामाजिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है.
इंटीग्रेटेड चाइल्ड डेवलपमेंट सर्विसेज़ (ICDS) विभाग की लगभग 60 टीमें शहर के प्रमुख स्थानों जैसे रेलवे स्टेशनों, बस टर्मिनलों और शहर के प्रवेश बिंदुओं पर तैनात की गईं. इन टीमों का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि हर बच्चा शहर में प्रवेश करते समय QR कोड-युक्त कलाई पट्टी पहनकर आए. ANI की रिपोर्ट के अनुसार, प्रत्येक कलाई पट्टी में बच्चे और उनके माता-पिता का विवरण सुरक्षित रूप से स्टोर किया गया था. अगर कोई बच्चा अपने परिवार से अलग हो जाता, तो उस बच्चे को पाकर कोई भी व्यक्ति कलाई पट्टी को स्कैन करके माता-पिता के संपर्क नंबर तक पहुंच सकता था और इस तरह बच्चे को उसके परिवार से मिलाया जा सकता था.
10 खोए हुए बच्चों को उनके परिवारों से मिलवाया
इस प्रणाली का फायदा यह था कि पांच दिनों के दौरान लगभग 12,000 बच्चों को इन कलाई पट्टियों से पहचाना गया. पुलिस की ड्यूटी टीमों ने इस आइडिएशन का उपयोग करके 10 खोए हुए बच्चों को उनके परिवारों से सफलतापूर्वक मिलाया. यह पहल न केवल बच्चों की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण थी, बल्कि यह एक तकनीकी समाधान का बेहतरीन उदाहरण भी था, जो पारंपरिक तरीकों की तुलना में अधिक प्रभावी था.
आंध्र प्रदेश के सीएम ने आखिर क्या कहा?
वहीं, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने शिक्षा प्राप्त महिलाओं को रोजगार के अवसर प्रदान करने पर जोर दिया. मंगलवार को राज्य सचिवालय में एक समीक्षा बैठक के दौरान मुख्यमंत्री ने को-वर्किंग और नजदीकी कार्य स्थानों के विकास पर चर्चा की, ताकि मानव संसाधनों का प्रभावी तरीके से उपयोग किया जा सके. चंद्रबाबू नायडू ने यह भी बताया कि ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में रहने वाली महिलाओं को कौशल प्रशिक्षण प्रदान करना आवश्यक है, ताकि वे कार्यबल का हिस्सा बन सकें.
मुख्यमंत्री ने कहा कि घर से काम करने की व्यवस्था और को-वर्किंग सेंटर महिलाओं के लिए रोजगार के अच्छे अवसर प्रदान कर सकते हैं, जिससे वे अपने पेशेवर और व्यक्तिगत दायित्वों के बीच संतुलन बना सकती हैं. उन्होंने यह भी कहा, “शिक्षित महिलाओं को घरों तक सीमित नहीं रहना चाहिए.” उनका मानना है कि ऐसी प्रणालियों का उपयोग राज्य के आर्थिक और सामाजिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है.
10 खोए हुए बच्चों को उनके परिवारों से मिलवाया
इस प्रणाली का फायदा यह था कि पांच दिनों के दौरान लगभग 12,000 बच्चों को इन कलाई पट्टियों से पहचाना गया. पुलिस की ड्यूटी टीमों ने इस आइडिएशन का उपयोग करके 10 खोए हुए बच्चों को उनके परिवारों से सफलतापूर्वक मिलाया. यह पहल न केवल बच्चों की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण थी, बल्कि यह एक तकनीकी समाधान का बेहतरीन उदाहरण भी था, जो पारंपरिक तरीकों की तुलना में अधिक प्रभावी था.
आंध्र प्रदेश के सीएम ने आखिर क्या कहा?
वहीं, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने शिक्षा प्राप्त महिलाओं को रोजगार के अवसर प्रदान करने पर जोर दिया. मंगलवार को राज्य सचिवालय में एक समीक्षा बैठक के दौरान मुख्यमंत्री ने को-वर्किंग और नजदीकी कार्य स्थानों के विकास पर चर्चा की, ताकि मानव संसाधनों का प्रभावी तरीके से उपयोग किया जा सके. चंद्रबाबू नायडू ने यह भी बताया कि ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में रहने वाली महिलाओं को कौशल प्रशिक्षण प्रदान करना आवश्यक है, ताकि वे कार्यबल का हिस्सा बन सकें.
मुख्यमंत्री ने कहा कि घर से काम करने की व्यवस्था और को-वर्किंग सेंटर महिलाओं के लिए रोजगार के अच्छे अवसर प्रदान कर सकते हैं, जिससे वे अपने पेशेवर और व्यक्तिगत दायित्वों के बीच संतुलन बना सकती हैं. उन्होंने यह भी कहा, “शिक्षित महिलाओं को घरों तक सीमित नहीं रहना चाहिए.” उनका मानना है कि ऐसी प्रणालियों का उपयोग राज्य के आर्थिक और सामाजिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है.
इस प्रणाली का फायदा यह था कि पांच दिनों के दौरान लगभग 12,000 बच्चों को इन कलाई पट्टियों से पहचाना गया. पुलिस की ड्यूटी टीमों ने इस आइडिएशन का उपयोग करके 10 खोए हुए बच्चों को उनके परिवारों से सफलतापूर्वक मिलाया. यह पहल न केवल बच्चों की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण थी, बल्कि यह एक तकनीकी समाधान का बेहतरीन उदाहरण भी था, जो पारंपरिक तरीकों की तुलना में अधिक प्रभावी था.
आंध्र प्रदेश के सीएम ने आखिर क्या कहा?
वहीं, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने शिक्षा प्राप्त महिलाओं को रोजगार के अवसर प्रदान करने पर जोर दिया. मंगलवार को राज्य सचिवालय में एक समीक्षा बैठक के दौरान मुख्यमंत्री ने को-वर्किंग और नजदीकी कार्य स्थानों के विकास पर चर्चा की, ताकि मानव संसाधनों का प्रभावी तरीके से उपयोग किया जा सके. चंद्रबाबू नायडू ने यह भी बताया कि ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में रहने वाली महिलाओं को कौशल प्रशिक्षण प्रदान करना आवश्यक है, ताकि वे कार्यबल का हिस्सा बन सकें.
मुख्यमंत्री ने कहा कि घर से काम करने की व्यवस्था और को-वर्किंग सेंटर महिलाओं के लिए रोजगार के अच्छे अवसर प्रदान कर सकते हैं, जिससे वे अपने पेशेवर और व्यक्तिगत दायित्वों के बीच संतुलन बना सकती हैं. उन्होंने यह भी कहा, “शिक्षित महिलाओं को घरों तक सीमित नहीं रहना चाहिए.” उनका मानना है कि ऐसी प्रणालियों का उपयोग राज्य के आर्थिक और सामाजिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है.
आंध्र प्रदेश के सीएम ने आखिर क्या कहा?
वहीं, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने शिक्षा प्राप्त महिलाओं को रोजगार के अवसर प्रदान करने पर जोर दिया. मंगलवार को राज्य सचिवालय में एक समीक्षा बैठक के दौरान मुख्यमंत्री ने को-वर्किंग और नजदीकी कार्य स्थानों के विकास पर चर्चा की, ताकि मानव संसाधनों का प्रभावी तरीके से उपयोग किया जा सके. चंद्रबाबू नायडू ने यह भी बताया कि ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में रहने वाली महिलाओं को कौशल प्रशिक्षण प्रदान करना आवश्यक है, ताकि वे कार्यबल का हिस्सा बन सकें.
मुख्यमंत्री ने कहा कि घर से काम करने की व्यवस्था और को-वर्किंग सेंटर महिलाओं के लिए रोजगार के अच्छे अवसर प्रदान कर सकते हैं, जिससे वे अपने पेशेवर और व्यक्तिगत दायित्वों के बीच संतुलन बना सकती हैं. उन्होंने यह भी कहा, “शिक्षित महिलाओं को घरों तक सीमित नहीं रहना चाहिए.” उनका मानना है कि ऐसी प्रणालियों का उपयोग राज्य के आर्थिक और सामाजिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है.
वहीं, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने शिक्षा प्राप्त महिलाओं को रोजगार के अवसर प्रदान करने पर जोर दिया. मंगलवार को राज्य सचिवालय में एक समीक्षा बैठक के दौरान मुख्यमंत्री ने को-वर्किंग और नजदीकी कार्य स्थानों के विकास पर चर्चा की, ताकि मानव संसाधनों का प्रभावी तरीके से उपयोग किया जा सके. चंद्रबाबू नायडू ने यह भी बताया कि ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में रहने वाली महिलाओं को कौशल प्रशिक्षण प्रदान करना आवश्यक है, ताकि वे कार्यबल का हिस्सा बन सकें.
मुख्यमंत्री ने कहा कि घर से काम करने की व्यवस्था और को-वर्किंग सेंटर महिलाओं के लिए रोजगार के अच्छे अवसर प्रदान कर सकते हैं, जिससे वे अपने पेशेवर और व्यक्तिगत दायित्वों के बीच संतुलन बना सकती हैं. उन्होंने यह भी कहा, “शिक्षित महिलाओं को घरों तक सीमित नहीं रहना चाहिए.” उनका मानना है कि ऐसी प्रणालियों का उपयोग राज्य के आर्थिक और सामाजिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि घर से काम करने की व्यवस्था और को-वर्किंग सेंटर महिलाओं के लिए रोजगार के अच्छे अवसर प्रदान कर सकते हैं, जिससे वे अपने पेशेवर और व्यक्तिगत दायित्वों के बीच संतुलन बना सकती हैं. उन्होंने यह भी कहा, “शिक्षित महिलाओं को घरों तक सीमित नहीं रहना चाहिए.” उनका मानना है कि ऐसी प्रणालियों का उपयोग राज्य के आर्थिक और सामाजिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है.

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