गुजरात के डायमंड वर्कर्स पर वित्तीय संकट का साया
गुजरात, विशेष रूप से सूरत, दुनिया भर में डायमंड इंडस्ट्री का प्रमुख केंद्र रहा है। यहां लगभग 10 लाख श्रमिक 2,500 से अधिक इकाइयों में काम करते हैं, जो दुनिया के लगभग 90 प्रतिशत कच्चे हीरे को तराशते और पॉलिश करते हैं। लेकिन वर्तमान में इस उद्योग पर गहरा संकट छाया हुआ है, जो न केवल व्यावसायिक, बल्कि मानवीय स्तर पर भी असर डाल रहा है।
सूरत डायमंड वर्कर्स यूनियन की पहल
सूरत डायमंड वर्कर्स यूनियन गुजरात (डीडब्ल्यूयूजी) ने 15 जुलाई को ‘सुसाइड हेल्पलाइन नंबर’ शुरू किया था। इस पहल का उद्देश्य उन श्रमिकों की सहायता करना था, जो वित्तीय संकट और नौकरी की अनिश्चितता के कारण आत्महत्या की कगार पर हैं। यूनियन के उपाध्यक्ष भावेश टांक ने बताया कि इस हेल्पलाइन पर अब तक 1,600 से अधिक संकटपूर्ण कॉल्स आ चुकी हैं। यह आंकड़ा दर्शाता है कि इंडस्ट्री में आर्थिक मंदी और बेरोजगारी ने स्थिति को कितना भयंकर बना दिया है।
वित्तीय संघर्ष का सामना
भावेश टांक ने मीडिया को सूचित किया कि पिछले 16 महीनों में सूरत में 65 हीरा श्रमिकों ने आत्महत्या की है। इनमें से अधिकांश ने वेतन कटौती और नौकरी छूटने के कारण उत्पन्न कठिनाइयों के कारण यह चरम कदम उठाया। पिछले कुछ महीनों में बेरोजगारी और आर्थिक संकट ने श्रमिकों के हालात को बदतर बना दिया है। यूक्रेन-रूस और इज़राइल-गाजा जैसे टकरावों के साथ-साथ प्रमुख बाज़ार चीन में कमजोर मांग ने स्थिति को और अधिक पेचीदा बना दिया है।
वेतन कटौती और आर्थिक सहायता
डीडब्ल्यूयूजी के अनुसार, जिन श्रमिकों के वेतन में 30 प्रतिशत तक की कटौती हुई है, वे अपने परिवारों की आवश्यकताओं को पूरा करने में असमर्थ हो गए हैं। स्कूल फीस, घर का किराया, और अन्य मासिक खर्चों को चुकाने में वे बेहद संघर्ष कर रहे हैं। इस स्थिति को देखते हुए, यूनियन ने हेल्पलाइन पर वित्तीय सहायता के लिए अनुरोध करने वाले श्रमिकों के परिवारों की वित्तीय स्थिति का सर्वेक्षण किया और उन्हें स्कूल की फीस के लिए चेक दिए गए।
धर्मनंदन डायमंड्स की सहायता
रविवार को एक कार्यक्रम में, सूरत की एक प्रमुख हीरा निर्माण कंपनी धर्मनंदन डायमंड्स के चेयरपर्सन लालजी पटेल ने प्रत्येक छात्र को 15,000 रुपये की वित्तीय सहायता देने की घोषणा की और इस क्षेत्र के ज़रूरतमंद परिवारों को चेक वितरित किए। धर्मनंदन डायमंड्स ने एक बयान में कहा कि छोटे हीरा इकाइयों के बंद होने के चलते कुछ जौहरियों की नौकरी चली गई है और वे घर चलाने और यहां तक कि अपने बच्चों की स्कूल और कॉलेज की फीस भरने में भी असमर्थ हैं।
श्रमिकों के लिए राहत के कदम
सूरत डायमंड वर्कर्स यूनियन ने इस संकट की गंभीरता को समझते हुए, हेल्पलाइन पर आवश्यक सहायता प्रदान करने के प्रयासों को तीव्र किया है। वित्तीय संकट झेल रहे श्रमिकों द्वारा आत्महत्या की बढ़ती घटनाओं के बीच, यूनियन ने वित्तीय सहायता के लिए गहन प्रयास किए हैं। यूनियन ने उन परिवारों को 15,000 रुपये के चेक दिए हैं, जिनके बच्चे स्कूल या कॉलेज में पढ़ रहे हैं।
मंदी का प्रभाव और भविष्य का रुख
लालजी पटेल ने यह साफ किया कि उनकी फर्म यह कदम इसीलिए उठा रही है क्योंकि हीरा उद्योग में मंदी का माहौल है और उनका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि बच्चों की शिक्षा प्रभावित न हो। यह एक सराहनीय प्रयास है जो इस उद्योग में काम करने वाले श्रमिकों के लिए उम्मीद की किरण बना हुआ है।
आर्थिक मंदी का दीर्घकालिक समाधान
सूरत के हीरा उद्योग में मौजूदा स्थिति स्पष्ट करती है कि आर्थिक मंदी के दीर्घकालिक समाधान की आवश्यकता है। सरकार और उद्योग दोनों को मिलकर ऐसे उपाय करने होंगे, जो इस संकट का स्थायी समाधान प्रदान कर सकें। वित्तीय सहायता, नौकरी सुरक्षा और श्रमिकों के लिए मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम हो सकते हैं।
समाज की भूमिका
समाज के सभी वर्गों को इस संकट में अपना योगदान देना चाहिए। विशेषकर मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता बढ़ाने और आर्थिक संबल प्रदान करने में स्थानीय संगठनों और कंपनियों की महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है। यह समय है कि समुदाय एकजुट होकर उन लोगों के साथ खड़ा हो जो इस संकट से जूझ रहे हैं।
सूरत के डायमंड वर्कर्स का यह संघर्ष उद्योग को एक नई दिशा देने का मौका भी है। वित्तीय स्थिरता और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार के जरिए ही इस चुनौती का संपूर्ण समाधान संभव है।