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जम्मू-कश्मीर में 10 साल बाद नई सरकार उमर अब्दुल्ला होंगे मुख्यमंत्री

जम्मू-कश्मीर का नया सियासी परिदृश्य

जम्मू-कश्मीर में 10 वर्षों के अंतराल के बाद एक नई, चुनी हुई सरकार का गठन हो रहा है। नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला आज (16 अक्टूबर) को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेकर इस नई सरकार का नेतृत्व करेंगे। यह शपथग्रहण समारोह जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक इतिहास में एक अहम मोड़ साबित होने जा रहा है, जहां कई प्रतिष्ठित नेता और दिग्गज मौजूद रहेंगे।

शपथग्रहण समारोह में बड़े नेताओं की उपस्थिति

उमर अब्दुल्ला के मुख्यमंत्री बनने के इस ऐतिहासिक अवसर पर कांग्रेस अध्यक्ष मलिकार्जुन खरगे, राहुल गांधी, सोनिया गांधी, प्रियंका गांधी, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव और आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल सहित इंडिया गठबंधन के कई प्रभावशाली नेता उपस्थित रहेंगे। इन नेताओं की उपस्थिति यह दर्शा रही है कि ये गठबंधन राज्य और राष्ट्रीय राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की दिशा में अग्रसर है।

इंडिया गठबंधन की बढ़ती सियासी पकड़

जम्मू-कश्मीर में नए राजनीतिक समीकरण के बाद, इंडिया गठबंधन की शक्ति बढ़ती हुई दिखाई दे रही है। इस गठबंधन ने 10 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में अपनी पकड़ बना ली है। वहीं, एनडीए अब 20 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में सत्ता पर काबिज है, जिसमें हरियाणा भी शामिल है।

साल 2014 से बदलते सियासी समीकरण

2014 के पहले के समय की ओर दृष्टि डालें तो, भारतीय राजनीति का यह सफर बड़ा परिवर्तनशील रहा है। 2014 में जब एनडीए ने केंद्र की सत्ता हासिल की थी और नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री के रूप में कार्यभार संभाला था, तब भाजपा की उपस्थिति मात्र 6 राज्यों में थी। इनमें 5 राज्यों में भाजपा की सरकारें थीं, जबकि एक राज्य उसके सहयोगी के अधीन था। उस समय कांग्रेस और उसके सहयोगियों की 12 राज्यों में सरकार थी, और अन्य राज्यों में छोटे दलों ने भी अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज की थी।

2019 के बदलाव और कांग्रेस की गिरावट

मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद भारतीय जनता पार्टी ने सभी प्रमुख राज्यों में अपनी धाक जमाने का दमखम दिखाया। 2019 में लोकसभा चुनावों में भाजपा की बंपर सफलता का असर राज्यों पर भी दिखा। इस दौरान भाजपा और उसके सहयोगियों की सरकारें 18 राज्यों में बन गईं, जिसमें 12 राज्यों में भाजपा अकेले सत्ता में थी। वहीं, कांग्रेस का प्रभाव काफी कम हो गया था और वह 12 राज्यों से घटकर सिर्फ 5 में रह गई।

2024 की मौजूदा स्थिति

साल 2024 में स्थिति और भी स्पष्ट होती जा रही है। अकेले दम पर कांग्रेस की सरकार मात्र 3 राज्यों में रह गई है। वहीं, जम्मू-कश्मीर की सत्ता में वापसी के बाद से कांग्रेस और उसके सहयोगियों की सरकारें अब 10 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में हैं। दूसरी तरफ, भाजपा अकेले हरियाणा सहित 13 राज्यों में सत्तारूढ़ है, जबकि एनडीए का दबदबा 20 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों तक फैल गया है।

आने वाले समय में क्या होगा?

यह देखा जाना बाकी है कि कैसे कांग्रेस और इंडिया गठबंधन इस नई प्राप्त शक्ति को राष्ट्र के राजनीतिक परिदृश्य में तब्दील करेंगे। हालांकि, भाजपा की सत्ता में मजबूती बनी हुई है, परंतु उमर अब्दुल्ला जैसे नेताओं के उभरने से नई चुनौतियाँ भी सामने आएंगी। आने वाले समय में जम्मू-कश्मीर की इस नई सरकार के निर्णय देश के राजनीतिक संतुलन को कितना प्रभावित करेंगे, यह देखने वाली बात होगी।

इसके अतिरिक्त, यह सहज समझा जा सकता है कि आगामी लोकसभा चुनाव और राज्यों के चुनाव के सन्दर्भ में यह बदलाव एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। इसके साथ ही, कई क्षेत्रों में विकास से जुड़े फैसले जनता की आर्थिक और सामाजिक स्थिति पर गहरा प्रभाव डालेंगे। समय बताएगा कि ये जो नई राजनीतिक और सामाजिक उठापटक हुई है, वह भारत के लोकतांत्रिक ढांचे को किस हद तक मजबूत करेगी।

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