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जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव: फारूक अब्दुल्ला का बड़ा ऐलान नेशनल कॉन्फ्रेंस लड़ेगी अकेले चुनाव

फारूक अब्दुल्ला का महत्वपूर्ण बयान

जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक दृश्य में एक महत्वपूर्ण मोड़ आया है जब नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रमुख फारूक अब्दुल्ला ने घोषणा की कि उनकी पार्टी आगामी जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में अकेले खड़ी होगी। यह बयान राजनीतिक गलियारों में भारी चर्चा का विषय बना हुआ है। अब्दुल्ला ने स्पष्ट किया कि उनकी पार्टी किसी भी अन्य दल, चाहे वह इंडिया अलायंस से हो या किसी अन्य से, गठबंधन नहीं करेगी।

इंडिया अलायंस से अलगाव

फारूक अब्दुल्ला के ताजा बयान से यह स्पष्ट हो गया है कि नेशनल कॉन्फ्रेंस इंडिया अलायंस के साथ मिलकर चुनाव नहीं लड़ेगी। यह निर्णय विशेष रूप से उल्लेखनीय है क्योंकि इससे पहले लोकसभा चुनावों में नेशनल कॉन्फ्रेंस ने कांग्रेस के साथ गठबंधन किया था लेकिन पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) से अलग रही थी।

चुनाव आयोग और मोदी सरकार पर निशाना

फारूक अब्दुल्ला ने अपने बयान में चुनाव आयोग और केंद्र सरकार की भी आलोचना की। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग यहां आएगा और सभी दलों से मुलाकात करेगा, लेकिन वह चुनाव की तारीखों की घोषणा नहीं कर सकता। अब्दुल्ला ने सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की तरफ इशारा करते हुए कहा कि भारत सरकार ही अंतिम फैसला करेगी।

नई हज नीति पर टिप्पणी

नई हज नीति पर अपनी राय जाहिर करते हुए, फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि सरकार को धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। उन्होंने याद दिलाया कि हज एक धार्मिक अनुष्ठान है और लोग अपने खर्चे पर इसे करने के लिए स्वतंत्र हैं। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि सरकार ने हज पर सब्सिडी बंद कर दी है, इसलिए किसी को भी इसमें कोई बाधा डालने का अधिकार नहीं है।

भारत के पड़ोसी देशों के संबंध

फारूक अब्दुल्ला ने भारत के पड़ोसी देशों के साथ संबंधों पर भी चिंता जताई। उनका कहना है कि चाहे पाकिस्तान हो, नेपाल हो, बांग्लादेश हो या श्रीलंका, वर्तमान में सभी देश भारत के खिलाफ खड़े हैं। उन्होंने कहा कि पहले बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना भारत समर्थक थीं, लेकिन अब यह स्थिति बदल गई है। अब्दुल्ला ने यह भी कहा कि भारत ने अपने सभी पड़ोसी देशों को नाराज कर दिया है और अब कोई भी देश उसका सहयोगी नहीं है।

सार्क को पुनर्जीवित करने की आवश्यकता

फारूक अब्दुल्ला ने यह भी संकेत दिया कि सार्क (दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन) को पुनर्जीवित करने की जरूरत है। उनका मानना है कि यह संगठन क्षेत्र में विभिन्न विवादित मुद्दों को सुलझाने में मददगार हो सकता है। उन्होंने कहा कि मौजूदा स्थिति में भारत को अपने पड़ोसी देशों के साथ संबंध सुधारने की सख्त आवश्यकता है।

चुनाव आयोग की यात्रा और दलों से मुलाकात

अब्दुल्ला ने कहा कि चुनाव आयोग जल्दी ही जम्मू-कश्मीर का दौरा करेगा और विभिन्न राजनीतिक दलों से बातचीत करेगा। हालांकि, उन्होंने यह भी जोर देकर कहा कि चुनाव की तिथियों की घोषणा केवल भारत सरकार द्वारा ही की जा सकती है। फारूक अब्दुल्ला ने इस प्रक्रिया को लेकर अपनी नाराजगी जाहिर की और इसे लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं का उल्लंघन बताया।

धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप की निंदा

धार्मिक मामलों में सरकार के हस्तक्षेप पर बोलते हुए अब्दुल्ला ने कहा कि यह एक नितांत व्यक्तिगत और धार्मिक मामला है। उन्होंने जोर देकर कहा कि किसी व्यक्ति को अपनी धार्मिक आस्थाओं के निर्वहन में बाधा नहीं आनी चाहिए, खासकर जब सरकार ने हज पर सब्सिडी भी समाप्त कर दी है।

भारत की वर्तमान स्थिति

अब्दुल्ला ने कहा कि आज भारत की स्थिति बहुत ही चिंताजनक है। उनके अनुसार, भारत ने अपने सभी पड़ोसी देशों को नाराज कर दिया है और इसके नतीजे में कोई भी देश भारत का मित्र नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि क्षेत्रीय संगठनों का पुनर्जीवित होना और बातचीत का दौर शुरू होना चाहिए ताकि इन समस्याओं का समाधान निकाला जा सके।

नेशनल कॉन्फ्रेंस का रुख

अंततः इस घोषणा के साथ, नेशनल कॉन्फ्रेंस ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह किसी भी सूरत में आगामी विधानसभा चुनावों में किसी भी दल के साथ गठबंधन नहीं करेगी। फारूक अब्दुल्ला ने यह कहते हुए अपनी बात खत्म की कि उनकी पार्टी स्वाभिमान और एक सशक्त राजनीतिक दिशा के साथ अकेले ही चुनाव लड़ेगी।

इसके साथ ही, यह स्पष्ट है कि आगामी जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव राजनीतिक दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण और घटनापूर्ण होने जा रहे हैं। फारूक अब्दुल्ला के इस निर्णय ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है और विभिन्न दलों की रणनीतियों पर इसका गहरा असर पड़ सकता है।

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