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जयशंकर ने कहा: विश्व के भू-राजनीतिक परिवर्तनों में भारत की भूमिका महत्वपूर्ण

कौटिल्य आर्थिक सम्मेलन में जयशंकर का वक्तव्य

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने रविवार को दिल्ली में आयोजित कौटिल्य आर्थिक सम्मेलन में एक संवाद सत्र में भाग लिया। इस दौरान उनसे अमेरिका में आने वाले राष्ट्रपति चुनावों के संभावित परिणामों के बारे में पूछा गया। उनके प्रश्न के उत्तर में जयशंकर ने कहा कि अमेरिका ने भू-राजनीतिक और आर्थिक दृष्टिकोण में वास्तविक परिवर्तन किया है। उन्होंने संकेत दिया कि चुनावों के नतीजे चाहे जो भी हों, ये परिवर्तन तेजी से आगे बढ़ेंगे।

अमेरिका की नीतियों पर जयशंकर की टिप्पणियां

जयशंकर से अमेरिका चुनावों के संभावित परिणामों और नए प्रशासन के साथ भारत के संबंधों के बारे में जब पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में अमेरिका की नीतियों में महत्वपूर्ण बदलाव हुए हैं। 2020 के चुनाव के बाद भी बाइडन प्रशासन ने ट्रंप प्रशासन की कई नीतियों को आगे बढ़ाया और उनमें तेजी लाई। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह केवल एक नेता या एक परंपरा तक सीमित नहीं है, बल्कि यह बदलाव अमेरिका की व्यापक संरचना का हिस्सा हैं।

आर्थिक विकास और भू-राजनीतिक परिवेश

जयशंकर ने कहा कि अमेरिका ने बदलाव के दृष्टिकोण से उनकी पुरानी व्यवस्था को ज्यादा लाभ नहीं देखा, इसलिए विश्व अधिक विभाजित हो गई है। लेकिन साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि विश्वसनीयता और पारदर्शिता महत्वपूर्ण कारक होंगे। ये कारक वैश्विक व्यापार और सहयोग का मापदंड बनेंगे।

भारत-पाकिस्तान संबंध और एससीओ शिखर सम्मेलन

जयशंकर ने आगामी शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए पाकिस्तान यात्रा के बारे में भी बात की। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस यात्रा का उद्देश्य एससीओ बैठक में भारत का प्रतिनिधित्व करना है, न कि पाकिस्तान के साथ द्विपक्षीय वार्ता करना। उन्होंने इस्लामाबाद जाने के उद्देश्य को एक बहुपक्षीय कार्यक्रम बताया और भारत-पाकिस्तान के रिश्तों पर चर्चा को खारिज कर दिया।

संयुक्त राष्ट्र की भूमिका पर जयशंकर की आलोचना

बदलते वैश्विक परिदृश्य में संयुक्त राष्ट्र की भूमिका पर जयशंकर ने आलोचनात्मक दृष्टिकोण अपनाया। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र को पुरानी कंपनी की तरह बताया, जो बाजार के साथ तालमेल नहीं बिठा पा रही है। जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र की कार्यप्रणाली को अपर्याप्त मानते हुए कहा कि इस विश्व निकाय की भूमिका कुछ प्रमुख मुद्दों पर कमजोर पड़ी है, विशेषकर कोविड-19 के दौरान।

भारत की पहल और ग्लोबल साउथ

जयशंकर ने भारत की कुछ वैश्विक पहलों का उल्लेख किया जो संयुक्त राष्ट्र के ढांचे से बाहर हैं, जैसे कि भारत-मध्यपूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा (आईएमईसी) और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में क्वाड। ‘ग्लोबल साउथ’ की बात करते हुए उन्होंने कहा कि इसके महत्व को नहीं हटाया जा सकता और इसे अवसर के रूप में देखना चाहिए। जयशंकर ने जोर दिया कि भारत एक विश्वसनीय और मुखर सदस्य के रूप में अपना स्थान बनाए रखेगा।

समय के साथ भारत की भूमिका

भारत बदलते समय के अनुरूप संयुक्त राष्ट्र और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार की मांग करता रहा है। जयशंकर ने बताया कि सुरक्षा परिषद के कुछ स्थायी सदस्य इसके सुधार में बाधक बने हुए हैं। भारत का दृष्टिकोण है कि पारदर्शिता और विश्वसनीयता देशों के बीच सहयोग को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण होंगे।

इस प्रकार, विदेश मंत्री एस जयशंकर का वक्तव्य दर्शाता है कि आने वाले समय में भी भारत वैश्विक परिवर्तनों में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका को बनाए रखने की दिशा में अग्रसर रहेगा। (इनपुट: एजेंसी भाषा के साथ)
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