ग्रीन हाउस गैसों का संकट
अगर ग्रीन हाउस गैस का निकलना इसी तरह से जारी रहा तो 2050 तक अल नीनो की हर दो में एक घटना चरम स्थिति का कारण बन सकती है। एक नई स्टडी में यह जानकारी सामने आई है। अल नीनो एक मौसम पैटर्न है जो भीषण गर्मी और बाढ़ जैसी चरम स्थितियों की वजह बनता है और समुद्र की सतह के तापमान को बढ़ाने के लिए भी जाना जाता है।
स्टडी में क्या आया सामने?
वहीं, ला नीनो सर्दी की अवस्था को दर्शाता है। इन दोनों का संबंध अल नीनो-दक्षिणी दोलन (ईएनएसओ) से है। कई स्टडीज से सबूत मिले हैं कि लगातार गर्म होती जलवायु अल नीनो की घटनाओं को जल्दी और तेजी से लाने की परिस्थितियां बनाती हैं जो मौसम की चरम घटनाओं का कारण बनती हैं। अमेरिका के कोलोराडो बोल्डर यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों समेत अन्य की स्टडी में पिछले 21,000 साल में अल नीनो की घटनाओं को एक्टिव करने के लिए कंप्यूटर मॉडल का इस्तेमाल किया गया।
अल-नीनो की घटनाएं हुईं तेज
यह वह वक्त था जब धरती आखिरी हिमयुग के चरम पर थी और यह धरती के सबसे ठंडे काल में से एक था। इसमें यह पता चला है कि तब से धरती की जलवायु गर्म होने के साथ ही अल नीनो की घटनाएं जल्दी-जल्दी हुईं और तीव्र होती गईं। मॉडल ने यह भी अनुमान जताया है कि अगर ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन वर्तमान स्तर पर जारी रहा, तो 2050 तक अल नीनो की हर दो में से एक घटना चरम स्थिति का कारण बन सकती हैं।
जान-माल पर पड़ेगा ज्यादा असर
‘नेचर’ मैग्जीन में छपी स्टडी में लेखकों ने कहा कि ईएनएसओ में उच्चतम परिवर्तनशीलता ग्रीनहाउस वार्मिंग की प्रतिक्रिया में होती है और दो में से एक घटना चरम स्थित तक पहुंच जाती है। कोलोराडो बोल्डर यूनिवर्सिटी के एसोसिएट प्रोफेसर और प्रमुख लेखक पेड्रो डिनेज़ियो के मुताबिक, स्टडी के नतीजों का मतलब है कि लोगों को उभरने में उम्मीद से कम समय मिलेगा, साथ ही जान और माल पर ज्यादा प्रभाव पड़ेगा।
अल-नीनो के विनाशकारी परिणाम
उन्होंने कहा कि अगर ये चरम स्थितियां जल्दी-जल्दी आएंगी तो समाज के पास अगले अल नीनो से पहले उभरने और खुद को फिर से खड़ा करने के लिए पर्याप्त वक्त नहीं होगा। डिनेज़ियो ने कहा कि इसके परिणाम विनाशकारी होंगे। सबसे हालिया 2023-24 के अल नीनो को पिछले साल जून से लगातार 12 महीनों के दौरान वैश्विक तापमान में आई रिकॉर्ड वृद्धि से जोड़ा गया है।
ला नीनो: सर्दी की स्थिति
ला नीनो, अल नीनो के विपरीत, एक ऐसी स्थिति है जो वैश्विक तापमान को ठंडा करती है। इसका प्रभाव अल नीनो के विपरीत होता है, और यह अलग-अलग मौसम स्थितियों के लिए जिम्मेदार हो सकता है। कई स्टडीज के अनुसार, अल नीनो और ला नीनो दोनों का असर ईएनएसओ के ऊपर होता है, और दोनों मौसम के चरम अवस्थाओं का कारण बन सकते हैं।
ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य
अल-नीनो और ला नीनो की घटनाएं सदियों से होती आ रही हैं। पिछली सदी में इन घटनाओं की तीव्रता और आवृत्ति में बढ़ोतरी देखी गई है। पिछले 21,000 सालों में जलवायु परिवर्तन के कारण इन घटनाओं की गति और प्रभाव में तेजी आई है।
2050 का परिदृश्य
यदि ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन इसी प्रकार जारी रहा, तो वर्ष 2050 तक स्थिति अत्यधिक गंभीर हो सकती है। स्टडीज के अनुसार, दो में से एक अल नीनो घटना चरम अवस्था में पहुंच जाएगी, जिससे वैश्विक स्तर पर भारी बाढ़, भीषण गर्मी और अन्य चरम मौसमी हालात उत्पन्न हो सकते हैं।
उभरने के लिए समय की कमी
स्टडी के मुताबिक, यदि यह चरम स्थितियां जल्दी-जल्दी आती रहीं, तो समाज के पास अगले अल नीनो से पहले उभरने और खुद को मसबूत बनाने के लिए पर्याप्त वक्त नहीं होगा। इसके परिणामस्वरूप जान-माल का नुकसान अत्यधिक हो सकता है।
वैश्विक तापमान पर अल नीनो का प्रभाव
2023-24 का सबसे हालिया अल नीनो पिछले साल जून से शुरू होकर आगामी 12 महीनों के दौरान वैश्विक तापमान में वृद्धि का कारण बना। यह वृद्धि पिछले वर्षों के मुकाबले रिकॉर्ड स्तर पर थी, और इसके कारण दुनिया भर में अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग प्रभाव देखे गए।
समाज पर अल नीनो का प्रभाव
अल नीनो के परिणामस्वरूप समाज पर विभिन्न प्रकार के प्रभाव पड़ सकते हैं। इन प्रभावों में आर्थिक, सामाजिक और पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान शामिल है। बढ़ते तापमान के कारण कृषि, जल सुरक्षा, और जन स्वास्थ्य पर भी गंभीर असर पड़ सकता है।
उपसंहार
वर्तमान स्थिति को देखते हुए, यह आवश्यक है कि ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को जल्द से जल्द नियंत्रित किया जाए। यदि ऐसा नहीं किया गया तो भविष्य में हमें भारी प्राकृतिक आपदाओं और वैश्विक स्तर पर गंभीर प्रभावों का सामना करना पड़ सकता है। वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों का मानना है कि इसके लिए अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता है।
(PTI इनपुट के साथ)