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डॉन से महामंडलेश्वर: प्रकाश पांडे उर्फ पीपी की चौंकाने वाली यात्रा

प्रकाश पांडे: अंडरवर्ल्ड से धार्मिक मार्ग तक

वो नब्बे के दशक का अंडरवर्ल्ड डॉन था, जो अपने दुश्मनी में दाऊद इब्राहिम को मारने पाकिस्तान पहुंच गया था। देशभर में कॉन्ट्रैक्ट किलिंग, रंगदारी और हत्या जैसे अपराधों में उसका दबदबा था। करोड़ों के इस अपराध की दुनिया में उसका एक नाम था – पीपी। प्रकाश पांडे, जिसका अपराध का साम्राज्य मुंबई से दिल्ली तक फैला हुआ था, अब एक नई पहचान हासिल कर चुका है। वो अब कोई साधारण अपराधी नहीं रह गया; अब वो श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर है।

कामयाबी से विकट पथ पर देवता की ओर

उत्तराखंड के अल्मोड़ा से आई खबर ने सभी को चौंका दिया है। अल्मोड़ा जेल में श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा के साधु संत पहुंचे और इस दुर्दांत अपराधी को दीक्षा दी। इसे महामंडलेश्वर का उत्तराधिकारी बना दिया गया। आखिरकार, वो अपराधी जो कभी नर संहार का मास्टरमाइंड था, कैसे धार्मिक और आध्यात्मिक मार्ग पर आया?

प्रकाश पांडे, जिसे अब श्री श्री प्रकाशानंद गिरी जी महाराज के नाम से भी जाना जाता है, ने अपराध की दुनिया में अपनी एक बड़ी पहचान बनाई थी। ये ओहदा उस शख्स का है, जो आज से दो दशक पहले इंसान की जान को मूंगफली से भी सस्ती समझता था। आइए जानते हैं, कौन है ये डॉन जो बना ‘महामंडलेश्वर’।

पीपी की अपराध भूमि

प्रकाश पांडे के अंडरवर्ल्ड तक पहुंचने की कहानी उत्तराखंड के पहाड़ियों से ही शुरू होती है। नैनीताल के एक छोटे से गांव खनैइया में उसका जन्म हुआ। पिता फौज से रिटायर्ड थे, लेकिन बेटे प्रकाश पांडे को बचपन से ही जुर्म की दुनिया बहुत आकर्षित करती थी।

अंडरवर्ल्ड का जय जयकार

पीपी ने बेहद कम उम्र में मायानगरी का रुख किया। नब्बे के दशक में उसकी मुलाकात छोटा राजन से हुई और पीपी देखते ही देखते छोटा राजन का सबसे खास गुर्गा बन गया। जब छोटा राजन और दाऊद की दोस्ती टूटी तो पीपी को दाऊद को ठिकाने लगाने की जिम्मेदारी दी गई। इस काम के लिए वह पाकिस्तान तक पहुंच गया।

लेकिन दाऊद को पीपी की खबर मिल गई और दाऊद बच गया। बावजूद इसके, पीपी का नाम इस घटना के बाद काफी बढ़ गया। छोटा राजन का वफादार बनते-बनते पीपी ने खुद का स्वतंत्र साम्राज्य बना लिया और फिरौती, वसूली और हत्या जैसे अपराध उसकी रोजमर्रा की गतिविधि बन गई।

सुर्खियों में आया कुख्यात नाम

साल 2007 में पीपी का नाम उस वक्त राष्ट्रीय सुर्खियों में आया, जब उसने फिल्म सुपरस्टार शाहरुख खान से रंगदारी मांगी। शाहरुख खान की फिल्म ‘ओम शांति ओम’ की बंपर कमाई के बाद पीपी ने उसे रंगदारी के लिए फोन किया। इस घटना के बाद पीपी का नाम राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मीडिया में चर्चित हो गया।

पीपी का अपराधी दायरा तब और भी बढ़ गया, जब उसने दिल्ली क्राइम ब्रांच के एसीपी राजबीर सिंह की दिन दहाड़े हत्या कर दी। इसके बाद वह वियतनाम में आकर बस गया, यहां वह मसालों का कारोबार करने लगा। लेकिन उसकी असली पहचान सीमा पार से मुंबई में अंडरवर्ल्ड को ऑपरेट करने की थी।

फरारी, गिरफ्तारी और अंततः धर्मगुरु

तीन नवंबर 2010 के दिन वियतनाम के एक गांव से पीपी को गिरफ्तार किया गया। मुंबई पुलिस ने उसके खिलाफ मकोका यानी ‘महाराष्ट्र कंट्रोल ऑफ ऑर्गेनाइज्ड क्राइम एक्ट’ के तहत मुकदमा दर्ज किया। लेकिन 2007 में एक पेशी के दौरान पीपी फरार हो गया। जल्दी ही उसे पुलिस ने फिर से पकड़ लिया लेकिन उसके भागने के सिलसिले जारी रहे।

देहरादून की सुद्धोवाला जेल में रहते हुए पीपी और उत्तराखण्ड के कुख्यात गैंगस्टर अमित मलिक उर्फ भूरा को एक ही बैरक में रखा गया था। इसके कुछ ही दिन बाद भूरा जेल से फरार हो गया। इसे देखकर लोगों को यह शक हुआ कि क्या पीपी भी फिर से भागने की कोशिश तो नहीं कर रहा।

धर्म और आध्यात्म का रास्ता

ऐसे में, यह ख़बर चौंकाने वाली है कि प्रकाश पांडे ने अब धर्म और आध्यात्मिकता का मार्ग अपनाया है और उसे जूना अखाड़ा का महामंडलेश्वर बना दिया गया है। अब सवाल यह उठता है कि क्या यह अंडरवर्ल्ड के कुख्यात डॉन की कोई अगली चाल तो नहीं? समय ही इस सवाल का उत्तर दे पाएगा।

प्रकाश पांडे का इस आध्यात्मिक सफर पर मुड़ना एक अनोखी कहानी है, जो केवल पीपी ही जानता है। उसकी क्राइम कुंडली के पन्ने पलटें तो यही सवाल उठता है कि क्या यह सुधार की दिशा है या कोई नई चाल? वक्त ही बताएगा कि महामंडलेश्वर का नया जीवन प्रकाश पांडे के लिए किस दिशा में जाता है।

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