तिरुपति जिले में शराब की दुकानों की बढ़ती संख्या
आंध्र प्रदेश के पवित्र तिरुपति बालाजी मंदिर में प्रसाद के रूप में देते जाने वाले लड्डू को लेकर हाल ही में बड़ा विवाद खड़ा हुआ था, जहाँ इसमें जानवरों की चर्बी और मछली के तेल के इस्तेमाल की रिपोर्ट ने सनातन धर्म वासियों को झकझोर कर रख दिया था। इसके बाद उपमुख्यमंत्री पवन ने राष्ट्रीय स्तर पर सनातन धर्म रक्षण बोर्ड के गठन की मांग की थी। इस घोटाले का निपटारा अभी तक नहीं हो पाया था कि अब तिरुपति से वाईएसआर कांग्रेस के सांसद एम. गुरुमूर्ति ने एक और गंभीर मुद्दा उठाया है। गुरुमूर्ति ने बताया है कि तिरुपति जिले में 227 शराब की दुकानें आवंटित की गई हैं, और यह संख्या राज्य में सबसे ज्यादा है।
वाईएसआर कांग्रेस के सांसद एम. गुरुमूर्ति का बयान
सांसद एम. गुरुमूर्ति ने “एक्स” (पूर्व में ट्विटर) पर अपनी आपत्ति प्रकट करते हुए लिखा, “माननीय मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू और उप मुख्यमंत्री पवन कल्याण सनातन धर्म के रक्षक होने का दावा करते हैं। यह बहुत दुखद है कि 227 शराब की दुकानें तिरुपति जिले को आवंटित की गई हैं। हम दृढ़ता से इसकी निंदा करते हैं। ऐसी हरकतें किसी भी हालत में सनातन धर्म की रक्षा का हिस्सा नहीं होंगी। तिरुपति की जनता सब कुछ बारीकी से देख रही है।”
शराब की दुकानों के खिलाफ विरोध
गुरुमूर्ति के वक्तव्य ने तिरुपति में आस्था रखने वालों के बीच चिंता की लहर पैदा कर दी है। लोग इसके विरुद्ध आवाज उठा रहे हैं और शराब की दुकानों की बढ़ती संख्या को रोकने की मांग कर रहे हैं। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि इस प्रकार की व्यवस्थाएं एक धार्मिक स्थल के पवित्रता को ठेस पहुंचा रही हैं और इसे रोकना जरूरी है।
लड्डू में चर्बी की मिलावट का प्रकरण
कुछ ही हफ्ते पहले यह सामने आया था कि तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसाद में जानवरों की चर्बी मिली थी। यह चौंकाने वाला खुलासा तब हुआ, जब प्रयोगशालाओं में किए गए परीक्षणों से लड्डू बनाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले घी में पशुओं की चर्बी मिले होने की पुष्टि हुई। इस घटना की रिपोर्ट राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) ने दी थी, जिससे मुख्य मंत्री चंद्रबाबू नायडू ने चिंता जताई थी।
घी की गुणवत्ता की जांच
मंदिर को घी आपूर्ति करने वाले निर्माता जब बाजार भाव से काफी कम दाम पर घी सप्लाई कर रहे थे, तब मंदिर संगठन से जुड़े लोगों को शक होने लगा। संदेह गहराने पर मंदिर को घी की आपूर्ति करने वाली सभी डेयरियों के घी की जांच कराई गई। परीक्षणों में पाया गया कि एआर डेयरी फूड प्राइवेट लिमिटेड ने मंदिर को आपूर्ति किए जाने वाले घी में पशुओं की चर्बी मिलाई थी।
तिरुपति लड्डू प्रसाद का इतिहास
तिरुपति बालाजी मंदिर भगवान विष्णु के अवतार भगवान वेंकटेश्वर को समर्पित है। पिछले 300 सालों से मंदिर में आने वाले हिंदू भक्तों को खास ‘लड्डू’ प्रसाद के रूप में दिया जा रहा है। यह लड्डू साल 2014 में जीआई (जियोग्राफिकल इंडिकेशन) टैग भी प्राप्त कर चुका है, जिसका मतलब है कि यह विशेष रूप से तिरुपति तिरुमला के नाम का लड्डू सिर्फ आंध्र प्रदेश के तिरुपति मंदिर में ही मिल सकता है।
मंदिर को घी सप्लाई करने वाले निर्माता
प्रीमियर एग्री फूड्स, कृपाराम डेयरी, वैष्णवी, श्री पराग मिल्क और एआर डेयरी फूड तिरुमला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) को घी सप्लाई करते थे।
आस्था पर प्रश्नचिन्ह
तिरुपति बालाजी मंदिर और उसके प्रसाद के प्रति भक्तों की आस्था को इस प्रकार के घोटाले और मुद्दों ने गहरे चोट पहुंचाई है। जनता मंदिर की प्रशासनिक व्यवस्थाओं की पारदर्शिता की मांग कर रही है, ताकि आने वाले समय में इस प्रकार की घटनाएं न हो सकें। इस संदर्भ में सांसद एम. गुरुमूर्ति का विरोध और जनता की आवाज निश्चित ही सरकार और मंदिर प्रशासन पर दबाव बनाने का प्रयास करेगा ताकि सनातन धर्म की पवित्रता और उसकी आस्था बरकरार रहे।
इन सब घोटालों और विवादों के बीच यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार और मंदिर प्रशासन किस प्रकार इन समस्याओं का समाधान ढूंढते हैं और भक्तों की आस्था को फिर से मजबूत करने का प्रयास करते हैं। सनातन धर्म के रक्षक होने का दावा करने वाले नेताओं के लिए यह समय है कि वे अपनी जिम्मेदारियों का निष्ठा पूर्वक निर्वाह करें और तिरुपति के पवित्र स्थल की गरिमा को फिर से स्थापित करें।
(इनपुट- न्यूज़ एजेंसी आईएएनएस)