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तिरुपति लड्डू विवाद: दूषित घी का मामला सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

परिचय

तिरुपति के भगवान वेंकटेश्वर स्वामी के मंदिर में लड्डू प्रसाद में दूषित घी का इस्तेमाल हुआ या नहीं, इस सवाल ने भगवान में आस्था रखने वाले करोड़ों भक्तों के मन में अशांति पैदा कर दी है। इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में कल हुई सुनवाई का लिखित आदेश अब सार्वजनिक हो गया है। इस लिखित आदेश में इस मुद्दे पर कई तथ्य स्पष्ट हो रहे हैं।

घी का टेस्ट और प्रयोग

तिरुमला तिरूपति देवस्थानम (TTD) की ओर से पेश वकील सिद्धार्थ लूथरा ने कोर्ट को बताया कि जिस घी के सैंपल लैब को टेस्ट के लिए भेजे गए, वो 6 जुलाई को 2 टैंकर और 12 जुलाई को 2 टैंकर में सप्लाई हुआ था। इन चारों सैंपल में घी में मिलावट पाई गई। हालांकि, जिस घी के सैंपल को टेस्ट हुआ, उसका इस्तेमाल लड्डू प्रसाद बनाने में नहीं हुआ था। सिद्धार्थ लूथरा ने बताया कि TTD के एग्जीक्यूटिव ऑफिसर का बयान (कि दूषित घी का इस्तेमाल लड्डू प्रसाद बनाने में नहीं हुआ) इन्हीं दो तारीखों को सप्लाई हुए इन चार सैंपलों के संदर्भ में ही था।

समान सप्लायर का मुद्दा

कोर्ट को यह भी बताया गया कि जून महीने और 4 जुलाई तक जो घी सप्लाई हुआ, वो भी उसी सप्लायर का था जिसके घी में बाद में मिलावट मिली। पूरे जून महीने और 4 जुलाई तक जो सप्लाई हुई, उसका इस्तेमाल लड्डू प्रसाद बनाने में हुआ, पर इस घी का सैंपल टेस्ट के लिए नहीं भेजा गया था। कोर्ट ने TTD के वकील की इस जानकारी को अपने आदेश में दर्ज किया है।

संदेह और टेस्टिंग प्रक्रिया

TTD का कहना है कि इससे पहले सप्लाई हुए लड्डुओं का स्वाद ठीक नहीं था। इसलिए इसके बाद इसी सप्लायर से आए घी के सैंपल को राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड के पशुधन और खाद्य विश्लेषण और अध्ययन केंद्र (एनडीडीबी सीएएलएफ) में भेजा गया। जहां उन चारों सैंपल के दूषित होने की पुष्टि हुई।

सुप्रीम कोर्ट का मुख्यमन्त्री के बयान पर सवाल

सुप्रीम कोर्ट ने मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू के बयान पर सवाल उठाते हुए कहा कि इस मामले में FIR 25 सितंबर को दर्ज हुई। 26 सितंबर को राज्य सरकार ने जांच के लिए एसआईटी का गठन किया। लेकिन मुख्यमंत्री ने 18 सितंबर को ही बयान जारी कर दिया। कोर्ट ने कहा कि जब इस पहलू की जांच अभी जारी ही है कि क्या लड्डू प्रसाद में दूषित घी का इस्तेमाल हुआ है या नहीं, तब संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों को ऐसे बयान नहीं देने चाहिए जो करोड़ों लोगों की धार्मिक भावनाओं को आहत करें।

कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल से राय मांगी

सुप्रीम कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से पूछा है कि क्या इस मामले में राज्य सरकार की ओर से गठित एसआईटी की जांच जारी रहनी चाहिए या फिर जांच का जिम्मा किसी स्वतंत्र एजेंसी को सौंप दिया जाए। एस जी इस बारे में अपनी राय से कोर्ट को अवगत कराएंगे। सुप्रीम कोर्ट 3 अक्टूबर को इस मामले की अगली सुनवाई करेगा।

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