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तिरुपति लड्डू विवाद: ‘भगवान को राजनीति से दूर रखें’ मुख्यमंत्री के बयान पर सुप्रीम कोर्ट ने जताई नाराजगी

प्रस्तावना

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने तिरुपति के भगवान वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर के लड्डू प्रसाद में जानवरों की चर्बी की मिलावट को लेकर दिए मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू के बयान पर सख्त नाराजगी जाहिर की है। कोर्ट ने कहा कि जब इस मसले की जांच चल रही है तो फिर मुख्यमंत्री को मीडिया में बयान देने की क्या ज़रूरत थी। उन्होंने किस आधार पर कह दिया कि प्रसाद में मिलावटी घी का इस्तेमाल हुआ। कोर्ट ने कहा कि संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों से जिम्मेदारी की अपेक्षा की जाती है। उन्हें बिना पुष्टि के ऐसी टिप्पणी नहीं करनी चाहिए जो करोड़ो लोगों की धार्मिक भावनाओं को आहत करे। नाराज कोर्ट ने कहा कि कम से कम भगवान को राजनीति से दूर रखा जाना चाहिए।

मिलावटी घी का प्रसाद में इस्तेमाल नहीं हुआ

जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस के वी विश्वनाथन की बेंच ने कहा कि अब तक ऐसा कोई ठोस सबूत नहीं है जिससे इस बात की पुष्टि हो सके कि मिलावटी घी का इस्तेमाल लड्डू प्रसाद में हुआ। लैब रिपोर्ट को देखकर नहीं लगता कि इस घी का उपयोग उन लड्डू प्रसाद को बनाने में हुआ। जिस घी के सैंपल की यह रिपोर्ट है, उसे त्रिमुला तिरुपति देवस्थानम ने पहले खारिज कर दिया था। इस घी का इस्तेमाल नहीं हुआ। कोर्ट ने कहा कि खुद कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में त्रिमुला तिरुपति देवस्थानम ट्रस्ट के हवाले से छापा गया कि मिलावट वाले घी का प्रसाद में इस्तेमाल नहीं हुआ।

विवादित बयान पर विशेषज्ञों की राय

मुख्यमंत्री के विवादास्पद बयान पर धार्मिक संगठनों और श्रद्धालुओं के बीच विवाद उत्पन्न हो गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि तिरुपति लड्डू प्रसाद की धार्मिक महत्ता है और इस प्रकार के बयान बिना साक्ष्य के एक बड़े आक्रोश का कारण बन सकते हैं। व्यावसायिक संगठन और धार्मिक नेतागण इस मामले में संवेदनशीलता बरतने की सलाह दे रहे हैं।

केंद्र सरकार की भूमिका

सुप्रीम कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से पूछा है कि क्या राज्य सरकार की SIT काफी है या किसी स्वतंत्र एजेंसी को नए सिरे से जांच करनी चाहिए। केंद्र का रुख सामने आने के बाद कोर्ट तय करेगा कि क्या इस मामले में याचिकाकर्ताओं की मांग के मुताबिक अपनी ओर से जांच का आदेश दिया जाए या नहीं। न्यायालय के इस रुख से भी स्पष्ट है कि मामले की गंभीरता को देखते हुए निष्पक्ष जांच आवश्यक मानी जा रही है।

कोर्ट में दायर याचिकाएं

सुप्रीम कोर्ट में इस मसले को लेकर कई याचिकाएं दायर हुई हैं, जिनमें सुब्रमण्यम स्वामी, वाई एस आर कांग्रेस के राज्यसभा सांसद और तिरुमला तिरुपति देवस्थानम ट्रस्ट के पूर्व अध्यक्ष वाई वी सुब्बा रेड्डी, इतिहासकार विक्रम संपत शामिल हैं। याचिका में लड्डू प्रसाद में जानवरों की चर्बी की मिलावट के आरोपों की कोर्ट की निगरानी में एसआईटी बनाकर जांच की मांग की गई है।

धार्मिक भावना का सम्मान

सुप्रीम कोर्ट ने बताया कि लैब की जो रिपोर्ट जुलाई में आई थी, मुख्यमंत्री ने उसे लेकर सार्वजनिक बयान सितंबर में दिया। उन्होंने बयान पहले दे दिया, SIT का गठन बाद में किया। जब मुख्यमंत्री खुद ही निष्कर्ष पर पहुंच रहे हैं तो फिर SIT जांच का क्या औचित्य रह जाएगा। इस बयान ने धार्मिक भावना को आहत किया है और इसे सम्मानित करना अत्यंत आवश्यक है।

उपसंहार

इस मामले से उभर कर यह तथ्य सामने आया है कि धार्मिक प्रतीकों और प्रतीकों से संबंधित किसी भी मुद्दे पर विवादास्पद बयान देने से पहले सयम और साक्ष्य की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। कोर्ट का यह सख्त रुख इस बात की पुष्टि करता है कि धार्मिक भावनाओं का सम्मान किया जाना चाहिए और जब तक मामले की पूर्णत: जांच न हो, तब तक किसी भी निष्कर्ष पर नहीं पहुंचना चाहिए। यह मामला हमें एक σημαν संभल देता है कि भगवान और धार्मिक प्रतीकों को राजनीति से दूर रखना चाहिए ताकि समाज में सद्भावना और शांति बनी रहे।

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