Telangana tunnel accident update: तेलंगाना में आंशिक रूप से ध्वस्त श्रीशैलम लेफ्ट बैंक कैनाल (SLBC) सुरंग के अंदर भेजे गए ‘शव खोजी कुत्तों’ ने शुक्रवार को सुरंग के अंदर 2 ऐसे स्थानों की पहचान की, जहां किसी व्यक्ति के फंसे होने का संकेत मिलता है. कुत्तों द्वारा इन स्थानों की पहचान करने के बाद टीम ने वहां से गाद को हटाना शुरू कर दिया, ताकि किसी भी फंसे हुए व्यक्ति को निकाला जा सके. सुरंग के भीतर 22 फरवरी से आठ लोग फंसे हुए हैं.
केरल पुलिस का स्पेशल डॉग स्क्वाड भी इस अभियान में शामिल हो चुका है. बचाव दल शुक्रवार सुबह इन कुत्तों को सुरंग के अंदर ले गया. ऐसे कुत्तों को लापता लोगों और शवों का पता लगाने के लिए ट्रेंड किया जाता है.
अब तक क्या हुआ?
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘कुत्ते उन संभावित स्थानों का पता लगा रहे थे जहां श्रमिक फंसे हो सकते थे. उन्होंने दो संभावित स्थानों की पहचान की है और कई टीम इन दो बिंदुओं से गाद हटा रही हैं.’ तेलंगाना के नागरकुर्नूल में 22 फरवरी को श्रीशैलम लेफ्ट बैंक कैनाल (SLBC) टनल की छत गिर गई थी. हादसे में 8 मजदूर पिछले 13 दिन से फंसे हुए हैं. मजदूरों के बचने की उम्मीद कम है, हालांकि तलाशी अभियान अभी भी चलाया जा रहा है.
क्या पहले से जारी हुआ था अलर्ट?
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 5 साल पहले इसी टनल के कुछ फॉल्ट जोन और कमजोर चट्टानों के खतरे को लेकर अलर्ट जारी हुआ था. उस समय 2020 में एमबर्ग टेक एजी नाम की कंपनी ने एक सर्वे किया था. रिपोर्ट के मुताबिक 14 किमी लंबी टनल के 13.88 किमी से 13.91 किमी के हिस्से की चट्टानें बेहज कमजोर हैं. वो दुनिया में कोरोना महामारी का दौर था. उसके बाद कुछ चीजों पर विशेष ध्यान दिया गया. वहीं संभल है कि किसी अलर्ट की अनदेखी हो गई हो.
दिक्कत क्या है?
दरअसल जिस हिस्से की चट्टाने कमजोर हैं, वहां पानी भरा हुआ है. वहां जमीन खिसकने का भी खतरा बना हुआ है. बचावकर्मियों के मुताबिक जिस हिस्से को रिपोर्ट में खतरनाक बताया गया था, वही हिस्सा गिरा है. उस समय कुछ लोगों ने कहा था कि ये इलाका जहां टनल बन रही है वो इलाका टाइगर रिजर्व फॉरेस्ट में आता है, इसलिए जमीन की खुदाई कर जांच करने की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए थी.
केरल पुलिस का स्पेशल डॉग स्क्वाड भी इस अभियान में शामिल हो चुका है. बचाव दल शुक्रवार सुबह इन कुत्तों को सुरंग के अंदर ले गया. ऐसे कुत्तों को लापता लोगों और शवों का पता लगाने के लिए ट्रेंड किया जाता है.
अब तक क्या हुआ?
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘कुत्ते उन संभावित स्थानों का पता लगा रहे थे जहां श्रमिक फंसे हो सकते थे. उन्होंने दो संभावित स्थानों की पहचान की है और कई टीम इन दो बिंदुओं से गाद हटा रही हैं.’ तेलंगाना के नागरकुर्नूल में 22 फरवरी को श्रीशैलम लेफ्ट बैंक कैनाल (SLBC) टनल की छत गिर गई थी. हादसे में 8 मजदूर पिछले 13 दिन से फंसे हुए हैं. मजदूरों के बचने की उम्मीद कम है, हालांकि तलाशी अभियान अभी भी चलाया जा रहा है.
क्या पहले से जारी हुआ था अलर्ट?
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 5 साल पहले इसी टनल के कुछ फॉल्ट जोन और कमजोर चट्टानों के खतरे को लेकर अलर्ट जारी हुआ था. उस समय 2020 में एमबर्ग टेक एजी नाम की कंपनी ने एक सर्वे किया था. रिपोर्ट के मुताबिक 14 किमी लंबी टनल के 13.88 किमी से 13.91 किमी के हिस्से की चट्टानें बेहज कमजोर हैं. वो दुनिया में कोरोना महामारी का दौर था. उसके बाद कुछ चीजों पर विशेष ध्यान दिया गया. वहीं संभल है कि किसी अलर्ट की अनदेखी हो गई हो.
दिक्कत क्या है?
दरअसल जिस हिस्से की चट्टाने कमजोर हैं, वहां पानी भरा हुआ है. वहां जमीन खिसकने का भी खतरा बना हुआ है. बचावकर्मियों के मुताबिक जिस हिस्से को रिपोर्ट में खतरनाक बताया गया था, वही हिस्सा गिरा है. उस समय कुछ लोगों ने कहा था कि ये इलाका जहां टनल बन रही है वो इलाका टाइगर रिजर्व फॉरेस्ट में आता है, इसलिए जमीन की खुदाई कर जांच करने की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए थी.
अब तक क्या हुआ?
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘कुत्ते उन संभावित स्थानों का पता लगा रहे थे जहां श्रमिक फंसे हो सकते थे. उन्होंने दो संभावित स्थानों की पहचान की है और कई टीम इन दो बिंदुओं से गाद हटा रही हैं.’ तेलंगाना के नागरकुर्नूल में 22 फरवरी को श्रीशैलम लेफ्ट बैंक कैनाल (SLBC) टनल की छत गिर गई थी. हादसे में 8 मजदूर पिछले 13 दिन से फंसे हुए हैं. मजदूरों के बचने की उम्मीद कम है, हालांकि तलाशी अभियान अभी भी चलाया जा रहा है.
क्या पहले से जारी हुआ था अलर्ट?
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 5 साल पहले इसी टनल के कुछ फॉल्ट जोन और कमजोर चट्टानों के खतरे को लेकर अलर्ट जारी हुआ था. उस समय 2020 में एमबर्ग टेक एजी नाम की कंपनी ने एक सर्वे किया था. रिपोर्ट के मुताबिक 14 किमी लंबी टनल के 13.88 किमी से 13.91 किमी के हिस्से की चट्टानें बेहज कमजोर हैं. वो दुनिया में कोरोना महामारी का दौर था. उसके बाद कुछ चीजों पर विशेष ध्यान दिया गया. वहीं संभल है कि किसी अलर्ट की अनदेखी हो गई हो.
दिक्कत क्या है?
दरअसल जिस हिस्से की चट्टाने कमजोर हैं, वहां पानी भरा हुआ है. वहां जमीन खिसकने का भी खतरा बना हुआ है. बचावकर्मियों के मुताबिक जिस हिस्से को रिपोर्ट में खतरनाक बताया गया था, वही हिस्सा गिरा है. उस समय कुछ लोगों ने कहा था कि ये इलाका जहां टनल बन रही है वो इलाका टाइगर रिजर्व फॉरेस्ट में आता है, इसलिए जमीन की खुदाई कर जांच करने की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए थी.
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘कुत्ते उन संभावित स्थानों का पता लगा रहे थे जहां श्रमिक फंसे हो सकते थे. उन्होंने दो संभावित स्थानों की पहचान की है और कई टीम इन दो बिंदुओं से गाद हटा रही हैं.’ तेलंगाना के नागरकुर्नूल में 22 फरवरी को श्रीशैलम लेफ्ट बैंक कैनाल (SLBC) टनल की छत गिर गई थी. हादसे में 8 मजदूर पिछले 13 दिन से फंसे हुए हैं. मजदूरों के बचने की उम्मीद कम है, हालांकि तलाशी अभियान अभी भी चलाया जा रहा है.
क्या पहले से जारी हुआ था अलर्ट?
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 5 साल पहले इसी टनल के कुछ फॉल्ट जोन और कमजोर चट्टानों के खतरे को लेकर अलर्ट जारी हुआ था. उस समय 2020 में एमबर्ग टेक एजी नाम की कंपनी ने एक सर्वे किया था. रिपोर्ट के मुताबिक 14 किमी लंबी टनल के 13.88 किमी से 13.91 किमी के हिस्से की चट्टानें बेहज कमजोर हैं. वो दुनिया में कोरोना महामारी का दौर था. उसके बाद कुछ चीजों पर विशेष ध्यान दिया गया. वहीं संभल है कि किसी अलर्ट की अनदेखी हो गई हो.
दिक्कत क्या है?
दरअसल जिस हिस्से की चट्टाने कमजोर हैं, वहां पानी भरा हुआ है. वहां जमीन खिसकने का भी खतरा बना हुआ है. बचावकर्मियों के मुताबिक जिस हिस्से को रिपोर्ट में खतरनाक बताया गया था, वही हिस्सा गिरा है. उस समय कुछ लोगों ने कहा था कि ये इलाका जहां टनल बन रही है वो इलाका टाइगर रिजर्व फॉरेस्ट में आता है, इसलिए जमीन की खुदाई कर जांच करने की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए थी.
क्या पहले से जारी हुआ था अलर्ट?
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 5 साल पहले इसी टनल के कुछ फॉल्ट जोन और कमजोर चट्टानों के खतरे को लेकर अलर्ट जारी हुआ था. उस समय 2020 में एमबर्ग टेक एजी नाम की कंपनी ने एक सर्वे किया था. रिपोर्ट के मुताबिक 14 किमी लंबी टनल के 13.88 किमी से 13.91 किमी के हिस्से की चट्टानें बेहज कमजोर हैं. वो दुनिया में कोरोना महामारी का दौर था. उसके बाद कुछ चीजों पर विशेष ध्यान दिया गया. वहीं संभल है कि किसी अलर्ट की अनदेखी हो गई हो.
दिक्कत क्या है?
दरअसल जिस हिस्से की चट्टाने कमजोर हैं, वहां पानी भरा हुआ है. वहां जमीन खिसकने का भी खतरा बना हुआ है. बचावकर्मियों के मुताबिक जिस हिस्से को रिपोर्ट में खतरनाक बताया गया था, वही हिस्सा गिरा है. उस समय कुछ लोगों ने कहा था कि ये इलाका जहां टनल बन रही है वो इलाका टाइगर रिजर्व फॉरेस्ट में आता है, इसलिए जमीन की खुदाई कर जांच करने की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए थी.
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 5 साल पहले इसी टनल के कुछ फॉल्ट जोन और कमजोर चट्टानों के खतरे को लेकर अलर्ट जारी हुआ था. उस समय 2020 में एमबर्ग टेक एजी नाम की कंपनी ने एक सर्वे किया था. रिपोर्ट के मुताबिक 14 किमी लंबी टनल के 13.88 किमी से 13.91 किमी के हिस्से की चट्टानें बेहज कमजोर हैं. वो दुनिया में कोरोना महामारी का दौर था. उसके बाद कुछ चीजों पर विशेष ध्यान दिया गया. वहीं संभल है कि किसी अलर्ट की अनदेखी हो गई हो.
दिक्कत क्या है?
दरअसल जिस हिस्से की चट्टाने कमजोर हैं, वहां पानी भरा हुआ है. वहां जमीन खिसकने का भी खतरा बना हुआ है. बचावकर्मियों के मुताबिक जिस हिस्से को रिपोर्ट में खतरनाक बताया गया था, वही हिस्सा गिरा है. उस समय कुछ लोगों ने कहा था कि ये इलाका जहां टनल बन रही है वो इलाका टाइगर रिजर्व फॉरेस्ट में आता है, इसलिए जमीन की खुदाई कर जांच करने की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए थी.
दिक्कत क्या है?
दरअसल जिस हिस्से की चट्टाने कमजोर हैं, वहां पानी भरा हुआ है. वहां जमीन खिसकने का भी खतरा बना हुआ है. बचावकर्मियों के मुताबिक जिस हिस्से को रिपोर्ट में खतरनाक बताया गया था, वही हिस्सा गिरा है. उस समय कुछ लोगों ने कहा था कि ये इलाका जहां टनल बन रही है वो इलाका टाइगर रिजर्व फॉरेस्ट में आता है, इसलिए जमीन की खुदाई कर जांच करने की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए थी.
दरअसल जिस हिस्से की चट्टाने कमजोर हैं, वहां पानी भरा हुआ है. वहां जमीन खिसकने का भी खतरा बना हुआ है. बचावकर्मियों के मुताबिक जिस हिस्से को रिपोर्ट में खतरनाक बताया गया था, वही हिस्सा गिरा है. उस समय कुछ लोगों ने कहा था कि ये इलाका जहां टनल बन रही है वो इलाका टाइगर रिजर्व फॉरेस्ट में आता है, इसलिए जमीन की खुदाई कर जांच करने की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए थी.
