पृष्ठभूमि और सरकार का निर्णय
अस्थमा, ग्लूकोमा, थैलेसीमिया, ट्यूबरकुलोसिस और मानसिक स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों के इलाज में जरूरी कई दवाओं की कीमतें बढ़ सकती हैं। दरअसल, सरकार ने इनकी सीलिंग प्राइस में 50% बढ़ोतरी को मंजूरी दे दी है। इस निर्णय के पीछे की वजहों को समझने के लिए हमें राष्ट्रीय दवा मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (NPPA) के बयान पर ध्यान देना होगा। इसमें कहा गया है कि दवा सामग्रियों की बढ़ती लागत, उत्पादन लागत में वृद्धि, और विनिमय दरों में हो रहे बदलाव के चलते निर्माताओं से लगातार आवेदन प्राप्त हो रहे हैं। इन मुद्दों के कारण दवाओं का उत्पादन और उनकी निरंतर उपलब्धता संभव नहीं हो पा रही है।
किसीमित परिदृश्य में 50 प्रतिशत बढ़ोतरी
आठ दवाओं के 11 फॉर्मूलेशनों की अधिकतम कीमतों में 50 प्रतिशत बढ़ोतरी का यह निर्णय व्यापक सार्वजनिक हित में लिया गया है। DPCO-2013 के पैरा 19 के तहत मिली विशिष्ट शक्तियों का उपयोग करते हुए NPPA ने इस संशोधन को मंजूरी दी है। जिन आठ दवाओं के लिए अधिकतम कीमतें बढ़ी हैं, वे हैं: बेंजाइल पेनिसिलिन 10 लाख आईयू इंजेक्शन, एट्रोपीन इंजेक्शन 0.6mg/ml, स्ट्रेप्टोमाइसिन पाउडर इंजेक्शन के लिए 750mg और 1000mg, साल्बुटामोल टैबलेट 2mg और 4mg, पिलोकार्पिन 2% ड्रॉप्स, सीफेड्रॉक्सिल टैबलेट 500mg, डेस्फेरियोक्सामाइन इंजेक्शन के लिए 500mg, और लिथियम टैबलेट 300mg।
जनता पर प्रभाव
अब सवाल उठता है कि इस फैसले का आम जनता और विशेषकर रोगियों पर क्या प्रभाव होगा। इनमें से अधिकांश दवाएं सस्ती हैं और आम तौर पर पब्लिक हेल्थ प्रोग्राम्स के तहत सरकारी अस्पतालों में मुफ्त उपलब्ध रहती हैं। इस कारण कीमतें बढ़ने के बावजूद रोगियों पर इसका सीधा आर्थिक असर पड़ने की संभावना कम है। हालांकि, यह आवश्यक है कि सरकार इन दवाओं की निरंतर उपलब्धता और उत्पादन को सुनिश्चित करे।
भविष्य की दिशा
एनपीपीए ने पहले भी 2019 और 2021 में ऐसे कदम उठाए थे, जब उन्होंने क्रमशः 21 और 9 फॉर्मूलेशनों की कीमतों में 50 प्रतिशत वृद्धि की थी। यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया गया है कि आवश्यक दवाएं जनता के लिए निरंतर उपलब्ध रहें। नीति निर्माताओं को दीर्घकालिक समाधान तलाशने की दिशा में काम करना होगा ताकि दवाओं की बढ़ती कीमतों के बावजूद स्वास्थ्य सेवाएं आम लोगों की पहुंच में बनी रहें और स्वास्थ्य सुविधाओं की गुणवत्ता में कोई कमी न आए।
दवा निर्माताओं की चुनौतियां
दवा के निर्माताओं ने कुछ फॉर्मूलेशनों को उनकी व्यावहार्यता के आधार पर बंद करने का भी आवेदन किया है। विनिर्माण प्रक्रिया में बढ़ती लागत और अपर्याप्त लाभ मार्जिन इन्हें आर्थिक रूप से गैर-लाभकारी बना देती हैं, जिससे कंपनियां इन्हें बंद करने पर विचार करती हैं। उत्पादन में निरंतरता और बाजार में स्थिरता बनाए रखने के लिए वित्तीय सहायता और नीति समर्थन की आवश्यकता हो सकती है।
सार्वजनिक स्वास्थ्य का महत्व
सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यक्रमों के लिए यह परिवर्तन चुनौतीपूर्ण हो सकता है, लेकिन इसका समाधान सामूहिक प्रयासों में है। सरकारी और निजी दोनों क्षेत्रों को स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता और उनकी उपलब्धता बनाए रखने के लिए मिलकर काम करने की आवश्यकता है। यह महत्वपूर्ण है कि सभी हितधारक एक साथ मिलकर एक स्वस्थ और समृद्ध समुदाय के निर्माण के लिए मिलकर काम करें।