दिल्ली का प्रदूषण संकट
दिल्ली की मौसम में गुलाबी ठंड का अहसास दस्तक दे चुका है। चिलचिलाती गर्मी और मूसलाधार बरसात के बाद अब बारी है कड़ाके की सर्दी की, और दिल्ली में सर्दी के साथ आता है प्रदूषण का कहर। काला धुंआ, दमघोंटी हवा और घना कोहरा। दिल्ली को ठंड में जहरीली हवा से बचाने के वादे और दावे सालों से किए जा रहे हैं, लेकिन हालात हर साल जस के तस नजर आते हैं। इस बार दिल्ली के एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) को लेकर खुद सुप्रीम कोर्ट ने सख्ती दिखाई है।
सुप्रीम कोर्ट की सख्ती
दिल्ली में वायु प्रदूषण के मुद्दे पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CQM) को आड़े हाथों लिया। शीर्ष अदालत ने आयोग से कहा कि वह एक निर्देश दिखाएं जिसमें CQM अधिनियम का अनुपालन हुआ हो। कोर्ट ने सख्ती दिखाते हुए कहा कि दिल्ली में प्रदूषण के हालात किसी से छिपे नहीं हैं।
जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस ए जी मसीह की पीठ मामले की सुनवाई कर रही थी। बेंच ने आयोग से कहा कि अधिनियम का पूरी तरह से गैर-अनुपालन हुआ है। वे जानना चाहते थे कि क्या समितियों का गठन किया गया है? यदि हुआ है तो कृपया हमें उठाए गए एक भी कदम दिखाएं। उन्होंने पूछा, “आपने अधिनियम के तहत किन निर्देशों का उपयोग किया है? हमें धारा 12 और दूसरी धाराओं के तहत जारी एक भी निर्देश दिखाएं।”
सीएक्यूएम से डेटा मांगा गया
सुप्रीम कोर्ट ने दो दिन पहले ही सीएक्यूएम से डेटा मांगा था, लेकिन आयोग ने कोई भी ठोस कार्रवाई नहीं दिखाई। जब कोर्ट ने जवाब तलब किया, तो आयोग की लापरवाही पर फटकार लगी। अब सवाल यह है कि दिल्ली सरकार और संपूर्ण इंफ्रास्ट्रक्चर क्या कार्रवाई करेंगे?
दिल्ली सरकार के प्रयास
दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार सर्दियों में वायु प्रदूषण के खिलाफ लड़ने के लिए तैयार है। पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने बुधवार को 21 सूत्रीय विंटर एक्शन प्लान का ऐलान किया। इसके अंतर्गत कई कारगर कदम उठाने की योजना बनाई गई है:
1. दिल्ली में स्थित थर्मल पावर प्लांट्स को बंद कर दिया गया है।
2. 13 चिन्हित हॉटस्पॉट पर पर्यावरण विभाग द्वारा ड्रोन से प्रदूषण की निगरानी की जाएगी।
3. 3 शिफ्ट में मोबाइल एंटी स्मॉग गन की तैनाती सड़कों पर की जाएगी।
4. ऑड-ईवन नियम को फिर से लागू किया जा सकता है।
5. जरूरत पड़ने पर वर्क फ्रॉम होम के आदेश भी जारी हो सकते हैं।
प्रदूषण के स्रोत और समाधान
दिल्ली में प्रदूषण के मुख्य स्रोतों में वाहनों की संख्या, निर्माण कार्य, थर्मल पावर प्लांट्स, और पड़ोसी राज्यों में पराली जलाना प्रमुख हैं। इन स्रोतों को नियंत्रित करने के लिए कड़े नियम और उनकी धज्जियों का पालन करना आवश्यक है।
वाहनों के प्रदूषण को कम करने के लिए ऑड-ईवन नियम, सख्त ईंधन मानक, और सार्वजनिक परिवहन के नेटवर्क को मजबूत करना आवश्यक है। निर्माण कार्यों पर निगरानी और उन्हें प्रदूषण मुक्त बनाने के प्रयास भी जरूरी हैं।
पराली जलाने का मुद्दा किसानों तक सीमित नहीं रहना चाहिए, इसके लिए पूरे उत्तरी भारत में व्यापक जागरूकता अभियानों की आवश्यकता है।
सर्दियों में प्रदूषण के विशेष प्रभाव
सर्दियों में धुंध और ठंडी हवा के कारण प्रदूषण और भी ख़तरनाक रूप ले लेता है। कम तापमान और धीमी हवाओं के कारण प्रदूषण के कण वातावरण में ठहर जाते हैं, जिससे हवा की गुणवत्ता और भी खराब हो जाती है। यह सांस की बीमारियों को मुख्यतः बढ़ावा देता है।
दैनिक जीवन पर प्रभाव
दिल्ली में वायु प्रदूषण का सीधा प्रभाव दैनिक जीवन पर पड़ता है। लोग बाहर खुली हवा में निकलने से कतराते हैं, विशेषकर बच्चे और वृद्ध लोग। कई स्कूल बंद हो जाते हैं और खेलकूद की गतिविधियां रद्द कर दी जाती हैं। स्वास्थ्य सेवाओं पर भी इसका भारी दबाव पड़ता है।
जनता का योगदान
दिल्ली की जनता को भी अपने स्तर पर प्रयास करने होंगे। प्रदूषण को कम करने के लिए सार्वजनिक परिवहन का अधिक से अधिक उपयोग, वाहनों का कम उपयोग, बिजली की बचत, और कचरे का सही निपटान करने जैसे कदम उठा सकते हैं।
सरकार और न्यायपालिका अपने स्तर पर कदम उठा रहे हैं, लेकिन यह युद्ध तभी जीता जा सकता है जब जनता भी उसमें अपनी भागीदारी निभाए।
कोशिशें पूरी हैं दिल्ली को प्रदूषण के जहर से बचाने की, लेकिन इस सर्दी ये कोशिशें कितनी कामयाब होंगी ये तो वक्त ही बताएगा।
ब्यूरो रिपोर्ट, जी मीडिया