आवारा कुत्तों का भीषण खतरा
दिल्ली हाई कोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण आदेश जारी किया, जो आवारा कुत्तों के हमले में मारे गए पांच महीने के दुधमुंहे बच्चे के मामले में है। अदालत के इस आदेश ने मानव जीवन और गरिमा पर आवारा कुत्तों के प्रभाव को लेकर गंभीर चिंता जताई है। हाई कोर्ट ने शहरी प्रशासनिक निकाय को निर्देश दिया है कि वह पीड़ित परिवार को 2.5 लाख रुपये की अनुग्रह राशि प्रदान करे।
कुत्तों के हमले का दर्दनाक वाकया
यह दुखद घटना 2007 में राजधानी दिल्ली की एक सुबह हुई थी। याचिकाकर्ता की माँ ने अदालत में याचिका दायर की थी, जिसमें उन्होंने कुत्ते के हमले में अपने पाच महीने के बच्चे की मौत पर 50 लाख रुपये का मुआवजा मांगा था। घटना के समय बच्चे के साथ अन्य बच्चे भी मकान में सो रहे थे, जब अचानक एक कुत्ता कमरे में दाखिल हुआ और बच्चों पर हमला कर दिया। इस घटना से पूरा परिवार सदमे में है।
अदालत की संवेदनशीलता
जस्टिस पुरुषेंद्र कुमार कौरव की अध्यक्षता वाली दिल्ली हाई कोर्ट की बेंच ने इस मामले में एक सहानुभूतिपूर्ण रुख अपनाया। उन्होंने कहा कि यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि यह हमला किसी आवारा कुत्ते द्वारा किया गया था या किसी पालतू कुत्ते द्वारा जिसे उसके मालिक ने छोड़ दिया था। जस्टिस कौरव ने कोर्ट में टिप्पणी की कि “आवारा कुत्तों का खतरा मानव जीवन और सम्मान को गंभीर रूप से प्रभावित कर रहा है।”
मानव और कुत्तों के बीच का रिश्ता
जस्टिस कौरव ने सुझाव दिया कि शहरी प्रशासन को मानव और कुत्तों के बीच के संबंधो में संतुलन स्थापित करने की दिशा में प्रयास करना चाहिए। उन्होंने कहा, “मानव और कुत्तों के बीच का रिश्ता कभी-कभी करुणा और निस्वार्थ प्रेम का होता है।” इसके साथ ही उन्होंने कहा कि यह समय है कि जिम्मेदार अधिकारियों को इस मुद्दे का प्रबंधन समान करुणा के साथ करना चाहिए।
सहानुभूति और संतुलन की आवश्यकता
जस्टिस कौरव ने अपने फैसले में कहा, “जिम्मेदार अधिकारियों को मनुष्यों और कुत्तों दोनों की रहने की स्थिति में संतुलन सुनिश्चित करने के लिए समान करुणा के साथ खतरे का प्रबंधन करने का प्रयास करना चाहिए। यह नहीं कहा जा सकता कि इस मुद्दे को बहुआयामी प्रतिक्रिया की आवश्यकता नहीं है। इसे लेकर सहानुभूति और संतुलित सह-अस्तित्व के माहौल को बढ़ावा देना चाहिए।”
अदालत का आदेश
अदालत ने यह आदेश बच्चे की माँ की याचिका पर सुनाया, जिसने 2007 में अपने पांच महीने के बच्चे के कुत्ते के हमले में मारे जाने पर बड़ा मुआवजा दिलाने का अनुरोध किया था। उन्होंने कहा कि यह घटना मानव जीवन की एक कठिन और दर्दनाक वास्तविकता को दर्शाती है और आवारा कुत्तों के बढ़ते खतरे पर गंभीर चिंताएं उठाती है।
समापन
दिल्ली हाई कोर्ट का यह आदेश न केवल पीड़ित परिवार के लिए राहत लेकर आया है, बल्कि यह शहरी प्रशासन को भी एक स्पष्ट संदेश देता है कि आवारा कुत्तों की समस्या को अनदेखा नहीं किया जा सकता। इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर अदालत का सहानुभूतिपूर्ण रुख भारत के अन्य हिस्सों में भी प्रशासनिक निकायों को जागरूक करने के लिए एक प्रेरणा बंदाइए।
इस आदेश से यह स्पष्ट होता है कि मानव जीवन और गरिमा की सुरक्षा के लिए प्रशासनिक निकायों को संवेदनशीलता और संयम के साथ काम करने की आवश्यकता है। आवारा कुत्तों के खतरे को कम करने और एक संतुलित सह-अस्तित्व का माहौल बनाने की दिशा में उठाए गए कदम न केवल वर्तमान बल्कि भविष्य के समाज को भी एक स्वस्थ और सुरक्षित जीवन सुनिश्चित करेंगे।
(एजेंसी इनपुट: PTI)