Hyderabad Husband Wife Suicide: महंगाई के इस दौर में कर्ज लेने बेहद जरूरी बन गया है. लोग अपनी-अपनी जरूरतों के हिसाब से कर्ज लेते हैं, लेकिन कई बार ये कर्ज इतना ज्यादा हो जाता है कि चुकाना मुश्किल हो जाता है. ऐसे में सिर्फ उतना ही कर्ज लीजिए जितना आसानी से चुकाया जा सके. क्योंकि हाल ही में कर्ज की वजह से एक परिवार को पूरी तरह खत्म हो गया. हैदराबाद के हब्सीगुड़ा में ये दर्दनाक घटना सामने आई, जिसने हर किसी को झकझोर कर रख दिया. 44 वर्षीय चंद्रशेखर रेड्डी और उनकी 35 वर्षीय पत्नी कविता ने अपने दो बच्चों (13 साल की बेटी सृथा रेड्डी और 10 साल के बेटे विष्णवन रेड्डी) की हत्या करने के बाद खुदकुशी कर ली.
सुसाइड नोट में क्या बताया?
खुदकुशी से पहले उन्होंने एक सुसाइड नोट भी छोड़ा है. जिसमें उन्होंने अपना दर्द बयान किया है. उन्होंने लिखा,’मेरे पास अब कोई और रास्ता नहीं बचा. मुझे माफ कर दीजिए. मैं अपने करियर को लेकर संघर्ष कर रहा था और मानसिक व शारीरिक तौर पर बहुत परेशान था. मुझे डायबिटीज, नसों और किडनी से जुड़ी बीमारियों ने जकड़ रखा था.’
जूनियर लेक्चरर थे रेड्डी
रेड्डी पहले एक प्राइवेट कॉलेज में जूनियर लेक्चरर थे, लेकिन 2023 से बेरोजगार थे. उनकी आर्थिक हालत दिनों-दिन खराब होती जा रही थी. कर्ज़, बीमारी और फ्यूचर की फिक्र ने उन्हें अंदर तक तोड़ दिया. शायद उन्होंने सोचा कि उनके बच्चों के लिए भी कोई भविष्य नहीं बचा और इसी मायूसी में उन्होंने इतना बड़ा कदम उठा लिया. यह घटना सिर्फ एक परिवार का अंत नहीं, बल्कि उन हजारों लोगों की संघर्षभरी जिंदगी को बयान कर रही है जो जो हर रोज आर्थिक तंगी, मानसिक तनाव और बेरोजगारी से जूझ रहे हैं.
पुलिस ने क्या बताया?
इस संबंध में पुलिस का कहना है कि सोमवार रात 100 नंबर पर एक कॉल आई थी, जिसके तुरंत पुलिस टीम वारदात वाली जगह पर पहुंची. उन्होंने देखा कि बच्चों की साइकिलें एक कोने में रखी थीं, कपड़े धूप में सूख रहे थे और एक फुटबॉल भी पड़ी थी, मानो कुछ देर पहले तक वहां जीवन था, हंसी थी, खेलकूद सबकुछ था लेकिन अब सब कुछ खत्म हो चुका था.
बच्चों का गला दबाया, खुदने लगाई फांसी
पुलिस जांच के मुताबिक माता-पिता ने पहले अपने बच्चों का गला दबाकर उनकी जान ली और फिर खुद फांसी लगा ली. उनकी लाशें गांधी अस्पताल में पोस्टमॉर्टम के लिए भेजे दी गई हैं. बेरोजगारी, मानसिक तनाव और आर्थिक तंगी लाखों परिवारों को तोड़ रही है.
(Disclaimer: जीवन अनमोल है. जी भरकर जिएं. इसका पूरी तरह सम्मान करें. हर पल का आनंद लें. किसी बात-विषय-घटना के कारण व्यथित हों तो जीवन से हार मारने की कोई जरूरत नहीं. अच्छे और बुरे दौर आते-जाते रहते हैं. लेकिन कभी जब किसी कारण गहन हताशा, निराशा, डिप्रेशन महसूस करें तो सरकार द्वारा प्रदत्त हेल्पलाइन नंबर 9152987821 पर संपर्क करें.)
खुदकुशी से पहले उन्होंने एक सुसाइड नोट भी छोड़ा है. जिसमें उन्होंने अपना दर्द बयान किया है. उन्होंने लिखा,’मेरे पास अब कोई और रास्ता नहीं बचा. मुझे माफ कर दीजिए. मैं अपने करियर को लेकर संघर्ष कर रहा था और मानसिक व शारीरिक तौर पर बहुत परेशान था. मुझे डायबिटीज, नसों और किडनी से जुड़ी बीमारियों ने जकड़ रखा था.’
जूनियर लेक्चरर थे रेड्डी
रेड्डी पहले एक प्राइवेट कॉलेज में जूनियर लेक्चरर थे, लेकिन 2023 से बेरोजगार थे. उनकी आर्थिक हालत दिनों-दिन खराब होती जा रही थी. कर्ज़, बीमारी और फ्यूचर की फिक्र ने उन्हें अंदर तक तोड़ दिया. शायद उन्होंने सोचा कि उनके बच्चों के लिए भी कोई भविष्य नहीं बचा और इसी मायूसी में उन्होंने इतना बड़ा कदम उठा लिया. यह घटना सिर्फ एक परिवार का अंत नहीं, बल्कि उन हजारों लोगों की संघर्षभरी जिंदगी को बयान कर रही है जो जो हर रोज आर्थिक तंगी, मानसिक तनाव और बेरोजगारी से जूझ रहे हैं.
पुलिस ने क्या बताया?
इस संबंध में पुलिस का कहना है कि सोमवार रात 100 नंबर पर एक कॉल आई थी, जिसके तुरंत पुलिस टीम वारदात वाली जगह पर पहुंची. उन्होंने देखा कि बच्चों की साइकिलें एक कोने में रखी थीं, कपड़े धूप में सूख रहे थे और एक फुटबॉल भी पड़ी थी, मानो कुछ देर पहले तक वहां जीवन था, हंसी थी, खेलकूद सबकुछ था लेकिन अब सब कुछ खत्म हो चुका था.
बच्चों का गला दबाया, खुदने लगाई फांसी
पुलिस जांच के मुताबिक माता-पिता ने पहले अपने बच्चों का गला दबाकर उनकी जान ली और फिर खुद फांसी लगा ली. उनकी लाशें गांधी अस्पताल में पोस्टमॉर्टम के लिए भेजे दी गई हैं. बेरोजगारी, मानसिक तनाव और आर्थिक तंगी लाखों परिवारों को तोड़ रही है.
(Disclaimer: जीवन अनमोल है. जी भरकर जिएं. इसका पूरी तरह सम्मान करें. हर पल का आनंद लें. किसी बात-विषय-घटना के कारण व्यथित हों तो जीवन से हार मारने की कोई जरूरत नहीं. अच्छे और बुरे दौर आते-जाते रहते हैं. लेकिन कभी जब किसी कारण गहन हताशा, निराशा, डिप्रेशन महसूस करें तो सरकार द्वारा प्रदत्त हेल्पलाइन नंबर 9152987821 पर संपर्क करें.)
रेड्डी पहले एक प्राइवेट कॉलेज में जूनियर लेक्चरर थे, लेकिन 2023 से बेरोजगार थे. उनकी आर्थिक हालत दिनों-दिन खराब होती जा रही थी. कर्ज़, बीमारी और फ्यूचर की फिक्र ने उन्हें अंदर तक तोड़ दिया. शायद उन्होंने सोचा कि उनके बच्चों के लिए भी कोई भविष्य नहीं बचा और इसी मायूसी में उन्होंने इतना बड़ा कदम उठा लिया. यह घटना सिर्फ एक परिवार का अंत नहीं, बल्कि उन हजारों लोगों की संघर्षभरी जिंदगी को बयान कर रही है जो जो हर रोज आर्थिक तंगी, मानसिक तनाव और बेरोजगारी से जूझ रहे हैं.
पुलिस ने क्या बताया?
इस संबंध में पुलिस का कहना है कि सोमवार रात 100 नंबर पर एक कॉल आई थी, जिसके तुरंत पुलिस टीम वारदात वाली जगह पर पहुंची. उन्होंने देखा कि बच्चों की साइकिलें एक कोने में रखी थीं, कपड़े धूप में सूख रहे थे और एक फुटबॉल भी पड़ी थी, मानो कुछ देर पहले तक वहां जीवन था, हंसी थी, खेलकूद सबकुछ था लेकिन अब सब कुछ खत्म हो चुका था.
बच्चों का गला दबाया, खुदने लगाई फांसी
पुलिस जांच के मुताबिक माता-पिता ने पहले अपने बच्चों का गला दबाकर उनकी जान ली और फिर खुद फांसी लगा ली. उनकी लाशें गांधी अस्पताल में पोस्टमॉर्टम के लिए भेजे दी गई हैं. बेरोजगारी, मानसिक तनाव और आर्थिक तंगी लाखों परिवारों को तोड़ रही है.
(Disclaimer: जीवन अनमोल है. जी भरकर जिएं. इसका पूरी तरह सम्मान करें. हर पल का आनंद लें. किसी बात-विषय-घटना के कारण व्यथित हों तो जीवन से हार मारने की कोई जरूरत नहीं. अच्छे और बुरे दौर आते-जाते रहते हैं. लेकिन कभी जब किसी कारण गहन हताशा, निराशा, डिप्रेशन महसूस करें तो सरकार द्वारा प्रदत्त हेल्पलाइन नंबर 9152987821 पर संपर्क करें.)
इस संबंध में पुलिस का कहना है कि सोमवार रात 100 नंबर पर एक कॉल आई थी, जिसके तुरंत पुलिस टीम वारदात वाली जगह पर पहुंची. उन्होंने देखा कि बच्चों की साइकिलें एक कोने में रखी थीं, कपड़े धूप में सूख रहे थे और एक फुटबॉल भी पड़ी थी, मानो कुछ देर पहले तक वहां जीवन था, हंसी थी, खेलकूद सबकुछ था लेकिन अब सब कुछ खत्म हो चुका था.
बच्चों का गला दबाया, खुदने लगाई फांसी
पुलिस जांच के मुताबिक माता-पिता ने पहले अपने बच्चों का गला दबाकर उनकी जान ली और फिर खुद फांसी लगा ली. उनकी लाशें गांधी अस्पताल में पोस्टमॉर्टम के लिए भेजे दी गई हैं. बेरोजगारी, मानसिक तनाव और आर्थिक तंगी लाखों परिवारों को तोड़ रही है.
(Disclaimer: जीवन अनमोल है. जी भरकर जिएं. इसका पूरी तरह सम्मान करें. हर पल का आनंद लें. किसी बात-विषय-घटना के कारण व्यथित हों तो जीवन से हार मारने की कोई जरूरत नहीं. अच्छे और बुरे दौर आते-जाते रहते हैं. लेकिन कभी जब किसी कारण गहन हताशा, निराशा, डिप्रेशन महसूस करें तो सरकार द्वारा प्रदत्त हेल्पलाइन नंबर 9152987821 पर संपर्क करें.)
पुलिस जांच के मुताबिक माता-पिता ने पहले अपने बच्चों का गला दबाकर उनकी जान ली और फिर खुद फांसी लगा ली. उनकी लाशें गांधी अस्पताल में पोस्टमॉर्टम के लिए भेजे दी गई हैं. बेरोजगारी, मानसिक तनाव और आर्थिक तंगी लाखों परिवारों को तोड़ रही है.
(Disclaimer: जीवन अनमोल है. जी भरकर जिएं. इसका पूरी तरह सम्मान करें. हर पल का आनंद लें. किसी बात-विषय-घटना के कारण व्यथित हों तो जीवन से हार मारने की कोई जरूरत नहीं. अच्छे और बुरे दौर आते-जाते रहते हैं. लेकिन कभी जब किसी कारण गहन हताशा, निराशा, डिप्रेशन महसूस करें तो सरकार द्वारा प्रदत्त हेल्पलाइन नंबर 9152987821 पर संपर्क करें.)
(Disclaimer: जीवन अनमोल है. जी भरकर जिएं. इसका पूरी तरह सम्मान करें. हर पल का आनंद लें. किसी बात-विषय-घटना के कारण व्यथित हों तो जीवन से हार मारने की कोई जरूरत नहीं. अच्छे और बुरे दौर आते-जाते रहते हैं. लेकिन कभी जब किसी कारण गहन हताशा, निराशा, डिप्रेशन महसूस करें तो सरकार द्वारा प्रदत्त हेल्पलाइन नंबर 9152987821 पर संपर्क करें.)
