दिवाली पर सर्दी का इंतजार
दिवाली का त्योहार अक्सर उत्तर भारत में ठंड और गुलाबी मौसम की शुरुआत का संकेत होता है। इस मौके पर लोग गर्म कपड़े निकालने लगते हैं और चाय-कॉफी के साथ ठंड के स्वागत की तैयारी करते हैं। लेकिन इस वर्ष, दिवाली के बाद भी ठंड महसूस नहीं हो रही है, जो कि असामान्य है और लोगों को आश्चर्यचकित कर रहा है। इस संबंध में भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने खुलासा किया है कि पूरे नवंबर महीने में ठंड का कोई खास संकेत नहीं है, और मौसम अपेक्षाकृत गर्म रह सकता है।
1901 के बाद सबसे गर्म अक्टूबर
इस साल अक्टूबर का महीना 1901 के बाद से अब तक का सबसे गर्म अक्टूबर रहा है। औसत तापमान सामान्य से 1.23 डिग्री सेल्सियस अधिक रिकॉर्ड किया गया है। IMD के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्रा ने इसे पश्चिमी विक्षोभ की अनुपस्थिति और बंगाल की खाड़ी में सक्रिय निम्न दबाव प्रणालियों के कारण पूर्वा हवाओं का नतीजा बताया। अक्टूबर का औसत तापमान 26.92 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जबकि सामान्य तापमान 25.69 डिग्री सेल्सियस होता है। न्यूनतम तापमान भी 20.01 के मुकाबले 21.85 डिग्री सेल्सियस रहा।
गर्म मौसम के कारण
महापात्रा का कहना है कि उत्तर-पश्चिमी हवाएं, जिनसे ठंड बढ़ती है, इस बार नदारद रहीं। इसके अलावा, मॉनसूनी प्रवाह के बने रहने से तापमान में कमी नहीं आई। उन्होंने बताया कि उत्तर-पश्चिमी भारत के मैदानी इलाकों में कम से कम अगले दो हफ्तों तक तापमान सामान्य से 2-5 डिग्री ऊपर रहेगा। इसके बाद हल्की गिरावट आ सकती है।
कब पड़ेगी कड़ाके की ठंड?
IMD ने बताया कि दिसंबर में ठंड के संकेत मिल सकते हैं। नवंबर को सर्दियों के महीने के रूप में नहीं गिना जाता, जबकि जनवरी और फरवरी को मुख्य सर्दी के महीने माना जाता है। अगले दो सप्ताह तक उत्तर-पश्चिमी मैदानी इलाकों में तापमान सामान्य से अधिक रहेगा, जिसके बाद इसमें गिरावट की संभावना है।
दक्षिणी प्रायद्वीप में मौसम की स्थिति
उत्तर-पूर्वी मानसून के कारण दक्षिणी प्रायद्वीप में नवंबर में अच्छी वर्षा की उम्मीद है। तमिलनाडु, पुडुचेरी, कराईकल, तटीय आंध्र प्रदेश, यनम, रायलसीमा, केरल, माहे और दक्षिण आंतरिक कर्नाटक में सामान्य से अधिक वर्षा होने की संभावना है। उत्तर पश्चिम और मध्य भारत के कुछ इलाकों को छोड़कर देश के अधिकांश हिस्सों में बारिश की संभावना बताई गई है।
बदलते मौसम का आकलन
बदलते मौसम का ये असर कई जगहों की फसलों पर भी दिख सकता है। किसान और कृषि विशेषज़्ञ इसकी वजह से चिंतित हैं। यह भी आशंका जताई जा रही है कि यदि मौसम में जल्दी बदलाव नहीं आया, तो इसका प्रभाव अगले साल के फसल उत्पादन पर भी पड़ सकता है। इस वर्ष के गर्म अक्टूबर और नवंबर के कारण लोगों को भी रूपांतरित होने की जरूरत महसूस हो रही है।
निष्कर्ष
यह स्पष्ट हो गया है कि धरती का बदलता तापमान और अप्रत्याशित मौसम अब एक वास्तविकता है। IMD के अनुसार, नवंबर में सर्दी देर से आएगी और इसके लिए हमें तैयार रहना होगा। दक्षिणी प्रायद्वीप में अच्छी वर्षा की उम्मीद है, जो क्षेत्रीय कृषि के लिए अच्छी खबर हो सकती है। हालांकि, आम जनता के लिए यह एक चुनौतीपूर्ण समय हो सकता है क्योंकि लोग सर्दी का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।