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दिवाली के बाद भी दिल्ली में प्रदूषण क्यों नहीं बढ़ा?

प्रस्तावना

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में प्रदूषण को लेकर हमेशा चिंता बनी रहती है, विशेषकर त्योहारों के दौरान जब पटाखे जमकर फोड़े जाते हैं। दिवाली की रात दिल्ली में पटाखों की धूम मचाने के बावजूद इस बार हैरानी की बात यह रही कि प्रदूषण का स्तर अन्य वर्षों की तुलना में कम रहा। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के आंकड़े बताते हैं कि इस साल दिवाली के बाद भी हवा की गुणवत्ता ‘बहुत खराब’ की श्रेणी में रही लेकिन ‘गंभीर’ स्थिति में नहीं पहुंची। इस परिदृश्य ने विशेषज्ञों को चौंका दिया है और इसके पीछे के कारकों की जांच की जा रही है।

हवा के बहाव का प्रभाव

इस बार दिवाली के बाद तेज हवा के बहाव ने दिल्ली की प्रदूषण-कुण्ड को नियंत्रित रखने में अहम् भूमिका निभाई। हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, तेज हवाएं 16 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से चलीं, जिससे वातावरण में फैले प्रदूषकों को दूर करने में मदद मिली। ये तेज हवाएं प्रदूषण के स्तर को कम रखने में महत्वपूर्ण साबित हुईं।

सर्दियों में प्रदूषण का बढ़ना

हर साल सर्दियों के आते ही दिल्ली में प्रदूषण का स्तर बढ़ जाता है। स्काईमेट मौसम विज्ञान के उपाध्यक्ष महेश पलावत बताते हैं कि इस मौसम में तापमान में गिरावट के कारण हवा की गति धीमी हो जाती है और प्रदूषक पदार्थ जमीन के निकट जमने लगते हैं। इस वर्ष गुरुवार (दिवाली की रात) को मिश्रण की ऊंचाई 2,100 मीटर तक बनी रही, जो प्रदूषण के अत्याधिक स्तर पर पहुंचने से रोकने में कारगर साबित हुई।

एक्यूआई के क्षेत्रीय विश्लेषण

CPCB के आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली में औसत AQI दर्ज किया गया 294, जो ‘बहुत खराब’ श्रेणी में आता है। आनंद विहार, आईजीआई एयरपोर्ट, आरके पुरम, और पंजाबी बाग जैसे इलाके सबसे अधिक प्रदूषित पाए गए, जिनके AQI क्रमशः 380, 341, 340, और 335 थे। वहीं अलीपुर, जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम और मुंडका जैसे क्षेत्रों में AQI 200-300 के बीच पाया गया।

पड़ोसी क्षेत्रों का हाल

दिल्ली के पड़ोसी शहरों में भी प्रदूषण का असर कमोबेश समान रूप से देखा गया। फरीदाबाद में AQI 165 दर्ज हुआ जो ‘मध्यम’ श्रेणी में आता है जबकि गुरुग्राम में यह 219 था। उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में AQI 308 और नोएडा में 250 रहा, जबकि ग्रेटर नोएडा में 202 रिकॉर्ड किया गया।

समापन

दिवाली के बाद दिल्ली में प्रदूषण का स्तर अपेक्षाकृत कम रहना एक सकारात्मक संकेत है। हालांकि, यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि जलवायु परिवर्तन और प्रदूषण नियंत्रण के लिए समय पर उचित कदम उठाए जाएं। विशेषज्ञों द्वारा मिले अच्छे संकेतों के बावजूद, हमें समझना होगा कि सिर्फ एक बार की हवा की चाल हमें स्थायी हल प्रदान नहीं कर सकती। प्रदूषण को स्थाई रूप से कम करने के लिए हर स्तर पर समाज का सहयोग आवश्यक है।

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