दिवाली की धूम और पटाखों पर प्रतिबंध
दिवाली का त्योहार भारत के कोने-कोने में भव्य रूप से मनाया जाता है। इस वर्ष 29 अक्टूबर 2024 को दीपावली मनाई जा रही है। इस पर्व को लेकर राजधानी दिल्ली समेत कई स्थानों पर विशेष आयोजन किए जा रहे हैं। हालांकि, स्वास्थ्य और पर्यावरण को समर्पित सुरक्षा उपायों के तहत कई स्थानों पर पटाखों और आतिशबाजी पर प्रतिबंध लगाया गया है। यह प्रतिबंध दीपावली पर वायु प्रदूषण के खतरों को कम करने के उद्देश्य से किए गए हैं। साथ ही, हिमाचल प्रदेश सहित कई राज्यों ने पटाखे जलाने का समय भी निर्धारित कर दिया है ताकि ध्वनि और वायु प्रदूषण को न्यूनतम स्तर पर रखा जा सके।
प्रधानमंत्री की सैनिकों संग दिवाली की परंपरा
हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारतीय सैनिकों के साथ दिवाली मनाने की योजना बना रहे हैं। हालांकि, इस बार पीएम मोदी की दिवाली मनाने की लोकेशन को उजागर नहीं किया गया है। प्रधानमंत्री ने अपने कार्यकाल के हर वर्ष इस परंपरा को निभाते हुए सेना के जवानों के साथ समय बिताया है, जिससे सैनिकों का मनोबल उच्च रहता है और यह उनके प्रति सरकार के आभार का प्रतीक बन जाता है।
सरदार पटेल की जयंती और एकता दिवस
आज का दिन भारत के पहले गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती भी है। इसे देश में ‘एकता दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात स्थित ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ पर सरदार पटेल को श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने यहां ‘एकता दिवस परेड’ में हिस्सा लिया और राष्ट्रीय एकता की शपथ दिलाई। इस आयोजन का उद्देश्य देश के विभिन्न समुदायों के बीच एकता और समानता को बढ़ावा देना है।
इंदिरा गांधी की पुण्यतिथि
इस सप्ताह के अंत में गुरुवार को देश की पहली और अब तक की इकलौती महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की पुण्यतिथि भी है। इस अवसर पर कांग्रेस पार्टी के नेता तथा लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और अन्य कई नेताओं ने शक्ति स्थल जाकर इंदिरा गांधी को श्रद्धांजलि दी। इंदिरा गांधी की शक्तिशाली नेतृत्व क्षमता और उनके द्वारा लाए गए सामाजिक और आर्थिक सुधारों को आज भी याद किया जाता है।
राष्ट्रीय एकता और सांस्कृतिक विविधता का जश्न
इन सारे आयोजनों और घटनाओं का मिलाजुला स्वरूप भारत की सांस्कृतिक विविधता और राष्ट्रीय एकता को सुंदर तरीके से प्रस्तुत करता है। सरदार पटेल की जयंती और दिवाली का त्योहार एकसाथ आने से यह समय भारत की विरासत और उसके लोगों की शक्ति के प्रति श्रद्धांजलि देने का अनूठा अवसर बन जाता है। इससे यह संदेश जाता है कि हम चाहे कितने भी अलग-अलग पृष्ठभूमियों से क्यों न हों, हम सभी पर्वों को समान उत्साह और ऊर्जा के साथ मनाते हैं जो हमारे देश की अद्वितीयता को दर्शाते हैं।
समाज और सांस्कृतिक जिम्मेदारियां
वर्तमान परिवेश में जहां एक ओर त्योहारों की पारंपरिक धूम देखी जाती है, वहीं दूसरी ओर समाज के लोगों से यह अपेक्षा की जाती है कि वे अपनी सांस्कृतिक जिम्मेदारियों को समझें। पर्यावरण सुरक्षा और सामुदायिक सद्भाव के लिए उठाए गए कदम समय की मांग हैं। इसी रूप में हर व्यक्ति का कर्तव्य है कि वह अपने द्वारा किए जा रहे उत्सवों में इन पहलुओं को ध्यान में रखे। समारोह का आनंद लेने के साथ-साथ हमें अपने भविष्य की सुरक्षा का भी ध्यान रखना होगा।
इस दिवाली, यह हमारे लिए एक अवसर है कि हम एकता और सौहार्द की भावना को आगे बढ़ाएं, पर्यावरण की सुरक्षा करें और आने वाले पीढ़ियों के लिए एक स्वच्छ और स्थिर वातावरण का निर्माण करें। साथ ही, हमें सरदार वल्लभभाई पटेल के एकीकृत भारत के विजन को अपने दिलों में संजोकर आगे बढ़ना चाहिए।