जिला पंचायत कार्यालय में कुर्सी विवाद
जिला पंचायत कार्यालय में मंगलवार की सुबह एक अद्वितीय और चौंकाने वाला मामला सामने आया जब एक स्थानीय दुकानदार ने कुर्सियों का भुगतान न होने पर जिला पंचायत अध्यक्ष और सदस्यों के बैठने के लिए खरीदी गई कुर्सियां उठा लीं। यह वाकया तब सामने आया जब दुकानदार ने ढाई साल से अपने भुगतान के लिए संघर्ष किया, लेकिन नामतः कोई परिणाम नहीं मिला। अंततः, असहाय होकर दुकानदार ने पंचायती कार्यालय पहुंच कर खुद ही कुर्सियों को वापस ले लिया।
कुर्सी कैसे हुई गायब?
मंगलवार की सुबह जिला पंचायत कार्यालय में माहौल सामान्य था, लेकिन एकाएक वहां की स्थिति उलट गई जब दुकानदार ने कुर्सियां उठा लीं। दुकान भी अंदर से बंद नहीं थी, यानी कि इतना बड़ा मामला वहीं की एक सामान्य दुकान से था। दुकानदार का आरोप है कि उसने ढाई साल पहले कुर्सियां कार्यालय को बेची थीं और इसके बाद से वह लगातार अपने पैसे के लिए संपर्क कर रहा था, लेकिन उसे हमेशा नजरअंदाज किया गया।
जिम्मेदारी किसकी?
दुकानदार द्वारा कुर्सी उठा ले जाने के बाद जिला पंचायत अध्यक्ष यतेन्द्र साहू फर्श पर काम करते नजर आए। पूरी स्थिति तब और भी गंभीर हो गई जब जनपद सदस्य दिग्विजय साहू ने इस बात को स्पष्ट किया कि यह लापरवाही जनपद पंचायत के सीइओ और लिपिक की थी। यह बहुत बड़ा मुद्दा बनता जा रहा है, क्योंकि इसे सार्वजनिक सेवा और प्रशासनिक भ्रष्टाचार का एक नया उदाहरण माना जा रहा है।
सालों से नहीं हुआ भुगतान
दरअसल, ढाई साल पहले जनपद कार्यालय के लिए खरीदी गई इन कुर्सियों का भुगतान नहीं हुआ। दुकानदार ने बार-बार भुगतान की मांग की लेकिन किसी अधिकारी ने उसकी बात समझने की कोशिश नहीं की। ऐसे में, दुकानदार का एकमात्र विकल्प यह रह गया कि वह अपने सामान को वापस ले जाए। अब, अध्यक्ष और जनपद सदस्यों को जमीन पर बैठकर काम करना पड़ रहा है, जो न केवल प्रशासनिक कमजोरी को दर्शाता है बल्कि जनहित मुद्दों पर भी गंभीर सवाल उठाता है।
पूर्व अध्यक्ष का निधन और नये अध्यक्ष की कठिनाई
पूर्व अध्यक्ष भागीरथी चंद्राकर के कोरोना संक्रमण के दौरान निधन के बाद से यतेंद्र साहू जनपद अध्यक्ष का पद संभाल रहे हैं। इनमें से कई कुर्सियां उनके कार्यकाल में खरीदी गई थीं। यतेंद्र साहू ने बताया कि कई प्रशासनिक अधिकारियों से मिलकर उन्होंने भुगतान की बात की, लेकिन किसी ने भी उनके अनुरोध को गंभीरता से नहीं लिया।
कौशांबी में हादसा, एक की मौत, दो जख्मी
उधर उत्तर प्रदेश के कौशांबी जिले के संदीपन घाट क्षेत्र में एक और गंभीर घटना हुई जब एक अनियंत्रित ट्रक एक नाई की दुकान में घुस गया। दुकान में हजामत करवा रहे एक व्यक्ति की मौके पर ही मौत हो गई जबकि दो अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए। इस हादसे के बाद नाराज ग्रामीणों ने प्रयागराज-कानपुर मार्ग पर जाम लगा दिया।
निष्कर्ष: कुर्सी विवाद और प्रशासनिक असफलता
इस पूरी घटना ने जिला पंचायत कार्यालय की प्रशासनिक कमजोरियों को उजागर कर दिया है। एक साधारण भुगतान न होने के कारण एक आलीशान सरकारी कार्यालय में कुर्सियों का अभाव हो जाना न केवल एक बुरी मिशाल है बल्कि यह सरकारी तंत्र की उदासीनता का प्रमाण भी है। जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही ने जहां दुकानदार को न्याय नहीं दिला सका, वहीं उसने खुद के लिए एक निर्णायक कदम उठाया। सरकारी अधिकारियों को इस मामले से सबक लेना चाहिए और समय पर सभी सुरक्षा और प्रशासनिक मुद्दों का समाधान करना चाहिए।
इस अद्वितीय घटना ने यह साबित किया है कि जब न्याय और प्रशासनिक व्यवस्थाएं कमजोर पड़ जाती हैं, तो साधारण जनता को स्वयं अपने हक की लड़ाई लड़नी पड़ती है। अब इस मामले में आगे कौन सा कदम उठाया जाएगा, यह देखना दिलचस्प रहेगा।