गांदरबल की दिल दहला देने वाली घटना
जम्मू-कश्मीर में रविवार का दिन एक बार फिर से आतंक के साए में लिपटा हुआ था जब आतंकवादियों ने गांदरबल जिले के एक निर्माण स्थल पर हमला कर दिया। इस खौफनाक घटना में एक स्थानीय डॉक्टर और छह गैर-स्थानीय मजदूरों की निर्ममता से हत्या कर दी गई, जबकि पांच अन्य लोग घायल हो गए। इस हमले से पूरे क्षेत्र में दर्द और आक्रोश का माहौल पैदा हो गया।
फारूक अब्दुल्ला का आक्रोश और चेतावनी
पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने इस घटना पर गहरी संवेदना व्यक्त करते हुए पाकिस्तान को कड़ी चेतावनी दी। फारूक अब्दुल्ला ने साफ शब्दों में कहा कि जब तक पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर में अपने आतंकवादी कृत्यों को बंद नहीं करता, तब तक भारत और पाकिस्तान के बीच बातचीत संभव नहीं हो सकती। उन्होंने पाकिस्तान के शासकों से अपील की कि यदि वे भारत के साथ दोस्ती चाहते हैं, तो उन्हें आतंकवाद बंद करना होगा। अब्दुल्ला ने कहा, “आप हमारे निर्दोष लोगों को मारते हैं और फिर बातचीत के लिए कहते हैं। पहले हत्याएं करना बंद करो।”
गरीबी की छाया में आए श्रमिकों का दर्द
फारूक अब्दुल्ला ने इस हमले के पीड़ितों की दुर्दशा को उजागर किया। उन्होंने कहा कि ये गरीब मजदूर अपने परिवारों की आजीविका के लिए यहां काम करने आए थे। डॉक्टर समेत इन निर्दोष लोगों की हत्या ने सभी को गहरे शोक में डाल दिया है। अब्दुल्ला ने कहा, “यह बहुत ही दर्दनाक घटना है। गरीब मजदूर यहां आजीविका के लिए आते हैं ताकि वे अपने परिवारों का पेट भर सकें। इन दरिंदों ने उनकी हत्या कर दी।”
कश्मीर की स्थिति और पाकिस्तान की भूल
अब्दुल्ला ने आतंकवादियों और पाकिस्तान की सोच को लेकर भी कड़ा संदेश दिया। उन्होंने कहा कि अगर आतंकवादी सोचते हैं कि वे अपने कृत्यों से जम्मू-कश्मीर को पाकिस्तान बना लेंगे, तो यह उनकी गलतफहमी है। नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष ने स्पष्ट किया कि कश्मीर कभी पाकिस्तान का हिस्सा नहीं बनेगा। उन्होंने कहा, “क्या वे सोचते हैं कि वे यहां पाकिस्तान स्थापित करेंगे? यह एक भ्रम है।”
पाकिस्तान को दिए सबक और भविष्य की चेतावनी
फारूक अब्दुल्ला ने पाकिस्तान को याद दिलाया कि उन्हें 1947 से अपने प्रयासों में कोई सफलता नहीं मिली है। उन्होंने पाकिस्तान से अपने देश के विकास पर ध्यान केंद्रित करने की अपील की। अब्दुल्ला ने कहा, “कृपया हमें शांति और सम्मान के साथ रहने दीजिए। आप हमें कब तक दुखी करेंगे? आपने 1947 में कबायली हमलावरों को भेजकर इसकी शुरुआत की थी। क्या आप तब सफल हुए? अगर 75 साल में सफल नहीं हुए, तो अब कैसे सफल होंगे?”
अब्दुल्ला ने कहा कि इस हमले का व्यापक असर जम्मू-कश्मीर के लोगों पर पड़ेगा। उन्होंने आगे कहा, “अगर यह रक्तपात जारी रहा तो हम कैसे प्रगति करेंगे? समय आ गया है कि इसे बंद करना चाहिए अन्यथा इसके कठोर परिणाम भुगतने होंगे।”
फारूक अब्दुल्ला की इस चेतावनी के बावजूद भविष्य की राह आसान नहीं दिख रही है। लगातार होती हिंसक घटनाएं चीख चीख कर शांति की गुहार कर रही हैं। किसानों, मजदूरों और डॉктर्स को केंद्र में रखकर बनाई गई योजनाएं तभी कारगर होंगी जब इलाके में स्थाई शांति आ सकेगी। ऐसे में, यह अनिवार्य है कि राजनीतिक नेतृत्व और नागरिक समाज मिलकर इस दिशा में ठोस कदम उठाएं।