प्रस्तावना: नागवासुकी मंदिर का ऐतिहासिक महत्व
मुगल बादशाह औरंगजेब द्वारा भारत में मंदिरों को तोड़ने की कहानियाँ आम हैं, लेकिन प्रयागराज में स्थित नागवासुकी मंदिर की घटना कुछ अलग ही है। कहा जाता है कि जब औरंगजेब अपने हाथों से इस प्राचीन मंदिर को तोड़ने पहुंचे, तो उन्हें ऐसी अलौकिक शक्ति का सामना करना पड़ा जिसने उनकी मानसिकता को हिला कर रख दिया। इस लेख में हम इस मंदिर की अद्वितीयता और उसकी ऐतिहासिक, धार्मिक और सामाजिक महत्ता की विस्तार से चर्चा करेंगे।
औरंगजेब की असफल कोशिश
ऐसा कहा गया है कि औरंगजेब ने भारत के विभिन्न हिस्सों में स्थित कई मंदिरों को नष्ट किया। इसी क्रम में जब वह नागवासुकी मंदिर को तोड़ने पहुँचा, तो जैसे ही उसने मूर्ति पर भाला चलाया, वहां से दूध की धार निकलने लगी। यह दूध की धार उसके चेहरे पर पड़ी और वह बेहोश हो गया। इस घटना ने न केवल औरंगजेब को बल्कि उसके दरबारियों और सैनिकों को भी चकित कर दिया। इस मंदिर का महत्व और भी बढ़ गया कि किस प्रकार अलौकिक शक्तियों ने मुगल बादशाह को अपने कदम पीछे हटाने के लिए मजबूर कर दिया।
नागवासुकी मंदिर: परिचय
प्रयागराज के दारागंज क्षेत्र में स्थित नागवासुकी मंदिर एक अत्यंत प्राचीन और प्रतिष्ठित मंदिर है। यह मंदिर नागों के राजा वासुकी को समर्पित है। संगम नगरी प्रयागराज की तीर्थयात्रा तब तक पूरी नहीं मानी जाती जब तक यहां आकर नागवासुकी के दर्शन नहीं कर लिए जाते।
पौराणिक कहानियाँ और मान्यताएं
नागवासुकी मंदिर की पौराणिक मान्यताएं भी अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं। समुद्र मंथन की कथा के अनुसार, देवताओं और असुरों ने नागवासुकी को सुमेरु पर्वत में लपेटकर रस्सी के तौर पर प्रयोग किया था। उस मंथन के बाद नागराज वासुकी पूरी तरह से घायल हो गए थे। भगवान विष्णु ने उन्हें आराम करने के लिए प्रयागराज में यह स्थान प्रदान किया, और यही कारण है कि यहां नागवासुकी मंदिर बनाया गया।
आस्था का केंद्र
जो भी श्रद्धालु सावन के महीने में नागवासुकी मंदिर के दर्शन और पूजा अर्चना करता है, उसकी सारी बाधाएं दूर हो जाती हैं। यहां आने वाले लोग कालसर्प दोष से भी मुक्ति पाते हैं। नाग पंचमी के दिन दूर-दूर से लाखों श्रद्धालु यहां दर्शन और पूजा करने पहुंचते हैं। एक महिला श्रद्धालु ने कहा, “यह प्राचीन मंदिर हमारे धर्म और आस्था का केंद्र है। गंगा नदी के किनारे स्थित होने के कारण इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। यहां कालसर्प दोष की पूजा होती है और रुद्राभिषेक भी होता है।”
मंदिर के पुजारी की बातें
मंदिर के पुजारी पंडित श्याम बिहारी मिश्रा ने बताया कि सावन के महीने में इस मंदिर का विशेष महत्व है। उन्होंने कहा, “नागवासुकी जी शंकर जी के गले के नागों के राजा हैं। समुद्र मंथन के बाद भगवान विष्णु ने उन्हें यहां स्थान दिया था। ब्रह्मा जी ने यहीं पर शंकर जी की स्थापना के लिए यज्ञ किया था।”
धार्मिक कार्यक्रम और श्रद्धालुओं की भीड़
सावन के महीने में नागवासुकी मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ होती है। नाग पंचमी के दिन लाखों की संख्या में लोग यहां आते हैं। एक महिला श्रद्धालु ने कहा, “हम हर साल यहां आते हैं। यह प्राचीन मंदिर हमारी आस्था का केंद्र है। गंगा नदी के किनारे स्थित होने के कारण इसका धार्मिक महत्व और भी बढ़ जाता है।”
सरकारी प्रयास और पर्यटन
सरकार की ओर से नागवासुकी मंदिर को संवारने और वहां की सुविधाओं को बढ़ाने के कार्य किए जा रहे हैं। हर साल यहां दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में वृद्धि हो रही है। मंदिर का दर्शन और पूजा करने के बाद इस क्षेत्र के अन्य धार्मिक और पर्यटन स्थलों का भी आनंद लिया जा सकता है।
निष्कर्ष
नागवासुकी मंदिर न केवल धार्मिक महत्ता का केंद्र है बल्कि इसके पीछे छिपी पौराणिक और ऐतिहासिक कहानियाँ इसे और भी विशेष बनाती हैं। जिस प्रकार यह मंदिर औरंगजेब जैसे मुगल बादशाह की हेकड़ी को खतम करने में सफल हुआ, वह अद्वितीय है। ऐसे अनेक कारण हैं जिससे यह मंदिर आज भी श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। यदि आप भी कभी प्रयागराज की यात्रा पर जाएं, तो इस प्राचीन और अद्वितीय मंदिर के दर्शन अवश्य करें। इसका अनुभव आपको एक नई ऊर्जा और भक्ति की भावना से भर देगा।