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परिसीमन के लिए नया फॉर्मूला चाहती है कांग्रेस मनीष तिवारी बोले- पुराने तरीके से सिर्फ मध्य भारत को होगा फायदा


Delimitation: देश में नए परिसीमन को लेकर सियासी हलचल तेज हो गई है. जहां उत्तर भारत के लोग इस फैसले को लेकर उत्साहित हैं, वहीं दक्षिण भारत में इसका जबरदस्त विरोध हो रहा है. इसकी वजह यह है कि नए परिसीमन के तहत दक्षिण भारत की लोकसभा सीटों में कमी हो सकती है, जिससे वहां के राजनीतिक दलों और नेताओं में नाराजगी बढ़ गई है. वहीं, अब इस मामले पर कांग्रेस नेता मनीष तिवारी का कहना है कि परिसीमन के लिए नया फॉर्मूला तैयार करना होगा. नहीं, तो सिर्फ मध्य भारत के राज्यों को ही इसका फायदा होगा.
कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने गुरुवार को कहा कि अगर परिसीमन प्रक्रिया ‘एक वोट, एक मूल्य’ के सिद्धांत पर होती है तो सिर्फ मध्य भारत के राज्यों को ही इसका फायदा होगा, जबकि वे जनसंख्या कंट्रोल के मामले में पिछड़े हुए हैं. उन्होंने कहा कि परिसीमन के लिए नया फॉर्मूला तैयार करने की जरूरत है. लोकसभा सदस्य ने यह मांग उस वक्त की है जब तमिलनाडु में संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों के जनसंख्या-आधारित परिसीमन का विरोध किया गया है.
कांग्रेस नेता ने क्या कहा?
तिवारी ने सोशल मीडिया हैंडल ‘एक्स’ पर पोस्ट कर कहा, ‘अगर परिसीमन ‘एक वोट, एक मूल्य’ के मौजूदा सिद्धांत पर किया जाता है, तो दक्षिणी और उत्तरी राज्यों में लोकसभा सीट तुलनात्मक रूप से हो जाएंगी और केवल मध्य भारत के राज्यों को फायदा होगा. उन्होंने कहा कि उदाहरण के लिए परिसीमन के बाद पंजाब और हरियाणा दोनों की लोकसभा सीट की संख्या 18 होगी, जबकि वर्तमान में, पंजाब में 13 और हरियाणा में 10 सीट हैं. कांग्रेस नेता ने कहा कि परिसीमन के लिए नया फॉर्मूला तैयार करने की जरूरत है.’

दक्षिण राज्यों में भारी विरोध
वहीं, दक्षिण भारतीय राज्यों का तर्क है कि उन्होंने जनसंख्या कंट्रोल पर बेहतर काम किया है, लेकिन अब उनकी लोकसभा सीटें कम हो रही हैं, जबकि उत्तर भारत को अधिक सीटों का फायदा मिल रहा है. इस असंतुलन के कारण तमिलनाडु, केरल, तेलंगाना, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश के कई राजनीतिक दल नए परिसीमन के खिलाफ मोर्चा खोल दिए हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, देश में साल 2026 में नया परिसीमन होना है. कहा जा रहा है कि इस परिसीमन से पूरे देश में लोकसभा सीटों का बढ़ना तय है. 
 इनपुट- भाषा
कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने गुरुवार को कहा कि अगर परिसीमन प्रक्रिया ‘एक वोट, एक मूल्य’ के सिद्धांत पर होती है तो सिर्फ मध्य भारत के राज्यों को ही इसका फायदा होगा, जबकि वे जनसंख्या कंट्रोल के मामले में पिछड़े हुए हैं. उन्होंने कहा कि परिसीमन के लिए नया फॉर्मूला तैयार करने की जरूरत है. लोकसभा सदस्य ने यह मांग उस वक्त की है जब तमिलनाडु में संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों के जनसंख्या-आधारित परिसीमन का विरोध किया गया है.
कांग्रेस नेता ने क्या कहा?
तिवारी ने सोशल मीडिया हैंडल ‘एक्स’ पर पोस्ट कर कहा, ‘अगर परिसीमन ‘एक वोट, एक मूल्य’ के मौजूदा सिद्धांत पर किया जाता है, तो दक्षिणी और उत्तरी राज्यों में लोकसभा सीट तुलनात्मक रूप से हो जाएंगी और केवल मध्य भारत के राज्यों को फायदा होगा. उन्होंने कहा कि उदाहरण के लिए परिसीमन के बाद पंजाब और हरियाणा दोनों की लोकसभा सीट की संख्या 18 होगी, जबकि वर्तमान में, पंजाब में 13 और हरियाणा में 10 सीट हैं. कांग्रेस नेता ने कहा कि परिसीमन के लिए नया फॉर्मूला तैयार करने की जरूरत है.’

दक्षिण राज्यों में भारी विरोध
वहीं, दक्षिण भारतीय राज्यों का तर्क है कि उन्होंने जनसंख्या कंट्रोल पर बेहतर काम किया है, लेकिन अब उनकी लोकसभा सीटें कम हो रही हैं, जबकि उत्तर भारत को अधिक सीटों का फायदा मिल रहा है. इस असंतुलन के कारण तमिलनाडु, केरल, तेलंगाना, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश के कई राजनीतिक दल नए परिसीमन के खिलाफ मोर्चा खोल दिए हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, देश में साल 2026 में नया परिसीमन होना है. कहा जा रहा है कि इस परिसीमन से पूरे देश में लोकसभा सीटों का बढ़ना तय है. 
 इनपुट- भाषा
कांग्रेस नेता ने क्या कहा?
तिवारी ने सोशल मीडिया हैंडल ‘एक्स’ पर पोस्ट कर कहा, ‘अगर परिसीमन ‘एक वोट, एक मूल्य’ के मौजूदा सिद्धांत पर किया जाता है, तो दक्षिणी और उत्तरी राज्यों में लोकसभा सीट तुलनात्मक रूप से हो जाएंगी और केवल मध्य भारत के राज्यों को फायदा होगा. उन्होंने कहा कि उदाहरण के लिए परिसीमन के बाद पंजाब और हरियाणा दोनों की लोकसभा सीट की संख्या 18 होगी, जबकि वर्तमान में, पंजाब में 13 और हरियाणा में 10 सीट हैं. कांग्रेस नेता ने कहा कि परिसीमन के लिए नया फॉर्मूला तैयार करने की जरूरत है.’

दक्षिण राज्यों में भारी विरोध
वहीं, दक्षिण भारतीय राज्यों का तर्क है कि उन्होंने जनसंख्या कंट्रोल पर बेहतर काम किया है, लेकिन अब उनकी लोकसभा सीटें कम हो रही हैं, जबकि उत्तर भारत को अधिक सीटों का फायदा मिल रहा है. इस असंतुलन के कारण तमिलनाडु, केरल, तेलंगाना, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश के कई राजनीतिक दल नए परिसीमन के खिलाफ मोर्चा खोल दिए हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, देश में साल 2026 में नया परिसीमन होना है. कहा जा रहा है कि इस परिसीमन से पूरे देश में लोकसभा सीटों का बढ़ना तय है. 
 इनपुट- भाषा
दक्षिण राज्यों में भारी विरोध
वहीं, दक्षिण भारतीय राज्यों का तर्क है कि उन्होंने जनसंख्या कंट्रोल पर बेहतर काम किया है, लेकिन अब उनकी लोकसभा सीटें कम हो रही हैं, जबकि उत्तर भारत को अधिक सीटों का फायदा मिल रहा है. इस असंतुलन के कारण तमिलनाडु, केरल, तेलंगाना, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश के कई राजनीतिक दल नए परिसीमन के खिलाफ मोर्चा खोल दिए हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, देश में साल 2026 में नया परिसीमन होना है. कहा जा रहा है कि इस परिसीमन से पूरे देश में लोकसभा सीटों का बढ़ना तय है. 
 इनपुट- भाषा
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