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बाढ़ से बेकाबू हालात: देश-विदेश में मौत का आंकड़ा बढ़ा

बिहार में परेशानहाल स्थिति

देश के कई हिस्सों में बारिश ने कहर बरपाया है, जिसमें बिहार जैसे राज्यों में बाढ़ ने बड़ी तबाही मचाई है। बिहार के सीतामढ़ी जिले के मधकौल गांव में बागमती नदी के तटबंध में रविवार को दरार की खबर आई, जिससे जिले में और भयावह स्थिति उत्पन्न हो गई। पश्चिमी चंपारण में गंडक नदी पर भीषण दबाव के कारण बगहा-1 प्रखंड में नदी के बाएं किनारे का तटबंध शाम 4:50 बजे क्षतिग्रस्त हो गया। इस कारण वाल्मीकि टाइगर रिजर्व (वीटीआर) समेत कई स्थान जलमग्न हो गए और वन्यजीवों को भी जान का खतरा उत्पन्न हो गया है।

जलस्तर में अप्रत्याशित वृद्धि

राज्य जल संसाधन विभाग (डब्ल्यूआरडी) द्वारा जारी ताजा बयान के अनुसार, बागमती नदी के जलस्तर में अप्रत्याशित वृद्धि और पानी के बढ़ते दबाव के चलते सीतामढ़ी जिले के बेलसंड, परसौनी, बरगैनिया और रसलपुर प्रखंडों तथा शिवहर जिले के पिपराही, पुरनहिया और शिवहर प्रखंडों के तटबंधों पर रिसाव की सूचना मिली। इन रिसावों को तात्कालिक रूप से दुरुस्त किया गया, मगर स्थिति अभी भी गंभीर बनी हुई है।

अधिकतम जलस्तर का खतरनाक आंकड़ा

बिहार की अन्य नदियों में भी इस साल का अधिकतम जलस्तर दर्ज किया गया है। कमला बलान नदी के झंझारपुर मापक स्थल पर जलस्तर 52.10 मीटर, ललबेकिया नदी के गोवाबाड़ी मापक स्थल पर जलस्तर 72.70 मीटर और महानंदा नदी के तय्यबपुर एवं ढ़ेगराघाट मापक स्थलों पर क्रमश: 66.81 मीटर एवं 37.22 मीटर दर्ज किया गया है। यह जलस्तर खतरे के निशान से कहीं अधिक है। हालांकि, इन नदियों के तटबंध एवं संरचनाएं अभी सुरक्षित बताई जा रही हैं।

निगरानी और राहत कार्य

बिहार के जल संसाधन मंत्री विजय कुमार चौधरी ने बताया कि जल संसाधन विभाग की टीम विभिन्न तटबंधों की चौबीसों घंटे निगरानी कर रही है, ताकि कटाव या किसी खतरे का पता चलते ही त्वरित कार्रवाई हो सके। विभाग के अधीक्षण अभियंता, कार्यपालक अभियंता, सहायक अभियंता और कनीय अभियंता 24 घंटे सक्रिय हैं। इसके बावजूद, स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है और लोगों में दशहत का माहौल है।

नेपाल की भयावह स्थिति

नेपाल की बात करें तो वहां का हालात और भी बदतर है। मध्य नेपाल के बड़े हिस्से जलमग्न हो गए हैं और देश के कई हिस्सों में अचानक बाढ़ आई है। पुलिस के अनुसार, काठमांडू घाटी में बारिश से संबंधित घटनाओं में अब तक 43 लोगों की जान गई है। सशस्त्र पुलिस बल सूत्रों के अनुसार, बाढ़, भूस्खलन और जलभराव के कारण 55 लोग लापता हैं, जबकि 101 लोग घायल हुए हैं। भूस्खलन के कारण राष्ट्रीय राजमार्ग भी अवरुद्ध हैं और सैकड़ों लोग विभिन्न राजमार्गों पर फंसे हुए हैं। कम से कम 322 मकान और 16 पुल क्षतिग्रस्त हो गए हैं।

बचाव और राहत कार्य

लोगों को बचाने के लिए 20,000 से अधिक सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया गया है। अब तक करीब 3,626 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है। गृह मंत्रालय के प्रवक्ता ऋषिराम तिवारी ने कहा कि भूस्खलन से क्षतिग्रस्त राजमार्गों के खंडों को खोलने के लिए सभी प्रयास किए जा रहे हैं। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि उन्होंने 40-45 वर्षों में काठमांडू घाटी में ऐसी विनाशकारी बाढ़ और जलभराव नहीं देखा। बचाव अभियान अब भी जारी है और हालात पर काबू पाने के लिए हर संभव कदम उठाए जा रहे हैं।

मौत का बढ़ता आंकड़ा

नेपाल में बाढ़ और भूस्खलन की घटनाओं में मरने वालों की संख्या बढ़कर 148 हो गई है। काठमांडू के पास धादिंग जिले में बस के भूस्खलन की चपेट में आने से 19 लोगों की मौत हो गई। भक्तपुर शहर में भूस्खलन में एक मकान ढहने से पांच लोगों की जान गई, जबकि मकवानपुर में भूस्खलन की घटना में छह फुटबॉल खिलाड़ियों की मौत हो गई और अन्य लोग बाढ़ के पानी में बह गए।

जलवायु परिवर्तन का असर

आईसीएमओडी द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार, काठमांडू की मुख्य नदी बागमती शुक्रवार और शनिवार को पूर्वी एवं मध्य नेपाल में मूसलाधार बारिश के बाद से खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। वैज्ञानिकों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन के कारण पूरे एशिया में बारिश की मात्रा और समय में बदलाव आ रहा है। बंगाल की खाड़ी के ऊपर हवा के कम दबाव की स्थिति और मानसून के कारण असाधारण रूप से मूसलाधार बारिश हो रही है, जिससे बाढ़ और भूस्खलन की घटनाओं में बढ़ोतरी हो गई है।

इस समय बिहार और नेपाल दोनों ही अत्यधिक कठिन परिस्थितियों से गुजर रहे हैं। राहत और बचाव कार्य लगातार जारी हैं, लेकिन मौसम के बिगड़ते हालात के चलते चुनौती बनी हुई है। प्रशासन और सुरक्षाबल हाई अलर्ट पर हैं, ताकि जल्द ही स्थिति नियंत्रित हो सके।

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