चीन को काउंटर करने के लिए भारतीय सेना की तगड़ी तैयारी
भारतीय सेना ने हाल ही में चीन से मिलने वाले सामरिक खतरों से निपटने के लिए अपनी पावर बढ़ाई है। इंडियन आर्मी के टॉप जनरल ने खुद इस बात की पुष्टि की है कि चीन के खतरे से निपटने के लिए बारूदी तोपों का नया और अत्याधुनिक नेटवर्क तैयार कर लिया गया है। इस नेटवर्क में ‘फ्यूचर टेक्नोलॉजी’ वाले हथियार भी शामिल हैं। अब सवाल यह है कि यह नया नेटवर्क कैसे काम करेगा और किस तरह से चीन को मात देने में सक्षम होगा। आइए जानें इस बारे में विस्तार से।
भारतीय सेना का बारूदी ब्लूप्रिंट
करीब 11 महीने पहले, लद्दाख की ऊंचाईयों पर इंडियन आर्मी ने अपने मल्टीबैरल रॉकेट लॉन्चर सिस्टम और आर्टिलरी गंस की टेस्टिंग की थी। उसी समय से यह अनुमान लगाया जा रहा था कि भारतीय सेना एलएसी के लिए बड़ी तैयारी में जुटी है। अब यह तैयारी अपने चरम पर पहुँच चुकी है। आर्मी में आर्टिलरी के डायरेक्टर जनरल ऑफिस से मिली जानकारी के अनुसार, एलएसी पर इंडियन आर्मी ने अपने तोपखाने को काफी धार दे दी है। एलएसी पर पहले से ही 60 K-9 वज्र तोपों को तैनात किया गया था।
और मजबूत हो रहा तोपखाना
Indian Army ने अब K-9 आर्टिलरी होविज्तर सिस्टम के 100 अतिरिक्त यूनिट्स की खरीद का ऑर्डर दे दिया है। यानी कि और भी बड़ी खेप जल्द ही एलएसी पर तैनात की जाएगी ताकि चीन से मिलने वाली किसी भी सामरिक चुनौती का मुंहतोड़ जवाब दिया जा सके। K-9 वज्र के साथ-साथ ATAGS तोपों को भी तैनात करने की प्रक्रिया जारी है। ATAGS प्रोजेक्ट को 10 साल पहले शुरू किया गया था और इसमें मूवमेंट करने वाली लाइट तोपें शामिल हैं। यह तोपें 155 MM कैलिबर की हैं और एक मिनट के अंदर 5 राउंड तक फायर कर सकती हैं।
ड्रोन्स की तैयारी
आर्टिलरी सिस्टम के साथ-साथ लॉइटरिंग म्यूनिशंस यानी कामीकाजे ड्रोंस भी तैनात किए जा रहे हैं, ताकि जो टारगेट आर्टिलरी की रेंज से बाहर हों, उन्हें ड्रोन के जरिए हिट किया जा सके। ‘मेक इन इंडिया’ अभियान के तहत इंडियन आर्मी के लिए अचूक ड्रोन की टेस्टिंग पूरी हो चुकी है। इस ड्रोन को फायर करने के लिए बैरल सिस्टम का इस्तेमाल किया जा सकता है जिसे सिर्फ एक ऑपरेटर ही चला सकता है। सिर्फ 15 मिनट में इसका सेटअप पूरी तरह से तैयार हो जाता है और फिर यह रेडी टू फायर मोड में आ जाता है।
300 किमी तक आग बरसाएगा पिनाका
भारतीय सेना के बारूदी ब्लूप्रिंट का सबसे घातक फीचर है मल्टीबैरल रॉकेट लॉन्चर पिनाका की तैनाती। पिनाका रॉकेट लॉन्चर बैटलफील्ड में अपना दमखम साबित कर चुका है। पिनाका का मार्क 3 वर्जन तैयार किया जा रहा है, जिसके रॉकेट्स की रेंज 300 किलोमीटर तक होगी। जैसे ही पिनाका का लंबी रेंज वर्जन तैयार हो जाएगा, इसे भी एलएसी पर तैनात किया जाएगा।
11 महीने की तयारी
लद्दाख की ऊंचाईयों पर 11 महीने पहले किए गए परीक्षण ने साबित कर दिया था कि भारतीय सेना चीन के साथ एलएसी को लेकर बड़ी तैयारियों में जुटी है। आर्मी में आर्टिलरी के डायरेक्टर जनरल ऑफिस से मिली जानकारी के मुताबिक, एलएसी पर इंडियन आर्मी ने अपने तोपखाने को काफी धार दे दी है। अब आर्मी ने अतिरिक्त आर्टिलरी सिस्टम की खरीद का ऑर्डर दे दिया है ताकि चीन से मिलने वाली किसी भी सामरिक चुनौती का मुंहतोड़ जवाब दिया जा सके।
ATAGS और कामीकाजे ड्रोन
ATAGS प्रोजेक्ट के तहत बनाई गई लाइट तोपें 155 MM कैलिबर की हैं और इसे चलाने के लिए 6 सैनिकों की जरूरत पड़ती है। ATAGS एक मिनट के अंदर 5 राउंड तक फायर कर सकती है। एलएसी के लिए बनाए जा रहे सुरक्षा कवच में आर्टिलरी के साथ-साथ लॉइटरिंग म्यूनिशंस यानी कामीकाजे ड्रोंस को भी तैनात किया जा रहा है ताकि जो टारगेट आर्टिलरी की रेंज से बाहर हों, उन्हें ड्रोन के जरिए हिट किया जा सके।
मेक इन इंडिया ड्रोन
‘मेक इन इंडिया’ अभियान के तहत इंडियन आर्मी के लिए अचूक ड्रोन की टेस्टिंग हो चुकी है। यह ड्रोन अपने साथ डेढ़ किलो तक का विस्फोटक या मिनी बम ले जा सकता है। इसकी रेंज 30 किलोमीटर और उड़ान की ऊंचाई साढ़े तीन किलोमीटर है। खास बात यह है कि अचूक ड्रोन माइनस 20 डिग्री तक के तापमान में उड़ान भर सकता है, जिससे यह एलएसी की पहाड़ियों के लिए बहुत मुफीद हथियार बन जाता है।
निष्कर्ष
भारतीय सेना चीन से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार हो रही है। अपनी नई टेक्नोलॉजी और अत्याधुनिक हथियारों के साथ, भारतीय सेना ने एलएसी पर एक मजबूत सुरक्षा कवच तैयार कर लिया है जो किसी भी प्रकार के खतरे का सामना करने में सक्षम है। समय के साथ-साथ यह तैयारी और भी मजबूत होती जा रही है और इसका मुख्य उद्देश्य है चीन को काउंटर करना और किसी भी सामरिक चुनौती का मुंहतोड़ जवाब देना।