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मथुरा: ठाकुर बांके बिहारी मंदिर में अवैध मजार का विवाद

परिचय

मथुरा सदियों से धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण स्थान रहा है। यहां भगवान श्रीकृष्ण की जन्मभूमि स्थित है, जो दुनिया भर के भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है। लेकिन, हाल ही में मथुरा के शाहपुर गांव में स्थित ठाकुर बांके बिहारी महाराज के मंदिर में मजार का निर्माण विवाद की जड़ बन गया है। इस विवाद ने धार्मिक शांति को भंग करने की संभावना को जन्म दिया है और हिंदू संगठनों और साधु-संत समाज ने इसे धर्म युद्ध का नाम दिया है।

ठाकुर बांके बिहारी मंदिर और शाहपुर गांव

जो बांके बिहार मंदिर विवाद का केन्द्र बना है, वो वृंदावन के मशहूर बांके बिहारी मंदिर से अलग है। यह मंदिर मथुरा के शाहपुर गांव में स्थित है, जो मथुरा शहर से लगभग 30 किलोमीटर दूर स्थित है। यहां ठाकुर बांके बिहारी महाराज की मूर्ति स्थापित है, जिसे श्रद्धालु भक्तगण श्रीकृष्ण का रूप मानकर पूजा-अर्चना करते हैं। यह मंदिर धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण है और स्थानीय जनता के लिए पूजा स्थल है।

विवाद की जड़

हालिया विवाद तब शुरू हुआ जब हिंदू संगठनों और साधु-संतों ने दावा किया कि मंदिर के गर्भगृह में एक मजार का निर्माण किया गया है। उनका कहना है कि यह निर्माण अवैध है और मंदिर की पवित्रता को भंग करता है। साधु-संतों ने प्रशासन से अविलंब कारवाई की मांग की है और चेतावनी दी है कि अगर मजार को नहीं हटाया गया तो वे स्वयं इस अवैध निर्माण को ध्वस्त कर देंगे।

इतिहासिक संदर्भ

मथुरा में अतिक्रमण का इतिहास कोई नया नहीं है। साढ़े 350 साल पहले, मुस्लिम आक्रांता औरंगजेब ने कृष्ण की जन्मभूमि पर बने भव्य मंदिर को तुड़वाया था। इतने समय बाद भी मथुरा में धार्मिक स्थलों पर अतिक्रमण की समस्या बनी हुई है। इससे पहले भी श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह का विवाद विद्यमान है। अब इस नये विवाद ने धार्मिक समाज में एक नई बेचैनी को जन्म दे दिया है।

कोर्ट का निर्णय

मंदिर और मजार के विवाद में हाई कोर्ट ने थाकुर बांके बिहारी मंदिर के पक्ष में फैसला दिया है। सरकारी दस्तावेजों में भी मंदिर का नाम दर्ज है, जो स्पष्ट करता है कि मजार का निर्माण अवैध है। अदालत के इस निर्णय के बावजूद, प्रशासन ने अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। इसलिये साधु-संत समुदाय अविलंब कार्रवाई की मांग कर रहा है।

साधु-संतों की प्रतिक्रिया

मथुरा के साधु-संतों और हिंदू संगठनों ने इस विवाद को धर्म युद्ध का रूप दिया है। उनका कहना है कि वे मंदिर की पवित्रता को किसी भी हाल में भंग नहीं होने देंगे। साधु-संतों ने प्रशासन के साथ जाकर अवैध मजार को देखा और गर्भगृह के चबूतरे पर इसे देखकर आहत हुए। उनकी मांग है कि मजार को अविलंब हटाया जाए और बुलडोजर चलाकर इसे ध्वस्त किया जाए।

भविष्य की संभावनाएँ

यह विवाद धार्मिक और योग्यता आधारित आधार पर प्रशासन को कठोर कदम उठाने की चुनौती देता है। अगर प्रशासन ने जल्द ही कोई ठोस कार्रवाई नहीं की तो यह मामला और भी गरम हो सकता है। कोर्ट के आदेश के पालन और धार्मिक स्थलों की पवित्रता की रक्षा के लिये प्रशासन की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण है।

निष्कर्ष

मथुरा में ठाकुर बांके बिहारी महाराज के मंदिर में मजार का विवाद धार्मिक और सामाजिक स्तर पर चिंता का विषय बना हुआ है। साधु-संत समाज और हिंदू संगठन इस मसले को लेकर दृढ़ता से खड़े हैं और प्रशासन से अविलंब कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। समय की मांग है कि प्रशासन इस विवाद का शांतिपूर्ण और न्यायसंगत समाधान निकालकर स्थायी शांति सुनिश्चित करे।

वरुण भसीन, ज़ी मीडिया, मथुरा

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