मदरसों में अनियमितताओं का खुलासा
मध्य प्रदेश के रतलाम जिले से संचालित एक मदरसा विवादों में घिर गया है। यह विवाद तब सामने आया जब बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) की टीम ने इस मदरसे का औचक निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान कई गंभीर अनियमितताओं का पता चला, जिनकी चर्चा अब प्रदेश में ज़ोरों पर है। मदरसे में दी जाने वाली तालीम और वहां रह रही बच्चियों के सुविधा को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं। इस घटना ने दुनियाभर में मदरसों में दीनी तालीम के नाम पर होने वाली वृद्धियों और दुर्व्यवहार को लेकर एक गंभीर चिन्ता उठाई है।
हॉस्टल में बच्चियों की दुर्व्यवस्था
जांच के दौरान पाया गया कि मदरसे के हॉस्टल में करीब 100 बच्चियों को रखा गया था, जिनमें से आधे से ज्यादा बच्चियों का नाम किसी भी स्कूल में दर्ज नहीं था। मदरसे में बच्चियों को स्कूली शिक्षा नहीं दी जा रही थी। सिर्फ मुस्लिम तालीम देने का ही ध्यान रखा जा रहा था। हॉस्टल में हर जगह कैमरे लगाकर बच्चियों की निगरानी हो रही थी, यहां तक कि उनके सोने वाले कमरे में भी कैमरे लगाए गए थे। रेड के बाद कैमरों को हटा दिया गया, लेकिन यह तथ्य ही अपने आप में गंभीर है।
अधिकारियों का बयान
आयोग के साथ रेड में शामिल रतलाम की एडीएम शालिनी श्रीवास्तव ने मीडिया को बताया कि जहां क्लासरूम में तो कैमरे लगे थे लेकिन जहां बहुत सारी बच्चियां रहती थीं, वहां पहले कैमरे लगे थे। यह जानकारी मदरसा मैनेजमेंट ने दी। उन्होंने यह भी माना कि जांच के बाद इन कैमरों को निकाला गया है। एडीएम श्रीवास्तव ने यह भी बताया कि आयोग की टीम ने जहां-जहां अनियमितताएं पाईं, उन्होंने मौके पर ही उन सभी को ठीक कराने की प्रक्रिया शुरू कर दी।
मदरसे का पंजीकरण
जांच में यह भी पाया गया कि रतलाम से चलने वाला यह मदरसा मध्य प्रदेश मदरसा बोर्ड से पंजीकृत नहीं है। यह बड़ी चिंता की बात है कि ऐसा एक शिक्षा संस्थान बिना सरकारी मान्यता के ही चल रहा था। बाल संरक्षण आयोग की दबिश के बाद मदरसे में व्यवस्थाओं में कई बदलाव किए गए। इसके बाद मदरसा मैनेजमेंट ने बच्चों की पढ़ाई, दवाई और सुरक्षा का दावा किया है। आयोग और जिला प्रशासन की रिपोर्ट के अनुसार इस मदरसे पर कार्रवाई भी की जा सकती है।
विचलन का कारण
देशभर में मुस्लिम बच्चों की दीनी तालीम के नाम पर कई मदरसे खुल रहे हैं। इनमें से कई मदरसों की ज़मीनें सरकारी जमीनों पर कब्जा कर बनाई गई हैं। अधिकांश मदरसों में बच्चों के साथ दुर्व्यवहार, उन्हें बेसिक स्कूली शिक्षा न देने और सुविधाओं से वंचित करने की शिकायतें आम हैं। शासन के सख्त उपायों के बावजूद, इनको ठीक से मॉनिटर करना अभी भी एक चुनौतीपूर्ण कार्य है।
सरकारी सख्ती की आवश्यकता
देश में मोदी सरकार बनने के बाद से सरकार इन पर सख्त हो रही है। एनसीपीसीआर भी लगातार सुधार के लिए छापेमारी कर रहा है। इसमें निरंतरता बनाए रखने और इन संस्थानों की नियमित जांच के अलावा, सरकार को ठोस उपाय करने की आवश्यकता है ताकि बच्चों का भविष्य सुरक्षित रह सके। आज के समय में बच्चों की दीनी और स्कूली शिक्षा दोनों बराबर महत्वपूर्ण हैं और किसी भी प्रकार की अवहेलना नहीं होनी चाहिए।
भविष्य की संभावनाएं
मदरसों में हो रही अनियमितताओं के चलते भविष्य में इनके प्रबंधन में और भी कठोर कदम उठाए जा सकते हैं। सरकार और संबंधित संगठनों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि इन्हें उचित तरीके से पंजीकृत किया जाए और बच्चों की शिक्षा और सुरक्षा के मानकों का कड़ाई से पालन हो। मदरसों का उद्देश्य बच्चों को बेहतर शिक्षा देना है, लेकिन अगर यह उद्देश्य पूरा नहीं हो रहा है तो उन्हें सही दिशा में ले जाना आवश्यक है।
मदरसों की स्थिति को सुधारने और उन्हें नियमित करने के लिए सामूहिक प्रयास और कानूनी उपाय आवश्यक हैं। इससे बच्चों को सुरक्षित और उचित शिक्षा मिल सकेगी और उनका भविष्य संवारने में मदद मिलेगी। यह घटना एक महत्वपूर्ण चेतावनी है कि अब और देर नहीं करनी चाहिए और तत्काल कदम उठाने की आवश्यकता है।