### लोकसभा चुनावों की हार ने बढ़ाई मुश्किलें
महाराष्ट्र की राजनीतिक फिजाओं में भाजपा-शिवसेना-एनसीपी के महायुति गठबंधन का भविष्य एक जटिल मोड़ पर आ गया है। लोकसभा चुनावों में उम्मीदों के विपरीत परिणाम आने के बाद, राज्य की सियासत में बड़े बदलाव की अटकलें जोरों पर हैं। खासकर, अजित पवार की भूमिका और भविष्य को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं। भाजपा के आरएसएस से जुड़े मुखपत्र ‘ऑर्गनाइजर’ और ‘विवेक’ में प्रकाशित लेखों ने इस मुद्दे को और भी गर्म कर दिया है।
### एनसीपी (एसपी) का दावा
शरद पवार की पार्टी एनसीपी (एसपी) की ओर से दावा किया गया है कि भाजपा के इन लेखों के माध्यम से अजित पवार की पार्टी को महायुति से बाहर निकालने के संकेत दिए जा रहे हैं। एनसीपी (एसपी) के प्रवक्ता क्लाईड क्रास्टो ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद भाजपा को एहसास हो गया है कि अजित पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी के साथ गठबंधन को जारी रखने से उनकी संभावनाओं को नुकसान हो सकता है।”
### ‘विवेक’ का आलेख और उसकी प्रतिक्रिया
आरएसएस से जुड़े साप्ताहिक अखबार ‘विवेक’ ने मुंबई, कोंकण और पश्चिम महाराष्ट्र क्षेत्र में 200 से अधिक लोगों पर आधारित एक अनौपचारिक रायशुमारी प्रकाशित की। इसमें कहा गया है कि भाजपा और संगठन (संघ परिवार) के ज्यादातर लोग एनसीपी के साथ गठबंधन करने के खिलाफ हैं। 200 से अधिक उद्योगपतियों, व्यापारियों, चिकित्सकों, प्रोफेसरों और शिक्षकों से मिली प्रतिक्रियाओं में भाजपा-एनसीपी गठबंधन के प्रति असंतोष जाहिर हुआ है।
### अजित पवार की स्थिति
आरएसएस और भाजपा अंदरुनी स्तर पर भी अजित पवार की नेतृत्व क्षमता पर सवाल उठा रहे हैं। ‘विवेक’ में प्रकाशित लेख में जहां तत्कालीन हिंदुत्व के सूत्र के तहत शिवसेना के साथ भाजपा के गठबंधन को स्वाभाविक माना गया है, वहीं एनसीपी के साथ गठबंधन को अपेक्षित रूप से असफल करार दिया गया है। इसके बाद उनके खेमे में भगदड़ मची हुई है।
### शरद पवार का रुख
शरद पवार से जब अजित पवार के वापसी पर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा, “इस तरह के फैसले व्यक्तिगत स्तर पर नहीं लिए जा सकते। संकट के दौरान मेरे साथ खड़े सहयोगियों से पहले पूछना होगा।” शरद पवार ने यह भी संकेत दिया कि अजित पवार की पार्टी में वापसी के निर्णय के लिए सामूहिक निर्णय लेने की आवश्यकता होगी।
### विधानसभा चुनाव की तैयारी
बीजेपी महाराष्ट्र में आगामी विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुटी है। शरद पवार की पार्टी के प्रवक्ता क्रास्टो ने दावा किया कि अजित पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी के साथ गठबंधन आगामी चुनाव में भी भाजपा को नुकसान पहुंचा सकता है। इसीलिए भाजपा इन लेखों से खुद को अजित पवार से दूर करने की कोशिश कर रही है, ताकि महायुति से अलग कर सकें।
### लोकसभा चुनाव में प्रदर्शन
वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा की सीटें पिछले चुनाव से घटकर नौ हो गई हैं। वहीं, महायुति के गठबंधन सहयोगी एकनाथ शिंदे नीत शिवसेना को सात, जबकि अजित पवार नीत एनसीपी को एक सीट से संतोष करना पड़ा। दूसरी ओर, विपक्षी महा विकास आघाडी (एमवीए) ने 48 में से 30 सीट जीतकर अपने प्रदर्शन में सुधार किया है।
### जनता का मत
आरएसएस से जुड़े अखबार ‘विवेक’ में प्रकाशित रायशुमारी में जनता का रुख स्पष्ट था। एक-दूसरे से छोटी-मोटी शिकायतों के बावजूद हिंदुत्व के साझा सूत्र के चलते शिवसेना के साथ भाजपा के गठबंधन को हमेशा स्वाभाविक माना गया। किंतु एनसीपी के संघ में शामिल होने के बाद जनभावनाएं पूरी तरह से भाजपा के खिलाफ हो गईं।
### समापन
अजित पवार की राजनीतिक स्थिति, भाजपा-शिवसेना-एनसीपी के महायुति गठबंधन के भविष्य और शरद पवार की पार्टी की प्रतिक्रिया ने महाराष्ट्र की राजनीतिक फिजाओं में एक नई चर्चा को जन्म दे दिया है। ऐसा लगता है कि आगामी विधानसभा चुनाव ही इस महायुति गठबंधन की वास्तविकता को परिभाषित करेंगे। अब देखना ये है कि भाजपा क्या कदम उठाती है और अजित पवार की भूमिका क्या बनती है।
इस परिदृश्य में आने वाले दिनों में और भी स्पष्टता आ सकती है, लेकिन वर्तमान स्थिति में सब कुछ संभावनाओं के धुंधलके में है। राजनीति की इस उथल-पुथल में किसका पलड़ा भारी रहेगा, यह देखने वाली बात होगी।