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महाराष्ट्र न्यूज़: छगन भुजबल की शरद पवार से मुलाकात के बाद सियासी भूचाल की अटकलें

महाराष्ट्र की सियासत में नया भूचाल?

महाराष्ट्र की राजनीति में एक बार फिर हलचल मच चुकी है। राज्य के उपमुख्यमंत्री अजित पवार गुट के कुछ नाराज नेताओं के शरद पवार के साथ वापस जाने की अटकलों के बीच छगन भुजबल की शरद पवार से मुलाकात ने सियासी तापमान बढ़ा दिया है। इन अटकलों के बीच छगन भुजबल ने दावा किया कि उन्होंने मराठा आरक्षण के मुद्दे पर चर्चा करने के लिए शरद पवार से मुलाकात की थी। हालांकि, राजनीतिक गलियारों में इस मुलाकात के कई और मायने निकाले जा रहे हैं।

भुजबल का बयान

छगन भुजबल ने मीडिया से बात करते हुए कहा, “हां, मैं पवार साहब के घर पर गया था। उनसे मुलाकात का समय मैंने नहीं लिया था। उनकी तबीयत ठीक नहीं थी। डेढ़ घंटे के बाद उन्होंने बुलाया। वह बिस्तर पर ही लेटे थे। मैं उनके बगल में कुर्सी पर बैठ गया। उन्होंने पूछा कि क्यों आए हो। मैंने बताया कि राज्यभर में मराठा और ओबीसी में झगड़ा हो रहा है। एक कह रहा है कि उसके शादी में नहीं जाएंगे, कोई कह रहा है कि उसके होटल में नहीं जाएंगे। ऐसा ही रहा तो राज्य में आगजनी हो सकती है। जानें जा सकती हैं। मैंने उनसे कहा कि आप राज्य के सर्वश्रेष्ठ बुजुर्ग नेता हैं। अब ये सारे सवाल खड़े हुए तो आपको यह देखना चाहिए कि कैसे शांत होगा।”

मराठा आरक्षण पर चर्चा या कुछ और?

छगन भुजबल की शरद पवार से यह मुलाकात ऐसे समय पर हुई जब एक दिन पहले ही उन्होंने शरद पवार पर जोरदार हमला बोला था। भुजबल ने यह आरोप लगाया था कि महाराष्ट्र के मराठा आरक्षण के मुद्दे पर लोगों को भड़काने के पीछे शरद पवार का ही हाथ है। अब यह सवाल उठ रहा है कि क्या यह मुलाकात वास्तव में मराठा आरक्षण पर चर्चा के लिए थी या फिर इसे लेकर कोई और सियासी एजेंडा सामने आ सकता है।

अजित पवार गुट में असंतोष

मीडिया में पहले भी ये खबरें आ रही थीं कि छगन भुजबल उद्धव ठाकरे की पार्टी में शामिल हो सकते हैं। लेकिन भुजबल ने साफ कर दिया था कि वह एनसीपी के ही साथ हैं। इसके बावजूद भी अजित पवार गुट में असंतोष के सुर उभरते दिख रहे हैं। शरद पवार ने एनसीपी की स्थापना की थी, लेकिन कुछ महीने पहले उनके भतीजे अजित पवार ने बगावत कर पार्टी तोड़ दी थी। चुनाव आयोग ने भी अजित पवार के गुट को असली एनसीपी माना था। अब भुजबल की इस मुलाकात से नए समीकरण बन सकते हैं।

रैली में भुजबल के तेवर

एक दिन पहले ही महाराष्ट्र के मंत्री छगन भुजबल ने बारामती में आयोजित रैली में शरद पवार पर परोक्ष हमला किया था। भुजबल ने दावा किया कि विपक्षी महा विकास आघाडी (एमवीए) ने शाम पांच बजे बारामती से फोन आने के बाद नौ जुलाई को मराठा आरक्षण मुद्दे पर सर्वदलीय बैठक का बहिष्कार किया था। उनका कहना था कि शरद पवार जैसे वरिष्ठ नेता को ऐसे मौके पर बैठक में शामिल होना चाहिए और अपने सुझाव देने चाहिए थे।

सर्वदलीय बैठक का बहिष्कार

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने नौ जुलाई को सर्वदलीय बैठक बुलाई थी, लेकिन विपक्षी एमवीए ने उसमें हिस्सा नहीं लिया। एमवीए का दावा था कि मराठा आरक्षण के मुद्दे पर विपक्ष को विश्वास में नहीं लिया गया। भुजबल ने बारामती में कहा कि शाम पांच बजे बारामती से आए फोन के बाद विपक्षी नेता बैठक में नहीं आए।

शरद पवार का गढ़ और भविष्य के समीकरण

पुणे जिले का बारामती लोकसभा क्षेत्र राकांपा (एसपी) नेता शरद पवार का गढ़ माना जाता है। भुजबल ने कहा कि शरद पवार ने पूर्व प्रधानमंत्री दिवंगत वी पी सिंह द्वारा दिए गए आरक्षण को लागू किया था और इसके लिए वह हमेशा आभारी रहेंगे। लेकिन बारामती में मराठा, धनगर और ओबीसी समुदायों के हितों की अनदेखी करने के लिए विपक्ष पर निशाना साधा। उन्होंने सवाल उठाया कि उन समुदायों के हितों की रक्षा करना विपक्ष का कर्तव्य नहीं है?

सियासी अस्थिरता बढ़ने की संभावना

अब इस मुलाकात के बाद महाराष्ट्र की सियासी अस्थिरता बढ़ने की संभावनाओं को बल मिल सकता है। राजनीति के जानकार मानते हैं कि आने वाले दिनों में राज्य की राजनीति में बड़े बदलाव हो सकते हैं। शरद पवार और छगन भुजबल की इस मुलाकात से क्या नया सियासी समीकरण बनेगा, यह आने वाला समय ही बताएगा। फिलहाल, महाराष्ट्र की राजनीति में उठापटक और नई रणनीतियों का दौर जारी रहेगा।

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