भूमिका
महाराष्ट्र की राजनीति में आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर सरगर्मी तेज हो गई है। 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के खराब प्रदर्शन ने महाराष्ट्र के राजनीतिक परिदृश्य में हलचल मचा दी है। बीजेपी, अजय पवार की राकांपा और एकनाथ शिंदे की शिवसेना के महायुति गठबंधन के बावजूद, उम्मीदों के विपरीत परिणाम प्राप्त करने में विफल रही है।
सबसे अधिक वोट लेकिन फिर भी हार
महाराष्ट्र में, इस बार लोकसभा चुनाव में बीजेपी को सबसे ज्यादा वोट मिले, लेकिन फिर भी कांग्रेस और महा विकास अघाड़ी (एमवीए) से पार्टी पिछड़ गई। आरएसएस ने कमजोर प्रदर्शन के लिए परोक्ष रूप से अजित पवार की एनसीपी के साथ गठबंधन को जिम्मेदार ठहराया।
फडणवीस का मत
डिप्टी सीएम और बीजेपी के वरिष्ठ नेता देवेंद्र फडणवीस ने भी उसी नतीजे पर पहुंच कर अजित पवार की एनसीपी के साथ वोट को कम हस्तांतरण को भाजपा की हार का कारण बताया है। उन्होंने कहा कि भाजपा के ‘‘कोर मतदाताओं’’ को एनसीपी के साथ गठबंधन पसंद नहीं आया। हालाँकि, 80 प्रतिशत मतदाता इस प्रकार के ‘‘राजनीतिक समझौतों’’ की जरूरत को समझ गए हैं।
कम वोट अंतर के कारण
फडणवीस ने एक मीडिया कार्यक्रम में बताया कि बीजेपी का सबसे खराब प्रदर्शन इस बार के आम चुनावों में रहा। “28 सीटों पर चुनाव लड़ने के बावजूद हमें बहुत कम सीटें मिलीं। 12 सीटों पर हमें केवल 3 प्रतिशत से भी कम वोटों के अंतर से हार का सामना करना पड़ा। यह महत्वपूर्ण है कि हमें इस चुनाव में सबसे ज्यादा वोट मिले,” उन्होंने कहा।
महायुति गठबंधन की स्थिति
महायुति गठबंधन, जिसमें भाजपा, एनसीपी और मुख्यमंत्री शिंदे की शिवसेना शामिल है, केवल 17 सीटें जीत सका। भाजपा ने 9, शिवसेना ने 7, और राकांपा ने केवल 1 सीट जीती। फडणवीस ने इन दलों को नई पार्टियों की तरह बताया जो कि मूल रूप से अपने मतदाताओं का आधार तैयार कर रही थीं।
वोट ट्रांसफर की कठिनाई
पूर्व मुख्यमंत्री फडणवीस ने जोर देकर कहा कि शिवसेना के लिए अपने वोट भाजपा को हस्तांतरित करना आसान था क्योंकि दोनों पार्टियों का लंबे समय से गठबंधन था। एनसीपी के मामले में यह कठिन था, क्योंकि भाजपा ने हमेशा एनसीपी के खिलाफ चुनाव लड़ा है। अब, दोनों पार्टियों का मतदाता आधार तय हो चुका है।
अगामी विधानसभा चुनाव की तैयारी
फडणवीस ने बताया कि राज्य की 288 विधानसभा सीटों में से 80 प्रतिशत पर चर्चा पूरी हो चुकी है। “जीतने की क्षमता किसी भी तरह की धारणा पर ध्यान केंद्रित करने से अधिक महत्वपूर्ण है,” उन्होंने कहा। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव नवंबर में होने की संभावना है।
स्थिति में बदलाव की उम्मीद
बीजेपी को शिंदे की शिवसेना और अजित पवार की राकांपा से अधिक सीटें मिलीं, लेकिन यह गठबंधन अभी भी उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा। अब, बीजेपी राज्य विधानसभा चुनावों में इस विकल्प को नहीं दोहराना चाहती और एक बेहतर रणनीति के साथ मैदान में उतरेगी।
निष्कर्ष
महाराष्ट्र की राजनीति में आगामी विधानसभा चुनाव में क्या होगा, यह देखने लायक होगा। भाजपा के लिए अब चुनौती यह होगी कि वह अपने कोर मतदाताओं को एनसीपी के साथ गठबंधन में विश्वास बनाए रखे और अपने प्रदर्शन में सुधार करे। शिंदे और पवार की प्रतिक्रिया भी अहम होगी, क्योंकि यह गठबंधन उनके राजनीतिक भविष्य को भी प्रभावित करेगा।
(इनपुट: एजेंसी भाषा के साथ)