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मैंने कभी हिंदी का विरोध नहीं किया… तमिल-हिंदी विवाद पर अब क्या बोले पवन कल्याण


Pawan Kalyan on Hindi: तमिलनाडु से उपजा भाषा विवाद थमने का नाम ही नहीं ले रहा है. इसे लेकर केंद्र और राज्य सरकार आमने- सामने है. इस विवाद के बीच अभिनेता से नेता बने पवन कल्याण की भी एंट्री हो गई है. आंध्र प्रदेश के उपमुख्यमंत्री और जनसेना पार्टी के प्रमुख पवन कल्याण ने कहा था कि तमिलनाडु के नेता हिंदी भाषा का विरोध करते हैं लेकिन तमिल फिल्मों को हिंदी में डब कर मुनाफा कमाने से परहेज नहीं करते, जिसके बाद विवाद और बढ़ गया तो बयान जारी करते हुए कहा उन्होंने हिंदी भाषा का कभी विरोध नहीं किया.
उपजे विवाद के बीच किया ट्वीट
आंध्र प्रदेश के उपमुख्यमंत्री ने एक्स पर एक ट्वीट किया जिसमें लिखा कि किसी भाषा को जबरन थोपना या किसी भाषा का आंख मूंदकर विरोध करना; दोनों ही हमारे भारत के राष्ट्रीय और सांस्कृतिक एकीकरण के उद्देश्य को प्राप्त करने में मदद नहीं करते हैं. मैंने कभी भी हिंदी भाषा का विरोध नहीं किया. मैंने केवल इसे अनिवार्य बनाने का विरोध किया. जब NEP 2020 खुद हिंदी को लागू नहीं करता है, तो इसके लागू होने के बारे में गलत बयानबाजी करना जनता को गुमराह करने के अलावा और कुछ नहीं है. 
चुन सकते हैं भाषा
NEP 2020 के अनुसार, छात्रों को किसी भी दो भारतीय भाषाओं (अपनी मातृभाषा सहित) को एक विदेशी भाषा के साथ सीखने की सुविधा है. यदि वे हिंदी नहीं पढ़ना चाहते हैं, तो वे तेलुगु, तमिल, मलयालम, कन्नड़, मराठी, संस्कृत, गुजराती, असमिया, कश्मीरी, ओडिया, बंगाली, पंजाबी, सिंधी, बोडो, डोगरी, कोंकणी, मैथिली, मैतेई, नेपाली, संथाली, उर्दू या किसी अन्य भारतीय भाषा का विकल्प चुन सकते हैं.
 

समझ की कमी को दर्शाता है
बहु-भाषा नीति छात्रों को विकल्प के साथ सशक्त बनाने, राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने और भारत की समृद्ध भाषाई विविधता को संरक्षित करने के लिए बनाई गई है. राजनीतिक एजेंडे के लिए इस नीति की गलत व्याख्या करना और यह दावा करना कि पवन कल्याण ने अपना रुख बदल लिया है, यह समझ की कमी को ही दर्शाता है. जनसेना पार्टी हर भारतीय के लिए भाषाई स्वतंत्रता और शैक्षिक विकल्प के सिद्धांत पर दृढ़ता से खड़ी है. 
पहले दिया था ये बयान
इससे पहले पवन कल्याण ने अपनी पार्टी के स्थापना दिवस के मौके पर भाषण देते हुए कहा कि तमिलनाडु में हिंदी भाषा के थोपे जाने का विरोध किया जाता है. लेकिन वहीं के फिल्म निर्माता अपनी फिल्मों को हिंदी में डब कर मुनाफा कमाते हैं. अगर वे हिंदी नहीं चाहते तो बॉलीवुड से पैसा लेने में हिचक क्यों नहीं दिखाते? यह कौन सा तर्क है? उन्होंने यह भी कहा कि भारत की एकता के लिए तमिल सहित सभी भाषाओं की आवश्यकता है.
उपजे विवाद के बीच किया ट्वीट
आंध्र प्रदेश के उपमुख्यमंत्री ने एक्स पर एक ट्वीट किया जिसमें लिखा कि किसी भाषा को जबरन थोपना या किसी भाषा का आंख मूंदकर विरोध करना; दोनों ही हमारे भारत के राष्ट्रीय और सांस्कृतिक एकीकरण के उद्देश्य को प्राप्त करने में मदद नहीं करते हैं. मैंने कभी भी हिंदी भाषा का विरोध नहीं किया. मैंने केवल इसे अनिवार्य बनाने का विरोध किया. जब NEP 2020 खुद हिंदी को लागू नहीं करता है, तो इसके लागू होने के बारे में गलत बयानबाजी करना जनता को गुमराह करने के अलावा और कुछ नहीं है. 
चुन सकते हैं भाषा
NEP 2020 के अनुसार, छात्रों को किसी भी दो भारतीय भाषाओं (अपनी मातृभाषा सहित) को एक विदेशी भाषा के साथ सीखने की सुविधा है. यदि वे हिंदी नहीं पढ़ना चाहते हैं, तो वे तेलुगु, तमिल, मलयालम, कन्नड़, मराठी, संस्कृत, गुजराती, असमिया, कश्मीरी, ओडिया, बंगाली, पंजाबी, सिंधी, बोडो, डोगरी, कोंकणी, मैथिली, मैतेई, नेपाली, संथाली, उर्दू या किसी अन्य भारतीय भाषा का विकल्प चुन सकते हैं.
 

समझ की कमी को दर्शाता है
बहु-भाषा नीति छात्रों को विकल्प के साथ सशक्त बनाने, राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने और भारत की समृद्ध भाषाई विविधता को संरक्षित करने के लिए बनाई गई है. राजनीतिक एजेंडे के लिए इस नीति की गलत व्याख्या करना और यह दावा करना कि पवन कल्याण ने अपना रुख बदल लिया है, यह समझ की कमी को ही दर्शाता है. जनसेना पार्टी हर भारतीय के लिए भाषाई स्वतंत्रता और शैक्षिक विकल्प के सिद्धांत पर दृढ़ता से खड़ी है. 
पहले दिया था ये बयान
इससे पहले पवन कल्याण ने अपनी पार्टी के स्थापना दिवस के मौके पर भाषण देते हुए कहा कि तमिलनाडु में हिंदी भाषा के थोपे जाने का विरोध किया जाता है. लेकिन वहीं के फिल्म निर्माता अपनी फिल्मों को हिंदी में डब कर मुनाफा कमाते हैं. अगर वे हिंदी नहीं चाहते तो बॉलीवुड से पैसा लेने में हिचक क्यों नहीं दिखाते? यह कौन सा तर्क है? उन्होंने यह भी कहा कि भारत की एकता के लिए तमिल सहित सभी भाषाओं की आवश्यकता है.
चुन सकते हैं भाषा
NEP 2020 के अनुसार, छात्रों को किसी भी दो भारतीय भाषाओं (अपनी मातृभाषा सहित) को एक विदेशी भाषा के साथ सीखने की सुविधा है. यदि वे हिंदी नहीं पढ़ना चाहते हैं, तो वे तेलुगु, तमिल, मलयालम, कन्नड़, मराठी, संस्कृत, गुजराती, असमिया, कश्मीरी, ओडिया, बंगाली, पंजाबी, सिंधी, बोडो, डोगरी, कोंकणी, मैथिली, मैतेई, नेपाली, संथाली, उर्दू या किसी अन्य भारतीय भाषा का विकल्प चुन सकते हैं.
 

समझ की कमी को दर्शाता है
बहु-भाषा नीति छात्रों को विकल्प के साथ सशक्त बनाने, राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने और भारत की समृद्ध भाषाई विविधता को संरक्षित करने के लिए बनाई गई है. राजनीतिक एजेंडे के लिए इस नीति की गलत व्याख्या करना और यह दावा करना कि पवन कल्याण ने अपना रुख बदल लिया है, यह समझ की कमी को ही दर्शाता है. जनसेना पार्टी हर भारतीय के लिए भाषाई स्वतंत्रता और शैक्षिक विकल्प के सिद्धांत पर दृढ़ता से खड़ी है. 
पहले दिया था ये बयान
इससे पहले पवन कल्याण ने अपनी पार्टी के स्थापना दिवस के मौके पर भाषण देते हुए कहा कि तमिलनाडु में हिंदी भाषा के थोपे जाने का विरोध किया जाता है. लेकिन वहीं के फिल्म निर्माता अपनी फिल्मों को हिंदी में डब कर मुनाफा कमाते हैं. अगर वे हिंदी नहीं चाहते तो बॉलीवुड से पैसा लेने में हिचक क्यों नहीं दिखाते? यह कौन सा तर्क है? उन्होंने यह भी कहा कि भारत की एकता के लिए तमिल सहित सभी भाषाओं की आवश्यकता है.
समझ की कमी को दर्शाता है
बहु-भाषा नीति छात्रों को विकल्प के साथ सशक्त बनाने, राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने और भारत की समृद्ध भाषाई विविधता को संरक्षित करने के लिए बनाई गई है. राजनीतिक एजेंडे के लिए इस नीति की गलत व्याख्या करना और यह दावा करना कि पवन कल्याण ने अपना रुख बदल लिया है, यह समझ की कमी को ही दर्शाता है. जनसेना पार्टी हर भारतीय के लिए भाषाई स्वतंत्रता और शैक्षिक विकल्प के सिद्धांत पर दृढ़ता से खड़ी है. 
पहले दिया था ये बयान
इससे पहले पवन कल्याण ने अपनी पार्टी के स्थापना दिवस के मौके पर भाषण देते हुए कहा कि तमिलनाडु में हिंदी भाषा के थोपे जाने का विरोध किया जाता है. लेकिन वहीं के फिल्म निर्माता अपनी फिल्मों को हिंदी में डब कर मुनाफा कमाते हैं. अगर वे हिंदी नहीं चाहते तो बॉलीवुड से पैसा लेने में हिचक क्यों नहीं दिखाते? यह कौन सा तर्क है? उन्होंने यह भी कहा कि भारत की एकता के लिए तमिल सहित सभी भाषाओं की आवश्यकता है.
समझ की कमी को दर्शाता है
बहु-भाषा नीति छात्रों को विकल्प के साथ सशक्त बनाने, राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने और भारत की समृद्ध भाषाई विविधता को संरक्षित करने के लिए बनाई गई है. राजनीतिक एजेंडे के लिए इस नीति की गलत व्याख्या करना और यह दावा करना कि पवन कल्याण ने अपना रुख बदल लिया है, यह समझ की कमी को ही दर्शाता है. जनसेना पार्टी हर भारतीय के लिए भाषाई स्वतंत्रता और शैक्षिक विकल्प के सिद्धांत पर दृढ़ता से खड़ी है. 
पहले दिया था ये बयान
इससे पहले पवन कल्याण ने अपनी पार्टी के स्थापना दिवस के मौके पर भाषण देते हुए कहा कि तमिलनाडु में हिंदी भाषा के थोपे जाने का विरोध किया जाता है. लेकिन वहीं के फिल्म निर्माता अपनी फिल्मों को हिंदी में डब कर मुनाफा कमाते हैं. अगर वे हिंदी नहीं चाहते तो बॉलीवुड से पैसा लेने में हिचक क्यों नहीं दिखाते? यह कौन सा तर्क है? उन्होंने यह भी कहा कि भारत की एकता के लिए तमिल सहित सभी भाषाओं की आवश्यकता है.
पहले दिया था ये बयान
इससे पहले पवन कल्याण ने अपनी पार्टी के स्थापना दिवस के मौके पर भाषण देते हुए कहा कि तमिलनाडु में हिंदी भाषा के थोपे जाने का विरोध किया जाता है. लेकिन वहीं के फिल्म निर्माता अपनी फिल्मों को हिंदी में डब कर मुनाफा कमाते हैं. अगर वे हिंदी नहीं चाहते तो बॉलीवुड से पैसा लेने में हिचक क्यों नहीं दिखाते? यह कौन सा तर्क है? उन्होंने यह भी कहा कि भारत की एकता के लिए तमिल सहित सभी भाषाओं की आवश्यकता है.

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