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यूपी में BSP की चुनौतियाँ: अस्तित्व की लड़ाई कैसे जीतेगी पार्टी?

बीएसपी के नए संघर्ष का दौर

उत्तर प्रदेश की राजनीति में बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) का मिशन इस समय अपने अस्तित्व की रक्षा के लिए है। जहाँ हाल के वर्षों में राजनीति के मैदान में अन्य दलों ने अपनी पकड़ को मजबूत किया है, वहीं बीएसपी अब खुद को फिर से स्थापित करने की दिशा में साहसी कदम उठा रही है। पिछले लोकसभा चुनावों में समाजवादी पार्टी (सपा) के साथ गठबंधन में सफलता के बावजूद, इस बार की लोकसभा चुनावों में पार्टी को निराशाजनक प्रदर्शन के कारण आत्मनिरीक्षण की जरूरत महसूस हुई। मायावती, पार्टी की सुप्रीमो, इस स्थिति से निपटने के लिए बीएसपी में नई ऊर्जा फूंक रही हैं।

उपचुनावों में उतरने का नया प्रयास

बीएसपी ने इस बार यूपी में नौ सीटों के उपचुनावों में अकेले चुनाव लड़ने का निर्णय लिया है। इस रणनीति में पार्टी की उम्मीद है कि ये चुनाव उनमें नई जान डालेंगे। यह फैसला इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि बीएसपी आमतौर पर उपचुनावों से दूरी बना कर चलती आई है। लेकिन वर्तमान में उनके समक्ष कई सीटों पर पिछली जीत और पुराने जनाधार को पुनः हासिल करने की चुनौती है। विश्लेषण बताता है कि इन नौ सीटों में से कोई भी सीट पर बसपा का पिछला रिकॉर्ड खुला नहीं था, फिर भी पार्टी ने दृढ़ संकल्प दिखाते हुए इसमें हिस्सा लेने का निर्णय लिया।

चुनौतियाँ और संभावनाएँ

कटेहरी, मीरापुर, गाजियाबाद, कुंदरकी, सीसामऊ, करहल, मझवां, खैर, और फूलपुर इन नौ विधानसभा सीटों पर बीएसपी के प्रदर्शन का विश्लेषण पार्टी के लिए काफी मायने रखता है। वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक वीरेंद्र सिंह रावत के अनुसार, बीएसपी के लिए यह उपचुनाव एक बड़ा अवसर है। ये सीटें जातीय समीकरण के लिहाज से पार्टी के लिए अनुकूल हो सकती हैं। हालांकि, पार्टी के सामने नेतृत्व संकट अब भी बरकरार है।

कैसा रहा है बीएसपी का ट्रैक रिकॉर्ड?

बीते वर्षों में मझवां, मीरापुर और कटेहरी जैसी सीटों पर बीएसपी का प्रदर्शन बेहतर रहा है। फिर भी, वर्तमान स्थिति में लगातार हार के सिलसिले ने पार्टी की स्थिति कमजोर कर दी है। इस बार पार्टी को मत प्रतिशत में सुधार कर अपनी जनाधार साबित करनी होगी। इसके अलावा, दलित वोटरों की सहानुभूति और समर्थन वापस पाने के लिए यह चुनाव पार्टी के लिए निर्णायक हो सकते हैं।

चुनावी तैयारियों की नई रणनीति

बीएसपी के प्रदेश अध्यक्ष विश्वनाथ पाल का कहना है कि पार्टी अकेले दम पर उपचुनाव में अपनी ताकत आजमाने जा रही है। इसमें सफलता पाने के लिए पार्टी ने विभिन्न क्षेत्रों में जनसभाएं और चौपालों को आयोजित करना शुरू कर दिया है। बसपा सुप्रीमो मायावती ने पार्टी के कार्यकर्ताओं और कोऑर्डिनेटरों को अपने क्षेत्रों में सक्रिय रूप से काम करने का निर्देश दिया है।

आगे का रास्ता और घोषणा

यूपी में निर्वाचन आयोग के कार्यक्रम के अनुसार, 18 अक्टूबर को अधिसूचना जारी होने के साथ ही नामांकन प्रक्रिया शुरू हो जाएगी और 25 अक्टूबर नामांकन की अंतिम तिथि है। 13 नवंबर को मतदान और 23 नवंबर को मतगणना की जाएगी। ऐसे में बीएसपी को हर संभव तैयारी करनी होगी ताकि वे अपने पुराने जनाधार को वापिस हासिल कर सकें।

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