कोर्ट-कचहरी के चक्कर में फंसे भगवान कुबेर
अयोध्या में रामलला के टेंट में रहने से लोगों को याद होगा कि कैसी कठिनाइयां आस्था की राह में आ सकती हैं। ऐसा ही एक विचित्र मामला झारखंड के पलामू में देखा जा रहा है। यहां धन के देवता भगवान कुबेर को पिछले 38 वर्षों से थाने में बंद रखा गया है। हम आपको इस अनोखे और दुखद घटना के बारे में बताएंगे। ये कहानी है न केवल पुलिस और न्याय प्रणाली की लापरवाही की, बल्कि हमें सोचने पर मजबूर करने वाली भी है कि कैसे आस्था और न्याय कहीं-न-कहीं अटक सकते हैं।
पंचमुखी मंदिर की कहानी
पलामू के विश्रामपुर गांव में स्थित पंचमुखी मंदिर का निर्माण 152 वर्ष पूर्व 1872 में विश्रामपुर के राज परिवार ने करवाया था। यहां भगवान कुबेर और उनके द्वारपाल जय और विजय की मूर्तियां स्थापित की गईं थीं। यह मंदिर और यहां स्थापित भगवान कुबेर के प्रति श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है।
मूर्ति चोरी और भगवान की कैद
वर्ष 1986 की एक रात भगवान कुबेर और जय- विजय की मूर्ति चोरी हो गईं। फिर 1991 में एक और चोरी की घटना घटी और भगवान के दूसरे द्वारपाल की मूर्ति भी चोरी कर ली गई। पुलिस ने आरोपियों को पकड़ने में कामयाबी हासिल की और मूर्तियां बरामद कर लीं, परन्तु भगवान कुबेर और उनके द्वारपालों की मूर्तियां आज भी विश्रामपुर थाने के मालखाने में बंद हैं और उनकी रिहाई का इंतजार कर रही हैं।
पुजारी का संघर्ष और कोर्ट केस
पंचमुखी मंदिर के पुजारी अच्युतानंद पांडे ने बताया कि वह मूर्ति की रिहाइ के लिए 14 बार कोर्ट गए लेकिन हर बार न्याय की प्रक्रिया में निराशा मिली। कोर्ट में यह जिरह हुई कि पुजारी वास्तविक हैं या नहीं। जजों ने आग्रहों के बावजूद दस्तावेज़ी प्रमाण को आवश्यक ठहराया और पुलिस की रिपोर्ट्स पर कार्रवाई की दिशा निर्देश दिए।
पुलिस की लापरवाही
भगवान कुबेर की रिहाई का केस पुलिस की लापरवाही और जल चुके दस्तावेज़ों के कारण फंसा हुआ है। पुलिस का कहना है कि मूर्ति चोरी और बरामदगी से जुड़े कागजात जल चुके हैं जिसके कारण मूर्ति को थाने से निकाल पाना संभव नहीं हो पा रहा है। यह स्थिति इतनी गंभीर है कि आजतक भगवान कुबेर अपनी मूल जगह, मंदिर में लौटने के बजाय थाना मालखाने में कैद हैं।
श्रद्धालुओं की उम्मीदें
पलामू के पंचमुखी मंदिर के श्रद्धालु भगवान कुबेर की रिहाई के लिए पूर्णतः न्याय प्रणाली पर निर्भर हैं। मंदिर के पुजारी और श्रद्धालु सभी यही उम्मीद कर रहे हैं कि उनके भगवान जल्द से जल्द पुलिस की कैद से मुक्त होकर मंदिर लौट आएं। आम जनता को भी न्याय प्रणाली और पुलिस की खामियों का खामियाजा भुगतना पड़ता है, लेकिन यहां मामला तो भगवान का है, जिनकी मूर्तियां थाने में बंद हैं।
न्याय की आस और सिस्टम की त्रुटियाँ
यह विडंबना है कि भगवान खुद सिस्टम का शिकार होकर 38 सालों से कैद हैं। पुलिस ने मूर्तियों को बरामद तो कर लिया लेकिन महत्वपूर्ण रिलीज़ पेपर ही खो दिए, जो भगवान को मुक्त कराने के लिए आवश्यक थे। अब भक्तों को न्याय के मंदिर यानी कोर्ट पर भरोसा है। कोर्ट से रिलीज़ ऑर्डर आने पर ही भगवान कुबेर को थाने से मुक्ति मिल सकती है।
अंत में…
यह दुखद घटना ना सिर्फ हमारे न्याय प्रणाली की कमजोरी को दर्शाती है, बल्कि हमारे विश्वास और आस्था को भी हिला देती है। क्या वाकई में ऐसा होना चाहिये? भगवान कुबेर, जो धन के देवता माने जाते हैं, उनकी मूर्ति कोर्ट-कचहरी की लापरवाही और पुलिस की अनदेखी की वजह से 38 सालों से कैद है। हमें आशा है कि न्याय का मंदिर उन्हें जल्द ही मुक्ति दिलाएगा। भावपूर्ण श्रद्धालु और पुजारियों की दुआएं और उनके अथक प्रयास अवश्य एक दिन सफल होंगे और भगवान कुबेर अपने वास्तविक स्थान पर वापस लौटेंगे।