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लद्दाख में चीन की सुरंग निर्माण: एशियाई सुरक्षा के लिए खतरा?

चीन ने लद्दाख में सुरंग निर्माण परियोजना पूरी की

लद्दाख में चीन के सुरंग निर्माण ने एक बार फिर से क्षेत्रीय सुरक्षा के मुद्दे को तूल दे दी है। यह सुरंग वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के पास स्थित है और चीन की सेना को लद्दाख के भीतर और बाहर तेजी से ट्रूप्स की आवाजाही की अनुमति देती है। इस नई निर्माण परियोजना ने भारतीय सुरक्षा के लिहाज से कई सवाल खड़े कर दिए हैं।

एनडीटीवी की रिपोर्ट: हाई-रिज़ॉल्यूशन सैटेलाइट तस्वीरें और निष्कर्ष

एनडीटीवी ने अपनी रिपोर्ट में जनवरी 2023 में चीन की इस सुरंग की हाई-रिज़ॉल्यूशन इमेज प्रकाशित की। इन तस्वीरों में साफ तौर पर सुरंग का ब्लैक-टॉप हिस्सा और उसके ऊपर हल्के मोटर वाहनों की आवाजाही देखी जा सकती है। इसका अर्थ यह है कि पूर्वी लद्दाख में चीन का मिलिट्री इंफ्रास्ट्रक्चर धीरे-धीरे मजबूत हो रहा है।

सैटेलाइट इमेजरी एक्सपर्ट और रिसर्चर डेमियन साइमन की राय

इंटेल लैब के सैटेलाइट इमेजरी एक्सपर्ट और रिसर्चर डेमियन साइमन ने इस परियोजना के बारे में कहा, “लद्दाख में बनाई गई नई सुरंग चीनी सेना को तेजी से ट्रूप्स की तैनाती के लिए एक सीधा, छोटा और सुरक्षित मार्ग प्रदान करती है। पहले, पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) को इन संघर्ष क्षेत्रों तक पहुँचने के लिए लंबे और कठिन रास्तों से गुजरना पड़ता था।”

सुरंग के निर्माण से आवाजाही में सुधार

जानकारों का मानना है कि इस सुरंग के निर्माण से लद्दाख में चीनी सेनाओं की ट्रूप्स स्थानांतरण की दूरी में 50-100 किलोमीटर की कमी आएगी, जिसका तात्पर्य है कि यात्रा समय में भी घंटों की कमी होगी। यह सुरंग चीन की सेनाओं को लद्दाख के विभिन्न संघर्ष क्षेत्रों के बीच जल्दी से आवाजाही करने में सक्षम बनाएगी।

भारत का कड़ा विरोध

भारत के विदेश मंत्रालय ने इस स्थिति पर स्पष्ट रुख अपनाया है। मंत्रालय ने कहा कि “यह सुरंग उन क्षेत्रों में बनाई जा रही है जिन्हें चीन ने 1962 के युद्ध के दौरान अवैध रूप से कब्जा कर लिया था। भारत ने कभी इस अवैध कब्जे को स्वीकार नहीं किया है।” नई सैटेलाइट इमेज से यह भी खुलासा होता है कि सुरंग के दोनों छोर पर चीनी सैनिक तैनात हैं।

भारत और चीन के बीच तनाव

भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तनाव कोई नई बात नहीं है। मई 2020 में गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प में 20 भारतीय सैनिकों की मौत हो गई थी। चीन ने भी इस झड़प में अपने चार सैनिकों के मारे जाने का दावा किया, जबकि जांच रिपोर्ट में यह पाया गया कि चीन के करीब 40 सैनिक मारे गए थे।

भारत की प्रतिक्रिया: बुनियादी ढांचे का विकास

चीन के साथ झड़प के बाद से भारत ने लद्दाख में अपने बुनियादी ढांचे के विकास को तेज कर दिया है। इसके तहत हर मौसम में सैनिकों और उपकरणों की प्रेम-वाहन पहुँच सुनिश्चित करने के लिए सुरंगों का निर्माण किया जा रहा है। अकेले 2021 में, भारत ने लद्दाख में 87 पुलों का निर्माण किया। 2022 में, सरकार ने चीन की सीमा पर बुनियादी ढांचे के विकास के लिए 2,000 करोड़ रुपये से अधिक राशि आवंटित की।

अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत और चीन

अंतरराष्ट्रीय मंच पर चीन की गतिविधियों का भी भारत पर प्रभाव पड़ता है। चीन का बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) भारत के लिए चिंता का सबब बना हुआ है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मुद्दे को विभिन्न अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों में उठाया है।

अरुणाचल प्रदेश में भी इंफ्रास्ट्रक्चर निर्माण

अरुणाचल प्रदेश में भी भारतीय सैन्य इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत किया जा रहा है। नए रास्ते, सुरंगें और पुल बनाए जा रहे हैं ताकि इस क्षेत्र में भारतीय सैनिकों की स्थिति अधिक मजबूत हो सके। यह सभी निर्माण परियोजनाएं भारतीय सुरक्षा के लिहाज से अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।

एनालिस्ट्स और सुरक्षा विशेषज्ञों की चेतावनी

सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि चीन का यह सुरंग निर्माण भारत के लिए भविष्य में बड़ी चुनौतियां पैदा कर सकता है। एनालिस्ट्स का मानना है कि चीन की यह गतिविधि उसकी सहयोगी राष्ट्रों पर दबाव बनाने की रणनीति का हिस्सा है।

क्षेत्रीय सुरक्षा की दिशा में आगे की राह

भारत को अपनी सुरक्षा और सामरिक दृष्टिकोण को और भी सुदृढ़ बनाने की आवश्यकता है। इसके लिए आवश्यक है कि भारत अपनी सैन्य क्षमता और बुनियादी ढांचे को लगातार मजबूत करे। साथ ही, अंतरराष्ट्रीय मंच पर चीन की गतिविधियों पर सावधानीपूर्वक नजर रखी जानी चाहिए।

इस प्रकार, चीन का लद्दाख में सुरंग निर्माण न केवल भारत के लिए बल्कि पूरे एशियाई क्षेत्र के लिए सुरक्षा का एक महत्वपूर्ण मुद्दा बना हुआ है। भारत को इस दिशा में और भी सक्रियता से कदम उठाने की आवश्यकता है।

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