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वकीलों के विरोध के बाद भी कॉलेजियम ने की सिफारिश जस्टिस यशवंत वर्मा जाएंगे इलाहाबाद हाईकोर्ट!


Justice Yashwant Varma: सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम ने दिल्ली हाईकोर्ट के जज यशवंत वर्मा को बड़ी राहत दी है. वकीलों के भारी विरोध के बावजूद भी उनके इलाहाबाद हाईकोर्ट जाने का रास्ता साफ हो गया है. सीजेआई संजीव खन्ना ( CJI Sanjiv Khanna ) की अगुआई वाली सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने सोमवार को केंद्र से जस्टिस यशवंत वर्मा को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ( Allahabad High Court ) में वापस भेजने की सिफारिश की.
दिल्ली हाईकोर्ट के दूसरे सबसे सीनियर जस्टिस वर्मा के बंगले में कथित तौर पर जली हुई नकदी का एक बड़ा ढेर पाया गया था. 14 मार्च को आग बुझाने के लिए फायर ब्रिगेड की टीम वहां गई थी, तब बड़ी मात्रा में नकदी म‍िली थी. इसके बाद से ही जस्टिस वर्मा  विवादों में हैं. न्यायिक गलियारों में खलबली मचा देने वाली इस घटना के बाद, चीफ जस्टिस खन्ना ने शुक्रवार को मामले की जांच के लिए तीन मेंबरों वाली एक कमेटी गठित की और दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से कहा कि फिलहाल जस्टिस वर्मा कोई न्यायिक काम न सौंपा जाए.
इससे पहले दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डी.के. उपाध्याय ने अगले आदेश तक जस्टिस वर्मा से न्यायिक कार्य वापस ले लिया था. कोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड एक नोटिस में कहा गया है, ‘हाल की घटनाओं के मद्देनजर, न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा से न्यायिक कार्य तत्काल प्रभाव से अगले आदेश तक वापस ले लिया गया है.’
‘कॉलेजियम ने 20-24 मार्च को हुई बैठकों में की ये सिफारिश’
दिल्ली हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार (लिस्टिंग) द्वारा जारी एक अन्य नोटिस में कहा गया है, ‘माननीय डीबी-III के कोर्ट मास्टर आज डीबी-III के समक्ष लिस्टेड मामले में तारीखें देंगे.’ वहीं, सोमवार को सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड किए गए एक बयान में कहा गया, ‘सर्वोच्च न्यायालय कॉलेजियम ने 20 और 24 मार्च को हुई अपनी बैठकों में दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा को इलाहाबाद हाईकोर्ट में वापस भेजने की सिफारिश की है.’
सुप्रीम कोर्ट ने एक प्रेस बयान में कहा था
इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि जस्टिस वर्मा को उनके मूल हाईकोर्ट यानी इलाहाबाद उच्च न्यायालय में स्थानांतरित करने का प्रस्ताव ‘स्वतंत्र और इन-हाउस जांच प्रक्रिया से अलग’ है. सुप्रीम कोर्ट ने एक प्रेस बयान में कहा था, ‘इस प्रस्ताव की 20 मार्च को भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) और सर्वोच्च न्यायालय के चार वरिष्ठतम न्यायाधीशों वाले कॉलेजियम द्वारा जांच की गई थी और उसके बाद सुप्रीम कोर्ट के परामर्शदात्री न्यायाधीशों, संबंधित उच्च न्यायालयों के चीफ जस्टिस और न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा को लेटर लिखे गए थे. प्राप्त प्रतिक्रियाओं की जांच की जाएगी और उसके बाद कॉलेजियम एक प्रस्ताव पारित करेगा.’
क्या कहता है नियम?
मौजूदा प्रक्रिया ज्ञापन (MOC) के मुताबिक, हाईकोर्ट के न्यायाधीशों के ट्रान्सफर का प्रस्ताव भारत के चीफ जस्टिस द्वारा सर्वोच्च न्यायालय के चार वरिष्ठतम न्यायाधीशों, जिन्हें आमतौर पर कॉलेजियम के रूप में जाना जाता है, के काउंसलिंग से शुरू किया जाता है.
एमओपी में आगे यह भी प्रावधान किया गया है कि चीफ  से यह भी अपेक्षा की जाती है कि वे उस हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के विचारों को ध्यान में रखें, जहां से न्यायाधीश को ट्रान्सफर किया जाना है, और उस उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के विचारों को भी ध्यान में रखें, जहां ट्रान्सफर किया जाना है, इसके अलावा वे सुप्रीम कोर्ट के एक या अधिक न्यायाधीशों के विचारों को भी ध्यान में रखेंगे, जो विचार प्रस्तुत करने की स्थिति में हों.
इनपुट- IANS
दिल्ली हाईकोर्ट के दूसरे सबसे सीनियर जस्टिस वर्मा के बंगले में कथित तौर पर जली हुई नकदी का एक बड़ा ढेर पाया गया था. 14 मार्च को आग बुझाने के लिए फायर ब्रिगेड की टीम वहां गई थी, तब बड़ी मात्रा में नकदी म‍िली थी. इसके बाद से ही जस्टिस वर्मा  विवादों में हैं. न्यायिक गलियारों में खलबली मचा देने वाली इस घटना के बाद, चीफ जस्टिस खन्ना ने शुक्रवार को मामले की जांच के लिए तीन मेंबरों वाली एक कमेटी गठित की और दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से कहा कि फिलहाल जस्टिस वर्मा कोई न्यायिक काम न सौंपा जाए.
इससे पहले दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डी.के. उपाध्याय ने अगले आदेश तक जस्टिस वर्मा से न्यायिक कार्य वापस ले लिया था. कोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड एक नोटिस में कहा गया है, ‘हाल की घटनाओं के मद्देनजर, न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा से न्यायिक कार्य तत्काल प्रभाव से अगले आदेश तक वापस ले लिया गया है.’
‘कॉलेजियम ने 20-24 मार्च को हुई बैठकों में की ये सिफारिश’
दिल्ली हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार (लिस्टिंग) द्वारा जारी एक अन्य नोटिस में कहा गया है, ‘माननीय डीबी-III के कोर्ट मास्टर आज डीबी-III के समक्ष लिस्टेड मामले में तारीखें देंगे.’ वहीं, सोमवार को सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड किए गए एक बयान में कहा गया, ‘सर्वोच्च न्यायालय कॉलेजियम ने 20 और 24 मार्च को हुई अपनी बैठकों में दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा को इलाहाबाद हाईकोर्ट में वापस भेजने की सिफारिश की है.’
सुप्रीम कोर्ट ने एक प्रेस बयान में कहा था
इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि जस्टिस वर्मा को उनके मूल हाईकोर्ट यानी इलाहाबाद उच्च न्यायालय में स्थानांतरित करने का प्रस्ताव ‘स्वतंत्र और इन-हाउस जांच प्रक्रिया से अलग’ है. सुप्रीम कोर्ट ने एक प्रेस बयान में कहा था, ‘इस प्रस्ताव की 20 मार्च को भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) और सर्वोच्च न्यायालय के चार वरिष्ठतम न्यायाधीशों वाले कॉलेजियम द्वारा जांच की गई थी और उसके बाद सुप्रीम कोर्ट के परामर्शदात्री न्यायाधीशों, संबंधित उच्च न्यायालयों के चीफ जस्टिस और न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा को लेटर लिखे गए थे. प्राप्त प्रतिक्रियाओं की जांच की जाएगी और उसके बाद कॉलेजियम एक प्रस्ताव पारित करेगा.’
क्या कहता है नियम?
मौजूदा प्रक्रिया ज्ञापन (MOC) के मुताबिक, हाईकोर्ट के न्यायाधीशों के ट्रान्सफर का प्रस्ताव भारत के चीफ जस्टिस द्वारा सर्वोच्च न्यायालय के चार वरिष्ठतम न्यायाधीशों, जिन्हें आमतौर पर कॉलेजियम के रूप में जाना जाता है, के काउंसलिंग से शुरू किया जाता है.
एमओपी में आगे यह भी प्रावधान किया गया है कि चीफ  से यह भी अपेक्षा की जाती है कि वे उस हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के विचारों को ध्यान में रखें, जहां से न्यायाधीश को ट्रान्सफर किया जाना है, और उस उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के विचारों को भी ध्यान में रखें, जहां ट्रान्सफर किया जाना है, इसके अलावा वे सुप्रीम कोर्ट के एक या अधिक न्यायाधीशों के विचारों को भी ध्यान में रखेंगे, जो विचार प्रस्तुत करने की स्थिति में हों.
इनपुट- IANS
इससे पहले दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डी.के. उपाध्याय ने अगले आदेश तक जस्टिस वर्मा से न्यायिक कार्य वापस ले लिया था. कोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड एक नोटिस में कहा गया है, ‘हाल की घटनाओं के मद्देनजर, न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा से न्यायिक कार्य तत्काल प्रभाव से अगले आदेश तक वापस ले लिया गया है.’
‘कॉलेजियम ने 20-24 मार्च को हुई बैठकों में की ये सिफारिश’
दिल्ली हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार (लिस्टिंग) द्वारा जारी एक अन्य नोटिस में कहा गया है, ‘माननीय डीबी-III के कोर्ट मास्टर आज डीबी-III के समक्ष लिस्टेड मामले में तारीखें देंगे.’ वहीं, सोमवार को सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड किए गए एक बयान में कहा गया, ‘सर्वोच्च न्यायालय कॉलेजियम ने 20 और 24 मार्च को हुई अपनी बैठकों में दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा को इलाहाबाद हाईकोर्ट में वापस भेजने की सिफारिश की है.’
सुप्रीम कोर्ट ने एक प्रेस बयान में कहा था
इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि जस्टिस वर्मा को उनके मूल हाईकोर्ट यानी इलाहाबाद उच्च न्यायालय में स्थानांतरित करने का प्रस्ताव ‘स्वतंत्र और इन-हाउस जांच प्रक्रिया से अलग’ है. सुप्रीम कोर्ट ने एक प्रेस बयान में कहा था, ‘इस प्रस्ताव की 20 मार्च को भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) और सर्वोच्च न्यायालय के चार वरिष्ठतम न्यायाधीशों वाले कॉलेजियम द्वारा जांच की गई थी और उसके बाद सुप्रीम कोर्ट के परामर्शदात्री न्यायाधीशों, संबंधित उच्च न्यायालयों के चीफ जस्टिस और न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा को लेटर लिखे गए थे. प्राप्त प्रतिक्रियाओं की जांच की जाएगी और उसके बाद कॉलेजियम एक प्रस्ताव पारित करेगा.’
क्या कहता है नियम?
मौजूदा प्रक्रिया ज्ञापन (MOC) के मुताबिक, हाईकोर्ट के न्यायाधीशों के ट्रान्सफर का प्रस्ताव भारत के चीफ जस्टिस द्वारा सर्वोच्च न्यायालय के चार वरिष्ठतम न्यायाधीशों, जिन्हें आमतौर पर कॉलेजियम के रूप में जाना जाता है, के काउंसलिंग से शुरू किया जाता है.
एमओपी में आगे यह भी प्रावधान किया गया है कि चीफ  से यह भी अपेक्षा की जाती है कि वे उस हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के विचारों को ध्यान में रखें, जहां से न्यायाधीश को ट्रान्सफर किया जाना है, और उस उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के विचारों को भी ध्यान में रखें, जहां ट्रान्सफर किया जाना है, इसके अलावा वे सुप्रीम कोर्ट के एक या अधिक न्यायाधीशों के विचारों को भी ध्यान में रखेंगे, जो विचार प्रस्तुत करने की स्थिति में हों.
इनपुट- IANS
‘कॉलेजियम ने 20-24 मार्च को हुई बैठकों में की ये सिफारिश’
दिल्ली हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार (लिस्टिंग) द्वारा जारी एक अन्य नोटिस में कहा गया है, ‘माननीय डीबी-III के कोर्ट मास्टर आज डीबी-III के समक्ष लिस्टेड मामले में तारीखें देंगे.’ वहीं, सोमवार को सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड किए गए एक बयान में कहा गया, ‘सर्वोच्च न्यायालय कॉलेजियम ने 20 और 24 मार्च को हुई अपनी बैठकों में दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा को इलाहाबाद हाईकोर्ट में वापस भेजने की सिफारिश की है.’
सुप्रीम कोर्ट ने एक प्रेस बयान में कहा था
इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि जस्टिस वर्मा को उनके मूल हाईकोर्ट यानी इलाहाबाद उच्च न्यायालय में स्थानांतरित करने का प्रस्ताव ‘स्वतंत्र और इन-हाउस जांच प्रक्रिया से अलग’ है. सुप्रीम कोर्ट ने एक प्रेस बयान में कहा था, ‘इस प्रस्ताव की 20 मार्च को भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) और सर्वोच्च न्यायालय के चार वरिष्ठतम न्यायाधीशों वाले कॉलेजियम द्वारा जांच की गई थी और उसके बाद सुप्रीम कोर्ट के परामर्शदात्री न्यायाधीशों, संबंधित उच्च न्यायालयों के चीफ जस्टिस और न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा को लेटर लिखे गए थे. प्राप्त प्रतिक्रियाओं की जांच की जाएगी और उसके बाद कॉलेजियम एक प्रस्ताव पारित करेगा.’
क्या कहता है नियम?
मौजूदा प्रक्रिया ज्ञापन (MOC) के मुताबिक, हाईकोर्ट के न्यायाधीशों के ट्रान्सफर का प्रस्ताव भारत के चीफ जस्टिस द्वारा सर्वोच्च न्यायालय के चार वरिष्ठतम न्यायाधीशों, जिन्हें आमतौर पर कॉलेजियम के रूप में जाना जाता है, के काउंसलिंग से शुरू किया जाता है.
एमओपी में आगे यह भी प्रावधान किया गया है कि चीफ  से यह भी अपेक्षा की जाती है कि वे उस हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के विचारों को ध्यान में रखें, जहां से न्यायाधीश को ट्रान्सफर किया जाना है, और उस उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के विचारों को भी ध्यान में रखें, जहां ट्रान्सफर किया जाना है, इसके अलावा वे सुप्रीम कोर्ट के एक या अधिक न्यायाधीशों के विचारों को भी ध्यान में रखेंगे, जो विचार प्रस्तुत करने की स्थिति में हों.
इनपुट- IANS
सुप्रीम कोर्ट ने एक प्रेस बयान में कहा था
इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि जस्टिस वर्मा को उनके मूल हाईकोर्ट यानी इलाहाबाद उच्च न्यायालय में स्थानांतरित करने का प्रस्ताव ‘स्वतंत्र और इन-हाउस जांच प्रक्रिया से अलग’ है. सुप्रीम कोर्ट ने एक प्रेस बयान में कहा था, ‘इस प्रस्ताव की 20 मार्च को भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) और सर्वोच्च न्यायालय के चार वरिष्ठतम न्यायाधीशों वाले कॉलेजियम द्वारा जांच की गई थी और उसके बाद सुप्रीम कोर्ट के परामर्शदात्री न्यायाधीशों, संबंधित उच्च न्यायालयों के चीफ जस्टिस और न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा को लेटर लिखे गए थे. प्राप्त प्रतिक्रियाओं की जांच की जाएगी और उसके बाद कॉलेजियम एक प्रस्ताव पारित करेगा.’
क्या कहता है नियम?
मौजूदा प्रक्रिया ज्ञापन (MOC) के मुताबिक, हाईकोर्ट के न्यायाधीशों के ट्रान्सफर का प्रस्ताव भारत के चीफ जस्टिस द्वारा सर्वोच्च न्यायालय के चार वरिष्ठतम न्यायाधीशों, जिन्हें आमतौर पर कॉलेजियम के रूप में जाना जाता है, के काउंसलिंग से शुरू किया जाता है.
एमओपी में आगे यह भी प्रावधान किया गया है कि चीफ  से यह भी अपेक्षा की जाती है कि वे उस हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के विचारों को ध्यान में रखें, जहां से न्यायाधीश को ट्रान्सफर किया जाना है, और उस उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के विचारों को भी ध्यान में रखें, जहां ट्रान्सफर किया जाना है, इसके अलावा वे सुप्रीम कोर्ट के एक या अधिक न्यायाधीशों के विचारों को भी ध्यान में रखेंगे, जो विचार प्रस्तुत करने की स्थिति में हों.
इनपुट- IANS
क्या कहता है नियम?
मौजूदा प्रक्रिया ज्ञापन (MOC) के मुताबिक, हाईकोर्ट के न्यायाधीशों के ट्रान्सफर का प्रस्ताव भारत के चीफ जस्टिस द्वारा सर्वोच्च न्यायालय के चार वरिष्ठतम न्यायाधीशों, जिन्हें आमतौर पर कॉलेजियम के रूप में जाना जाता है, के काउंसलिंग से शुरू किया जाता है.
एमओपी में आगे यह भी प्रावधान किया गया है कि चीफ  से यह भी अपेक्षा की जाती है कि वे उस हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के विचारों को ध्यान में रखें, जहां से न्यायाधीश को ट्रान्सफर किया जाना है, और उस उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के विचारों को भी ध्यान में रखें, जहां ट्रान्सफर किया जाना है, इसके अलावा वे सुप्रीम कोर्ट के एक या अधिक न्यायाधीशों के विचारों को भी ध्यान में रखेंगे, जो विचार प्रस्तुत करने की स्थिति में हों.
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एमओपी में आगे यह भी प्रावधान किया गया है कि चीफ  से यह भी अपेक्षा की जाती है कि वे उस हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के विचारों को ध्यान में रखें, जहां से न्यायाधीश को ट्रान्सफर किया जाना है, और उस उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के विचारों को भी ध्यान में रखें, जहां ट्रान्सफर किया जाना है, इसके अलावा वे सुप्रीम कोर्ट के एक या अधिक न्यायाधीशों के विचारों को भी ध्यान में रखेंगे, जो विचार प्रस्तुत करने की स्थिति में हों.
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