बजट का बहस
संसद में इस बार का बजट सत्र काफी रोमांचकारी दिखाई दे रहा है। बजट 2024-25 पर चर्चा के दौरान विपक्षी दलों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। लोकसभा और राज्यसभा में संसद का वातावरण गरमाया हुआ है। विपक्षी सांसदों ने जोरदार हमला करते हुए यह आरोप लगाया कि बजट में गैर-एनडीए शासित राज्यों की अनदेखी की गई है।
विपक्ष का विरोध
कई प्रमुख विपक्षी नेताओं ने सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि यह बजट केवल उन्हीं राज्यों के लिए लाभकारी है जो एनडीए के शासन में हैं। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी ने कहा, “यह बजट एक तरह से आदान-प्रदान का खेल है जिसमें केवल एनडीए शासित राज्यों को फायदे मिल रहे हैं।” इसी तर्ज पर तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी ने भी सरकार पर आरोप लगाया कि यह बजट असंतुलित है और इसमें किसी भी प्रकार की समृद्धि की उम्मीद नहीं की जा सकती है।
संसद में उग्रता
लोकसभा और राज्यसभा दोनों में गुरुवार को बजट पर चर्चा जारी रही। सांसदों के बीच तीखी बहस और बहुतेरी व्यवधान के बीच, संसद में एक बार फिर से सांसदों के प्रदर्शन ने सबका ध्यान खींचा। विपक्षी सांसदों ने वार-पलटवार के दौरान आरोप लगाया कि सरकार केवल अपने राजनीतिक लाभ को ध्यान में रखते हुए निर्णय ले रही है।
सरकार की प्रतिक्रिया
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने विपक्ष के आरोपों का जवाब देते हुए कहा, “यह बजट सभी राज्यों के विकास को ध्यान में रखते हुए बनाया गया है। यहां कोई भेदभाव नहीं किया गया है। एनडीए और गैर-एनडीए शासित राज्यों को समानता से देखा गया है।” उन्होंने यह भी कहा कि यह आरोप पूरी तरह से बेबुनियाद हैं और विपक्ष केवल राजनीतिक लाभ के लिए इस तरह की बयानबाजी कर रही है।
लोकसभा में स्थिति
लोकसभा में विपक्ष के लगातार विरोध से स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है। बुधवार को टीएमसी, कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के सांसदों ने संसद के सत्र को बार-बार बाधित किया। स्थिति को देखते हुए स्पीकर ने सांसदों को संयम बरतने की हिदायत दी और कहा कि संवाद और चर्चा से ही मुद्दों का समाधान निकाला जा सकता है।
राज्यसभा का माहौल
राज्यसभा में भी विपक्ष की ओर से जमकर विरोध प्रदर्शन हुआ। यहां पर संसद की कार्यवाही कई बार बाधित हुई। राज्यसभा केपीजीडी के नेता डी. राजा ने कहा, “यह समय की मांग है कि सरकार का ध्यान केवल एक वर्ग या क्षेत्र पर न होकर पूरे देश को ताकत मिलनी चाहिए।”
अंतरराष्ट्रीय प्रभाव
बजट सत्र का यह विवाद केवल राष्ट्रीय नहीं बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी चर्चा का विषय बन गया है। कई अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने भारतीय संसद में चल रहे इस विवाद पर अपनी नज़रें बनाई हुई हैं। विदेशी निवेशक भी इस बात पर गौर कर रहे हैं कि सरकार किस तरह से विपक्ष के आरोपों का जवाब देती है।
आने वाले दिन
आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि विपक्ष और सरकार के बीच बजट पर चर्चा किस तरह से आगे बढ़ती है। विपक्ष द्वारा उठाए गए सवालों का क्या जवाब मिलेगा और संसद की कार्यवाही कितनी सफल होगी, यह देखने वाली बात होगी।
हमें यह मानना होगा कि यह बजट सत्र काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह अगले चुनावों के लिए भी दिशा निर्धारित कर सकता है। जनता और राजनीतिक विश्लेषकों की नजरें इस बात पर टिकी हुई हैं कि संसद की कार्यवाही किस दिशा में जाती है और दोनों पक्ष किस तरह की रणनीति अपनाते हैं।
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