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सनातन रक्षक बोर्ड: वक्फ बोर्ड और तिरुपति बालाजी मंदिर विवाद पर धीरेंद्र शास्त्री का बयान

मध्य प्रदेश के छतरपुर के प्रसिद्ध बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र शास्त्री का बयान सामने आया

मध्य प्रदेश के छतरपुर स्थित बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र शास्त्री ने एक बार फिर से अपने बोल्ड और विवादित बयानों से सनातन धर्म में हलचल मचा दी है। हाल ही में, उन्होंने वक्फ बोर्ड और आंध्र प्रदेश के तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसाद को लेकर अपनी बातें कही हैं, जिससे समाज में नवाचारी चर्चाएं हो रही हैं। धीरेंद्र शास्त्री के अनुसार यदि वक्फ बोर्ड हो सकता है, तो सनातन हिंदू बोर्ड क्यों नहीं हो सकता है?

वक्फ बोर्ड के साथ तुलना

धीरेंद्र शास्त्री ने छतरपुर में अपने अनुयायियों के सामने बोलते हुए कहा, “हमें सूचना मिली कि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने जैन बोर्ड की चर्चा की है। ऐसे में भारत सरकार से चाहेंगे कि जब देश में वक्फ बोर्ड हो सकता है, तो सनातन हिंदू बोर्ड क्यों नहीं हो सकता है?” उन्होंने हिंदुओं की सहनशीलता और शांतिपूर्ण स्वभाव का जिक्र करते हुए सवाल उठाया कि जब अलग-अलग धर्मों के लिए बोर्ड बनाए जा सकते हैं, तो सनातन धर्म के लिए क्यों नहीं?

तिरुपति बालाजी मंदिर विवाद

इसके अलावा, धीरेंद्र शास्त्री ने आंध्र प्रदेश के तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसाद में जानवरों की चर्बी मिलने के विवाद पर भी तीखे बयान दिए। उन्होंने कहा, “जिन हिंदुओं ने तिरुपति बालाजी का प्रसाद लिया, वे नौ दिनों तक प्रायश्चित करें ताकि शुद्धिकरण की प्रक्रिया हो सके।” यह एक अत्यंत संवेदनशील मुद्दा है और उन्होंने हिंदुओं को सचेत रहने की सलाह दी कि धार्मिक मामलों में किसी भी प्रकार की लापरवाही नहीं बरती जानी चाहिए।

रील और वीडियो की दुनिया से बाहर आना होगा

धीरेंद्र शास्त्री ने अपने बयान में यह भी कहा कि अगर धर्म विरोधियों के खिलाफ अभी आवाज नहीं उठाई गई, तो आने वाले समय में सबके घरों में मछली का तेल परोसने से कोई नहीं रोक सकता। उन्होंने कहा कि अगर हम घरों में जानवरों की चर्बी और मछली का तेल पहुंचने से खुद को बचाना है, तो रील और वीडियो की दुनिया से बाहर आना होगा। “अगर हम सनातन के खिलाफ चलाए जा रहे षड्यंत्र और प्रपंच का डटकर मुकाबला नहीं करेंगे, तो धर्म विरोधी षड्यंत्र का शिकार होते रहेंगे,” उन्होंने जोड़ा।

सनातन रक्षक बोर्ड की मांग

कुछ समय पहले ही चंद्रबाबू नायडू के नेतृत्व वाली सरकार में आंध्र प्रदेश के तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसाद में जानवरों की चर्बी के इस्तेमाल का प्रकरण सामने आया था, जिसने देश भर में सियासत तेज कर दी थी। इस विवाद को लेकर, आंध्र प्रदेश के उपमुख्यमंत्री एवं जनसेना पार्टी के प्रमुख पवन कल्याण ने राष्ट्रीय स्तर पर ‘सनातन रक्षक बोर्ड’ बनाने की मांग की थी।

धर्म विरोधी ताकतों के खिलाफ मुखर धीरेंद्र शास्त्री

धीरेंद्र शास्त्री ने अपने बयान में यह स्पष्ट किया कि षड़यंत्र और प्रपंच रचने वाली सभी ताकतों पर रोक लगाई जानी चाहिए। उन्होंने कहा, “हिंदुओं की सहनशीलता देखकर हमारा खून उबाल मार रहा है कि हम लोगों के सामने कुछ लोग कितने बड़े-बड़े प्रपंच रच रहे हैं।” उन्होंने यह भी कहा कि हिंदू धर्म को पुनः सुदृढ़ और संरक्षित करने के लिए सनातन रक्षक बोर्ड का गठन होना आवश्यक है।

प्रायश्चित और शुद्धिकरण के उपाय

तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसाद विवाद के सिलसिले में, धीरेंद्र शास्त्री ने प्रायश्चित और शुद्धिकरण के उपाय के रूप में नौ दिनों तक प्रायश्चित करने की अपील की है। उन्होंने कहा, “जिन हिंदुओं ने इस दौरान प्रसाद लिया, उन्हें नौ दिनों तक प्रायश्चित करना चाहिए, जिससे शुद्धिकरण की प्रक्रिया पूरी हो सके।”

आवश्यकता और आगे की योजना

धीरेंद्र शास्त्री का यह बयान समाज में बड़ी बहस का मुद्दा बन गया है। सनातन धर्म के अनुयायियों में इस बयान के बाद एक नई जागरूकता फेलाने की कोशिश हो रही है। धर्म विरोधी गतिविधियों के खिलाफ एकता बनाकर आवाज उठाने की दिशा में सनातन हिंदू बोर्ड की आवश्यकता पर अब चर्चाएं जोरों पर हैं।

इस प्रकार, बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र शास्त्री ने एक बार फिर से सनातन धर्म को सशक्त बनाने की दिशा में अपनी आवाज उठाई है। अब देखना यह है कि उनकी इस पहल का समाज पर क्या प्रभाव पड़ता है और क्या सच में सनातन हिंदू बोर्ड का गठन हो सकेगा।

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