Tamil Nadu Politics: तमिलनाडु के सीएम स्टालिन के बढ़ते कद को रोकने के लिए लगता है कि बीजेपी ने प्लान बना लिया है. परिसीमन, तीन भाषा फॉर्मूले को लेकर हाल के दिनों में डीएमके नेता स्टालिन केंद्र सरकार के खिलाफ काफी मुखर रहे हैं. परिसीमन को लेकर गृह मंत्री अमित शाह के आश्वासन के बावजूद वो केंद्र सरकार के खिलाफ आक्रामक रुख अख्तियार कर रहे हैं. उनका मानना है कि परिसीमन के कारण लोकसभा में साउथ की सीटें घटेंगी और उत्तर भारत को अधिक जनसंख्या के कारण लाभ होगा. इसी तरह भाषा के मुद्दे को वो तमिल अस्मिता के साथ जोड़कर देख रहे हैं. इन घटनाक्रमों को राजनीतिक जानकार इस रूप में देख रहे हैं कि एक साल बाद 2026 में होने जा रहे तमिलनाडु विधानसभा चुनावों से पहले स्टालिन अपने लिए सियासी पिच बना रहे हैं और विरोधियों को उस पर खेलने के लिए मजबूर कर रहे हैं.
बीजेपी ने भी लगता है कि अब सियासी दांव चलने का फैसला कर लिया है. लिहाजा मंगलवार शाम को तमिलनाडु की मुख्य विपक्षी पार्टी अन्नाडीएमके के जनरल सेक्रेटरी ईके पलानीस्वामी (EPS), गृह मंत्री अमित शाह से मिलने के लिए दिल्ली पहुंच रहे हैं. वह पश्चिम तमिलनाडु के प्रमुख पार्टी नेता और पूर्व मंत्री एसपी वेलुसामी के साथ आ रहे हैं. अन्नाडीएमके के प्रवक्ता के सत्यन ने इसकी पुष्टि तो की लेकिन इससे ज्यादा कुछ कहने से इनकार कर दिया.
Saugat e Modi: बीजेपी मुस्लिमों को देने जा रही ईद का तोहफा, सौगात-ए-मोदी से विरोधी होंगे बेचैन!
अन्नामलाई का पेंच
तमिलनाडु की सियासत के लिहाज से ईपीएस का दिल्ली आगमन एक महत्वपूर्ण सियासी घटनाक्रम के रूप में देखा जा रहा है. ऐसा इसलिए क्योंकि 2021 के विधानसभा चुनावों के दौरान अन्नाडीएमके और बीजेपी के बीच गठबंधन था. चुनावों में बीजेपी ने चार सीटें जीती भी थीं लेकिन 2023 में ये गठबंधन टूट गया. दरअसल बीजेपी ने जब के अन्नामलाई को तमिलनाडु का बीजेपी अध्यक्ष बनाया तो उसके बाद ही गठबंधन में खटास पैदा हो गई. हिंदुत्व की पिच पर बैटिंग करने वाले अन्नामलाई की बातें अन्नाडीएमके को हजम नहीं हुईं. बढ़ती तनातनी के बीच एक इंटरव्यू में अन्नामलाई ने अन्नाडीएमके की सुप्रीमो रहीं दिवंगत जे जयललिता के बारे में विवादित बयान दे दिया. उन्होंने जयललिता के भ्रष्टाचार केस से जुड़ा विवादित बयान दिया था. इससे अन्नाडीएमके भड़क गई और इसको घोर अपमानजनक करार दिया. उसने एक प्रस्ताव पारित कर कहा कि अन्नामलाई में राजनीतिक परिपक्वता का अभाव है और बीजेपी के साथ 21 सितंबर, 2023 को गठबंधन समाप्त कर लिया. उसने कहा कि अन्नामलाई गठबंधन धर्म को भूल गए हैं और ये भी नहीं जानते कि तमिलनाडु में अन्नाडीएमके बड़े भाई की भूमिका में है. वो पूर्ववर्ती राज्य के बीजेपी प्रमुखों की तुलना में राजनीतिक रूप से अपरिपक्व हैं और उनमें राजनीतिक गरिमा का अभाव है. इस तरह अन्नामलाई पर गठबंधन तोड़ने का आरोप लगाते हुए अन्नाडीएमके अलग हो गई.
उसके बाद 2024 का लोकसभा चुनाव अन्नाडीएमके और बीजेपी दोनों ने अपने-अपने दम पर लड़ा. दोनों ही दलों ने अपने स्तर पर छोटे-छोटे क्षेत्रीय दलों के साथ गठबंधन किया. लेकिन इसका खामियाजा भुगतना पड़ा. स्टालिन के नेतृत्व में डीएमके गठबंधन ने तमिलनाडु की सभी 39 सीटों पर परचम लहराया. लिहाजा इस पृष्ठभूमि में 2026 के चुनावों को देखते हुए ही ईपीएस की अमित शाह से संभावित मुलाकात को तमिलनाडु की सियासत में नए महत्वपूर्ण घटनाक्रम के रूप में देखा जा रहा है.
बीजेपी ने भी लगता है कि अब सियासी दांव चलने का फैसला कर लिया है. लिहाजा मंगलवार शाम को तमिलनाडु की मुख्य विपक्षी पार्टी अन्नाडीएमके के जनरल सेक्रेटरी ईके पलानीस्वामी (EPS), गृह मंत्री अमित शाह से मिलने के लिए दिल्ली पहुंच रहे हैं. वह पश्चिम तमिलनाडु के प्रमुख पार्टी नेता और पूर्व मंत्री एसपी वेलुसामी के साथ आ रहे हैं. अन्नाडीएमके के प्रवक्ता के सत्यन ने इसकी पुष्टि तो की लेकिन इससे ज्यादा कुछ कहने से इनकार कर दिया.
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अन्नामलाई का पेंच
तमिलनाडु की सियासत के लिहाज से ईपीएस का दिल्ली आगमन एक महत्वपूर्ण सियासी घटनाक्रम के रूप में देखा जा रहा है. ऐसा इसलिए क्योंकि 2021 के विधानसभा चुनावों के दौरान अन्नाडीएमके और बीजेपी के बीच गठबंधन था. चुनावों में बीजेपी ने चार सीटें जीती भी थीं लेकिन 2023 में ये गठबंधन टूट गया. दरअसल बीजेपी ने जब के अन्नामलाई को तमिलनाडु का बीजेपी अध्यक्ष बनाया तो उसके बाद ही गठबंधन में खटास पैदा हो गई. हिंदुत्व की पिच पर बैटिंग करने वाले अन्नामलाई की बातें अन्नाडीएमके को हजम नहीं हुईं. बढ़ती तनातनी के बीच एक इंटरव्यू में अन्नामलाई ने अन्नाडीएमके की सुप्रीमो रहीं दिवंगत जे जयललिता के बारे में विवादित बयान दे दिया. उन्होंने जयललिता के भ्रष्टाचार केस से जुड़ा विवादित बयान दिया था. इससे अन्नाडीएमके भड़क गई और इसको घोर अपमानजनक करार दिया. उसने एक प्रस्ताव पारित कर कहा कि अन्नामलाई में राजनीतिक परिपक्वता का अभाव है और बीजेपी के साथ 21 सितंबर, 2023 को गठबंधन समाप्त कर लिया. उसने कहा कि अन्नामलाई गठबंधन धर्म को भूल गए हैं और ये भी नहीं जानते कि तमिलनाडु में अन्नाडीएमके बड़े भाई की भूमिका में है. वो पूर्ववर्ती राज्य के बीजेपी प्रमुखों की तुलना में राजनीतिक रूप से अपरिपक्व हैं और उनमें राजनीतिक गरिमा का अभाव है. इस तरह अन्नामलाई पर गठबंधन तोड़ने का आरोप लगाते हुए अन्नाडीएमके अलग हो गई.
उसके बाद 2024 का लोकसभा चुनाव अन्नाडीएमके और बीजेपी दोनों ने अपने-अपने दम पर लड़ा. दोनों ही दलों ने अपने स्तर पर छोटे-छोटे क्षेत्रीय दलों के साथ गठबंधन किया. लेकिन इसका खामियाजा भुगतना पड़ा. स्टालिन के नेतृत्व में डीएमके गठबंधन ने तमिलनाडु की सभी 39 सीटों पर परचम लहराया. लिहाजा इस पृष्ठभूमि में 2026 के चुनावों को देखते हुए ही ईपीएस की अमित शाह से संभावित मुलाकात को तमिलनाडु की सियासत में नए महत्वपूर्ण घटनाक्रम के रूप में देखा जा रहा है.
Saugat e Modi: बीजेपी मुस्लिमों को देने जा रही ईद का तोहफा, सौगात-ए-मोदी से विरोधी होंगे बेचैन!
अन्नामलाई का पेंच
तमिलनाडु की सियासत के लिहाज से ईपीएस का दिल्ली आगमन एक महत्वपूर्ण सियासी घटनाक्रम के रूप में देखा जा रहा है. ऐसा इसलिए क्योंकि 2021 के विधानसभा चुनावों के दौरान अन्नाडीएमके और बीजेपी के बीच गठबंधन था. चुनावों में बीजेपी ने चार सीटें जीती भी थीं लेकिन 2023 में ये गठबंधन टूट गया. दरअसल बीजेपी ने जब के अन्नामलाई को तमिलनाडु का बीजेपी अध्यक्ष बनाया तो उसके बाद ही गठबंधन में खटास पैदा हो गई. हिंदुत्व की पिच पर बैटिंग करने वाले अन्नामलाई की बातें अन्नाडीएमके को हजम नहीं हुईं. बढ़ती तनातनी के बीच एक इंटरव्यू में अन्नामलाई ने अन्नाडीएमके की सुप्रीमो रहीं दिवंगत जे जयललिता के बारे में विवादित बयान दे दिया. उन्होंने जयललिता के भ्रष्टाचार केस से जुड़ा विवादित बयान दिया था. इससे अन्नाडीएमके भड़क गई और इसको घोर अपमानजनक करार दिया. उसने एक प्रस्ताव पारित कर कहा कि अन्नामलाई में राजनीतिक परिपक्वता का अभाव है और बीजेपी के साथ 21 सितंबर, 2023 को गठबंधन समाप्त कर लिया. उसने कहा कि अन्नामलाई गठबंधन धर्म को भूल गए हैं और ये भी नहीं जानते कि तमिलनाडु में अन्नाडीएमके बड़े भाई की भूमिका में है. वो पूर्ववर्ती राज्य के बीजेपी प्रमुखों की तुलना में राजनीतिक रूप से अपरिपक्व हैं और उनमें राजनीतिक गरिमा का अभाव है. इस तरह अन्नामलाई पर गठबंधन तोड़ने का आरोप लगाते हुए अन्नाडीएमके अलग हो गई.
उसके बाद 2024 का लोकसभा चुनाव अन्नाडीएमके और बीजेपी दोनों ने अपने-अपने दम पर लड़ा. दोनों ही दलों ने अपने स्तर पर छोटे-छोटे क्षेत्रीय दलों के साथ गठबंधन किया. लेकिन इसका खामियाजा भुगतना पड़ा. स्टालिन के नेतृत्व में डीएमके गठबंधन ने तमिलनाडु की सभी 39 सीटों पर परचम लहराया. लिहाजा इस पृष्ठभूमि में 2026 के चुनावों को देखते हुए ही ईपीएस की अमित शाह से संभावित मुलाकात को तमिलनाडु की सियासत में नए महत्वपूर्ण घटनाक्रम के रूप में देखा जा रहा है.
अन्नामलाई का पेंच
तमिलनाडु की सियासत के लिहाज से ईपीएस का दिल्ली आगमन एक महत्वपूर्ण सियासी घटनाक्रम के रूप में देखा जा रहा है. ऐसा इसलिए क्योंकि 2021 के विधानसभा चुनावों के दौरान अन्नाडीएमके और बीजेपी के बीच गठबंधन था. चुनावों में बीजेपी ने चार सीटें जीती भी थीं लेकिन 2023 में ये गठबंधन टूट गया. दरअसल बीजेपी ने जब के अन्नामलाई को तमिलनाडु का बीजेपी अध्यक्ष बनाया तो उसके बाद ही गठबंधन में खटास पैदा हो गई. हिंदुत्व की पिच पर बैटिंग करने वाले अन्नामलाई की बातें अन्नाडीएमके को हजम नहीं हुईं. बढ़ती तनातनी के बीच एक इंटरव्यू में अन्नामलाई ने अन्नाडीएमके की सुप्रीमो रहीं दिवंगत जे जयललिता के बारे में विवादित बयान दे दिया. उन्होंने जयललिता के भ्रष्टाचार केस से जुड़ा विवादित बयान दिया था. इससे अन्नाडीएमके भड़क गई और इसको घोर अपमानजनक करार दिया. उसने एक प्रस्ताव पारित कर कहा कि अन्नामलाई में राजनीतिक परिपक्वता का अभाव है और बीजेपी के साथ 21 सितंबर, 2023 को गठबंधन समाप्त कर लिया. उसने कहा कि अन्नामलाई गठबंधन धर्म को भूल गए हैं और ये भी नहीं जानते कि तमिलनाडु में अन्नाडीएमके बड़े भाई की भूमिका में है. वो पूर्ववर्ती राज्य के बीजेपी प्रमुखों की तुलना में राजनीतिक रूप से अपरिपक्व हैं और उनमें राजनीतिक गरिमा का अभाव है. इस तरह अन्नामलाई पर गठबंधन तोड़ने का आरोप लगाते हुए अन्नाडीएमके अलग हो गई.
उसके बाद 2024 का लोकसभा चुनाव अन्नाडीएमके और बीजेपी दोनों ने अपने-अपने दम पर लड़ा. दोनों ही दलों ने अपने स्तर पर छोटे-छोटे क्षेत्रीय दलों के साथ गठबंधन किया. लेकिन इसका खामियाजा भुगतना पड़ा. स्टालिन के नेतृत्व में डीएमके गठबंधन ने तमिलनाडु की सभी 39 सीटों पर परचम लहराया. लिहाजा इस पृष्ठभूमि में 2026 के चुनावों को देखते हुए ही ईपीएस की अमित शाह से संभावित मुलाकात को तमिलनाडु की सियासत में नए महत्वपूर्ण घटनाक्रम के रूप में देखा जा रहा है.
उसके बाद 2024 का लोकसभा चुनाव अन्नाडीएमके और बीजेपी दोनों ने अपने-अपने दम पर लड़ा. दोनों ही दलों ने अपने स्तर पर छोटे-छोटे क्षेत्रीय दलों के साथ गठबंधन किया. लेकिन इसका खामियाजा भुगतना पड़ा. स्टालिन के नेतृत्व में डीएमके गठबंधन ने तमिलनाडु की सभी 39 सीटों पर परचम लहराया. लिहाजा इस पृष्ठभूमि में 2026 के चुनावों को देखते हुए ही ईपीएस की अमित शाह से संभावित मुलाकात को तमिलनाडु की सियासत में नए महत्वपूर्ण घटनाक्रम के रूप में देखा जा रहा है.
