परिचय
सुप्रीम कोर्ट ने एक गरीब छात्र को बड़ी राहत दी है, जिसने आर्थिक कठिनाइयों के कारण समय पर फीस जमा नहीं कर पाई थी और उसे IIT धनबाद में दाखिले से वंचित रहना पड़ा था। इस संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट ने अपनी विशेष शक्तियों का प्रयोग करते हुए छात्र अतुल को IIT धनबाद में दाखिले का आदेश दिया है।
मामले की पृष्ठभूमि
अतुल, जो कि उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर के टोटोरा गांव के निवासी हैं, ने इस साल JEE एडवांस्ड परीक्षा पास की थी। उन्हें IIT धनबाद में इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के बीटेक कोर्स के लिए सीट आवंटित की गई थी, लेकिन आर्थिक तंगी के चलते वह निर्धारित समय सीमा तक फीस जमा नहीं कर पाए थे। अतुल के पिता एक दिहाड़ी मजदूर हैं और उनका परिवार गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करता है।
समय सीमा और आर्थिक संघर्ष
अतुल के परिवार को फीस जमा करने के लिए केवल चार दिन मिले, जिसमें 17,500 रुपये की व्यवस्था करना था। परिवार ने 24 जून की शाम तक फीस जुटाने की हर संभव कोशिश की, लेकिन शाम 4:45 तक ही यह संभव हो पाया। उस समय, अतुल ने फीस जमा करने के लिए वेबसाइट पर लॉगिन किया, लेकिन जब तक वह प्रक्रिया पूरी कर पाते, तब तक 5 बजे की समय सीमा समाप्त हो चुकी थी और पोर्टल बंद हो गया था।
आईआईटी धनबाद का रुख
अतुल और उनके परिवार ने राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग, झारखंड लीगल सर्विस अथॉरिटी और मद्रास हाई कोर्ट की शरण ली, लेकिन कोई राहत न मिलने पर अत्यंत आखिर में उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया।
सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय बेंच ने मामले की सुनवाई की। अतुल के वकील ने परिवार की आर्थिक स्थिति को लेकर कोर्ट को अवगत कराया और बताया कि चार दिनों में इतनी बड़ी रकम जुटाना एक गरीब परिवार के लिए कितना मुश्किल था। वकील ने यह भी बताया कि अतुल ने अपने दूसरे और आखिरी प्रयास में JEE एडवांस्ड परीक्षा पास की है, और अगर उन्हें इस बार मौका नहीं मिलता तो उनका सपना टूट जाता।
कोर्ट का निर्णय और टिप्पणी
सुप्रीम कोर्ट ने आर्टिकल 142 के तहत अपनी विशेष शक्तियों का प्रयोग करते हुए अतुल को IIT धनबाद में दाखिले का आदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि ऐसे प्रतिभाशाली छात्र, जो समाज के वंचित तबके से आते हैं और जिन्होंने दाखिले के लिए पूरी कोशिश की है, उन्हें अधर में नहीं छोड़ा जा सकता। कोर्ट ने IIT धनबाद को भी आदेश दिया कि यदि आवश्यकता हो तो मौजूदा बैच में एक नई सीट जोड़ी जाए और अतुल को हॉस्टल की सुविधा भी प्रदान की जाए।
अतुल की प्रतिक्रिया
जब अतुल ने कोर्ट का आदेश सुना तो उनके चेहरे पर राहत भरी मुस्कान आ गई। कोर्ट रूम के बाहर उन्होंने कहा कि उन्हें बहुत अच्छा लग रहा है और ऐसा महसूस हो रहा है कि उनकी रेल जो पटरी से उतरी हुई थी, वह अब वापस पटरी पर आ गई है। उन्होंने यह भी कहा कि आगे उन्हें और मेहनत करनी है।
समाज के लिए संदेश
अतुल की सफलता की इस कहानी ने एक बार फिर यह प्रमाणित कर दिया कि न्यायालय ऐसे वंचित छात्रों के समर्थन में खड़ा है जो आर्थिक कठिनाइयों के बावजूद अपने सपनों को साकार करने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं। सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय समाज के लिए एक प्रेरणा स्रोत है और इसे दर्शाता है कि प्रतिभाशाली छात्र किसी भी समस्या से परे उन्हें अपनी मंजिल तक पहुंच सकते हैं।
निष्कर्ष
सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश केवल अतुल के लिए नहीं बल्कि उन सभी छात्रों के लिए एक उम्मीद की किरण है जो आर्थिक संघर्षों के चलते अपने सपनों को साकार नहीं कर पाते। यह निर्णय यह भी संदेश देता है कि समाज और सिस्टम को ऐसे विद्यार्थियों को समर्थन देना चाहिए, ताकि वे अपनी पूरी क्षमता के साथ आगे बढ़ सकें।
इस प्रकार, सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला अतुल के जीवन में एक नया मोड़ लेकर आया है और उन्हें उनके सपनों के पास एक कदम और नजदीक पहुंचाया है।