जम्मू-कश्मीर में धारा 370 हटने के बाद पहली बार विधानसभा चुनाव
जम्मू-कश्मीर का विधानसभा चुनाव 2024 इस राज्य के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित होने वाला है, क्योंकि यह धारा 370 हटने के बाद का पहला विधानसभा चुनाव होगा। इस चुनाव में राज्य की जनता एक बार फिर से अपने नेता का चयन करने का अवसर प्राप्त करेगी। दिलचस्प यह है कि लगभग 10 वर्षों के बाद यह चुनाव हो रहा है, जिससे लोगों की नजरें इस पर टिकी हुई हैं।
पार्टियों का अकेले चुनाव लड़ने का फैसला
इस बार के चुनाव में एक और महत्वपूर्ण पहलू है जिसमें ज्यादातर पार्टियां गठबंधन की बजाए अकेले चुनाव लड़ने का निर्णय ले रही हैं। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की मायावती, राष्ट्रीय लोकदल (आरएलडी) और समाजवादी पार्टी (सपा) ने चुनाव में किसी भी तरह का गठबंधन नहीं करने का फैसला लिया है। बसपा ने किसी भी पार्टी से गठबंधन करने से इनकार कर दिया है, जबकि केंद्र और यूपी सरकार में एनडीए की सहयोगी आरएलडी ने भी बीजेपी से अलग चुनाव लड़ने की घोषणा की है। सपा ने भी कांग्रेस से अलग होकर कुल 37 सीटों पर चुनाव लड़ने का निर्णय लिया है।
गठबंधन से दूरी क्यों?
ऐसा कई कारणों से हो रहा है। जम्मू-कश्मीर की मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए कोई भी दल गठबंधन के आधार पर चुनाव लड़ने के मूड में नहीं हैं। सभी पार्टियां चुनाव के बाद की संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए गठबंधन का विकल्प खुला रखना चाहती हैं। साथ ही, जम्मू-कश्मीर में चुनाव प्रचार और तैयारियों को मजबूती से आगे बढ़ाने के लिए कई पार्टियों के वरिष्ठ नेताओं ने वहां डेरा डाल दिया है।
बीजेपी-पीडीपी का पिछला गठबंधन
पिछली बार 2014 में हुए विधानसभा चुनाव के बाद बीजेपी और पीडीपी ने गठबंधन किया था और महबूबा मुफ्ती राज्य की मुख्यमंत्री बनी थीं। यह गठबंधन करीब 2 साल तक चला, लेकिन 2018 में टूट गया और सरकार गिर गई। उस समय पीडीपी ने 28, बीजेपी ने 25, नेशनल कॉन्फ्रेंस ने 15 और कांग्रेस ने 12 सीटों पर जीत हासिल की थी।
नेशनल कॉन्फ्रेंस-कांग्रेस का गठबंधन
इस बार नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) और कांग्रेस (कांग्रेस) ने मिलकर चुनाव लड़ने का फैसला किया है। दोनों पार्टियों के बीच सीटों के शेयरिंग फॉर्मूला के तहत एनसी 51 और कांग्रेस 32 सीटों पर चुनाव लड़ेगी, जबकि 5 सीटों पर मित्रवत लड़ाई होगी। सीपीएम और पैंथर्स पार्टी एक-एक सीट पर उम्मीदवार उतारेंगी।
चुनाव का महत्व और तारीखें
चुनाव आयोग ने जम्मू-कश्मीर में होने वाले विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया है। ये चुनाव तीन चरणों में होंगे। पहले चरण में 18 सितंबर को 24 सीटों पर, दूसरे चरण में 25 सितंबर को 26 सीटों पर और तीसरे चरण में एक अक्टूबर को 40 सीटों पर वोट डाले जाएंगे। मतदान की गिनती 8 अक्टूबर को होगी। यह चुनाव अत्यावश्यक है क्योंकि धारा 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर में यह पहला विधानसभा चुनाव होगा, जिससे राज्य के भविष्य की दिशा तय होगी।
वैश्विक दृष्टिकोण
जम्मू-कश्मीर चुनाव में अमेरिका का भी रुचि लेना खास मायने रखता है। अमेरिका के डिप्लोमैट्स की घाटी में मौजूदगी और उनके द्वारा किए जा रहे निरीक्षणों के पीछे क्या मकसद हो सकता है, यह एक जिज्ञासा का विषय है।
सारांश
जम्मू-कश्मीर में चुनावी समर को लेकर सभी की दृष्टि टिकी हुई है। इस बार ज्यादातर राजनीतिक पार्टियां अकेले चुनाव लड़ने का फैसला कर चुकी हैं, जिसका कारण मौजूदा परिस्थितियों और चुनाव बाद की संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। गठबंधन को छोड़कर अकेले चुनाव लड़ने का यह फैसला आने वाले समय में कितना सफल रहेगा, यह तो चुनाव परिणाम ही बताएंगे।
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