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Devendra Fadnavis: मुंबई में रहने वालों को… महाराष्ट्र में भाषाओं पर सियासत के बाद सीएम फडणवीस ने कह दी ये बात


Maharashtra News: भारत देश में कई भाषाएं बोली जाती हैं. बोलचाल की भाषा की वजह से ही लोगों की पहचान होती है. इसे लेकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के नेता सुरेश जोशी ने बृहस्पतिवार को कहा कि मराठी मुंबई की भाषा है और बाहर से आने वाले और अन्य भाषाएं बोलने वालों को भी इसे समझना चाहिए. उनके इस बयान के बाद जहां विपक्ष ने टिप्पणी की वहीं महाराष्ट्र के मुखिया देवेन्द्र फडणवीस ने कहा कि मराठी मुंबई और महाराष्ट्र की भाषा है और यहां रहने वाले किसी भी व्यक्ति को इसे सीखना और बोलना चाहिए. इसके अलावा उन्होंने क्या कुछ कहा जानते हैं. 
उद्धव गुट ने मांगा स्पष्टीकरण
दरअसल, राज्य विधानसभा में शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के सदस्य भास्कर जाधव ने आरएसएस के वरिष्ठ नेता सुरेश भैयाजी जोशी की उस टिप्पणी पर राज्य सरकार से स्पष्टीकरण मांगा था. जिसमें उन्होंने कहा था कि यह जरूरी नहीं कि मुंबई आने वाला व्यक्ति मराठी सीखे. इस पर फडणवीस ने कहा कि मराठी मुंबई और महाराष्ट्र की भाषा है तथा यहां रहने वाले किसी भी व्यक्ति को इसे सीखना और बोलना चाहिए.
क्या बोले सीएम
जोशी ने कहा था, ‘‘मुंबई की एक भाषा नहीं है. इसमें कई भाषाएं हैं, कुछ क्षेत्रों की अपनी भाषा है. घाटकोपर की भाषा गुजराती है. गिरगांव में आपको हिंदी बोलने वाले कम और मराठी बोलने वाले ज्यादा मिलेंगे. इसलिए कह सकते हैं कि मुंबई आने वाला कोई भी व्यक्ति मराठी सीखे, यह जरूरी नहीं है. विधानसभा में जब जाधव ने सरकार से इस पर जवाब मांगा तो फडणवीस ने कहा, ‘‘मैंने भैयाजी की बात नहीं सुनी, लेकिन मुंबई और महाराष्ट्र की भाषा मराठी है. उन्होंने कहा, ‘‘हर किसी को मराठी सीखनी चाहिए और उसे बोलना चाहिए.
भाषाओं का करती है सम्मान
मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार अन्य भाषाओं का भी सम्मान करती है. फडणवीस ने कहा, ‘‘अगर आप अपनी भाषा से प्यार करते हैं और उसका सम्मान करते हैं, तो आप दूसरी भाषाओं के साथ भी ऐसा ही करें. मुझे यकीन है कि भैयाजी मेरी बात से सहमत होंगे. इससे पहले दिन में शिवसेना (उबाठा) के सांसद संजय राउत ने दावा किया कि जोशी की टिप्पणी राजद्रोह के बराबर है और महाराष्ट्र का अपमान है.
राजद्रोह के बराबर है बयान
राउत ने पत्रकारों से बात करते हुए दावा किया, ‘‘मराठी हमारी राज्य भाषा है और इस तरह का बयान राजद्रोह के बराबर है. यह बयान राजद्रोह है. राज्यसभा सदस्य ने मुख्यमंत्री फडणवीस और उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे एवं अजित पवार को जोशी के बयान की निंदा करने और इस मामले पर राज्य विधानसभा में प्रस्ताव पारित करने की चुनौती दी. इसे एक गंभीर मुद्दा बताते हुए राउत ने दावा किया कि जोशी मुंबई की नीतियों और लक्ष्यों पर फैसला करते हैं. राज्यसभा सदस्य ने दावा किया कि यह टिप्पणी समाजवादी पार्टी (सपा) के विधायक अबू आजमी द्वारा मुगल सम्राट औरंगजेब की प्रशंसा में की गई टिप्पणी से भी अधिक गंभीर है.
राउत ने उठया सवाल
राउत ने पूछा, ‘‘आरएसएस नेता मुंबई आए और उन्होंने कहा कि इसकी भाषा मराठी नहीं है. क्या राज्य के मुख्यमंत्री और मंत्रिपरिषद को इसे बर्दाश्त करना चाहिए? उन्होंने फिर सवाल किया कि क्या वह कोलकाता, लखनऊ, चेन्नई, लुधियाना, पटना या बेंगलुरु, त्रिवेंद्रम या हैदराबाद में जाकर इस तरह बोल सकते हैं? राउत ने दावा किया, ‘‘लेकिन वह महाराष्ट्र और इसकी राजधानी में आते हैं और कहते हैं कि इसकी भाषा मराठी नहीं है. 
शिंदे गुट से भी पूछा सवाल
यह गुजराती या कोई अन्य है और किसी अन्य भाषा को जानने की कोई आवश्यकता नहीं है. इसके अलावा राउत ने कहा, ‘‘क्या 106 शहीदों ने (1950 के दशक में संयुक्त महाराष्ट्र आंदोलन में) यही सब सुनने के लिए अपने प्राणों की आहुति दी थी?’’ शिवसेना (उबाठा) नेता ने पूछा कि क्या यह मराठी भाषा और मराठी गौरव का अपमान नहीं है? राउत ने कहा कि जोशी को मुंबई आने के बाद मराठी भाषा का ‘‘अपमान’’ करने का कोई अधिकार नहीं है. उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘कोई ऐसा कहने की हिम्मत कैसे कर सकता है. क्योंकि राज्य में असहाय लोगों और मराठी से नफरत करने वालों की सरकार है.  राउत ने कहा, ‘‘शिवसेना (उबाठा) इसे बर्दाश्त नहीं करेगी. ( भाषा)
उद्धव गुट ने मांगा स्पष्टीकरण
दरअसल, राज्य विधानसभा में शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के सदस्य भास्कर जाधव ने आरएसएस के वरिष्ठ नेता सुरेश भैयाजी जोशी की उस टिप्पणी पर राज्य सरकार से स्पष्टीकरण मांगा था. जिसमें उन्होंने कहा था कि यह जरूरी नहीं कि मुंबई आने वाला व्यक्ति मराठी सीखे. इस पर फडणवीस ने कहा कि मराठी मुंबई और महाराष्ट्र की भाषा है तथा यहां रहने वाले किसी भी व्यक्ति को इसे सीखना और बोलना चाहिए.
क्या बोले सीएम
जोशी ने कहा था, ‘‘मुंबई की एक भाषा नहीं है. इसमें कई भाषाएं हैं, कुछ क्षेत्रों की अपनी भाषा है. घाटकोपर की भाषा गुजराती है. गिरगांव में आपको हिंदी बोलने वाले कम और मराठी बोलने वाले ज्यादा मिलेंगे. इसलिए कह सकते हैं कि मुंबई आने वाला कोई भी व्यक्ति मराठी सीखे, यह जरूरी नहीं है. विधानसभा में जब जाधव ने सरकार से इस पर जवाब मांगा तो फडणवीस ने कहा, ‘‘मैंने भैयाजी की बात नहीं सुनी, लेकिन मुंबई और महाराष्ट्र की भाषा मराठी है. उन्होंने कहा, ‘‘हर किसी को मराठी सीखनी चाहिए और उसे बोलना चाहिए.
भाषाओं का करती है सम्मान
मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार अन्य भाषाओं का भी सम्मान करती है. फडणवीस ने कहा, ‘‘अगर आप अपनी भाषा से प्यार करते हैं और उसका सम्मान करते हैं, तो आप दूसरी भाषाओं के साथ भी ऐसा ही करें. मुझे यकीन है कि भैयाजी मेरी बात से सहमत होंगे. इससे पहले दिन में शिवसेना (उबाठा) के सांसद संजय राउत ने दावा किया कि जोशी की टिप्पणी राजद्रोह के बराबर है और महाराष्ट्र का अपमान है.
राजद्रोह के बराबर है बयान
राउत ने पत्रकारों से बात करते हुए दावा किया, ‘‘मराठी हमारी राज्य भाषा है और इस तरह का बयान राजद्रोह के बराबर है. यह बयान राजद्रोह है. राज्यसभा सदस्य ने मुख्यमंत्री फडणवीस और उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे एवं अजित पवार को जोशी के बयान की निंदा करने और इस मामले पर राज्य विधानसभा में प्रस्ताव पारित करने की चुनौती दी. इसे एक गंभीर मुद्दा बताते हुए राउत ने दावा किया कि जोशी मुंबई की नीतियों और लक्ष्यों पर फैसला करते हैं. राज्यसभा सदस्य ने दावा किया कि यह टिप्पणी समाजवादी पार्टी (सपा) के विधायक अबू आजमी द्वारा मुगल सम्राट औरंगजेब की प्रशंसा में की गई टिप्पणी से भी अधिक गंभीर है.
राउत ने उठया सवाल
राउत ने पूछा, ‘‘आरएसएस नेता मुंबई आए और उन्होंने कहा कि इसकी भाषा मराठी नहीं है. क्या राज्य के मुख्यमंत्री और मंत्रिपरिषद को इसे बर्दाश्त करना चाहिए? उन्होंने फिर सवाल किया कि क्या वह कोलकाता, लखनऊ, चेन्नई, लुधियाना, पटना या बेंगलुरु, त्रिवेंद्रम या हैदराबाद में जाकर इस तरह बोल सकते हैं? राउत ने दावा किया, ‘‘लेकिन वह महाराष्ट्र और इसकी राजधानी में आते हैं और कहते हैं कि इसकी भाषा मराठी नहीं है. 
शिंदे गुट से भी पूछा सवाल
यह गुजराती या कोई अन्य है और किसी अन्य भाषा को जानने की कोई आवश्यकता नहीं है. इसके अलावा राउत ने कहा, ‘‘क्या 106 शहीदों ने (1950 के दशक में संयुक्त महाराष्ट्र आंदोलन में) यही सब सुनने के लिए अपने प्राणों की आहुति दी थी?’’ शिवसेना (उबाठा) नेता ने पूछा कि क्या यह मराठी भाषा और मराठी गौरव का अपमान नहीं है? राउत ने कहा कि जोशी को मुंबई आने के बाद मराठी भाषा का ‘‘अपमान’’ करने का कोई अधिकार नहीं है. उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘कोई ऐसा कहने की हिम्मत कैसे कर सकता है. क्योंकि राज्य में असहाय लोगों और मराठी से नफरत करने वालों की सरकार है.  राउत ने कहा, ‘‘शिवसेना (उबाठा) इसे बर्दाश्त नहीं करेगी. ( भाषा)
क्या बोले सीएम
जोशी ने कहा था, ‘‘मुंबई की एक भाषा नहीं है. इसमें कई भाषाएं हैं, कुछ क्षेत्रों की अपनी भाषा है. घाटकोपर की भाषा गुजराती है. गिरगांव में आपको हिंदी बोलने वाले कम और मराठी बोलने वाले ज्यादा मिलेंगे. इसलिए कह सकते हैं कि मुंबई आने वाला कोई भी व्यक्ति मराठी सीखे, यह जरूरी नहीं है. विधानसभा में जब जाधव ने सरकार से इस पर जवाब मांगा तो फडणवीस ने कहा, ‘‘मैंने भैयाजी की बात नहीं सुनी, लेकिन मुंबई और महाराष्ट्र की भाषा मराठी है. उन्होंने कहा, ‘‘हर किसी को मराठी सीखनी चाहिए और उसे बोलना चाहिए.
भाषाओं का करती है सम्मान
मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार अन्य भाषाओं का भी सम्मान करती है. फडणवीस ने कहा, ‘‘अगर आप अपनी भाषा से प्यार करते हैं और उसका सम्मान करते हैं, तो आप दूसरी भाषाओं के साथ भी ऐसा ही करें. मुझे यकीन है कि भैयाजी मेरी बात से सहमत होंगे. इससे पहले दिन में शिवसेना (उबाठा) के सांसद संजय राउत ने दावा किया कि जोशी की टिप्पणी राजद्रोह के बराबर है और महाराष्ट्र का अपमान है.
राजद्रोह के बराबर है बयान
राउत ने पत्रकारों से बात करते हुए दावा किया, ‘‘मराठी हमारी राज्य भाषा है और इस तरह का बयान राजद्रोह के बराबर है. यह बयान राजद्रोह है. राज्यसभा सदस्य ने मुख्यमंत्री फडणवीस और उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे एवं अजित पवार को जोशी के बयान की निंदा करने और इस मामले पर राज्य विधानसभा में प्रस्ताव पारित करने की चुनौती दी. इसे एक गंभीर मुद्दा बताते हुए राउत ने दावा किया कि जोशी मुंबई की नीतियों और लक्ष्यों पर फैसला करते हैं. राज्यसभा सदस्य ने दावा किया कि यह टिप्पणी समाजवादी पार्टी (सपा) के विधायक अबू आजमी द्वारा मुगल सम्राट औरंगजेब की प्रशंसा में की गई टिप्पणी से भी अधिक गंभीर है.
राउत ने उठया सवाल
राउत ने पूछा, ‘‘आरएसएस नेता मुंबई आए और उन्होंने कहा कि इसकी भाषा मराठी नहीं है. क्या राज्य के मुख्यमंत्री और मंत्रिपरिषद को इसे बर्दाश्त करना चाहिए? उन्होंने फिर सवाल किया कि क्या वह कोलकाता, लखनऊ, चेन्नई, लुधियाना, पटना या बेंगलुरु, त्रिवेंद्रम या हैदराबाद में जाकर इस तरह बोल सकते हैं? राउत ने दावा किया, ‘‘लेकिन वह महाराष्ट्र और इसकी राजधानी में आते हैं और कहते हैं कि इसकी भाषा मराठी नहीं है. 
शिंदे गुट से भी पूछा सवाल
यह गुजराती या कोई अन्य है और किसी अन्य भाषा को जानने की कोई आवश्यकता नहीं है. इसके अलावा राउत ने कहा, ‘‘क्या 106 शहीदों ने (1950 के दशक में संयुक्त महाराष्ट्र आंदोलन में) यही सब सुनने के लिए अपने प्राणों की आहुति दी थी?’’ शिवसेना (उबाठा) नेता ने पूछा कि क्या यह मराठी भाषा और मराठी गौरव का अपमान नहीं है? राउत ने कहा कि जोशी को मुंबई आने के बाद मराठी भाषा का ‘‘अपमान’’ करने का कोई अधिकार नहीं है. उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘कोई ऐसा कहने की हिम्मत कैसे कर सकता है. क्योंकि राज्य में असहाय लोगों और मराठी से नफरत करने वालों की सरकार है.  राउत ने कहा, ‘‘शिवसेना (उबाठा) इसे बर्दाश्त नहीं करेगी. ( भाषा)
भाषाओं का करती है सम्मान
मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार अन्य भाषाओं का भी सम्मान करती है. फडणवीस ने कहा, ‘‘अगर आप अपनी भाषा से प्यार करते हैं और उसका सम्मान करते हैं, तो आप दूसरी भाषाओं के साथ भी ऐसा ही करें. मुझे यकीन है कि भैयाजी मेरी बात से सहमत होंगे. इससे पहले दिन में शिवसेना (उबाठा) के सांसद संजय राउत ने दावा किया कि जोशी की टिप्पणी राजद्रोह के बराबर है और महाराष्ट्र का अपमान है.
राजद्रोह के बराबर है बयान
राउत ने पत्रकारों से बात करते हुए दावा किया, ‘‘मराठी हमारी राज्य भाषा है और इस तरह का बयान राजद्रोह के बराबर है. यह बयान राजद्रोह है. राज्यसभा सदस्य ने मुख्यमंत्री फडणवीस और उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे एवं अजित पवार को जोशी के बयान की निंदा करने और इस मामले पर राज्य विधानसभा में प्रस्ताव पारित करने की चुनौती दी. इसे एक गंभीर मुद्दा बताते हुए राउत ने दावा किया कि जोशी मुंबई की नीतियों और लक्ष्यों पर फैसला करते हैं. राज्यसभा सदस्य ने दावा किया कि यह टिप्पणी समाजवादी पार्टी (सपा) के विधायक अबू आजमी द्वारा मुगल सम्राट औरंगजेब की प्रशंसा में की गई टिप्पणी से भी अधिक गंभीर है.
राउत ने उठया सवाल
राउत ने पूछा, ‘‘आरएसएस नेता मुंबई आए और उन्होंने कहा कि इसकी भाषा मराठी नहीं है. क्या राज्य के मुख्यमंत्री और मंत्रिपरिषद को इसे बर्दाश्त करना चाहिए? उन्होंने फिर सवाल किया कि क्या वह कोलकाता, लखनऊ, चेन्नई, लुधियाना, पटना या बेंगलुरु, त्रिवेंद्रम या हैदराबाद में जाकर इस तरह बोल सकते हैं? राउत ने दावा किया, ‘‘लेकिन वह महाराष्ट्र और इसकी राजधानी में आते हैं और कहते हैं कि इसकी भाषा मराठी नहीं है. 
शिंदे गुट से भी पूछा सवाल
यह गुजराती या कोई अन्य है और किसी अन्य भाषा को जानने की कोई आवश्यकता नहीं है. इसके अलावा राउत ने कहा, ‘‘क्या 106 शहीदों ने (1950 के दशक में संयुक्त महाराष्ट्र आंदोलन में) यही सब सुनने के लिए अपने प्राणों की आहुति दी थी?’’ शिवसेना (उबाठा) नेता ने पूछा कि क्या यह मराठी भाषा और मराठी गौरव का अपमान नहीं है? राउत ने कहा कि जोशी को मुंबई आने के बाद मराठी भाषा का ‘‘अपमान’’ करने का कोई अधिकार नहीं है. उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘कोई ऐसा कहने की हिम्मत कैसे कर सकता है. क्योंकि राज्य में असहाय लोगों और मराठी से नफरत करने वालों की सरकार है.  राउत ने कहा, ‘‘शिवसेना (उबाठा) इसे बर्दाश्त नहीं करेगी. ( भाषा)
राजद्रोह के बराबर है बयान
राउत ने पत्रकारों से बात करते हुए दावा किया, ‘‘मराठी हमारी राज्य भाषा है और इस तरह का बयान राजद्रोह के बराबर है. यह बयान राजद्रोह है. राज्यसभा सदस्य ने मुख्यमंत्री फडणवीस और उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे एवं अजित पवार को जोशी के बयान की निंदा करने और इस मामले पर राज्य विधानसभा में प्रस्ताव पारित करने की चुनौती दी. इसे एक गंभीर मुद्दा बताते हुए राउत ने दावा किया कि जोशी मुंबई की नीतियों और लक्ष्यों पर फैसला करते हैं. राज्यसभा सदस्य ने दावा किया कि यह टिप्पणी समाजवादी पार्टी (सपा) के विधायक अबू आजमी द्वारा मुगल सम्राट औरंगजेब की प्रशंसा में की गई टिप्पणी से भी अधिक गंभीर है.
राउत ने उठया सवाल
राउत ने पूछा, ‘‘आरएसएस नेता मुंबई आए और उन्होंने कहा कि इसकी भाषा मराठी नहीं है. क्या राज्य के मुख्यमंत्री और मंत्रिपरिषद को इसे बर्दाश्त करना चाहिए? उन्होंने फिर सवाल किया कि क्या वह कोलकाता, लखनऊ, चेन्नई, लुधियाना, पटना या बेंगलुरु, त्रिवेंद्रम या हैदराबाद में जाकर इस तरह बोल सकते हैं? राउत ने दावा किया, ‘‘लेकिन वह महाराष्ट्र और इसकी राजधानी में आते हैं और कहते हैं कि इसकी भाषा मराठी नहीं है. 
शिंदे गुट से भी पूछा सवाल
यह गुजराती या कोई अन्य है और किसी अन्य भाषा को जानने की कोई आवश्यकता नहीं है. इसके अलावा राउत ने कहा, ‘‘क्या 106 शहीदों ने (1950 के दशक में संयुक्त महाराष्ट्र आंदोलन में) यही सब सुनने के लिए अपने प्राणों की आहुति दी थी?’’ शिवसेना (उबाठा) नेता ने पूछा कि क्या यह मराठी भाषा और मराठी गौरव का अपमान नहीं है? राउत ने कहा कि जोशी को मुंबई आने के बाद मराठी भाषा का ‘‘अपमान’’ करने का कोई अधिकार नहीं है. उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘कोई ऐसा कहने की हिम्मत कैसे कर सकता है. क्योंकि राज्य में असहाय लोगों और मराठी से नफरत करने वालों की सरकार है.  राउत ने कहा, ‘‘शिवसेना (उबाठा) इसे बर्दाश्त नहीं करेगी. ( भाषा)
राउत ने उठया सवाल
राउत ने पूछा, ‘‘आरएसएस नेता मुंबई आए और उन्होंने कहा कि इसकी भाषा मराठी नहीं है. क्या राज्य के मुख्यमंत्री और मंत्रिपरिषद को इसे बर्दाश्त करना चाहिए? उन्होंने फिर सवाल किया कि क्या वह कोलकाता, लखनऊ, चेन्नई, लुधियाना, पटना या बेंगलुरु, त्रिवेंद्रम या हैदराबाद में जाकर इस तरह बोल सकते हैं? राउत ने दावा किया, ‘‘लेकिन वह महाराष्ट्र और इसकी राजधानी में आते हैं और कहते हैं कि इसकी भाषा मराठी नहीं है. 
शिंदे गुट से भी पूछा सवाल
यह गुजराती या कोई अन्य है और किसी अन्य भाषा को जानने की कोई आवश्यकता नहीं है. इसके अलावा राउत ने कहा, ‘‘क्या 106 शहीदों ने (1950 के दशक में संयुक्त महाराष्ट्र आंदोलन में) यही सब सुनने के लिए अपने प्राणों की आहुति दी थी?’’ शिवसेना (उबाठा) नेता ने पूछा कि क्या यह मराठी भाषा और मराठी गौरव का अपमान नहीं है? राउत ने कहा कि जोशी को मुंबई आने के बाद मराठी भाषा का ‘‘अपमान’’ करने का कोई अधिकार नहीं है. उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘कोई ऐसा कहने की हिम्मत कैसे कर सकता है. क्योंकि राज्य में असहाय लोगों और मराठी से नफरत करने वालों की सरकार है.  राउत ने कहा, ‘‘शिवसेना (उबाठा) इसे बर्दाश्त नहीं करेगी. ( भाषा)
शिंदे गुट से भी पूछा सवाल
यह गुजराती या कोई अन्य है और किसी अन्य भाषा को जानने की कोई आवश्यकता नहीं है. इसके अलावा राउत ने कहा, ‘‘क्या 106 शहीदों ने (1950 के दशक में संयुक्त महाराष्ट्र आंदोलन में) यही सब सुनने के लिए अपने प्राणों की आहुति दी थी?’’ शिवसेना (उबाठा) नेता ने पूछा कि क्या यह मराठी भाषा और मराठी गौरव का अपमान नहीं है? राउत ने कहा कि जोशी को मुंबई आने के बाद मराठी भाषा का ‘‘अपमान’’ करने का कोई अधिकार नहीं है. उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘कोई ऐसा कहने की हिम्मत कैसे कर सकता है. क्योंकि राज्य में असहाय लोगों और मराठी से नफरत करने वालों की सरकार है.  राउत ने कहा, ‘‘शिवसेना (उबाठा) इसे बर्दाश्त नहीं करेगी. ( भाषा)

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