Muslim Warriors of Chhatrapati Shivaji Maharaj Army: मराठा साम्राज्य की नींव रखने वाले छत्रपति शिवाजी महाराज ने कहा था कि किसी भी काम को करने से पहले उसका परिणाम सोच लेना चाहिए नहीं तो आने वाली पीढ़ी उस काम पर चलने लगती हैं. लेकिन लगता है महाराष्ट्र की सियासत में बैठे सियासतदां मराठा क्षत्रप की सीख को ना सिर्फ भुला बैठे हैं बल्कि छत्रपति के नैतिक मूल्य भी उन्हें याद नहीं हैं.
कैसे शुरू हुआ ये सारा विवाद?
इसकी ताजा बानगी है महाराष्ट्र की सियासत में छत्रपति शिवाजी के नाम पर शुरू हुआ हिंदू मुसलमान का घमासान. दरअसल राज्य के मछली पालन मंत्री नितेश राणे ने छत्रपति शिवाजी महाराज की सेना को लेकर दावा ठोका कि शिवाजी महाराज की सेना में एक भी मुसलमान नहीं था. राणे का दावा आया तो महाराष्ट्र सरकार के डिप्टी सीएम अजित पवार ने इस पर पलटवार किया.
अब इन बयान बाजियों के बीच देश में सवाल उठने लगे कि क्या वाकई शिवाजी मुसलमानों से नफरत करते थे. क्या उनकी सेना में एक भी मुसलमान नहीं था. DNA के लिए हमने जब पड़ताल की तो कई चौंकाने वाले सच सामने आई. मराठा साम्राज्य के इतिहास में दर्ज है कि शिवाजी महाराज की सेना में आधा दर्जन से ज्यादा मुस्लिम सेनापति खास पदों पर तैनात थे और करीब 60 हजार मुस्लिम सैनिक फौज में शामिल थे.
तोपखाने के माहिर सिद्दी इब्राहिम खान
शिवाजी के मुस्लिम सेनापतियों में सबसे पहला नाम आता है सिद्दी इब्राहिम खान का, जो शिवाजी महाराज के तोपखाने के प्रमुख थे. सिद्दी इब्राहिम तोपखाने की रणनीतिक योजना और संचालन में माहिर थे. सिद्दी इब्राहिम खान ने 1661 में पन्हाला किले की रक्षा करते हुए वीरगति प्राप्त की.
बेहद भरोसेमंद इब्राहिम खां गार्दी
एक नाम आता है दौलत खान का. दौलत खान ने शिवाजी महाराज की ओर से कई युद्धों में हिस्सा लिया. उसने मुगलों और बीजापुर सल्तनत के खिलाफ जबरदस्त लड़ाई लड़ी. शिवाजी के मुस्लिम सेनापतियों में इब्राहिम खां गार्दी भी थे. इब्राहिम खां गारदी तोपखाने के प्रमुख थे और कई किलों की रक्षा में अहम भूमिका निभाई. 1680 में शिवाजी महाराज के पुत्र संभाजी महाराज की रक्षा करते हुए इब्राहिम खां गार्दी ने अपने प्राण त्यागे थे.
मावले से कांपती थी मुगल सेना
शिवाजी के एक और सेनापति थे मुस्लिम मावले. मुस्लिम मावले शिवाजी की गुरिल्ला फौज का अहम हिस्सा थे. उन्हें दुश्मनों पर अचानक हमला करने और महत्वपूर्ण ठिकानों को नष्ट करने में माहिर माना जाता था. फिदाई खान को भी शिवाजी महाराज के भरोसमंद सेनापतियों में माना जाता है. उन्होंने कई महत्वपूर्ण युद्धों में मराठा सेना का नेतृत्व किया और 1674 में सिंहगढ़ किले की रक्षा करते हुए वीरगति प्राप्त की.
कैसे शुरू हुआ ये सारा विवाद?
इसकी ताजा बानगी है महाराष्ट्र की सियासत में छत्रपति शिवाजी के नाम पर शुरू हुआ हिंदू मुसलमान का घमासान. दरअसल राज्य के मछली पालन मंत्री नितेश राणे ने छत्रपति शिवाजी महाराज की सेना को लेकर दावा ठोका कि शिवाजी महाराज की सेना में एक भी मुसलमान नहीं था. राणे का दावा आया तो महाराष्ट्र सरकार के डिप्टी सीएम अजित पवार ने इस पर पलटवार किया.
अब इन बयान बाजियों के बीच देश में सवाल उठने लगे कि क्या वाकई शिवाजी मुसलमानों से नफरत करते थे. क्या उनकी सेना में एक भी मुसलमान नहीं था. DNA के लिए हमने जब पड़ताल की तो कई चौंकाने वाले सच सामने आई. मराठा साम्राज्य के इतिहास में दर्ज है कि शिवाजी महाराज की सेना में आधा दर्जन से ज्यादा मुस्लिम सेनापति खास पदों पर तैनात थे और करीब 60 हजार मुस्लिम सैनिक फौज में शामिल थे.
तोपखाने के माहिर सिद्दी इब्राहिम खान
शिवाजी के मुस्लिम सेनापतियों में सबसे पहला नाम आता है सिद्दी इब्राहिम खान का, जो शिवाजी महाराज के तोपखाने के प्रमुख थे. सिद्दी इब्राहिम तोपखाने की रणनीतिक योजना और संचालन में माहिर थे. सिद्दी इब्राहिम खान ने 1661 में पन्हाला किले की रक्षा करते हुए वीरगति प्राप्त की.
बेहद भरोसेमंद इब्राहिम खां गार्दी
एक नाम आता है दौलत खान का. दौलत खान ने शिवाजी महाराज की ओर से कई युद्धों में हिस्सा लिया. उसने मुगलों और बीजापुर सल्तनत के खिलाफ जबरदस्त लड़ाई लड़ी. शिवाजी के मुस्लिम सेनापतियों में इब्राहिम खां गार्दी भी थे. इब्राहिम खां गारदी तोपखाने के प्रमुख थे और कई किलों की रक्षा में अहम भूमिका निभाई. 1680 में शिवाजी महाराज के पुत्र संभाजी महाराज की रक्षा करते हुए इब्राहिम खां गार्दी ने अपने प्राण त्यागे थे.
मावले से कांपती थी मुगल सेना
शिवाजी के एक और सेनापति थे मुस्लिम मावले. मुस्लिम मावले शिवाजी की गुरिल्ला फौज का अहम हिस्सा थे. उन्हें दुश्मनों पर अचानक हमला करने और महत्वपूर्ण ठिकानों को नष्ट करने में माहिर माना जाता था. फिदाई खान को भी शिवाजी महाराज के भरोसमंद सेनापतियों में माना जाता है. उन्होंने कई महत्वपूर्ण युद्धों में मराठा सेना का नेतृत्व किया और 1674 में सिंहगढ़ किले की रक्षा करते हुए वीरगति प्राप्त की.
इसकी ताजा बानगी है महाराष्ट्र की सियासत में छत्रपति शिवाजी के नाम पर शुरू हुआ हिंदू मुसलमान का घमासान. दरअसल राज्य के मछली पालन मंत्री नितेश राणे ने छत्रपति शिवाजी महाराज की सेना को लेकर दावा ठोका कि शिवाजी महाराज की सेना में एक भी मुसलमान नहीं था. राणे का दावा आया तो महाराष्ट्र सरकार के डिप्टी सीएम अजित पवार ने इस पर पलटवार किया.
अब इन बयान बाजियों के बीच देश में सवाल उठने लगे कि क्या वाकई शिवाजी मुसलमानों से नफरत करते थे. क्या उनकी सेना में एक भी मुसलमान नहीं था. DNA के लिए हमने जब पड़ताल की तो कई चौंकाने वाले सच सामने आई. मराठा साम्राज्य के इतिहास में दर्ज है कि शिवाजी महाराज की सेना में आधा दर्जन से ज्यादा मुस्लिम सेनापति खास पदों पर तैनात थे और करीब 60 हजार मुस्लिम सैनिक फौज में शामिल थे.
तोपखाने के माहिर सिद्दी इब्राहिम खान
शिवाजी के मुस्लिम सेनापतियों में सबसे पहला नाम आता है सिद्दी इब्राहिम खान का, जो शिवाजी महाराज के तोपखाने के प्रमुख थे. सिद्दी इब्राहिम तोपखाने की रणनीतिक योजना और संचालन में माहिर थे. सिद्दी इब्राहिम खान ने 1661 में पन्हाला किले की रक्षा करते हुए वीरगति प्राप्त की.
बेहद भरोसेमंद इब्राहिम खां गार्दी
एक नाम आता है दौलत खान का. दौलत खान ने शिवाजी महाराज की ओर से कई युद्धों में हिस्सा लिया. उसने मुगलों और बीजापुर सल्तनत के खिलाफ जबरदस्त लड़ाई लड़ी. शिवाजी के मुस्लिम सेनापतियों में इब्राहिम खां गार्दी भी थे. इब्राहिम खां गारदी तोपखाने के प्रमुख थे और कई किलों की रक्षा में अहम भूमिका निभाई. 1680 में शिवाजी महाराज के पुत्र संभाजी महाराज की रक्षा करते हुए इब्राहिम खां गार्दी ने अपने प्राण त्यागे थे.
मावले से कांपती थी मुगल सेना
शिवाजी के एक और सेनापति थे मुस्लिम मावले. मुस्लिम मावले शिवाजी की गुरिल्ला फौज का अहम हिस्सा थे. उन्हें दुश्मनों पर अचानक हमला करने और महत्वपूर्ण ठिकानों को नष्ट करने में माहिर माना जाता था. फिदाई खान को भी शिवाजी महाराज के भरोसमंद सेनापतियों में माना जाता है. उन्होंने कई महत्वपूर्ण युद्धों में मराठा सेना का नेतृत्व किया और 1674 में सिंहगढ़ किले की रक्षा करते हुए वीरगति प्राप्त की.
अब इन बयान बाजियों के बीच देश में सवाल उठने लगे कि क्या वाकई शिवाजी मुसलमानों से नफरत करते थे. क्या उनकी सेना में एक भी मुसलमान नहीं था. DNA के लिए हमने जब पड़ताल की तो कई चौंकाने वाले सच सामने आई. मराठा साम्राज्य के इतिहास में दर्ज है कि शिवाजी महाराज की सेना में आधा दर्जन से ज्यादा मुस्लिम सेनापति खास पदों पर तैनात थे और करीब 60 हजार मुस्लिम सैनिक फौज में शामिल थे.
तोपखाने के माहिर सिद्दी इब्राहिम खान
शिवाजी के मुस्लिम सेनापतियों में सबसे पहला नाम आता है सिद्दी इब्राहिम खान का, जो शिवाजी महाराज के तोपखाने के प्रमुख थे. सिद्दी इब्राहिम तोपखाने की रणनीतिक योजना और संचालन में माहिर थे. सिद्दी इब्राहिम खान ने 1661 में पन्हाला किले की रक्षा करते हुए वीरगति प्राप्त की.
बेहद भरोसेमंद इब्राहिम खां गार्दी
एक नाम आता है दौलत खान का. दौलत खान ने शिवाजी महाराज की ओर से कई युद्धों में हिस्सा लिया. उसने मुगलों और बीजापुर सल्तनत के खिलाफ जबरदस्त लड़ाई लड़ी. शिवाजी के मुस्लिम सेनापतियों में इब्राहिम खां गार्दी भी थे. इब्राहिम खां गारदी तोपखाने के प्रमुख थे और कई किलों की रक्षा में अहम भूमिका निभाई. 1680 में शिवाजी महाराज के पुत्र संभाजी महाराज की रक्षा करते हुए इब्राहिम खां गार्दी ने अपने प्राण त्यागे थे.
मावले से कांपती थी मुगल सेना
शिवाजी के एक और सेनापति थे मुस्लिम मावले. मुस्लिम मावले शिवाजी की गुरिल्ला फौज का अहम हिस्सा थे. उन्हें दुश्मनों पर अचानक हमला करने और महत्वपूर्ण ठिकानों को नष्ट करने में माहिर माना जाता था. फिदाई खान को भी शिवाजी महाराज के भरोसमंद सेनापतियों में माना जाता है. उन्होंने कई महत्वपूर्ण युद्धों में मराठा सेना का नेतृत्व किया और 1674 में सिंहगढ़ किले की रक्षा करते हुए वीरगति प्राप्त की.
तोपखाने के माहिर सिद्दी इब्राहिम खान
शिवाजी के मुस्लिम सेनापतियों में सबसे पहला नाम आता है सिद्दी इब्राहिम खान का, जो शिवाजी महाराज के तोपखाने के प्रमुख थे. सिद्दी इब्राहिम तोपखाने की रणनीतिक योजना और संचालन में माहिर थे. सिद्दी इब्राहिम खान ने 1661 में पन्हाला किले की रक्षा करते हुए वीरगति प्राप्त की.
बेहद भरोसेमंद इब्राहिम खां गार्दी
एक नाम आता है दौलत खान का. दौलत खान ने शिवाजी महाराज की ओर से कई युद्धों में हिस्सा लिया. उसने मुगलों और बीजापुर सल्तनत के खिलाफ जबरदस्त लड़ाई लड़ी. शिवाजी के मुस्लिम सेनापतियों में इब्राहिम खां गार्दी भी थे. इब्राहिम खां गारदी तोपखाने के प्रमुख थे और कई किलों की रक्षा में अहम भूमिका निभाई. 1680 में शिवाजी महाराज के पुत्र संभाजी महाराज की रक्षा करते हुए इब्राहिम खां गार्दी ने अपने प्राण त्यागे थे.
मावले से कांपती थी मुगल सेना
शिवाजी के एक और सेनापति थे मुस्लिम मावले. मुस्लिम मावले शिवाजी की गुरिल्ला फौज का अहम हिस्सा थे. उन्हें दुश्मनों पर अचानक हमला करने और महत्वपूर्ण ठिकानों को नष्ट करने में माहिर माना जाता था. फिदाई खान को भी शिवाजी महाराज के भरोसमंद सेनापतियों में माना जाता है. उन्होंने कई महत्वपूर्ण युद्धों में मराठा सेना का नेतृत्व किया और 1674 में सिंहगढ़ किले की रक्षा करते हुए वीरगति प्राप्त की.
शिवाजी के मुस्लिम सेनापतियों में सबसे पहला नाम आता है सिद्दी इब्राहिम खान का, जो शिवाजी महाराज के तोपखाने के प्रमुख थे. सिद्दी इब्राहिम तोपखाने की रणनीतिक योजना और संचालन में माहिर थे. सिद्दी इब्राहिम खान ने 1661 में पन्हाला किले की रक्षा करते हुए वीरगति प्राप्त की.
बेहद भरोसेमंद इब्राहिम खां गार्दी
एक नाम आता है दौलत खान का. दौलत खान ने शिवाजी महाराज की ओर से कई युद्धों में हिस्सा लिया. उसने मुगलों और बीजापुर सल्तनत के खिलाफ जबरदस्त लड़ाई लड़ी. शिवाजी के मुस्लिम सेनापतियों में इब्राहिम खां गार्दी भी थे. इब्राहिम खां गारदी तोपखाने के प्रमुख थे और कई किलों की रक्षा में अहम भूमिका निभाई. 1680 में शिवाजी महाराज के पुत्र संभाजी महाराज की रक्षा करते हुए इब्राहिम खां गार्दी ने अपने प्राण त्यागे थे.
मावले से कांपती थी मुगल सेना
शिवाजी के एक और सेनापति थे मुस्लिम मावले. मुस्लिम मावले शिवाजी की गुरिल्ला फौज का अहम हिस्सा थे. उन्हें दुश्मनों पर अचानक हमला करने और महत्वपूर्ण ठिकानों को नष्ट करने में माहिर माना जाता था. फिदाई खान को भी शिवाजी महाराज के भरोसमंद सेनापतियों में माना जाता है. उन्होंने कई महत्वपूर्ण युद्धों में मराठा सेना का नेतृत्व किया और 1674 में सिंहगढ़ किले की रक्षा करते हुए वीरगति प्राप्त की.
बेहद भरोसेमंद इब्राहिम खां गार्दी
एक नाम आता है दौलत खान का. दौलत खान ने शिवाजी महाराज की ओर से कई युद्धों में हिस्सा लिया. उसने मुगलों और बीजापुर सल्तनत के खिलाफ जबरदस्त लड़ाई लड़ी. शिवाजी के मुस्लिम सेनापतियों में इब्राहिम खां गार्दी भी थे. इब्राहिम खां गारदी तोपखाने के प्रमुख थे और कई किलों की रक्षा में अहम भूमिका निभाई. 1680 में शिवाजी महाराज के पुत्र संभाजी महाराज की रक्षा करते हुए इब्राहिम खां गार्दी ने अपने प्राण त्यागे थे.
मावले से कांपती थी मुगल सेना
शिवाजी के एक और सेनापति थे मुस्लिम मावले. मुस्लिम मावले शिवाजी की गुरिल्ला फौज का अहम हिस्सा थे. उन्हें दुश्मनों पर अचानक हमला करने और महत्वपूर्ण ठिकानों को नष्ट करने में माहिर माना जाता था. फिदाई खान को भी शिवाजी महाराज के भरोसमंद सेनापतियों में माना जाता है. उन्होंने कई महत्वपूर्ण युद्धों में मराठा सेना का नेतृत्व किया और 1674 में सिंहगढ़ किले की रक्षा करते हुए वीरगति प्राप्त की.
एक नाम आता है दौलत खान का. दौलत खान ने शिवाजी महाराज की ओर से कई युद्धों में हिस्सा लिया. उसने मुगलों और बीजापुर सल्तनत के खिलाफ जबरदस्त लड़ाई लड़ी. शिवाजी के मुस्लिम सेनापतियों में इब्राहिम खां गार्दी भी थे. इब्राहिम खां गारदी तोपखाने के प्रमुख थे और कई किलों की रक्षा में अहम भूमिका निभाई. 1680 में शिवाजी महाराज के पुत्र संभाजी महाराज की रक्षा करते हुए इब्राहिम खां गार्दी ने अपने प्राण त्यागे थे.
मावले से कांपती थी मुगल सेना
शिवाजी के एक और सेनापति थे मुस्लिम मावले. मुस्लिम मावले शिवाजी की गुरिल्ला फौज का अहम हिस्सा थे. उन्हें दुश्मनों पर अचानक हमला करने और महत्वपूर्ण ठिकानों को नष्ट करने में माहिर माना जाता था. फिदाई खान को भी शिवाजी महाराज के भरोसमंद सेनापतियों में माना जाता है. उन्होंने कई महत्वपूर्ण युद्धों में मराठा सेना का नेतृत्व किया और 1674 में सिंहगढ़ किले की रक्षा करते हुए वीरगति प्राप्त की.
मावले से कांपती थी मुगल सेना
शिवाजी के एक और सेनापति थे मुस्लिम मावले. मुस्लिम मावले शिवाजी की गुरिल्ला फौज का अहम हिस्सा थे. उन्हें दुश्मनों पर अचानक हमला करने और महत्वपूर्ण ठिकानों को नष्ट करने में माहिर माना जाता था. फिदाई खान को भी शिवाजी महाराज के भरोसमंद सेनापतियों में माना जाता है. उन्होंने कई महत्वपूर्ण युद्धों में मराठा सेना का नेतृत्व किया और 1674 में सिंहगढ़ किले की रक्षा करते हुए वीरगति प्राप्त की.
शिवाजी के एक और सेनापति थे मुस्लिम मावले. मुस्लिम मावले शिवाजी की गुरिल्ला फौज का अहम हिस्सा थे. उन्हें दुश्मनों पर अचानक हमला करने और महत्वपूर्ण ठिकानों को नष्ट करने में माहिर माना जाता था. फिदाई खान को भी शिवाजी महाराज के भरोसमंद सेनापतियों में माना जाता है. उन्होंने कई महत्वपूर्ण युद्धों में मराठा सेना का नेतृत्व किया और 1674 में सिंहगढ़ किले की रक्षा करते हुए वीरगति प्राप्त की.
