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Explained: क्या है हलाल और मल्हार सर्टिफिकेट महाराष्ट्र में मांस को लेकर क्यों छिड़ा विवाद


Maharashtra Malhar Certification: महाराष्ट्र में हलाल या झटका मीट को लेकर विवाद शुरू हो गया है. इसकी वजह राज्य सरकार की नई ‘मल्हार सर्टिफिकेशन’ पहल है, जिसे मंत्री नितेश राणे ने हिंदू मीट व्यापारियों के लिए लॉन्च किया है. इस सर्टिफिकेट के तहत 100% हिंदू स्वामित्व वाले मटन और चिकन दुकानों को प्रमाणित किया जाएगा, ताकि ग्राहक मिलावट मुक्त ‘झटका’ मटन खरीद सकें. इस पहल का बीजेपी ने समर्थन किया तो वहीं विपक्षी दलों ने इसे समाज को बांटने वाला और असंवैधानिक बताया.  कांग्रेस और एनसीपी नेताओं ने कहा कि सरकार खाने-पीने की आज़ादी पर दखल दे रही है. इस मुद्दे को लेकर सियासी घमासान तेज हो गया है.
क्या है मल्हार सर्टिफिकेशन?
यह सर्टिफिकेट ‘झटका’ मटन और चिकन बेचने वाले हिंदू दुकानदारों को दिया जाएगा. इसके तहत यह सुनिश्चित किया जाएगा कि मांस ताजा, साफ और बिना किसी अन्य पशु के मांस से मिला हो. यह प्रमाणन केवल हिंदू खटीक समुदाय के दुकानदारों को मिलेगा. साथ ही, ग्राहकों को सलाह दी गई है कि वे केवल प्रमाणित दुकानों से ही मांस खरीदें.

सरकारी वेबसाइट के अनुसार, ‘यह सुनिश्चित करता है कि हिंदू धार्मिक परंपराओं के अनुसार बलि दिया जाने वाला बकरा और भेड़ का मांस ताजा, साफ, लार से दूषित नहीं है और किसी अन्य जानवर के मांस के साथ मिश्रित नहीं है.”यह मांस विशेष रूप से हिंदू खटिक समुदाय के विक्रेताओं के माध्यम से उपलब्ध है. इसलिए, हम सभी को मल्हार द्वारा प्रमाणित विक्रेताओं से ही मटन खरीदने के लिए प्रोत्साहित करते हैं.’
विपक्ष ने उठाए सवाल
कांग्रेस नेता नाना पटोले ने इसे समाज को बांटने वाला कदम बताया और मुख्यमंत्री से मंत्री के खिलाफ कार्रवाई की मांग की. कांग्रेस के असलम शेख ने इसे असंवैधानिक करार दिया और कहा कि संविधान हर नागरिक को खाने की स्वतंत्रता देता है. एनसीपी नेता जितेंद्र आव्हाड ने रमजान के दौरान इस मुद्दे को उठाने पर सवाल किया और कहा कि बीजेपी सरकार हिंदू-मुस्लिम मुद्दों को भड़काने की कोशिश कर रही है.
बीजेपी का समर्थन
वहीं, बीजेपी विधायक संजय उपाध्याय ने इस पहल का समर्थन करते हुए कहा कि ‘हलाल’ मांस स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है. वहीं, राणे ने दावा किया कि यह सर्टिफिकेट हिंदू दुकानदारों को आर्थिक रूप से मजबूत करेगा. उन्होंने कहा, ‘मैं सभी हिंदू ग्राहकों से आग्रह करता हूं कि वे केवल मल्हार सर्टिफिकेशन प्राप्त दुकानों से मांस खरीदें.’
इस पहल को लेकर महाराष्ट्र की सियासत गरमा गई है। एक ओर बीजेपी इसे हिंदू दुकानदारों के लिए लाभकारी बता रही है, तो दूसरी ओर विपक्ष इसे समाज को बांटने वाला कदम करार दे रहा है। अब देखना यह है कि सरकार इस विवादित योजना को आगे कैसे लागू करती है।
हलाल मीट बनाम मल्हार मीट – क्या है अंतर?
हलाल मीट:- इस्लामिक रीति-रिवाजों के अनुसार जानवर के गले पर गहरा कट लगाया जाता है और दुआ (तस्मियाह) पढ़ी जाती है. इसमें खून पूरी तरह निकाला जाता है. दुनियाभर के मुस्लिम हलाल मीट ही खाते हैं. इसे इस्लामिक संगठनों द्वारा प्रमाणित किया जाता है, जो हलाल नियमों का पालन सुनिश्चित करते हैं.
मल्हार मीट:- इसमें ‘झटका’ विधि अपनाई जाती है, जिसमें एक ही झटके में जानवर के गले को अलग कर दिया जाता है. इसे महाराष्ट्र सरकार ने हिंदू उपभोक्ताओं के लिए प्रमोट किया है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि मांस हिंदू दुकानों से खरीदा जाए. महाराष्ट्र के मंत्री नितेश राणे द्वारा हिंदू मांस व्यापारियों के लिए यह प्रमाणन शुरू किया गया है.
क्या है मल्हार सर्टिफिकेशन?
यह सर्टिफिकेट ‘झटका’ मटन और चिकन बेचने वाले हिंदू दुकानदारों को दिया जाएगा. इसके तहत यह सुनिश्चित किया जाएगा कि मांस ताजा, साफ और बिना किसी अन्य पशु के मांस से मिला हो. यह प्रमाणन केवल हिंदू खटीक समुदाय के दुकानदारों को मिलेगा. साथ ही, ग्राहकों को सलाह दी गई है कि वे केवल प्रमाणित दुकानों से ही मांस खरीदें.

सरकारी वेबसाइट के अनुसार, ‘यह सुनिश्चित करता है कि हिंदू धार्मिक परंपराओं के अनुसार बलि दिया जाने वाला बकरा और भेड़ का मांस ताजा, साफ, लार से दूषित नहीं है और किसी अन्य जानवर के मांस के साथ मिश्रित नहीं है.”यह मांस विशेष रूप से हिंदू खटिक समुदाय के विक्रेताओं के माध्यम से उपलब्ध है. इसलिए, हम सभी को मल्हार द्वारा प्रमाणित विक्रेताओं से ही मटन खरीदने के लिए प्रोत्साहित करते हैं.’
विपक्ष ने उठाए सवाल
कांग्रेस नेता नाना पटोले ने इसे समाज को बांटने वाला कदम बताया और मुख्यमंत्री से मंत्री के खिलाफ कार्रवाई की मांग की. कांग्रेस के असलम शेख ने इसे असंवैधानिक करार दिया और कहा कि संविधान हर नागरिक को खाने की स्वतंत्रता देता है. एनसीपी नेता जितेंद्र आव्हाड ने रमजान के दौरान इस मुद्दे को उठाने पर सवाल किया और कहा कि बीजेपी सरकार हिंदू-मुस्लिम मुद्दों को भड़काने की कोशिश कर रही है.
बीजेपी का समर्थन
वहीं, बीजेपी विधायक संजय उपाध्याय ने इस पहल का समर्थन करते हुए कहा कि ‘हलाल’ मांस स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है. वहीं, राणे ने दावा किया कि यह सर्टिफिकेट हिंदू दुकानदारों को आर्थिक रूप से मजबूत करेगा. उन्होंने कहा, ‘मैं सभी हिंदू ग्राहकों से आग्रह करता हूं कि वे केवल मल्हार सर्टिफिकेशन प्राप्त दुकानों से मांस खरीदें.’
इस पहल को लेकर महाराष्ट्र की सियासत गरमा गई है। एक ओर बीजेपी इसे हिंदू दुकानदारों के लिए लाभकारी बता रही है, तो दूसरी ओर विपक्ष इसे समाज को बांटने वाला कदम करार दे रहा है। अब देखना यह है कि सरकार इस विवादित योजना को आगे कैसे लागू करती है।
हलाल मीट बनाम मल्हार मीट – क्या है अंतर?
हलाल मीट:- इस्लामिक रीति-रिवाजों के अनुसार जानवर के गले पर गहरा कट लगाया जाता है और दुआ (तस्मियाह) पढ़ी जाती है. इसमें खून पूरी तरह निकाला जाता है. दुनियाभर के मुस्लिम हलाल मीट ही खाते हैं. इसे इस्लामिक संगठनों द्वारा प्रमाणित किया जाता है, जो हलाल नियमों का पालन सुनिश्चित करते हैं.
मल्हार मीट:- इसमें ‘झटका’ विधि अपनाई जाती है, जिसमें एक ही झटके में जानवर के गले को अलग कर दिया जाता है. इसे महाराष्ट्र सरकार ने हिंदू उपभोक्ताओं के लिए प्रमोट किया है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि मांस हिंदू दुकानों से खरीदा जाए. महाराष्ट्र के मंत्री नितेश राणे द्वारा हिंदू मांस व्यापारियों के लिए यह प्रमाणन शुरू किया गया है.
सरकारी वेबसाइट के अनुसार, ‘यह सुनिश्चित करता है कि हिंदू धार्मिक परंपराओं के अनुसार बलि दिया जाने वाला बकरा और भेड़ का मांस ताजा, साफ, लार से दूषित नहीं है और किसी अन्य जानवर के मांस के साथ मिश्रित नहीं है.”यह मांस विशेष रूप से हिंदू खटिक समुदाय के विक्रेताओं के माध्यम से उपलब्ध है. इसलिए, हम सभी को मल्हार द्वारा प्रमाणित विक्रेताओं से ही मटन खरीदने के लिए प्रोत्साहित करते हैं.’
विपक्ष ने उठाए सवाल
कांग्रेस नेता नाना पटोले ने इसे समाज को बांटने वाला कदम बताया और मुख्यमंत्री से मंत्री के खिलाफ कार्रवाई की मांग की. कांग्रेस के असलम शेख ने इसे असंवैधानिक करार दिया और कहा कि संविधान हर नागरिक को खाने की स्वतंत्रता देता है. एनसीपी नेता जितेंद्र आव्हाड ने रमजान के दौरान इस मुद्दे को उठाने पर सवाल किया और कहा कि बीजेपी सरकार हिंदू-मुस्लिम मुद्दों को भड़काने की कोशिश कर रही है.
बीजेपी का समर्थन
वहीं, बीजेपी विधायक संजय उपाध्याय ने इस पहल का समर्थन करते हुए कहा कि ‘हलाल’ मांस स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है. वहीं, राणे ने दावा किया कि यह सर्टिफिकेट हिंदू दुकानदारों को आर्थिक रूप से मजबूत करेगा. उन्होंने कहा, ‘मैं सभी हिंदू ग्राहकों से आग्रह करता हूं कि वे केवल मल्हार सर्टिफिकेशन प्राप्त दुकानों से मांस खरीदें.’
इस पहल को लेकर महाराष्ट्र की सियासत गरमा गई है। एक ओर बीजेपी इसे हिंदू दुकानदारों के लिए लाभकारी बता रही है, तो दूसरी ओर विपक्ष इसे समाज को बांटने वाला कदम करार दे रहा है। अब देखना यह है कि सरकार इस विवादित योजना को आगे कैसे लागू करती है।
हलाल मीट बनाम मल्हार मीट – क्या है अंतर?
हलाल मीट:- इस्लामिक रीति-रिवाजों के अनुसार जानवर के गले पर गहरा कट लगाया जाता है और दुआ (तस्मियाह) पढ़ी जाती है. इसमें खून पूरी तरह निकाला जाता है. दुनियाभर के मुस्लिम हलाल मीट ही खाते हैं. इसे इस्लामिक संगठनों द्वारा प्रमाणित किया जाता है, जो हलाल नियमों का पालन सुनिश्चित करते हैं.
मल्हार मीट:- इसमें ‘झटका’ विधि अपनाई जाती है, जिसमें एक ही झटके में जानवर के गले को अलग कर दिया जाता है. इसे महाराष्ट्र सरकार ने हिंदू उपभोक्ताओं के लिए प्रमोट किया है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि मांस हिंदू दुकानों से खरीदा जाए. महाराष्ट्र के मंत्री नितेश राणे द्वारा हिंदू मांस व्यापारियों के लिए यह प्रमाणन शुरू किया गया है.
विपक्ष ने उठाए सवाल
कांग्रेस नेता नाना पटोले ने इसे समाज को बांटने वाला कदम बताया और मुख्यमंत्री से मंत्री के खिलाफ कार्रवाई की मांग की. कांग्रेस के असलम शेख ने इसे असंवैधानिक करार दिया और कहा कि संविधान हर नागरिक को खाने की स्वतंत्रता देता है. एनसीपी नेता जितेंद्र आव्हाड ने रमजान के दौरान इस मुद्दे को उठाने पर सवाल किया और कहा कि बीजेपी सरकार हिंदू-मुस्लिम मुद्दों को भड़काने की कोशिश कर रही है.
बीजेपी का समर्थन
वहीं, बीजेपी विधायक संजय उपाध्याय ने इस पहल का समर्थन करते हुए कहा कि ‘हलाल’ मांस स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है. वहीं, राणे ने दावा किया कि यह सर्टिफिकेट हिंदू दुकानदारों को आर्थिक रूप से मजबूत करेगा. उन्होंने कहा, ‘मैं सभी हिंदू ग्राहकों से आग्रह करता हूं कि वे केवल मल्हार सर्टिफिकेशन प्राप्त दुकानों से मांस खरीदें.’
इस पहल को लेकर महाराष्ट्र की सियासत गरमा गई है। एक ओर बीजेपी इसे हिंदू दुकानदारों के लिए लाभकारी बता रही है, तो दूसरी ओर विपक्ष इसे समाज को बांटने वाला कदम करार दे रहा है। अब देखना यह है कि सरकार इस विवादित योजना को आगे कैसे लागू करती है।
हलाल मीट बनाम मल्हार मीट – क्या है अंतर?
हलाल मीट:- इस्लामिक रीति-रिवाजों के अनुसार जानवर के गले पर गहरा कट लगाया जाता है और दुआ (तस्मियाह) पढ़ी जाती है. इसमें खून पूरी तरह निकाला जाता है. दुनियाभर के मुस्लिम हलाल मीट ही खाते हैं. इसे इस्लामिक संगठनों द्वारा प्रमाणित किया जाता है, जो हलाल नियमों का पालन सुनिश्चित करते हैं.
मल्हार मीट:- इसमें ‘झटका’ विधि अपनाई जाती है, जिसमें एक ही झटके में जानवर के गले को अलग कर दिया जाता है. इसे महाराष्ट्र सरकार ने हिंदू उपभोक्ताओं के लिए प्रमोट किया है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि मांस हिंदू दुकानों से खरीदा जाए. महाराष्ट्र के मंत्री नितेश राणे द्वारा हिंदू मांस व्यापारियों के लिए यह प्रमाणन शुरू किया गया है.
बीजेपी का समर्थन
वहीं, बीजेपी विधायक संजय उपाध्याय ने इस पहल का समर्थन करते हुए कहा कि ‘हलाल’ मांस स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है. वहीं, राणे ने दावा किया कि यह सर्टिफिकेट हिंदू दुकानदारों को आर्थिक रूप से मजबूत करेगा. उन्होंने कहा, ‘मैं सभी हिंदू ग्राहकों से आग्रह करता हूं कि वे केवल मल्हार सर्टिफिकेशन प्राप्त दुकानों से मांस खरीदें.’
इस पहल को लेकर महाराष्ट्र की सियासत गरमा गई है। एक ओर बीजेपी इसे हिंदू दुकानदारों के लिए लाभकारी बता रही है, तो दूसरी ओर विपक्ष इसे समाज को बांटने वाला कदम करार दे रहा है। अब देखना यह है कि सरकार इस विवादित योजना को आगे कैसे लागू करती है।
हलाल मीट बनाम मल्हार मीट – क्या है अंतर?
हलाल मीट:- इस्लामिक रीति-रिवाजों के अनुसार जानवर के गले पर गहरा कट लगाया जाता है और दुआ (तस्मियाह) पढ़ी जाती है. इसमें खून पूरी तरह निकाला जाता है. दुनियाभर के मुस्लिम हलाल मीट ही खाते हैं. इसे इस्लामिक संगठनों द्वारा प्रमाणित किया जाता है, जो हलाल नियमों का पालन सुनिश्चित करते हैं.
मल्हार मीट:- इसमें ‘झटका’ विधि अपनाई जाती है, जिसमें एक ही झटके में जानवर के गले को अलग कर दिया जाता है. इसे महाराष्ट्र सरकार ने हिंदू उपभोक्ताओं के लिए प्रमोट किया है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि मांस हिंदू दुकानों से खरीदा जाए. महाराष्ट्र के मंत्री नितेश राणे द्वारा हिंदू मांस व्यापारियों के लिए यह प्रमाणन शुरू किया गया है.
इस पहल को लेकर महाराष्ट्र की सियासत गरमा गई है। एक ओर बीजेपी इसे हिंदू दुकानदारों के लिए लाभकारी बता रही है, तो दूसरी ओर विपक्ष इसे समाज को बांटने वाला कदम करार दे रहा है। अब देखना यह है कि सरकार इस विवादित योजना को आगे कैसे लागू करती है।
हलाल मीट बनाम मल्हार मीट – क्या है अंतर?
हलाल मीट:- इस्लामिक रीति-रिवाजों के अनुसार जानवर के गले पर गहरा कट लगाया जाता है और दुआ (तस्मियाह) पढ़ी जाती है. इसमें खून पूरी तरह निकाला जाता है. दुनियाभर के मुस्लिम हलाल मीट ही खाते हैं. इसे इस्लामिक संगठनों द्वारा प्रमाणित किया जाता है, जो हलाल नियमों का पालन सुनिश्चित करते हैं.
मल्हार मीट:- इसमें ‘झटका’ विधि अपनाई जाती है, जिसमें एक ही झटके में जानवर के गले को अलग कर दिया जाता है. इसे महाराष्ट्र सरकार ने हिंदू उपभोक्ताओं के लिए प्रमोट किया है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि मांस हिंदू दुकानों से खरीदा जाए. महाराष्ट्र के मंत्री नितेश राणे द्वारा हिंदू मांस व्यापारियों के लिए यह प्रमाणन शुरू किया गया है.
हलाल मीट बनाम मल्हार मीट – क्या है अंतर?
हलाल मीट:- इस्लामिक रीति-रिवाजों के अनुसार जानवर के गले पर गहरा कट लगाया जाता है और दुआ (तस्मियाह) पढ़ी जाती है. इसमें खून पूरी तरह निकाला जाता है. दुनियाभर के मुस्लिम हलाल मीट ही खाते हैं. इसे इस्लामिक संगठनों द्वारा प्रमाणित किया जाता है, जो हलाल नियमों का पालन सुनिश्चित करते हैं.
मल्हार मीट:- इसमें ‘झटका’ विधि अपनाई जाती है, जिसमें एक ही झटके में जानवर के गले को अलग कर दिया जाता है. इसे महाराष्ट्र सरकार ने हिंदू उपभोक्ताओं के लिए प्रमोट किया है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि मांस हिंदू दुकानों से खरीदा जाए. महाराष्ट्र के मंत्री नितेश राणे द्वारा हिंदू मांस व्यापारियों के लिए यह प्रमाणन शुरू किया गया है.
मल्हार मीट:- इसमें ‘झटका’ विधि अपनाई जाती है, जिसमें एक ही झटके में जानवर के गले को अलग कर दिया जाता है. इसे महाराष्ट्र सरकार ने हिंदू उपभोक्ताओं के लिए प्रमोट किया है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि मांस हिंदू दुकानों से खरीदा जाए. महाराष्ट्र के मंत्री नितेश राणे द्वारा हिंदू मांस व्यापारियों के लिए यह प्रमाणन शुरू किया गया है.

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