US Fighter Jet: पीएम मोदी के अमेरिकी दौरे पर बिजनेस डील को लेकर कई समझौते हुए हैं. इसी कड़ी में अमेरिका अपने F-35 फाइटर जेट को भी भारत को बेचने की पेशकश कर रहा है. लेकिन यह सवालों के घेरे में है. वैसे तो इसे दुनिया का सबसे उन्नत लड़ाकू विमान माना जाता है लेकिन इसके बढ़ते खर्च और प्रदर्शन में आई गिरावट को लेकर अमेरिकी सरकार की ही एक रिपोर्ट ने गंभीर चिंता जाहिर की है. रिपोर्ट के अनुसार F-35 के तीनों वेरिएंट F-35A, F-35B और F-35C अपेक्षित प्रदर्शन देने में विफल हो रहे हैं. अमेरिकी रक्षा विभाग ने स्वीकार किया है कि पिछले पांच वर्षों में इसकी उपलब्धता में लगातार गिरावट आई है.
खर्च और रखरखाव बना भारी बोझ
असल में अमेरिका इसे भारत को बेचने की पेशकश कर रहा है लेकिन क्या यह भारत के लिए फायदे का सौदा होगा या एक महंगी परेशानी. यह चर्चा का विषय है. इकानॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट में इस बारे में बताया गया है कि F-35 को बनाए रखना अमेरिका के लिए भी मुश्किल साबित हो रहा है. 2018 में इसके रखरखाव पर अनुमानित लागत $1.1 ट्रिलियन थी, जो 2023 में बढ़कर $1.58 ट्रिलियन हो गई. अमेरिकी वायुसेना को हर साल एक विमान के संचालन पर $6.8 मिलियन खर्च करने पड़ रहे हैं जबकि शुरू में यह लागत $4.1 मिलियन तय की गई थी.
तकनीकी खामियां और उड़ानों में समस्या
रिपोर्ट में बताया गया है कि F-35 के निर्माण में लगातार देरी और तकनीकी खामियां भी बड़ी चुनौती बनी हुई हैं. इसे अपग्रेड करने के लिए अमेरिका ने $16.5 बिलियन खर्च किए हैं लेकिन सॉफ्टवेयर और रडार सिस्टम में गंभीर खामियां सामने आई हैं. हाल ही में आई रिपोर्ट के अनुसार इंजन ओवरहीटिंग की समस्या भी देखी गई है, जिससे युद्ध की स्थिति में इसकी प्रभावशीलता पर सवाल उठ रहे हैं. सबसे बड़ी चिंता यह है कि अमेरिका ने इस विमान की उड़ान क्षमता को पहले के अनुमानों से कम कर दिया है. यानी ये विमान जितने लंबे समय तक हवा में रह सकते थे अब उससे कम समय तक ऑपरेट किए जा सकते हैं.
दुर्घटनाएं और सुरक्षा चिंताएं
F-35 की विश्वसनीयता पर कई दुर्घटनाओं ने भी सवाल खड़े कर दिए हैं. हाल ही में अलास्का में एक पायलट को मिड-फ्लाइट विमान छोड़ना पड़ा क्योंकि उसमें तकनीकी खराबी आ गई थी. इसी तरह न्यू मैक्सिको और साउथ कैरोलाइना में भी इस विमान से जुड़े हादसे हो चुके हैं. अमेरिका में इन घटनाओं को लेकर बहस तेज हो गई है कि क्या यह विमान वाकई सुरक्षित है या यह एक असफल रक्षा परियोजना साबित हो रहा है. हालांकि निर्माता कंपनी लॉकहीड मार्टिन ने इसके बचाव में बयान दिया है कि यह विमान अत्याधुनिक तकनीक से लैस है और अमेरिकी सैन्य रणनीति का अहम हिस्सा बना रहेगा.
भारत के लिए कितना फायदेमंद होगा यह सौदा?
डोनाल्ड ट्रंप ने भारत को F-35 बेचने का प्रस्ताव दिया है लेकिन क्या भारत के लिए यह सौदा फायदेमंद रहेगा? भारत पहले से ही राफेल और तेजस जैसे विश्वसनीय लड़ाकू विमानों का संचालन कर रहा है. ऐसे में लागत और रखरखाव की वजह से F-35 भारत के लिए एक सिरदर्द बन सकता है. इसके अलावा अमेरिकी रिपोर्टों से यह भी स्पष्ट है कि F-35 को ऑपरेट करने के लिए अतिरिक्त संसाधनों और रखरखाव की जरूरत होगी जो भारतीय वायुसेना के लिए एक बड़ी चुनौती हो सकती है. ऐसे में भारत को यह तय करना होगा कि क्या यह ‘उड़ता कबाड़’ उसकी रक्षा रणनीति में सही बैठता है या यह सिर्फ एक बेकार निवेश साबित होगा.
खर्च और रखरखाव बना भारी बोझ
असल में अमेरिका इसे भारत को बेचने की पेशकश कर रहा है लेकिन क्या यह भारत के लिए फायदे का सौदा होगा या एक महंगी परेशानी. यह चर्चा का विषय है. इकानॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट में इस बारे में बताया गया है कि F-35 को बनाए रखना अमेरिका के लिए भी मुश्किल साबित हो रहा है. 2018 में इसके रखरखाव पर अनुमानित लागत $1.1 ट्रिलियन थी, जो 2023 में बढ़कर $1.58 ट्रिलियन हो गई. अमेरिकी वायुसेना को हर साल एक विमान के संचालन पर $6.8 मिलियन खर्च करने पड़ रहे हैं जबकि शुरू में यह लागत $4.1 मिलियन तय की गई थी.
तकनीकी खामियां और उड़ानों में समस्या
रिपोर्ट में बताया गया है कि F-35 के निर्माण में लगातार देरी और तकनीकी खामियां भी बड़ी चुनौती बनी हुई हैं. इसे अपग्रेड करने के लिए अमेरिका ने $16.5 बिलियन खर्च किए हैं लेकिन सॉफ्टवेयर और रडार सिस्टम में गंभीर खामियां सामने आई हैं. हाल ही में आई रिपोर्ट के अनुसार इंजन ओवरहीटिंग की समस्या भी देखी गई है, जिससे युद्ध की स्थिति में इसकी प्रभावशीलता पर सवाल उठ रहे हैं. सबसे बड़ी चिंता यह है कि अमेरिका ने इस विमान की उड़ान क्षमता को पहले के अनुमानों से कम कर दिया है. यानी ये विमान जितने लंबे समय तक हवा में रह सकते थे अब उससे कम समय तक ऑपरेट किए जा सकते हैं.
दुर्घटनाएं और सुरक्षा चिंताएं
F-35 की विश्वसनीयता पर कई दुर्घटनाओं ने भी सवाल खड़े कर दिए हैं. हाल ही में अलास्का में एक पायलट को मिड-फ्लाइट विमान छोड़ना पड़ा क्योंकि उसमें तकनीकी खराबी आ गई थी. इसी तरह न्यू मैक्सिको और साउथ कैरोलाइना में भी इस विमान से जुड़े हादसे हो चुके हैं. अमेरिका में इन घटनाओं को लेकर बहस तेज हो गई है कि क्या यह विमान वाकई सुरक्षित है या यह एक असफल रक्षा परियोजना साबित हो रहा है. हालांकि निर्माता कंपनी लॉकहीड मार्टिन ने इसके बचाव में बयान दिया है कि यह विमान अत्याधुनिक तकनीक से लैस है और अमेरिकी सैन्य रणनीति का अहम हिस्सा बना रहेगा.
भारत के लिए कितना फायदेमंद होगा यह सौदा?
डोनाल्ड ट्रंप ने भारत को F-35 बेचने का प्रस्ताव दिया है लेकिन क्या भारत के लिए यह सौदा फायदेमंद रहेगा? भारत पहले से ही राफेल और तेजस जैसे विश्वसनीय लड़ाकू विमानों का संचालन कर रहा है. ऐसे में लागत और रखरखाव की वजह से F-35 भारत के लिए एक सिरदर्द बन सकता है. इसके अलावा अमेरिकी रिपोर्टों से यह भी स्पष्ट है कि F-35 को ऑपरेट करने के लिए अतिरिक्त संसाधनों और रखरखाव की जरूरत होगी जो भारतीय वायुसेना के लिए एक बड़ी चुनौती हो सकती है. ऐसे में भारत को यह तय करना होगा कि क्या यह ‘उड़ता कबाड़’ उसकी रक्षा रणनीति में सही बैठता है या यह सिर्फ एक बेकार निवेश साबित होगा.
तकनीकी खामियां और उड़ानों में समस्या
रिपोर्ट में बताया गया है कि F-35 के निर्माण में लगातार देरी और तकनीकी खामियां भी बड़ी चुनौती बनी हुई हैं. इसे अपग्रेड करने के लिए अमेरिका ने $16.5 बिलियन खर्च किए हैं लेकिन सॉफ्टवेयर और रडार सिस्टम में गंभीर खामियां सामने आई हैं. हाल ही में आई रिपोर्ट के अनुसार इंजन ओवरहीटिंग की समस्या भी देखी गई है, जिससे युद्ध की स्थिति में इसकी प्रभावशीलता पर सवाल उठ रहे हैं. सबसे बड़ी चिंता यह है कि अमेरिका ने इस विमान की उड़ान क्षमता को पहले के अनुमानों से कम कर दिया है. यानी ये विमान जितने लंबे समय तक हवा में रह सकते थे अब उससे कम समय तक ऑपरेट किए जा सकते हैं.
दुर्घटनाएं और सुरक्षा चिंताएं
F-35 की विश्वसनीयता पर कई दुर्घटनाओं ने भी सवाल खड़े कर दिए हैं. हाल ही में अलास्का में एक पायलट को मिड-फ्लाइट विमान छोड़ना पड़ा क्योंकि उसमें तकनीकी खराबी आ गई थी. इसी तरह न्यू मैक्सिको और साउथ कैरोलाइना में भी इस विमान से जुड़े हादसे हो चुके हैं. अमेरिका में इन घटनाओं को लेकर बहस तेज हो गई है कि क्या यह विमान वाकई सुरक्षित है या यह एक असफल रक्षा परियोजना साबित हो रहा है. हालांकि निर्माता कंपनी लॉकहीड मार्टिन ने इसके बचाव में बयान दिया है कि यह विमान अत्याधुनिक तकनीक से लैस है और अमेरिकी सैन्य रणनीति का अहम हिस्सा बना रहेगा.
भारत के लिए कितना फायदेमंद होगा यह सौदा?
डोनाल्ड ट्रंप ने भारत को F-35 बेचने का प्रस्ताव दिया है लेकिन क्या भारत के लिए यह सौदा फायदेमंद रहेगा? भारत पहले से ही राफेल और तेजस जैसे विश्वसनीय लड़ाकू विमानों का संचालन कर रहा है. ऐसे में लागत और रखरखाव की वजह से F-35 भारत के लिए एक सिरदर्द बन सकता है. इसके अलावा अमेरिकी रिपोर्टों से यह भी स्पष्ट है कि F-35 को ऑपरेट करने के लिए अतिरिक्त संसाधनों और रखरखाव की जरूरत होगी जो भारतीय वायुसेना के लिए एक बड़ी चुनौती हो सकती है. ऐसे में भारत को यह तय करना होगा कि क्या यह ‘उड़ता कबाड़’ उसकी रक्षा रणनीति में सही बैठता है या यह सिर्फ एक बेकार निवेश साबित होगा.
दुर्घटनाएं और सुरक्षा चिंताएं
F-35 की विश्वसनीयता पर कई दुर्घटनाओं ने भी सवाल खड़े कर दिए हैं. हाल ही में अलास्का में एक पायलट को मिड-फ्लाइट विमान छोड़ना पड़ा क्योंकि उसमें तकनीकी खराबी आ गई थी. इसी तरह न्यू मैक्सिको और साउथ कैरोलाइना में भी इस विमान से जुड़े हादसे हो चुके हैं. अमेरिका में इन घटनाओं को लेकर बहस तेज हो गई है कि क्या यह विमान वाकई सुरक्षित है या यह एक असफल रक्षा परियोजना साबित हो रहा है. हालांकि निर्माता कंपनी लॉकहीड मार्टिन ने इसके बचाव में बयान दिया है कि यह विमान अत्याधुनिक तकनीक से लैस है और अमेरिकी सैन्य रणनीति का अहम हिस्सा बना रहेगा.
भारत के लिए कितना फायदेमंद होगा यह सौदा?
डोनाल्ड ट्रंप ने भारत को F-35 बेचने का प्रस्ताव दिया है लेकिन क्या भारत के लिए यह सौदा फायदेमंद रहेगा? भारत पहले से ही राफेल और तेजस जैसे विश्वसनीय लड़ाकू विमानों का संचालन कर रहा है. ऐसे में लागत और रखरखाव की वजह से F-35 भारत के लिए एक सिरदर्द बन सकता है. इसके अलावा अमेरिकी रिपोर्टों से यह भी स्पष्ट है कि F-35 को ऑपरेट करने के लिए अतिरिक्त संसाधनों और रखरखाव की जरूरत होगी जो भारतीय वायुसेना के लिए एक बड़ी चुनौती हो सकती है. ऐसे में भारत को यह तय करना होगा कि क्या यह ‘उड़ता कबाड़’ उसकी रक्षा रणनीति में सही बैठता है या यह सिर्फ एक बेकार निवेश साबित होगा.
भारत के लिए कितना फायदेमंद होगा यह सौदा?
डोनाल्ड ट्रंप ने भारत को F-35 बेचने का प्रस्ताव दिया है लेकिन क्या भारत के लिए यह सौदा फायदेमंद रहेगा? भारत पहले से ही राफेल और तेजस जैसे विश्वसनीय लड़ाकू विमानों का संचालन कर रहा है. ऐसे में लागत और रखरखाव की वजह से F-35 भारत के लिए एक सिरदर्द बन सकता है. इसके अलावा अमेरिकी रिपोर्टों से यह भी स्पष्ट है कि F-35 को ऑपरेट करने के लिए अतिरिक्त संसाधनों और रखरखाव की जरूरत होगी जो भारतीय वायुसेना के लिए एक बड़ी चुनौती हो सकती है. ऐसे में भारत को यह तय करना होगा कि क्या यह ‘उड़ता कबाड़’ उसकी रक्षा रणनीति में सही बैठता है या यह सिर्फ एक बेकार निवेश साबित होगा.
