मसूरी अकादमी का कड़ा कदम
महाराष्ट्र की ट्रेनी आईएएस पूजा खेडकर की नौकरी खतरे में पड़ती जा रही है। संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) ने उन्हें ट्रेनिंग के बीच में ही तलब करते हुए मसूरी एकेडमी में रिपोर्ट करने का आदेश दिया है। उन पर गलत तरीके से दिव्यांग कोटा हासिल कर नौकरी पाने का गंभीर आरोप लगाया गया है। सूत्रों के मुताबिक, सोशल मीडिया पर इस मामले के तूल पकड़ने के बाद UPSC ने इस पूरे प्रकरण में त्वरित कार्रवाई करते हुए दिशा-निर्देश जारी किए हैं।
सोशल मीडिया पर हुआ खुलासा
इस कहानी की शुरुआत तब हुई जब सोशल मीडिया पर ये खबर वायरल होने लगी कि पूजा खेडकर ने गलत तरीके से दिव्यांग कोटे का फायदा उठाकर UPSC परीक्षा पास की है। यह मामला सोशल मीडिया पर फैलते ही UPSC मजबूर होकर मामले की गहन छानबीन के लिए कदम उठाने पर विवश हो गया। आयोग ने मसूरी की लाल बहादुर शास्त्री प्रशासनिक अकादमी को आदेश दिया कि पूजा खेडकर की ट्रेनिंग को तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया जाए और उन्हें 23 जुलाई से पहले अकादमी में रिपोर्ट करने का निर्देश दिया जाए। साथ ही उनके दिव्यांग सर्टिफिकेट की जांच भी शुरू की जाए।
मेडिकल सर्टिफिकेट की जांच
एकेडमी के आदेश के बाद महाराष्ट्र सरकार ने पूजा खेडकर के जिला प्रशिक्षण कार्यक्रम को स्थगित कर दिया है। पत्रकारिता संजीव सिंह ने पुणे के दिव्यांग कल्याण आयुक्त को भेजे गए एक पत्र का हवाला दिया, जिसमें पुणे के जिलाधिकारी और पुलिस आयुक्त को सर्टिफिकेट की तुरंत जांच करवाने का अनुरोध किया गया था। आयुक्त ने अपने पत्र में लिखा है कि यदि पूजा खेडकर का दिव्यांग सर्टिफिकेट फर्जी निकलता है तो उस मामले में संबंधित डॉक्टर और स्वयं पूजा खेडकर पर भी कार्रवाई की जाए।
फर्जी सर्टिफिकेट का खुलासा
पूजा खेडकर ने दिव्यांग कोटे के तहत UPSC एग्जाम पास करके आईएएस बनी थीं। UPSC के नियमों के अनुसार, इस कोटे का लाभ लेने के लिए कम से कम 40 प्रतिशत विकलांगता होनी चाहिए। लेकिन पूजा खेडकर का मेडिकल सर्टिफिकेट यशवंतराव चव्हाण मेमोरियल अस्पताल के डीन डॉ. राजेंद्र वाबले द्वारा जारी किया गया था, जिसमें उनके बाएं घुटने में केवल 7 प्रतिशत विकलांगता पाई गई थी। यह UPSC के मानकों से काफी कम है।
सरकारी मेडिकल बोर्ड की अनदेखी
इतना ही नहीं, पूजा खेडकर ने दिल्ली के सरकारी मेडिकल बोर्ड के सामने अपना मेडिकल नहीं करवाया, जो कि नियुक्ति के लिए अनिवार्य शर्त है। आयोग ने उन्हें 6 मौकों पर मेडिकल टेस्ट में पेश होने का अवसर दिया, लेकिन उन्होंने हर बार इसे टाल दिया। इसके बजाय, उन्होंने बाहरी एजेंसी से अपना मेडिकल करवाया जिसे आयोग ने पहले नकार दिया लेकिन बाद में इस सर्टिफिकेट को मान्यता देकर उन्हें आईएएस काडर में अलॉट कर दिया।
UPSC की कार्रवाई और भविष्य की चुनौती
सोशल मीडिया पर वायरल खबरों के बाद UPSC ने मसूरी की लाल बहादुर शास्त्रीय प्रशासनिक अकादमी को पूजा खेडकर की ट्रेनिंग रद्द कर उन्हें 23 जुलाई से पहले अकादमी में रिपोर्ट करने का आदेश दिया। इस आदेश के बाद महाराष्ट्र सरकार ने भी पूजा खेडकर के जिला प्रशिक्षण कार्यक्रम को स्थगित कर दिया और उनके दिव्यांग प्रमाण पत्र की जांच शुरू करवा दी है। पुणे के दिव्यांग कल्याण आयुक्त ने पुणे के जिलाधिकारी और पुलिस आयुक्त को पत्र लिखकर सर्टिफिकेट की तुरंत जांच करवाने का निर्देश दिया।
IAS बनने की चुनौती
आखिरकार, पूजा खेडकर का आईएएस बनने का सफर अब एक दूसरे मोड़ पर है। दिव्यांग कोटे के तहत UPSC परीक्षा उत्तीर्ण करने का दावा अब उनकी मुश्किलों का कारण बन गया है। UPSC के नियमों के अनुसार, इस कोटे का लाभ तभी मिल सकता है जब उम्मीदवार की विकलांगता 40 प्रतिशत हो, जबकि पूजा खेडकर इस मापदंड पर खरी नहीं उतरतीं। इसके अलावा, आयोग द्वारा निर्धारित सरकारी मेडिकल बोर्ड के सामने उपस्थित न होकर बाहरी एजेंसी से मेडिकल सर्टिफिकेट प्राप्त करना भी नियमों के खिलाफ था।
महाराष्ट्र सरकार की भूमिका
महाराष्ट्र सरकार ने भी इस मामले में तुरंत कदम उठाए हैं। पूजा खेडकर के जिला प्रशिक्षण कार्यक्रम को स्थगित कर दिया गया है और उनके दिव्यांग सर्टिफिकेट की जांच शुरू कर दी गई है। पुणे के दिव्यांग कल्याण आयुक्त ने पुणे के जिलाधिकारी और पुलिस आयुक्त को पत्र लिखकर सर्टिफिकेट की तुरंत जांच करवाने का निर्देश दिया है। अगर पूजा खेडकर का सर्टिफिकेट फर्जी पाया जाता है तो संबंधित डॉक्टर और पूजा खेडकर के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी।
इस प्रकार, पूजा खेडकर का मामला एक महत्वपूर्ण तहकीकात के अधीन है और इसके परिणाम स्वरूप क्या कदम उठाए जाएंगे, यह देखना अब महत्वपूर्ण होगा।