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Mahakumbh 2025 के लिए अखाड़ा परिषद की माँगें

महाकुंभ 2025 और सामाजिक दृष्टिकोण

महाकुंभ 2025 के आयोजन की तैयारियाँ हाल ही में चर्चा का विषय बनी हुई हैं, खासकर अखाड़ा परिषद द्वारा समुदाय विशेष पर लगाए गए प्रतिबंध और उनकी मांगों के कारण। करोड़ों हिंदुओं की आस्था से जुड़े इस महाकुंभ में अखाड़ा परिषद ने कई विवादास्पद घोषणाएँ की हैं। संत समाज ने समुदाय विशेष के लिए महाकुंभ में NO ENTRY का बोर्ड टांगने की बात कही है, जिसे लेकर मुस्लिम समाज में नाराजगी फैल गई है।

संत समाज की आपत्तियाँ

अखाड़ा परिषद का कहना है कि कुछ मुस्लिम संत बनकर महाकुंभ में भ्रमण करते हैं, जिससे धार्मिक भावना में खलल पड़ती है। इस कारण से अखाड़ा परिषद ने सुझाव दिया है कि महाकुंभ के मेले में प्रवेश के लिए आधार कार्ड अनिवार्य किया जाए। इसके अतिरिक्त, शाही स्नान और पेशवाई जैसे शब्दों को धर्म विशेष से जोड़ते हुए इन्हें देव स्नान और देव आगमन के रूप में प्रस्तुत किया गया है।

मेला क्षेत्र में रिकॉर्ड संख्या में पुलिस थानों और चौकियों का निर्माण भी संत समाज की मांगों में शामिल है। एक अत्यधिक सुनियोजित और सुरक्षित वातावरण सुनिश्चित करने के लिए 30,000 से अधिक पुलिसकर्मियों की तैनाती का प्रस्ताव रखा गया है।

मुस्लिम समाज की प्रतिक्रिया

संत समाज की इन मांगों को मुस्लिम समुदाय ने कड़ी आलोचना का शिकार बताया है। आल इंडिया मुस्लिम जमात के अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन बरेलवी ने गंगा-जमुनी तहजीब को संरक्षण देने की अपील की और कहा कि यह भारत के समृद्ध विविधता का अपमान है। उन्होंने महाकुंभ में मुस्लिमों को प्रतिबंधित करने की योजना को भारत के लोकतांत्रिक इतिहास के लिए शर्मनाक करार दिया।

सीएम योगी की भूमिका और आगे की कार्रवाई

यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ महाकुंभ की इन तैयारियों पर व्यक्तिगत रूप से ध्यान देंगे। वे रविवार को प्रयागराज में संत समाज के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक करने जा रहे हैं। इसका मकसद महाकुंभ के लिए संत समाज की मांगों का हल निकालना और भविष्य की दिशा तय करना है।

काफी विवादास्पद रही इस योजना पर मुस्लिम समाज की प्रतिक्रिया के बावजूद, मुख्यमंत्री से इस विषय पर कोई ठोस निर्णय लेने की संभावना है। देखना होगा कि 6 अक्टूबर को संत समाज और सीएम योगी के बीच होने वाली बैठक के बाद क्या ऐतिहासिक फैसले लिए जाते हैं।

महाकुंभ 2025 की विशेष तैयारी

महाकुंभ 2025 के लिए सुरक्षा व्यवस्था पर खास ध्यान दिया जा रहा है। प्रयागराज में हो रही तैयारी के तहत 50 से अधिक पुलिस थानों और 65 पुलिस चौकियों का निर्माण किया जा रहा है। सुरक्षा के मद्देनजर तकरीबन 30,000 पुलिसकर्मियों की तैनाती की जा रही है। यह यकीनन इस बार के महाकुंभ को एक अनोखी सुरक्षा व्यवस्था वाला आयोजन बनाएगा।

महाकुंभ 2025 का यह आयोजन 13 जनवरी से प्रारंभ होगा और एक ऐसे समय पर होगा जब धार्मिक और सामाजिक दृष्टिकोण से यह जगह वैश्विक स्तर पर एक अलग पहचान बनाएगी। यह सुनिश्चित करना होगा कि कैसे महाकुंभ का यह अनोखा पर्व सबके लिए एक सीख और भारत की विविधता का प्रतीक बने।

महाकुंभ में सनातनी अधिकारी और कर्मचारी तैनात किए जाने की मांग भी संत समाज द्वारा रखी गई है, ताकि मेला के दौरान हर गतिविधि को संस्कृति के अनुरूप सफलीभूत किया जा सके।

इस महाकुंभ के आयोजन को लेकर अपने-अपने विचार रखते हुए सभी पक्षों की नजरें 6 अक्टूबर को होने वाली सीएम योगी और संत समाज की बैठक पर टिकी हैं। इस ऐतिहासिक मिलन के फैसले किस दिशा में आगे बढ़ेंगे, यह देखना बेहद दिलचस्प होगा।

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