Road Namaz DNA Analysis: भारत में हर नागरिक को अपने धर्म का पालन करने की आजादी है. संविधान के अनुच्छेद 25 से 28 तक यह अधिकार दिया गया है. लेकिन यह आजादी भी एक सीमा तक ही है. किसी की धार्मिक स्वतंत्रता तब तक सही है जब तक वह किसी और के लिए समस्या न बने. कई बार देखा जाता है कि लोग सड़क पर नमाज पढ़ते हैं जिससे ट्रैफिक रुकता है और आम लोगों को परेशानी होती है.
देशभर से आई सड़क पर नमाज की तस्वीरें
देश के कई हिस्सों.. जैसे दिल्ली और पश्चिम बंगाल से सड़क पर नमाज पढ़ने की तस्वीरें सामने आई हैं. यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुका है. जहां कोर्ट ने साफ कहा कि बिना प्रशासन की अनुमति के सड़क पर इस तरह की इबादत नहीं हो सकती. इसके बावजूद भी यह सिलसिला जारी है और प्रशासन को कई बार कार्रवाई करनी पड़ी है.
यूपी पुलिस का सख्त रुख
अब उत्तर प्रदेश पुलिस ने सड़क पर नमाज पढ़ने वालों के लिए नया नियम लागू कर दिया है. पुलिस ने ऐलान किया है कि अगर कोई व्यक्ति सड़क पर नमाज पढ़ते पकड़ा जाता है तो उसे हज यात्रा पर जाने की अनुमति नहीं दी जाएगी. मेरठ के एसएसपी ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि कानून का पालन न करने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी.
सड़क पर नमाज से ट्रैफिक में रुकावट
सवाल उठता है कि सड़क पर नमाज पढ़ने से किसे परेशानी होती है? इसका जवाब उन तस्वीरों में मिल जाता है जहां नमाज के कारण ट्रैफिक रुक जाता है. इस जाम में एंबुलेंस भी फंस जाती है जिससे कई बार जान का खतरा हो सकता है. दिल्ली के बीजेपी विधायक करनैल सिंह ने भी पुलिस से अपील की है कि ऐसे मामलों पर सख्ती बरती जाए.
मुस्लिम समाज की प्रतिक्रिया
इस मुद्दे पर मुस्लिम समुदाय के भी कई लोगों की प्रतिक्रिया आई है. कई मुस्लिम नेताओं और मौलानाओं ने कहा है कि सड़क पर नमाज पढ़ना इस्लाम में जायज़ नहीं है. नमाज मस्जिद या निर्धारित स्थान पर पढ़नी चाहिए ताकि दूसरों को कोई असुविधा न हो. जब प्रशासन ने सड़क पर नमाज पढ़ने पर रोक लगाई तब कुछ लोग अब छतों पर नमाज पढ़ने की अनुमति मांगने लगे हैं. संभल के एसडीएम ने बताया कि अब कुछ लोग कह रहे हैं कि सड़क न सही तो छत पर नमाज पढ़ने दें. यह दिखाता है कि कुछ लोग नियमों को तोड़ने के तरीके खोजने में लगे रहते हैं.
भोपाल में मस्जिदों में महिलाओं को मिली नमाज की इजाजत
भोपाल में रमजान के मौके पर एक नई शुरुआत हुई है. यहां की 20 मस्जिदों में मुस्लिम महिलाओं को नमाज पढ़ने की अनुमति दी गई है. हालांकि इसके लिए कुछ शर्तें रखी गई हैं. महिलाओं को नमाज के दौरान पर्दे का पालन करना होगा और शरीर का कोई हिस्सा दिखाई न दे इसका ध्यान रखना होगा. भोपाल की ताजुल मसाजिद, मोती मस्जिद, साजिदा सुल्तान मस्जिद और अन्य मस्जिदों में महिलाओं के लिए विशेष व्यवस्था की गई है. पति-पत्नी एक साथ नमाज नहीं पढ़ सकेंगे. कई मुस्लिम महिलाएं इसे एक सकारात्मक और प्रगतिशील कदम मान रही हैं.
इस्लाम क्या कहता है?
इस्लामी जानकारों के अनुसार इस्लाम में महिलाओं को मस्जिद में नमाज पढ़ने की मनाही नहीं है. मक्का की मस्जिद अल हरम में भी महिलाओं के लिए अलग व्यवस्था है. मलेशिया, इंडोनेशिया, ईरान, यूरोप और अमेरिका में भी महिलाएं मस्जिद में नमाज अदा कर सकती हैं. जानकारों का कहना है कि रोक इस्लाम में नहीं है बल्कि समस्या उन कट्टर सोच वालों से है जो महिलाओं को मस्जिद में नमाज पढ़ने का विरोध करते हैं. भारत में महिलाओं को मस्जिद में नमाज की अनुमति देकर भोपाल ने एक नई बहस शुरू कर दी है.
देशभर से आई सड़क पर नमाज की तस्वीरें
देश के कई हिस्सों.. जैसे दिल्ली और पश्चिम बंगाल से सड़क पर नमाज पढ़ने की तस्वीरें सामने आई हैं. यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुका है. जहां कोर्ट ने साफ कहा कि बिना प्रशासन की अनुमति के सड़क पर इस तरह की इबादत नहीं हो सकती. इसके बावजूद भी यह सिलसिला जारी है और प्रशासन को कई बार कार्रवाई करनी पड़ी है.
यूपी पुलिस का सख्त रुख
अब उत्तर प्रदेश पुलिस ने सड़क पर नमाज पढ़ने वालों के लिए नया नियम लागू कर दिया है. पुलिस ने ऐलान किया है कि अगर कोई व्यक्ति सड़क पर नमाज पढ़ते पकड़ा जाता है तो उसे हज यात्रा पर जाने की अनुमति नहीं दी जाएगी. मेरठ के एसएसपी ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि कानून का पालन न करने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी.
सड़क पर नमाज से ट्रैफिक में रुकावट
सवाल उठता है कि सड़क पर नमाज पढ़ने से किसे परेशानी होती है? इसका जवाब उन तस्वीरों में मिल जाता है जहां नमाज के कारण ट्रैफिक रुक जाता है. इस जाम में एंबुलेंस भी फंस जाती है जिससे कई बार जान का खतरा हो सकता है. दिल्ली के बीजेपी विधायक करनैल सिंह ने भी पुलिस से अपील की है कि ऐसे मामलों पर सख्ती बरती जाए.
मुस्लिम समाज की प्रतिक्रिया
इस मुद्दे पर मुस्लिम समुदाय के भी कई लोगों की प्रतिक्रिया आई है. कई मुस्लिम नेताओं और मौलानाओं ने कहा है कि सड़क पर नमाज पढ़ना इस्लाम में जायज़ नहीं है. नमाज मस्जिद या निर्धारित स्थान पर पढ़नी चाहिए ताकि दूसरों को कोई असुविधा न हो. जब प्रशासन ने सड़क पर नमाज पढ़ने पर रोक लगाई तब कुछ लोग अब छतों पर नमाज पढ़ने की अनुमति मांगने लगे हैं. संभल के एसडीएम ने बताया कि अब कुछ लोग कह रहे हैं कि सड़क न सही तो छत पर नमाज पढ़ने दें. यह दिखाता है कि कुछ लोग नियमों को तोड़ने के तरीके खोजने में लगे रहते हैं.
भोपाल में मस्जिदों में महिलाओं को मिली नमाज की इजाजत
भोपाल में रमजान के मौके पर एक नई शुरुआत हुई है. यहां की 20 मस्जिदों में मुस्लिम महिलाओं को नमाज पढ़ने की अनुमति दी गई है. हालांकि इसके लिए कुछ शर्तें रखी गई हैं. महिलाओं को नमाज के दौरान पर्दे का पालन करना होगा और शरीर का कोई हिस्सा दिखाई न दे इसका ध्यान रखना होगा. भोपाल की ताजुल मसाजिद, मोती मस्जिद, साजिदा सुल्तान मस्जिद और अन्य मस्जिदों में महिलाओं के लिए विशेष व्यवस्था की गई है. पति-पत्नी एक साथ नमाज नहीं पढ़ सकेंगे. कई मुस्लिम महिलाएं इसे एक सकारात्मक और प्रगतिशील कदम मान रही हैं.
इस्लाम क्या कहता है?
इस्लामी जानकारों के अनुसार इस्लाम में महिलाओं को मस्जिद में नमाज पढ़ने की मनाही नहीं है. मक्का की मस्जिद अल हरम में भी महिलाओं के लिए अलग व्यवस्था है. मलेशिया, इंडोनेशिया, ईरान, यूरोप और अमेरिका में भी महिलाएं मस्जिद में नमाज अदा कर सकती हैं. जानकारों का कहना है कि रोक इस्लाम में नहीं है बल्कि समस्या उन कट्टर सोच वालों से है जो महिलाओं को मस्जिद में नमाज पढ़ने का विरोध करते हैं. भारत में महिलाओं को मस्जिद में नमाज की अनुमति देकर भोपाल ने एक नई बहस शुरू कर दी है.
देश के कई हिस्सों.. जैसे दिल्ली और पश्चिम बंगाल से सड़क पर नमाज पढ़ने की तस्वीरें सामने आई हैं. यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुका है. जहां कोर्ट ने साफ कहा कि बिना प्रशासन की अनुमति के सड़क पर इस तरह की इबादत नहीं हो सकती. इसके बावजूद भी यह सिलसिला जारी है और प्रशासन को कई बार कार्रवाई करनी पड़ी है.
यूपी पुलिस का सख्त रुख
अब उत्तर प्रदेश पुलिस ने सड़क पर नमाज पढ़ने वालों के लिए नया नियम लागू कर दिया है. पुलिस ने ऐलान किया है कि अगर कोई व्यक्ति सड़क पर नमाज पढ़ते पकड़ा जाता है तो उसे हज यात्रा पर जाने की अनुमति नहीं दी जाएगी. मेरठ के एसएसपी ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि कानून का पालन न करने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी.
सड़क पर नमाज से ट्रैफिक में रुकावट
सवाल उठता है कि सड़क पर नमाज पढ़ने से किसे परेशानी होती है? इसका जवाब उन तस्वीरों में मिल जाता है जहां नमाज के कारण ट्रैफिक रुक जाता है. इस जाम में एंबुलेंस भी फंस जाती है जिससे कई बार जान का खतरा हो सकता है. दिल्ली के बीजेपी विधायक करनैल सिंह ने भी पुलिस से अपील की है कि ऐसे मामलों पर सख्ती बरती जाए.
मुस्लिम समाज की प्रतिक्रिया
इस मुद्दे पर मुस्लिम समुदाय के भी कई लोगों की प्रतिक्रिया आई है. कई मुस्लिम नेताओं और मौलानाओं ने कहा है कि सड़क पर नमाज पढ़ना इस्लाम में जायज़ नहीं है. नमाज मस्जिद या निर्धारित स्थान पर पढ़नी चाहिए ताकि दूसरों को कोई असुविधा न हो. जब प्रशासन ने सड़क पर नमाज पढ़ने पर रोक लगाई तब कुछ लोग अब छतों पर नमाज पढ़ने की अनुमति मांगने लगे हैं. संभल के एसडीएम ने बताया कि अब कुछ लोग कह रहे हैं कि सड़क न सही तो छत पर नमाज पढ़ने दें. यह दिखाता है कि कुछ लोग नियमों को तोड़ने के तरीके खोजने में लगे रहते हैं.
भोपाल में मस्जिदों में महिलाओं को मिली नमाज की इजाजत
भोपाल में रमजान के मौके पर एक नई शुरुआत हुई है. यहां की 20 मस्जिदों में मुस्लिम महिलाओं को नमाज पढ़ने की अनुमति दी गई है. हालांकि इसके लिए कुछ शर्तें रखी गई हैं. महिलाओं को नमाज के दौरान पर्दे का पालन करना होगा और शरीर का कोई हिस्सा दिखाई न दे इसका ध्यान रखना होगा. भोपाल की ताजुल मसाजिद, मोती मस्जिद, साजिदा सुल्तान मस्जिद और अन्य मस्जिदों में महिलाओं के लिए विशेष व्यवस्था की गई है. पति-पत्नी एक साथ नमाज नहीं पढ़ सकेंगे. कई मुस्लिम महिलाएं इसे एक सकारात्मक और प्रगतिशील कदम मान रही हैं.
इस्लाम क्या कहता है?
इस्लामी जानकारों के अनुसार इस्लाम में महिलाओं को मस्जिद में नमाज पढ़ने की मनाही नहीं है. मक्का की मस्जिद अल हरम में भी महिलाओं के लिए अलग व्यवस्था है. मलेशिया, इंडोनेशिया, ईरान, यूरोप और अमेरिका में भी महिलाएं मस्जिद में नमाज अदा कर सकती हैं. जानकारों का कहना है कि रोक इस्लाम में नहीं है बल्कि समस्या उन कट्टर सोच वालों से है जो महिलाओं को मस्जिद में नमाज पढ़ने का विरोध करते हैं. भारत में महिलाओं को मस्जिद में नमाज की अनुमति देकर भोपाल ने एक नई बहस शुरू कर दी है.
यूपी पुलिस का सख्त रुख
अब उत्तर प्रदेश पुलिस ने सड़क पर नमाज पढ़ने वालों के लिए नया नियम लागू कर दिया है. पुलिस ने ऐलान किया है कि अगर कोई व्यक्ति सड़क पर नमाज पढ़ते पकड़ा जाता है तो उसे हज यात्रा पर जाने की अनुमति नहीं दी जाएगी. मेरठ के एसएसपी ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि कानून का पालन न करने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी.
सड़क पर नमाज से ट्रैफिक में रुकावट
सवाल उठता है कि सड़क पर नमाज पढ़ने से किसे परेशानी होती है? इसका जवाब उन तस्वीरों में मिल जाता है जहां नमाज के कारण ट्रैफिक रुक जाता है. इस जाम में एंबुलेंस भी फंस जाती है जिससे कई बार जान का खतरा हो सकता है. दिल्ली के बीजेपी विधायक करनैल सिंह ने भी पुलिस से अपील की है कि ऐसे मामलों पर सख्ती बरती जाए.
मुस्लिम समाज की प्रतिक्रिया
इस मुद्दे पर मुस्लिम समुदाय के भी कई लोगों की प्रतिक्रिया आई है. कई मुस्लिम नेताओं और मौलानाओं ने कहा है कि सड़क पर नमाज पढ़ना इस्लाम में जायज़ नहीं है. नमाज मस्जिद या निर्धारित स्थान पर पढ़नी चाहिए ताकि दूसरों को कोई असुविधा न हो. जब प्रशासन ने सड़क पर नमाज पढ़ने पर रोक लगाई तब कुछ लोग अब छतों पर नमाज पढ़ने की अनुमति मांगने लगे हैं. संभल के एसडीएम ने बताया कि अब कुछ लोग कह रहे हैं कि सड़क न सही तो छत पर नमाज पढ़ने दें. यह दिखाता है कि कुछ लोग नियमों को तोड़ने के तरीके खोजने में लगे रहते हैं.
भोपाल में मस्जिदों में महिलाओं को मिली नमाज की इजाजत
भोपाल में रमजान के मौके पर एक नई शुरुआत हुई है. यहां की 20 मस्जिदों में मुस्लिम महिलाओं को नमाज पढ़ने की अनुमति दी गई है. हालांकि इसके लिए कुछ शर्तें रखी गई हैं. महिलाओं को नमाज के दौरान पर्दे का पालन करना होगा और शरीर का कोई हिस्सा दिखाई न दे इसका ध्यान रखना होगा. भोपाल की ताजुल मसाजिद, मोती मस्जिद, साजिदा सुल्तान मस्जिद और अन्य मस्जिदों में महिलाओं के लिए विशेष व्यवस्था की गई है. पति-पत्नी एक साथ नमाज नहीं पढ़ सकेंगे. कई मुस्लिम महिलाएं इसे एक सकारात्मक और प्रगतिशील कदम मान रही हैं.
इस्लाम क्या कहता है?
इस्लामी जानकारों के अनुसार इस्लाम में महिलाओं को मस्जिद में नमाज पढ़ने की मनाही नहीं है. मक्का की मस्जिद अल हरम में भी महिलाओं के लिए अलग व्यवस्था है. मलेशिया, इंडोनेशिया, ईरान, यूरोप और अमेरिका में भी महिलाएं मस्जिद में नमाज अदा कर सकती हैं. जानकारों का कहना है कि रोक इस्लाम में नहीं है बल्कि समस्या उन कट्टर सोच वालों से है जो महिलाओं को मस्जिद में नमाज पढ़ने का विरोध करते हैं. भारत में महिलाओं को मस्जिद में नमाज की अनुमति देकर भोपाल ने एक नई बहस शुरू कर दी है.
अब उत्तर प्रदेश पुलिस ने सड़क पर नमाज पढ़ने वालों के लिए नया नियम लागू कर दिया है. पुलिस ने ऐलान किया है कि अगर कोई व्यक्ति सड़क पर नमाज पढ़ते पकड़ा जाता है तो उसे हज यात्रा पर जाने की अनुमति नहीं दी जाएगी. मेरठ के एसएसपी ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि कानून का पालन न करने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी.
सड़क पर नमाज से ट्रैफिक में रुकावट
सवाल उठता है कि सड़क पर नमाज पढ़ने से किसे परेशानी होती है? इसका जवाब उन तस्वीरों में मिल जाता है जहां नमाज के कारण ट्रैफिक रुक जाता है. इस जाम में एंबुलेंस भी फंस जाती है जिससे कई बार जान का खतरा हो सकता है. दिल्ली के बीजेपी विधायक करनैल सिंह ने भी पुलिस से अपील की है कि ऐसे मामलों पर सख्ती बरती जाए.
मुस्लिम समाज की प्रतिक्रिया
इस मुद्दे पर मुस्लिम समुदाय के भी कई लोगों की प्रतिक्रिया आई है. कई मुस्लिम नेताओं और मौलानाओं ने कहा है कि सड़क पर नमाज पढ़ना इस्लाम में जायज़ नहीं है. नमाज मस्जिद या निर्धारित स्थान पर पढ़नी चाहिए ताकि दूसरों को कोई असुविधा न हो. जब प्रशासन ने सड़क पर नमाज पढ़ने पर रोक लगाई तब कुछ लोग अब छतों पर नमाज पढ़ने की अनुमति मांगने लगे हैं. संभल के एसडीएम ने बताया कि अब कुछ लोग कह रहे हैं कि सड़क न सही तो छत पर नमाज पढ़ने दें. यह दिखाता है कि कुछ लोग नियमों को तोड़ने के तरीके खोजने में लगे रहते हैं.
भोपाल में मस्जिदों में महिलाओं को मिली नमाज की इजाजत
भोपाल में रमजान के मौके पर एक नई शुरुआत हुई है. यहां की 20 मस्जिदों में मुस्लिम महिलाओं को नमाज पढ़ने की अनुमति दी गई है. हालांकि इसके लिए कुछ शर्तें रखी गई हैं. महिलाओं को नमाज के दौरान पर्दे का पालन करना होगा और शरीर का कोई हिस्सा दिखाई न दे इसका ध्यान रखना होगा. भोपाल की ताजुल मसाजिद, मोती मस्जिद, साजिदा सुल्तान मस्जिद और अन्य मस्जिदों में महिलाओं के लिए विशेष व्यवस्था की गई है. पति-पत्नी एक साथ नमाज नहीं पढ़ सकेंगे. कई मुस्लिम महिलाएं इसे एक सकारात्मक और प्रगतिशील कदम मान रही हैं.
इस्लाम क्या कहता है?
इस्लामी जानकारों के अनुसार इस्लाम में महिलाओं को मस्जिद में नमाज पढ़ने की मनाही नहीं है. मक्का की मस्जिद अल हरम में भी महिलाओं के लिए अलग व्यवस्था है. मलेशिया, इंडोनेशिया, ईरान, यूरोप और अमेरिका में भी महिलाएं मस्जिद में नमाज अदा कर सकती हैं. जानकारों का कहना है कि रोक इस्लाम में नहीं है बल्कि समस्या उन कट्टर सोच वालों से है जो महिलाओं को मस्जिद में नमाज पढ़ने का विरोध करते हैं. भारत में महिलाओं को मस्जिद में नमाज की अनुमति देकर भोपाल ने एक नई बहस शुरू कर दी है.
सड़क पर नमाज से ट्रैफिक में रुकावट
सवाल उठता है कि सड़क पर नमाज पढ़ने से किसे परेशानी होती है? इसका जवाब उन तस्वीरों में मिल जाता है जहां नमाज के कारण ट्रैफिक रुक जाता है. इस जाम में एंबुलेंस भी फंस जाती है जिससे कई बार जान का खतरा हो सकता है. दिल्ली के बीजेपी विधायक करनैल सिंह ने भी पुलिस से अपील की है कि ऐसे मामलों पर सख्ती बरती जाए.
मुस्लिम समाज की प्रतिक्रिया
इस मुद्दे पर मुस्लिम समुदाय के भी कई लोगों की प्रतिक्रिया आई है. कई मुस्लिम नेताओं और मौलानाओं ने कहा है कि सड़क पर नमाज पढ़ना इस्लाम में जायज़ नहीं है. नमाज मस्जिद या निर्धारित स्थान पर पढ़नी चाहिए ताकि दूसरों को कोई असुविधा न हो. जब प्रशासन ने सड़क पर नमाज पढ़ने पर रोक लगाई तब कुछ लोग अब छतों पर नमाज पढ़ने की अनुमति मांगने लगे हैं. संभल के एसडीएम ने बताया कि अब कुछ लोग कह रहे हैं कि सड़क न सही तो छत पर नमाज पढ़ने दें. यह दिखाता है कि कुछ लोग नियमों को तोड़ने के तरीके खोजने में लगे रहते हैं.
भोपाल में मस्जिदों में महिलाओं को मिली नमाज की इजाजत
भोपाल में रमजान के मौके पर एक नई शुरुआत हुई है. यहां की 20 मस्जिदों में मुस्लिम महिलाओं को नमाज पढ़ने की अनुमति दी गई है. हालांकि इसके लिए कुछ शर्तें रखी गई हैं. महिलाओं को नमाज के दौरान पर्दे का पालन करना होगा और शरीर का कोई हिस्सा दिखाई न दे इसका ध्यान रखना होगा. भोपाल की ताजुल मसाजिद, मोती मस्जिद, साजिदा सुल्तान मस्जिद और अन्य मस्जिदों में महिलाओं के लिए विशेष व्यवस्था की गई है. पति-पत्नी एक साथ नमाज नहीं पढ़ सकेंगे. कई मुस्लिम महिलाएं इसे एक सकारात्मक और प्रगतिशील कदम मान रही हैं.
इस्लाम क्या कहता है?
इस्लामी जानकारों के अनुसार इस्लाम में महिलाओं को मस्जिद में नमाज पढ़ने की मनाही नहीं है. मक्का की मस्जिद अल हरम में भी महिलाओं के लिए अलग व्यवस्था है. मलेशिया, इंडोनेशिया, ईरान, यूरोप और अमेरिका में भी महिलाएं मस्जिद में नमाज अदा कर सकती हैं. जानकारों का कहना है कि रोक इस्लाम में नहीं है बल्कि समस्या उन कट्टर सोच वालों से है जो महिलाओं को मस्जिद में नमाज पढ़ने का विरोध करते हैं. भारत में महिलाओं को मस्जिद में नमाज की अनुमति देकर भोपाल ने एक नई बहस शुरू कर दी है.
सवाल उठता है कि सड़क पर नमाज पढ़ने से किसे परेशानी होती है? इसका जवाब उन तस्वीरों में मिल जाता है जहां नमाज के कारण ट्रैफिक रुक जाता है. इस जाम में एंबुलेंस भी फंस जाती है जिससे कई बार जान का खतरा हो सकता है. दिल्ली के बीजेपी विधायक करनैल सिंह ने भी पुलिस से अपील की है कि ऐसे मामलों पर सख्ती बरती जाए.
मुस्लिम समाज की प्रतिक्रिया
इस मुद्दे पर मुस्लिम समुदाय के भी कई लोगों की प्रतिक्रिया आई है. कई मुस्लिम नेताओं और मौलानाओं ने कहा है कि सड़क पर नमाज पढ़ना इस्लाम में जायज़ नहीं है. नमाज मस्जिद या निर्धारित स्थान पर पढ़नी चाहिए ताकि दूसरों को कोई असुविधा न हो. जब प्रशासन ने सड़क पर नमाज पढ़ने पर रोक लगाई तब कुछ लोग अब छतों पर नमाज पढ़ने की अनुमति मांगने लगे हैं. संभल के एसडीएम ने बताया कि अब कुछ लोग कह रहे हैं कि सड़क न सही तो छत पर नमाज पढ़ने दें. यह दिखाता है कि कुछ लोग नियमों को तोड़ने के तरीके खोजने में लगे रहते हैं.
भोपाल में मस्जिदों में महिलाओं को मिली नमाज की इजाजत
भोपाल में रमजान के मौके पर एक नई शुरुआत हुई है. यहां की 20 मस्जिदों में मुस्लिम महिलाओं को नमाज पढ़ने की अनुमति दी गई है. हालांकि इसके लिए कुछ शर्तें रखी गई हैं. महिलाओं को नमाज के दौरान पर्दे का पालन करना होगा और शरीर का कोई हिस्सा दिखाई न दे इसका ध्यान रखना होगा. भोपाल की ताजुल मसाजिद, मोती मस्जिद, साजिदा सुल्तान मस्जिद और अन्य मस्जिदों में महिलाओं के लिए विशेष व्यवस्था की गई है. पति-पत्नी एक साथ नमाज नहीं पढ़ सकेंगे. कई मुस्लिम महिलाएं इसे एक सकारात्मक और प्रगतिशील कदम मान रही हैं.
इस्लाम क्या कहता है?
इस्लामी जानकारों के अनुसार इस्लाम में महिलाओं को मस्जिद में नमाज पढ़ने की मनाही नहीं है. मक्का की मस्जिद अल हरम में भी महिलाओं के लिए अलग व्यवस्था है. मलेशिया, इंडोनेशिया, ईरान, यूरोप और अमेरिका में भी महिलाएं मस्जिद में नमाज अदा कर सकती हैं. जानकारों का कहना है कि रोक इस्लाम में नहीं है बल्कि समस्या उन कट्टर सोच वालों से है जो महिलाओं को मस्जिद में नमाज पढ़ने का विरोध करते हैं. भारत में महिलाओं को मस्जिद में नमाज की अनुमति देकर भोपाल ने एक नई बहस शुरू कर दी है.
मुस्लिम समाज की प्रतिक्रिया
इस मुद्दे पर मुस्लिम समुदाय के भी कई लोगों की प्रतिक्रिया आई है. कई मुस्लिम नेताओं और मौलानाओं ने कहा है कि सड़क पर नमाज पढ़ना इस्लाम में जायज़ नहीं है. नमाज मस्जिद या निर्धारित स्थान पर पढ़नी चाहिए ताकि दूसरों को कोई असुविधा न हो. जब प्रशासन ने सड़क पर नमाज पढ़ने पर रोक लगाई तब कुछ लोग अब छतों पर नमाज पढ़ने की अनुमति मांगने लगे हैं. संभल के एसडीएम ने बताया कि अब कुछ लोग कह रहे हैं कि सड़क न सही तो छत पर नमाज पढ़ने दें. यह दिखाता है कि कुछ लोग नियमों को तोड़ने के तरीके खोजने में लगे रहते हैं.
भोपाल में मस्जिदों में महिलाओं को मिली नमाज की इजाजत
भोपाल में रमजान के मौके पर एक नई शुरुआत हुई है. यहां की 20 मस्जिदों में मुस्लिम महिलाओं को नमाज पढ़ने की अनुमति दी गई है. हालांकि इसके लिए कुछ शर्तें रखी गई हैं. महिलाओं को नमाज के दौरान पर्दे का पालन करना होगा और शरीर का कोई हिस्सा दिखाई न दे इसका ध्यान रखना होगा. भोपाल की ताजुल मसाजिद, मोती मस्जिद, साजिदा सुल्तान मस्जिद और अन्य मस्जिदों में महिलाओं के लिए विशेष व्यवस्था की गई है. पति-पत्नी एक साथ नमाज नहीं पढ़ सकेंगे. कई मुस्लिम महिलाएं इसे एक सकारात्मक और प्रगतिशील कदम मान रही हैं.
इस्लाम क्या कहता है?
इस्लामी जानकारों के अनुसार इस्लाम में महिलाओं को मस्जिद में नमाज पढ़ने की मनाही नहीं है. मक्का की मस्जिद अल हरम में भी महिलाओं के लिए अलग व्यवस्था है. मलेशिया, इंडोनेशिया, ईरान, यूरोप और अमेरिका में भी महिलाएं मस्जिद में नमाज अदा कर सकती हैं. जानकारों का कहना है कि रोक इस्लाम में नहीं है बल्कि समस्या उन कट्टर सोच वालों से है जो महिलाओं को मस्जिद में नमाज पढ़ने का विरोध करते हैं. भारत में महिलाओं को मस्जिद में नमाज की अनुमति देकर भोपाल ने एक नई बहस शुरू कर दी है.
इस मुद्दे पर मुस्लिम समुदाय के भी कई लोगों की प्रतिक्रिया आई है. कई मुस्लिम नेताओं और मौलानाओं ने कहा है कि सड़क पर नमाज पढ़ना इस्लाम में जायज़ नहीं है. नमाज मस्जिद या निर्धारित स्थान पर पढ़नी चाहिए ताकि दूसरों को कोई असुविधा न हो. जब प्रशासन ने सड़क पर नमाज पढ़ने पर रोक लगाई तब कुछ लोग अब छतों पर नमाज पढ़ने की अनुमति मांगने लगे हैं. संभल के एसडीएम ने बताया कि अब कुछ लोग कह रहे हैं कि सड़क न सही तो छत पर नमाज पढ़ने दें. यह दिखाता है कि कुछ लोग नियमों को तोड़ने के तरीके खोजने में लगे रहते हैं.
भोपाल में मस्जिदों में महिलाओं को मिली नमाज की इजाजत
भोपाल में रमजान के मौके पर एक नई शुरुआत हुई है. यहां की 20 मस्जिदों में मुस्लिम महिलाओं को नमाज पढ़ने की अनुमति दी गई है. हालांकि इसके लिए कुछ शर्तें रखी गई हैं. महिलाओं को नमाज के दौरान पर्दे का पालन करना होगा और शरीर का कोई हिस्सा दिखाई न दे इसका ध्यान रखना होगा. भोपाल की ताजुल मसाजिद, मोती मस्जिद, साजिदा सुल्तान मस्जिद और अन्य मस्जिदों में महिलाओं के लिए विशेष व्यवस्था की गई है. पति-पत्नी एक साथ नमाज नहीं पढ़ सकेंगे. कई मुस्लिम महिलाएं इसे एक सकारात्मक और प्रगतिशील कदम मान रही हैं.
इस्लाम क्या कहता है?
इस्लामी जानकारों के अनुसार इस्लाम में महिलाओं को मस्जिद में नमाज पढ़ने की मनाही नहीं है. मक्का की मस्जिद अल हरम में भी महिलाओं के लिए अलग व्यवस्था है. मलेशिया, इंडोनेशिया, ईरान, यूरोप और अमेरिका में भी महिलाएं मस्जिद में नमाज अदा कर सकती हैं. जानकारों का कहना है कि रोक इस्लाम में नहीं है बल्कि समस्या उन कट्टर सोच वालों से है जो महिलाओं को मस्जिद में नमाज पढ़ने का विरोध करते हैं. भारत में महिलाओं को मस्जिद में नमाज की अनुमति देकर भोपाल ने एक नई बहस शुरू कर दी है.
भोपाल में मस्जिदों में महिलाओं को मिली नमाज की इजाजत
भोपाल में रमजान के मौके पर एक नई शुरुआत हुई है. यहां की 20 मस्जिदों में मुस्लिम महिलाओं को नमाज पढ़ने की अनुमति दी गई है. हालांकि इसके लिए कुछ शर्तें रखी गई हैं. महिलाओं को नमाज के दौरान पर्दे का पालन करना होगा और शरीर का कोई हिस्सा दिखाई न दे इसका ध्यान रखना होगा. भोपाल की ताजुल मसाजिद, मोती मस्जिद, साजिदा सुल्तान मस्जिद और अन्य मस्जिदों में महिलाओं के लिए विशेष व्यवस्था की गई है. पति-पत्नी एक साथ नमाज नहीं पढ़ सकेंगे. कई मुस्लिम महिलाएं इसे एक सकारात्मक और प्रगतिशील कदम मान रही हैं.
इस्लाम क्या कहता है?
इस्लामी जानकारों के अनुसार इस्लाम में महिलाओं को मस्जिद में नमाज पढ़ने की मनाही नहीं है. मक्का की मस्जिद अल हरम में भी महिलाओं के लिए अलग व्यवस्था है. मलेशिया, इंडोनेशिया, ईरान, यूरोप और अमेरिका में भी महिलाएं मस्जिद में नमाज अदा कर सकती हैं. जानकारों का कहना है कि रोक इस्लाम में नहीं है बल्कि समस्या उन कट्टर सोच वालों से है जो महिलाओं को मस्जिद में नमाज पढ़ने का विरोध करते हैं. भारत में महिलाओं को मस्जिद में नमाज की अनुमति देकर भोपाल ने एक नई बहस शुरू कर दी है.
भोपाल में रमजान के मौके पर एक नई शुरुआत हुई है. यहां की 20 मस्जिदों में मुस्लिम महिलाओं को नमाज पढ़ने की अनुमति दी गई है. हालांकि इसके लिए कुछ शर्तें रखी गई हैं. महिलाओं को नमाज के दौरान पर्दे का पालन करना होगा और शरीर का कोई हिस्सा दिखाई न दे इसका ध्यान रखना होगा. भोपाल की ताजुल मसाजिद, मोती मस्जिद, साजिदा सुल्तान मस्जिद और अन्य मस्जिदों में महिलाओं के लिए विशेष व्यवस्था की गई है. पति-पत्नी एक साथ नमाज नहीं पढ़ सकेंगे. कई मुस्लिम महिलाएं इसे एक सकारात्मक और प्रगतिशील कदम मान रही हैं.
इस्लाम क्या कहता है?
इस्लामी जानकारों के अनुसार इस्लाम में महिलाओं को मस्जिद में नमाज पढ़ने की मनाही नहीं है. मक्का की मस्जिद अल हरम में भी महिलाओं के लिए अलग व्यवस्था है. मलेशिया, इंडोनेशिया, ईरान, यूरोप और अमेरिका में भी महिलाएं मस्जिद में नमाज अदा कर सकती हैं. जानकारों का कहना है कि रोक इस्लाम में नहीं है बल्कि समस्या उन कट्टर सोच वालों से है जो महिलाओं को मस्जिद में नमाज पढ़ने का विरोध करते हैं. भारत में महिलाओं को मस्जिद में नमाज की अनुमति देकर भोपाल ने एक नई बहस शुरू कर दी है.
इस्लाम क्या कहता है?
इस्लामी जानकारों के अनुसार इस्लाम में महिलाओं को मस्जिद में नमाज पढ़ने की मनाही नहीं है. मक्का की मस्जिद अल हरम में भी महिलाओं के लिए अलग व्यवस्था है. मलेशिया, इंडोनेशिया, ईरान, यूरोप और अमेरिका में भी महिलाएं मस्जिद में नमाज अदा कर सकती हैं. जानकारों का कहना है कि रोक इस्लाम में नहीं है बल्कि समस्या उन कट्टर सोच वालों से है जो महिलाओं को मस्जिद में नमाज पढ़ने का विरोध करते हैं. भारत में महिलाओं को मस्जिद में नमाज की अनुमति देकर भोपाल ने एक नई बहस शुरू कर दी है.
इस्लामी जानकारों के अनुसार इस्लाम में महिलाओं को मस्जिद में नमाज पढ़ने की मनाही नहीं है. मक्का की मस्जिद अल हरम में भी महिलाओं के लिए अलग व्यवस्था है. मलेशिया, इंडोनेशिया, ईरान, यूरोप और अमेरिका में भी महिलाएं मस्जिद में नमाज अदा कर सकती हैं. जानकारों का कहना है कि रोक इस्लाम में नहीं है बल्कि समस्या उन कट्टर सोच वालों से है जो महिलाओं को मस्जिद में नमाज पढ़ने का विरोध करते हैं. भारत में महिलाओं को मस्जिद में नमाज की अनुमति देकर भोपाल ने एक नई बहस शुरू कर दी है.
