Ek Desh Ek Chunav Bill: वन नेशन वन इलेक्शन बिल मंगलवार को दोपहर 12 बजे पेश किया जाएगा. न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक, कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल यह बिल पेश करेंगे. बीजेपी ने अपने तमाम सांसदों को संसद में मौजूद रहने के लिए तीन लाइनों का व्हिप जारी किया है. इस बिल को कॉन्स्टिट्यूशन (129 संशोधन) बिल 2024 नाम दिया गया है. अगर यह बिल कानून की शक्ल ले लेता है तो पूरे देश में लोकसभा, विधानसभा और उम्मीद है कि स्थानीय निकायों के चुनाव एक साथ होंगे.
न्यूज एजेंसी पीटीआई के एक सरकारी अधिकारी के हवाले से बताया कि कॉन्स्टिट्यूशन (129 संशोधन) बिल 2024, जिसे वन नेशन वन बिल कहा जा रहा है, वह मंगलवार को 12 बजे कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल पेश करेंगे.
मंगलवार को पेश होगा बिल
बिल पेश करने के बाद मेघवाल स्पीकर ओम बिरला से यह दरख्वास्त कर सकते हैं कि इस बिल को संसद की जॉइंट कमेटी को भेज दें, ताकि इस पर गहन विमर्श हो सके. समिति का गठन आनुपातिक प्रतिनिधित्व के आधार पर किया जाएगा और सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते भाजपा को इसकी अध्यक्षता सौंपी जाएगी.
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बिल पेश किए जाने के दौरान मौजूद रहने की उम्मीद है. अमित शाह पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद की अगुआई वाली हाई लेवल कमेटी का हिस्सा थे, जिसने एक साथ चुनाव कराने की सिफारिश की थी.
90 दिन का होगा समिति का कार्यकाल
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के लिए एक साथ चुनाव कराने के लिए दो विधेयकों को पहले ही मंजूरी दे दी है, हालांकि स्थानीय निकाय चुनावों पर फैसला फिलहाल टाल दिया गया है.
उम्मीद है कि स्पीकर उसी दिन राजनीतिक दलों से संयुक्त समिति के लिए नामांकन मांगेंगे. संसदीय नियमों के अनुसार, जो भी पार्टी अपने सदस्यों को पेश करने में विफल रहती है, वह पैनल में प्रतिनिधित्व खो सकती है. समिति की संरचना की घोषणा मंगलवार शाम तक होने की संभावना है.
शुरुआत में, समिति का कार्यकाल 90 दिनों का होगा, जिसे बढ़ाया भी जा सकता है. भारत में इससे पहले 1951 से 1967 तक एक साथ चुनाव हुए थे.
न्यूज एजेंसी पीटीआई के एक सरकारी अधिकारी के हवाले से बताया कि कॉन्स्टिट्यूशन (129 संशोधन) बिल 2024, जिसे वन नेशन वन बिल कहा जा रहा है, वह मंगलवार को 12 बजे कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल पेश करेंगे.
मंगलवार को पेश होगा बिल
बिल पेश करने के बाद मेघवाल स्पीकर ओम बिरला से यह दरख्वास्त कर सकते हैं कि इस बिल को संसद की जॉइंट कमेटी को भेज दें, ताकि इस पर गहन विमर्श हो सके. समिति का गठन आनुपातिक प्रतिनिधित्व के आधार पर किया जाएगा और सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते भाजपा को इसकी अध्यक्षता सौंपी जाएगी.
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बिल पेश किए जाने के दौरान मौजूद रहने की उम्मीद है. अमित शाह पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद की अगुआई वाली हाई लेवल कमेटी का हिस्सा थे, जिसने एक साथ चुनाव कराने की सिफारिश की थी.
90 दिन का होगा समिति का कार्यकाल
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के लिए एक साथ चुनाव कराने के लिए दो विधेयकों को पहले ही मंजूरी दे दी है, हालांकि स्थानीय निकाय चुनावों पर फैसला फिलहाल टाल दिया गया है.
उम्मीद है कि स्पीकर उसी दिन राजनीतिक दलों से संयुक्त समिति के लिए नामांकन मांगेंगे. संसदीय नियमों के अनुसार, जो भी पार्टी अपने सदस्यों को पेश करने में विफल रहती है, वह पैनल में प्रतिनिधित्व खो सकती है. समिति की संरचना की घोषणा मंगलवार शाम तक होने की संभावना है.
शुरुआत में, समिति का कार्यकाल 90 दिनों का होगा, जिसे बढ़ाया भी जा सकता है. भारत में इससे पहले 1951 से 1967 तक एक साथ चुनाव हुए थे.
मंगलवार को पेश होगा बिल
बिल पेश करने के बाद मेघवाल स्पीकर ओम बिरला से यह दरख्वास्त कर सकते हैं कि इस बिल को संसद की जॉइंट कमेटी को भेज दें, ताकि इस पर गहन विमर्श हो सके. समिति का गठन आनुपातिक प्रतिनिधित्व के आधार पर किया जाएगा और सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते भाजपा को इसकी अध्यक्षता सौंपी जाएगी.
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बिल पेश किए जाने के दौरान मौजूद रहने की उम्मीद है. अमित शाह पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद की अगुआई वाली हाई लेवल कमेटी का हिस्सा थे, जिसने एक साथ चुनाव कराने की सिफारिश की थी.
90 दिन का होगा समिति का कार्यकाल
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के लिए एक साथ चुनाव कराने के लिए दो विधेयकों को पहले ही मंजूरी दे दी है, हालांकि स्थानीय निकाय चुनावों पर फैसला फिलहाल टाल दिया गया है.
उम्मीद है कि स्पीकर उसी दिन राजनीतिक दलों से संयुक्त समिति के लिए नामांकन मांगेंगे. संसदीय नियमों के अनुसार, जो भी पार्टी अपने सदस्यों को पेश करने में विफल रहती है, वह पैनल में प्रतिनिधित्व खो सकती है. समिति की संरचना की घोषणा मंगलवार शाम तक होने की संभावना है.
शुरुआत में, समिति का कार्यकाल 90 दिनों का होगा, जिसे बढ़ाया भी जा सकता है. भारत में इससे पहले 1951 से 1967 तक एक साथ चुनाव हुए थे.
बिल पेश करने के बाद मेघवाल स्पीकर ओम बिरला से यह दरख्वास्त कर सकते हैं कि इस बिल को संसद की जॉइंट कमेटी को भेज दें, ताकि इस पर गहन विमर्श हो सके. समिति का गठन आनुपातिक प्रतिनिधित्व के आधार पर किया जाएगा और सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते भाजपा को इसकी अध्यक्षता सौंपी जाएगी.
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बिल पेश किए जाने के दौरान मौजूद रहने की उम्मीद है. अमित शाह पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद की अगुआई वाली हाई लेवल कमेटी का हिस्सा थे, जिसने एक साथ चुनाव कराने की सिफारिश की थी.
90 दिन का होगा समिति का कार्यकाल
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के लिए एक साथ चुनाव कराने के लिए दो विधेयकों को पहले ही मंजूरी दे दी है, हालांकि स्थानीय निकाय चुनावों पर फैसला फिलहाल टाल दिया गया है.
उम्मीद है कि स्पीकर उसी दिन राजनीतिक दलों से संयुक्त समिति के लिए नामांकन मांगेंगे. संसदीय नियमों के अनुसार, जो भी पार्टी अपने सदस्यों को पेश करने में विफल रहती है, वह पैनल में प्रतिनिधित्व खो सकती है. समिति की संरचना की घोषणा मंगलवार शाम तक होने की संभावना है.
शुरुआत में, समिति का कार्यकाल 90 दिनों का होगा, जिसे बढ़ाया भी जा सकता है. भारत में इससे पहले 1951 से 1967 तक एक साथ चुनाव हुए थे.
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बिल पेश किए जाने के दौरान मौजूद रहने की उम्मीद है. अमित शाह पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद की अगुआई वाली हाई लेवल कमेटी का हिस्सा थे, जिसने एक साथ चुनाव कराने की सिफारिश की थी.
90 दिन का होगा समिति का कार्यकाल
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के लिए एक साथ चुनाव कराने के लिए दो विधेयकों को पहले ही मंजूरी दे दी है, हालांकि स्थानीय निकाय चुनावों पर फैसला फिलहाल टाल दिया गया है.
उम्मीद है कि स्पीकर उसी दिन राजनीतिक दलों से संयुक्त समिति के लिए नामांकन मांगेंगे. संसदीय नियमों के अनुसार, जो भी पार्टी अपने सदस्यों को पेश करने में विफल रहती है, वह पैनल में प्रतिनिधित्व खो सकती है. समिति की संरचना की घोषणा मंगलवार शाम तक होने की संभावना है.
शुरुआत में, समिति का कार्यकाल 90 दिनों का होगा, जिसे बढ़ाया भी जा सकता है. भारत में इससे पहले 1951 से 1967 तक एक साथ चुनाव हुए थे.
90 दिन का होगा समिति का कार्यकाल
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के लिए एक साथ चुनाव कराने के लिए दो विधेयकों को पहले ही मंजूरी दे दी है, हालांकि स्थानीय निकाय चुनावों पर फैसला फिलहाल टाल दिया गया है.
उम्मीद है कि स्पीकर उसी दिन राजनीतिक दलों से संयुक्त समिति के लिए नामांकन मांगेंगे. संसदीय नियमों के अनुसार, जो भी पार्टी अपने सदस्यों को पेश करने में विफल रहती है, वह पैनल में प्रतिनिधित्व खो सकती है. समिति की संरचना की घोषणा मंगलवार शाम तक होने की संभावना है.
शुरुआत में, समिति का कार्यकाल 90 दिनों का होगा, जिसे बढ़ाया भी जा सकता है. भारत में इससे पहले 1951 से 1967 तक एक साथ चुनाव हुए थे.
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के लिए एक साथ चुनाव कराने के लिए दो विधेयकों को पहले ही मंजूरी दे दी है, हालांकि स्थानीय निकाय चुनावों पर फैसला फिलहाल टाल दिया गया है.
उम्मीद है कि स्पीकर उसी दिन राजनीतिक दलों से संयुक्त समिति के लिए नामांकन मांगेंगे. संसदीय नियमों के अनुसार, जो भी पार्टी अपने सदस्यों को पेश करने में विफल रहती है, वह पैनल में प्रतिनिधित्व खो सकती है. समिति की संरचना की घोषणा मंगलवार शाम तक होने की संभावना है.
शुरुआत में, समिति का कार्यकाल 90 दिनों का होगा, जिसे बढ़ाया भी जा सकता है. भारत में इससे पहले 1951 से 1967 तक एक साथ चुनाव हुए थे.
उम्मीद है कि स्पीकर उसी दिन राजनीतिक दलों से संयुक्त समिति के लिए नामांकन मांगेंगे. संसदीय नियमों के अनुसार, जो भी पार्टी अपने सदस्यों को पेश करने में विफल रहती है, वह पैनल में प्रतिनिधित्व खो सकती है. समिति की संरचना की घोषणा मंगलवार शाम तक होने की संभावना है.
शुरुआत में, समिति का कार्यकाल 90 दिनों का होगा, जिसे बढ़ाया भी जा सकता है. भारत में इससे पहले 1951 से 1967 तक एक साथ चुनाव हुए थे.
शुरुआत में, समिति का कार्यकाल 90 दिनों का होगा, जिसे बढ़ाया भी जा सकता है. भारत में इससे पहले 1951 से 1967 तक एक साथ चुनाव हुए थे.
