विजयादशमी का भव्य आयोजन
महाराष्ट्र के नागपुर स्थित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के मुख्यालय में विजयादशमी का पर्व बड़े धूमधाम से मनाया जा रहा है। रेशिमबाग मैदान पर हर साल की तरह इस वर्ष भी दशहरे के इस विशेष अवसर पर संघ के स्वयंसेवकों द्वारा पथ संचलन किया गया। इस कार्यक्रम की शुरुआत सुबह 7 बजकर 40 मिनट पर हुई। संघ प्रमुख मोहन भागवत ने इस अवसर पर शस्त्र पूजन किया और स्वयंसेवकों को संबोधित किया। यह आयोजन संघ के लिए बहुत महत्व रखता है, जो 1925 में डॉक्टर केशव बलिराम हेडगेवार द्वारा स्थापित संघ का प्रमुख कार्यक्रम है।
संघ प्रमुख का संदेश
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने इस रैली में अपने संदेश के माध्यम से दुनियाभर के हिंदुओं से एकजुट होने की अपील की है। उनके अनुसार, ‘आज के जमाने में दुर्बल और असंगठित रहना अपराध है, इसलिए खुद को बचाने के लिए संगठित रहना जरूरी है’। उनके संबोधन में बांग्लादेश में हिंदुओं की स्थिति और भारत के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फैलाए जा रहे नैरेटिव्स का भी जिक्र किया गया।
बांग्लादेश में हिंदुओं की स्थिति
भागवत ने बांग्लादेशी हिंदुओं की दयनीय स्थिति पर गहरी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि जहां-जहां हिंदू हैं, वहां बंटाधार हुआ है। हालांकि, उन्होंने स्पष्ट किया कि बांग्लादेश से कोई बैर नहीं है। बांग्लादेश को भड़काने वाली शक्तियों की ओर संकेत करते हुए उन्होंने लोगों को जागरूक रहने की सलाह दी।
संस्कार और समाज सुधार
संघ प्रमुख ने हिंदुओं को संगठित रहने का आह्वान करते हुए संस्कार निर्माण पर जोर दिया। उन्होंने समाज में व्याप्त समस्याओं के सुधार की आवश्यकता पर बात की। भागवत की दृष्टि में समाज का मजबूत होना अत्यंत महत्वपूर्ण है।
वसुधैव कुटुंबकम का संदेश
मोहन भागवत ने जातिगत भेदभाव से बचने की अपील भी की। उन्होंने कहा कि मनीषियों ने कभी किसी के साथ भेदभाव नहीं किया और हमें भी इसी राह पर चलना चाहिए। वसुधैव कुटुंबकम की भारतीय परंपरा का विश्व पटल पर मानदंड बनने के प्रति उन्होंने अपना विश्वास जताया।
भारत विरोधी शक्तियों की पहचान
आरएसएस प्रमुख ने सभा को संबोधित करते हुए भारत विरोधी शक्तियों की पहचान की और इस मुश्किल घड़ी में खुद को किसी भी प्रकार की दुर्बलता से बचाने के लिए संगठित रहने पर जोर दिया। दुर्बल और असंगठित रहने को उन्होंने एक अपराध के रूप में पेश किया है।
पूर्व इसरो प्रमुख विशेष अतिथि
इस विशेष अवसर पर इसरो के पूर्व प्रमुख राधाकृष्णन मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। राधाकृष्णन की मौजूदगी ने इस कार्यक्रम को और भी खास बना दिया। इस रोचक और प्रेरक रैली ने संघ के प्रति समर्थन को नया आयाम दिया।
संघ की स्थापना का इतिहास
संघ की स्थापना 1925 में डॉक्टर केशव बलिराम हेडगेवार द्वारा दशहरे के दिन की गई थी। तब से हर साल विजयादशमी के अवसर पर संघ के स्वयंसेवक इसे बड़ी धूमधाम और उत्साह के साथ मनाते आ रहे हैं। इस प्रकार की रैलियां न केवल संघ के सिद्धांतों को दोहराने का कार्य करती हैं, बल्कि इनके माध्यम से पूरे समाज को एक सकारात्मक संदेश भी मिलता है।
RSS की इस दशहरा रैली से स्पष्ट है कि संघ के विचार और उसकी योजनाएं समाज के विभिन्न वर्गों को जागरूक और संगठित होकर एकजुट रहने को प्रेरित करती हैं। यह आयोजन न केवल संघ के ऐतिहासिक महत्व को दर्शाता है, बल्कि भविष्य में समाज के विकास और शांति की दिशा में आगे बढ़ने का भी मार्ग निर्देशित करता है।