Sunami Miracle Baby: आज से 20 साल पहले भारत के साथ कई अन्य देशों के तटीय इलाकों को सुनामी ने तबाह कर दिया था. भारी संख्या में लोगों ने जान गंवाई थी. लेकिन इस तबाही के दौरान एक करिश्मा भी हुआ था. सुनामी की लहरों के बीच 29 दिसंबर 2004 को एक बच्ची का अनोखे अंदाज में जन्म हुआ. उसका बर्थ सर्टिफिकेट भी हैरान करने वाला है. उसपर जन्म का स्थान.. ‘आईएनएस घड़ियाल, हुत बे से पोर्ट ब्लेयर के रास्ते में’ लिखा है. बच्ची का जन्म रेस्क्यू बोट पर हुआ और अब ये अनोखी बच्ची कर्ज चुकाने के लिए इंडियन नेवी ज्वाइन करना चाहती है.
सुनामी की तबाही और तीन दिन का संघर्ष
यहां बात हो रही 20 साल की ग्लोरी की. 26 दिसंबर 2004 को ग्लोरी के माता-पिता बी बलराम और बी लक्ष्मी ने अपनी आंखों के सामने हुत बे द्वीप (लिटिल अंडमान) में सुनामी की तबाही देखी. लक्ष्मी उस समय नौ महीने की गर्भवती थीं. अपने पति के साथ एक सुरक्षित पहाड़ी पर चढ़ गईं. बलराम ने सुनामी की तबाही के मंजर को याद करते हुए कहा कि हमने तीन दिन बिना खाना-पानी और गर्म कपड़ों के वहीं बिताए. चौथे दिन आईएनएस घड़ियाल उनकी और अन्य लोगों की मदद के लिए पहुंचा.
जहाज पर सुरक्षित डिलीवरी
लक्ष्मी ने बताया कि जहाज पर चढ़ते ही उन्हें प्रसव पीड़ा शुरू हो गई. बलराम ने तुरंत अधिकारियों को स्थिति बताई. जहाज के डॉक्टर और क्रू के पास ऐसी परिस्थितियों का अनुभव नहीं था. इसके बावजूद उन्होंने मिलकर 7 बजे शाम को बच्ची का सुरक्षित जन्म करवाया.
नौसेना का समर्थन और परिवार की मदद
अगले दिन जहाज पोर्ट ब्लेयर पहुंचा. जहां लक्ष्मी और उनकी बेटी को अस्पताल में भर्ती कराया गया. बलराम को भी पास में ठहरने की व्यवस्था दी गई. भारतीय नौसेना ने न केवल ग्लोरी की शिक्षा का जिम्मा उठाया. बल्कि बलराम को उनके गांव में रोजगार भी दिलवाया. कमोडोर ए वेणुगोपाल (सेवानिवृत्त) उस समय आईएनएस घड़ियाल के कमांडिंग ऑफिसर थे. उन्होंने बताया कि हमने हुत बे से 645 लोगों को बचाया था. लक्ष्मी उन 4-5 गर्भवती महिलाओं में से थीं. यह नौसेना के लिए पहली बार था कि किसी युद्धपोत पर डिलीवरी हुई हो.
भारतीय नौसेना से जुड़ी यादें
ग्लोरी ने बताया कि कैसे भारतीय नौसेना ने उसके जीवन को संवारने में अहम भूमिका निभाई. ग्लोरी ने कहा कि उन्होंने मेरी शिक्षा का पूरा खर्च उठाया. हर साल जन्मदिन पर बधाई दी. और हमें हर संभव सहायता दी. यह मेरे लिए आशीर्वाद जैसा है. ग्लोरी ने दो साल पहले पोर्ट ब्लेयर के जेएनआरएम कॉलेज से कंप्यूटर साइंस में स्नातक की पढ़ाई शुरू की. अब उसका सपना है कि वह भारतीय नौसेना में अधिकारी बने. ग्लोरी ने कहा कि मैं एसएसबी परीक्षा देकर नौसेना में शामिल होना चाहती हूं. यह मेरा कर्ज चुकाने का तरीका है.
परिवार और प्रेरणा
ग्लोरी के दो छोटे भाई-बहन भी हैं. उसके भाई की उम्र 19 साल और बहन की 15 साल है. बचपन से ही ग्लोरी को यह एहसास था कि उसका जीवन एक करिश्मा है. उसकी कहानी न केवल प्रेरणादायक है. बल्कि यह भी दिखाती है कि कठिन परिस्थितियों में भी उम्मीदें और सपने जीवित रह सकते हैं.
सुनामी की तबाही और तीन दिन का संघर्ष
यहां बात हो रही 20 साल की ग्लोरी की. 26 दिसंबर 2004 को ग्लोरी के माता-पिता बी बलराम और बी लक्ष्मी ने अपनी आंखों के सामने हुत बे द्वीप (लिटिल अंडमान) में सुनामी की तबाही देखी. लक्ष्मी उस समय नौ महीने की गर्भवती थीं. अपने पति के साथ एक सुरक्षित पहाड़ी पर चढ़ गईं. बलराम ने सुनामी की तबाही के मंजर को याद करते हुए कहा कि हमने तीन दिन बिना खाना-पानी और गर्म कपड़ों के वहीं बिताए. चौथे दिन आईएनएस घड़ियाल उनकी और अन्य लोगों की मदद के लिए पहुंचा.
जहाज पर सुरक्षित डिलीवरी
लक्ष्मी ने बताया कि जहाज पर चढ़ते ही उन्हें प्रसव पीड़ा शुरू हो गई. बलराम ने तुरंत अधिकारियों को स्थिति बताई. जहाज के डॉक्टर और क्रू के पास ऐसी परिस्थितियों का अनुभव नहीं था. इसके बावजूद उन्होंने मिलकर 7 बजे शाम को बच्ची का सुरक्षित जन्म करवाया.
नौसेना का समर्थन और परिवार की मदद
अगले दिन जहाज पोर्ट ब्लेयर पहुंचा. जहां लक्ष्मी और उनकी बेटी को अस्पताल में भर्ती कराया गया. बलराम को भी पास में ठहरने की व्यवस्था दी गई. भारतीय नौसेना ने न केवल ग्लोरी की शिक्षा का जिम्मा उठाया. बल्कि बलराम को उनके गांव में रोजगार भी दिलवाया. कमोडोर ए वेणुगोपाल (सेवानिवृत्त) उस समय आईएनएस घड़ियाल के कमांडिंग ऑफिसर थे. उन्होंने बताया कि हमने हुत बे से 645 लोगों को बचाया था. लक्ष्मी उन 4-5 गर्भवती महिलाओं में से थीं. यह नौसेना के लिए पहली बार था कि किसी युद्धपोत पर डिलीवरी हुई हो.
भारतीय नौसेना से जुड़ी यादें
ग्लोरी ने बताया कि कैसे भारतीय नौसेना ने उसके जीवन को संवारने में अहम भूमिका निभाई. ग्लोरी ने कहा कि उन्होंने मेरी शिक्षा का पूरा खर्च उठाया. हर साल जन्मदिन पर बधाई दी. और हमें हर संभव सहायता दी. यह मेरे लिए आशीर्वाद जैसा है. ग्लोरी ने दो साल पहले पोर्ट ब्लेयर के जेएनआरएम कॉलेज से कंप्यूटर साइंस में स्नातक की पढ़ाई शुरू की. अब उसका सपना है कि वह भारतीय नौसेना में अधिकारी बने. ग्लोरी ने कहा कि मैं एसएसबी परीक्षा देकर नौसेना में शामिल होना चाहती हूं. यह मेरा कर्ज चुकाने का तरीका है.
परिवार और प्रेरणा
ग्लोरी के दो छोटे भाई-बहन भी हैं. उसके भाई की उम्र 19 साल और बहन की 15 साल है. बचपन से ही ग्लोरी को यह एहसास था कि उसका जीवन एक करिश्मा है. उसकी कहानी न केवल प्रेरणादायक है. बल्कि यह भी दिखाती है कि कठिन परिस्थितियों में भी उम्मीदें और सपने जीवित रह सकते हैं.
यहां बात हो रही 20 साल की ग्लोरी की. 26 दिसंबर 2004 को ग्लोरी के माता-पिता बी बलराम और बी लक्ष्मी ने अपनी आंखों के सामने हुत बे द्वीप (लिटिल अंडमान) में सुनामी की तबाही देखी. लक्ष्मी उस समय नौ महीने की गर्भवती थीं. अपने पति के साथ एक सुरक्षित पहाड़ी पर चढ़ गईं. बलराम ने सुनामी की तबाही के मंजर को याद करते हुए कहा कि हमने तीन दिन बिना खाना-पानी और गर्म कपड़ों के वहीं बिताए. चौथे दिन आईएनएस घड़ियाल उनकी और अन्य लोगों की मदद के लिए पहुंचा.
जहाज पर सुरक्षित डिलीवरी
लक्ष्मी ने बताया कि जहाज पर चढ़ते ही उन्हें प्रसव पीड़ा शुरू हो गई. बलराम ने तुरंत अधिकारियों को स्थिति बताई. जहाज के डॉक्टर और क्रू के पास ऐसी परिस्थितियों का अनुभव नहीं था. इसके बावजूद उन्होंने मिलकर 7 बजे शाम को बच्ची का सुरक्षित जन्म करवाया.
नौसेना का समर्थन और परिवार की मदद
अगले दिन जहाज पोर्ट ब्लेयर पहुंचा. जहां लक्ष्मी और उनकी बेटी को अस्पताल में भर्ती कराया गया. बलराम को भी पास में ठहरने की व्यवस्था दी गई. भारतीय नौसेना ने न केवल ग्लोरी की शिक्षा का जिम्मा उठाया. बल्कि बलराम को उनके गांव में रोजगार भी दिलवाया. कमोडोर ए वेणुगोपाल (सेवानिवृत्त) उस समय आईएनएस घड़ियाल के कमांडिंग ऑफिसर थे. उन्होंने बताया कि हमने हुत बे से 645 लोगों को बचाया था. लक्ष्मी उन 4-5 गर्भवती महिलाओं में से थीं. यह नौसेना के लिए पहली बार था कि किसी युद्धपोत पर डिलीवरी हुई हो.
भारतीय नौसेना से जुड़ी यादें
ग्लोरी ने बताया कि कैसे भारतीय नौसेना ने उसके जीवन को संवारने में अहम भूमिका निभाई. ग्लोरी ने कहा कि उन्होंने मेरी शिक्षा का पूरा खर्च उठाया. हर साल जन्मदिन पर बधाई दी. और हमें हर संभव सहायता दी. यह मेरे लिए आशीर्वाद जैसा है. ग्लोरी ने दो साल पहले पोर्ट ब्लेयर के जेएनआरएम कॉलेज से कंप्यूटर साइंस में स्नातक की पढ़ाई शुरू की. अब उसका सपना है कि वह भारतीय नौसेना में अधिकारी बने. ग्लोरी ने कहा कि मैं एसएसबी परीक्षा देकर नौसेना में शामिल होना चाहती हूं. यह मेरा कर्ज चुकाने का तरीका है.
परिवार और प्रेरणा
ग्लोरी के दो छोटे भाई-बहन भी हैं. उसके भाई की उम्र 19 साल और बहन की 15 साल है. बचपन से ही ग्लोरी को यह एहसास था कि उसका जीवन एक करिश्मा है. उसकी कहानी न केवल प्रेरणादायक है. बल्कि यह भी दिखाती है कि कठिन परिस्थितियों में भी उम्मीदें और सपने जीवित रह सकते हैं.
जहाज पर सुरक्षित डिलीवरी
लक्ष्मी ने बताया कि जहाज पर चढ़ते ही उन्हें प्रसव पीड़ा शुरू हो गई. बलराम ने तुरंत अधिकारियों को स्थिति बताई. जहाज के डॉक्टर और क्रू के पास ऐसी परिस्थितियों का अनुभव नहीं था. इसके बावजूद उन्होंने मिलकर 7 बजे शाम को बच्ची का सुरक्षित जन्म करवाया.
नौसेना का समर्थन और परिवार की मदद
अगले दिन जहाज पोर्ट ब्लेयर पहुंचा. जहां लक्ष्मी और उनकी बेटी को अस्पताल में भर्ती कराया गया. बलराम को भी पास में ठहरने की व्यवस्था दी गई. भारतीय नौसेना ने न केवल ग्लोरी की शिक्षा का जिम्मा उठाया. बल्कि बलराम को उनके गांव में रोजगार भी दिलवाया. कमोडोर ए वेणुगोपाल (सेवानिवृत्त) उस समय आईएनएस घड़ियाल के कमांडिंग ऑफिसर थे. उन्होंने बताया कि हमने हुत बे से 645 लोगों को बचाया था. लक्ष्मी उन 4-5 गर्भवती महिलाओं में से थीं. यह नौसेना के लिए पहली बार था कि किसी युद्धपोत पर डिलीवरी हुई हो.
भारतीय नौसेना से जुड़ी यादें
ग्लोरी ने बताया कि कैसे भारतीय नौसेना ने उसके जीवन को संवारने में अहम भूमिका निभाई. ग्लोरी ने कहा कि उन्होंने मेरी शिक्षा का पूरा खर्च उठाया. हर साल जन्मदिन पर बधाई दी. और हमें हर संभव सहायता दी. यह मेरे लिए आशीर्वाद जैसा है. ग्लोरी ने दो साल पहले पोर्ट ब्लेयर के जेएनआरएम कॉलेज से कंप्यूटर साइंस में स्नातक की पढ़ाई शुरू की. अब उसका सपना है कि वह भारतीय नौसेना में अधिकारी बने. ग्लोरी ने कहा कि मैं एसएसबी परीक्षा देकर नौसेना में शामिल होना चाहती हूं. यह मेरा कर्ज चुकाने का तरीका है.
परिवार और प्रेरणा
ग्लोरी के दो छोटे भाई-बहन भी हैं. उसके भाई की उम्र 19 साल और बहन की 15 साल है. बचपन से ही ग्लोरी को यह एहसास था कि उसका जीवन एक करिश्मा है. उसकी कहानी न केवल प्रेरणादायक है. बल्कि यह भी दिखाती है कि कठिन परिस्थितियों में भी उम्मीदें और सपने जीवित रह सकते हैं.
लक्ष्मी ने बताया कि जहाज पर चढ़ते ही उन्हें प्रसव पीड़ा शुरू हो गई. बलराम ने तुरंत अधिकारियों को स्थिति बताई. जहाज के डॉक्टर और क्रू के पास ऐसी परिस्थितियों का अनुभव नहीं था. इसके बावजूद उन्होंने मिलकर 7 बजे शाम को बच्ची का सुरक्षित जन्म करवाया.
नौसेना का समर्थन और परिवार की मदद
अगले दिन जहाज पोर्ट ब्लेयर पहुंचा. जहां लक्ष्मी और उनकी बेटी को अस्पताल में भर्ती कराया गया. बलराम को भी पास में ठहरने की व्यवस्था दी गई. भारतीय नौसेना ने न केवल ग्लोरी की शिक्षा का जिम्मा उठाया. बल्कि बलराम को उनके गांव में रोजगार भी दिलवाया. कमोडोर ए वेणुगोपाल (सेवानिवृत्त) उस समय आईएनएस घड़ियाल के कमांडिंग ऑफिसर थे. उन्होंने बताया कि हमने हुत बे से 645 लोगों को बचाया था. लक्ष्मी उन 4-5 गर्भवती महिलाओं में से थीं. यह नौसेना के लिए पहली बार था कि किसी युद्धपोत पर डिलीवरी हुई हो.
भारतीय नौसेना से जुड़ी यादें
ग्लोरी ने बताया कि कैसे भारतीय नौसेना ने उसके जीवन को संवारने में अहम भूमिका निभाई. ग्लोरी ने कहा कि उन्होंने मेरी शिक्षा का पूरा खर्च उठाया. हर साल जन्मदिन पर बधाई दी. और हमें हर संभव सहायता दी. यह मेरे लिए आशीर्वाद जैसा है. ग्लोरी ने दो साल पहले पोर्ट ब्लेयर के जेएनआरएम कॉलेज से कंप्यूटर साइंस में स्नातक की पढ़ाई शुरू की. अब उसका सपना है कि वह भारतीय नौसेना में अधिकारी बने. ग्लोरी ने कहा कि मैं एसएसबी परीक्षा देकर नौसेना में शामिल होना चाहती हूं. यह मेरा कर्ज चुकाने का तरीका है.
परिवार और प्रेरणा
ग्लोरी के दो छोटे भाई-बहन भी हैं. उसके भाई की उम्र 19 साल और बहन की 15 साल है. बचपन से ही ग्लोरी को यह एहसास था कि उसका जीवन एक करिश्मा है. उसकी कहानी न केवल प्रेरणादायक है. बल्कि यह भी दिखाती है कि कठिन परिस्थितियों में भी उम्मीदें और सपने जीवित रह सकते हैं.
नौसेना का समर्थन और परिवार की मदद
अगले दिन जहाज पोर्ट ब्लेयर पहुंचा. जहां लक्ष्मी और उनकी बेटी को अस्पताल में भर्ती कराया गया. बलराम को भी पास में ठहरने की व्यवस्था दी गई. भारतीय नौसेना ने न केवल ग्लोरी की शिक्षा का जिम्मा उठाया. बल्कि बलराम को उनके गांव में रोजगार भी दिलवाया. कमोडोर ए वेणुगोपाल (सेवानिवृत्त) उस समय आईएनएस घड़ियाल के कमांडिंग ऑफिसर थे. उन्होंने बताया कि हमने हुत बे से 645 लोगों को बचाया था. लक्ष्मी उन 4-5 गर्भवती महिलाओं में से थीं. यह नौसेना के लिए पहली बार था कि किसी युद्धपोत पर डिलीवरी हुई हो.
भारतीय नौसेना से जुड़ी यादें
ग्लोरी ने बताया कि कैसे भारतीय नौसेना ने उसके जीवन को संवारने में अहम भूमिका निभाई. ग्लोरी ने कहा कि उन्होंने मेरी शिक्षा का पूरा खर्च उठाया. हर साल जन्मदिन पर बधाई दी. और हमें हर संभव सहायता दी. यह मेरे लिए आशीर्वाद जैसा है. ग्लोरी ने दो साल पहले पोर्ट ब्लेयर के जेएनआरएम कॉलेज से कंप्यूटर साइंस में स्नातक की पढ़ाई शुरू की. अब उसका सपना है कि वह भारतीय नौसेना में अधिकारी बने. ग्लोरी ने कहा कि मैं एसएसबी परीक्षा देकर नौसेना में शामिल होना चाहती हूं. यह मेरा कर्ज चुकाने का तरीका है.
परिवार और प्रेरणा
ग्लोरी के दो छोटे भाई-बहन भी हैं. उसके भाई की उम्र 19 साल और बहन की 15 साल है. बचपन से ही ग्लोरी को यह एहसास था कि उसका जीवन एक करिश्मा है. उसकी कहानी न केवल प्रेरणादायक है. बल्कि यह भी दिखाती है कि कठिन परिस्थितियों में भी उम्मीदें और सपने जीवित रह सकते हैं.
अगले दिन जहाज पोर्ट ब्लेयर पहुंचा. जहां लक्ष्मी और उनकी बेटी को अस्पताल में भर्ती कराया गया. बलराम को भी पास में ठहरने की व्यवस्था दी गई. भारतीय नौसेना ने न केवल ग्लोरी की शिक्षा का जिम्मा उठाया. बल्कि बलराम को उनके गांव में रोजगार भी दिलवाया. कमोडोर ए वेणुगोपाल (सेवानिवृत्त) उस समय आईएनएस घड़ियाल के कमांडिंग ऑफिसर थे. उन्होंने बताया कि हमने हुत बे से 645 लोगों को बचाया था. लक्ष्मी उन 4-5 गर्भवती महिलाओं में से थीं. यह नौसेना के लिए पहली बार था कि किसी युद्धपोत पर डिलीवरी हुई हो.
भारतीय नौसेना से जुड़ी यादें
ग्लोरी ने बताया कि कैसे भारतीय नौसेना ने उसके जीवन को संवारने में अहम भूमिका निभाई. ग्लोरी ने कहा कि उन्होंने मेरी शिक्षा का पूरा खर्च उठाया. हर साल जन्मदिन पर बधाई दी. और हमें हर संभव सहायता दी. यह मेरे लिए आशीर्वाद जैसा है. ग्लोरी ने दो साल पहले पोर्ट ब्लेयर के जेएनआरएम कॉलेज से कंप्यूटर साइंस में स्नातक की पढ़ाई शुरू की. अब उसका सपना है कि वह भारतीय नौसेना में अधिकारी बने. ग्लोरी ने कहा कि मैं एसएसबी परीक्षा देकर नौसेना में शामिल होना चाहती हूं. यह मेरा कर्ज चुकाने का तरीका है.
परिवार और प्रेरणा
ग्लोरी के दो छोटे भाई-बहन भी हैं. उसके भाई की उम्र 19 साल और बहन की 15 साल है. बचपन से ही ग्लोरी को यह एहसास था कि उसका जीवन एक करिश्मा है. उसकी कहानी न केवल प्रेरणादायक है. बल्कि यह भी दिखाती है कि कठिन परिस्थितियों में भी उम्मीदें और सपने जीवित रह सकते हैं.
भारतीय नौसेना से जुड़ी यादें
ग्लोरी ने बताया कि कैसे भारतीय नौसेना ने उसके जीवन को संवारने में अहम भूमिका निभाई. ग्लोरी ने कहा कि उन्होंने मेरी शिक्षा का पूरा खर्च उठाया. हर साल जन्मदिन पर बधाई दी. और हमें हर संभव सहायता दी. यह मेरे लिए आशीर्वाद जैसा है. ग्लोरी ने दो साल पहले पोर्ट ब्लेयर के जेएनआरएम कॉलेज से कंप्यूटर साइंस में स्नातक की पढ़ाई शुरू की. अब उसका सपना है कि वह भारतीय नौसेना में अधिकारी बने. ग्लोरी ने कहा कि मैं एसएसबी परीक्षा देकर नौसेना में शामिल होना चाहती हूं. यह मेरा कर्ज चुकाने का तरीका है.
परिवार और प्रेरणा
ग्लोरी के दो छोटे भाई-बहन भी हैं. उसके भाई की उम्र 19 साल और बहन की 15 साल है. बचपन से ही ग्लोरी को यह एहसास था कि उसका जीवन एक करिश्मा है. उसकी कहानी न केवल प्रेरणादायक है. बल्कि यह भी दिखाती है कि कठिन परिस्थितियों में भी उम्मीदें और सपने जीवित रह सकते हैं.
ग्लोरी ने बताया कि कैसे भारतीय नौसेना ने उसके जीवन को संवारने में अहम भूमिका निभाई. ग्लोरी ने कहा कि उन्होंने मेरी शिक्षा का पूरा खर्च उठाया. हर साल जन्मदिन पर बधाई दी. और हमें हर संभव सहायता दी. यह मेरे लिए आशीर्वाद जैसा है. ग्लोरी ने दो साल पहले पोर्ट ब्लेयर के जेएनआरएम कॉलेज से कंप्यूटर साइंस में स्नातक की पढ़ाई शुरू की. अब उसका सपना है कि वह भारतीय नौसेना में अधिकारी बने. ग्लोरी ने कहा कि मैं एसएसबी परीक्षा देकर नौसेना में शामिल होना चाहती हूं. यह मेरा कर्ज चुकाने का तरीका है.
परिवार और प्रेरणा
ग्लोरी के दो छोटे भाई-बहन भी हैं. उसके भाई की उम्र 19 साल और बहन की 15 साल है. बचपन से ही ग्लोरी को यह एहसास था कि उसका जीवन एक करिश्मा है. उसकी कहानी न केवल प्रेरणादायक है. बल्कि यह भी दिखाती है कि कठिन परिस्थितियों में भी उम्मीदें और सपने जीवित रह सकते हैं.
परिवार और प्रेरणा
ग्लोरी के दो छोटे भाई-बहन भी हैं. उसके भाई की उम्र 19 साल और बहन की 15 साल है. बचपन से ही ग्लोरी को यह एहसास था कि उसका जीवन एक करिश्मा है. उसकी कहानी न केवल प्रेरणादायक है. बल्कि यह भी दिखाती है कि कठिन परिस्थितियों में भी उम्मीदें और सपने जीवित रह सकते हैं.
ग्लोरी के दो छोटे भाई-बहन भी हैं. उसके भाई की उम्र 19 साल और बहन की 15 साल है. बचपन से ही ग्लोरी को यह एहसास था कि उसका जीवन एक करिश्मा है. उसकी कहानी न केवल प्रेरणादायक है. बल्कि यह भी दिखाती है कि कठिन परिस्थितियों में भी उम्मीदें और सपने जीवित रह सकते हैं.
